ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर में एक निजी विश्वविद्यालय है KIIT, जिसे कलिंगा यूनिवर्सिटी के नाम से शोहरत हासिल है। 1992 से इसकी शुरुआत की कहानी बेहद साधारण बताई जाती है, लेकिन संस्थान के वेबसाइट पर जाने पर कैंपस का जो विहंगम दृश्य देखने को मिलता है, वह आँखें खोल देता है। कल से यह संस्थान राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय सुर्ख़ियों में बना हुआ है, क्योंकि प्रबंधन द्वारा 500 से अधिक नेपाली छात्र-छात्राओं को हॉस्टल से निकाल बाहर कर दिया गया था।
इसकी वजह थी, प्रकृति लम्साल नाम की एक नेपाली छात्रा के द्वारा कैंपस के भीतर आत्महत्या का मामला। बीटेक तृतीय वर्ष की इस छात्रा ने आत्महत्या की है या हत्या की गई है, पर अभी भी सवालिया निशान बना हुआ है। बताया जा रहा है कि दो दिन पहले जब संस्थान में फेस्ट चल रहा था, और बादशाह के शो में सभी छात्र-छात्रा ऑडिटोरियम गये हुए थे, उसी दौरान प्रकृति ने हॉस्टल के अपने कमरे में सुसाइड कर लिया।
मीडिया में नेपाली छात्रों के ट्वीट और मैसेज से यह भी जान पड़ता है कि छात्रा के साथ लाइब्रेरी में दुर्घटना हुई, लेकिन आनन-फानन में उसके शरीर को उसके हॉस्टल के कमरे में शिफ्ट करा दिया गया था। KIIT प्रबंधन ने मृतका के माता-पिता के नेपाल से भारत आने की परवाह किये बिना ही शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया।
यहां पर एक ट्विस्ट है। बताया जा रहा है कि मृतका का एक बॉयफ्रेंड, जिसका नाम अद्विक श्रीवास्तव बताया जा रहा है, घटना के बाद अपने होमटाउन के लिए फरार हो रहा था, जिसे पुलिस ने हवाईअड्डे से गिरफ्तार कर लिया था।
नेपाली छात्र-छात्राओं ने परसों रात 9 बजे से कैंपस के भीतर धरना-प्रदर्शन शुरू कर दिया था। उनका कहना था कि पीड़िता को उसका एक्स-बॉयफ्रेंड अद्विक लगातार ब्लैकमेल और मानसिक प्रताड़ना दे रहा था। उसके पास पीड़िता की नग्न तस्वीरें और वीडियो थे, जिनके सहारे वह उसे प्रताड़ित कर रहा था। ऐसा भी कहा जा रहा है कि अद्विक श्रीवास्तव किसी राजनीतिज्ञ का लड़का है, जिसके चलते KIIT प्रबंधन मामले को दबाने में लगा हुआ था।
बता दें कि पीड़िता ने आत्महत्या से एक माह पूर्व कैंपस में स्थापित इंटरनेशनल रिलेशन ऑफिस (आईआरओ) के समक्ष शिकायत दर्ज की थी, लेकिन कोई सुनवाई नहीं की गई। नेपाली छात्र-छात्रा प्रबंधन के इस रवैये से बेहद क्षुब्ध थे, और उन्होंने मृतका को न्याय दिया जाए, नारे के साथ अपना आंदोलन शुरू कर दिया था।
KIIT प्रबंधन कैंपस के भीतर ऐसे विरोध प्रदर्शन की उम्मीद नहीं कर रहा था। संस्थान अपने 21वें स्थापना दिवस को इतने धूमधाम से मना रहा था, और इस बीच एक विदेशी छात्रा की मौत को लेकर हंगामे से उसकी प्रतिष्ठा धूमिल हो सकती थी। शायद यही कारण था कि छात्रों को पुरुष अधिकारियों और छात्राओं को महिला प्रोफेसरों को हैंडल करने की जिम्मेदारी दी गई थी। परसों रात नेपाली छात्राओं के साथ दो महिला प्राध्यापकों के बर्ताव का वीडियो सबसे अधिक वायरल है।
इस वीडियो में साफ़ देखा जा सकता है कि दो महिला प्रोफेसरों ने धरने पर बैठी छात्राओं के साथ किस प्रकार से अभद्रतापूर्ण व्यवहार ही नहीं किया, बल्कि उनके देश नेपाल को अपमानित करने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी है। अपने आदेश और धमकियों से उनका मकसद सिर्फ एक समझ आता है कि कैंपस की मर्यादा को ध्यान में रखो और अच्छे बच्चों की तरह हमारा हुक्म मानो, वर्ना घाटे में रहोगे।
लेकिन छात्राएं जब अपने निश्चय से नहीं डिगीं, तो कल सुबह उनके साथ जो सुलूक किया गया, उसके बाद ही यह खबर सुर्ख़ियों में आ सकी। इन वीडियोज में साफ़ देखा जा सकता है कि छात्रों को गार्ड्स के द्वारा बेरहमी से पीटा गया। बताया जा रहा है कि कल सुबह से ही नेपाली छात्रों के कमरों की तलाशी ली गई और तत्काल अपना सामान खाली कर उन्हें नेपाल वापस लौटने के निर्देश दिए गये थे। ऐसा नहीं करने पर उनके सामान को बाहर फिंकवा देने की धमकियां दी गईं।
छात्रों का साफ़ कहना था कि उनके साथ बेहद अमानवीय बर्ताव किया गया। कई छात्रों को सुना जा सकता है कि उनके पास नेपाल जाने के लिए पैसे नहीं हैं, नेपाल जाने के लिए ट्रेन गुरूवार को मिलती है। ऐसे में वे कैसे वतन वापसी कर सकते हैं? लेकिन KIIT प्रशासन का कल स्पष्ट निर्देश था कि नेपाली छात्रों के लिए संस्थान बंद हो चुका है और वे तत्काल कैंपस खाली कर अपने देश वापस लौट जायें।
लेकिन कल शाम से सोशल मीडिया पर राष्ट्रीय-अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर यह मामला तूल पकड़ चुका था, और छात्रों के साथ मारपीट और भुवनेश्वर की सड़कों पर अपने बैग के साथ पैदल चलते छात्र-छात्राओं के हुजूम ने देश के भीतर ही KIIT प्रबंधन के खिलाफ बड़ा माहौल तैयार कर दिया था।
इसी बीच नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के ट्वीट ने इस मामले में दोनों देशों के कूटनीतिक संबंधों का दबाव भी ले आया। ओली ने स्पष्ट किया कि नई दिल्ली के उनके दूतावास से कल दो अधिकारी ओडिशा जायेंगे। उन्होंने आश्वस्त किया कि छात्र चाहें तो अपने हॉस्टल में बने रह सकते हैं और यदि घर वापस आना चाहते हैं, तो वे ऐसा कर सकते हैं।
स्पष्ट था कि यह आश्वासन वे अपने समकक्ष भारतीय अधिकारियों से मिले आश्वासन के आधार पर ही करने की स्थिति में थे। लेकिन KIIT प्रबंधन के लिए अब तक हालात पूरी तरह उलट चुके थे। छात्रों को तो वह कैंपस से निकाल चुकी थी। आज सुबह से छात्र छात्राओं को वापस कैंपस लौटने की अपील की जा रही है। इसके लिए अधिकारियों के द्वारा छात्र छात्राओं को उनके मोबाइल पर फोन कर लौटने का अनुरोध किया जा रहा है।
एक छात्रा ने लाइव चैट को सोशल मीडिया पर जारी करते हुए बातचीत का ब्यौरा दिया है, जिसमें उसका तर्क था कि वह बीच रास्ते में है, और उसे नेपाल में अपने घर पहुँचने में ही 2 दिन लग जायेंगे। उसका साफ़ कहना था कि यह कोई एक-दो घंटे का सफर नहीं है, और प्रशासन को उन्हें नेपाल भेजने से पहले इसके बारे में सोचना चाहिए था।
मृतका के परिवार से उसके पिता और चाचा भी नेपाल से आज ओडिशा पहुंच चुके हैं। नई दिल्ली से भी नेपाली दूतावास से दो अधिकारियों के पहुँचने की पुष्टि हो चुकी है। इसे देखते हुए अब इस मामले में ओडिशा की भाजपा सरकार भी अपनी ओर से उपक्रम करने के लिए बाध्य हो गई है। एक सरकारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि इस मामले में संलिप्त गार्ड्स और अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करेगी और एक हाई लेवल कमेटी का गठन कर KIIT संस्थान के द्वारा की गई कार्यवाही की जांच की जाएगी।
एक नेपाली छात्र, राजन गुप्ता को आपबीती बताते सुना जा सकता है, “हॉस्टल से निकाला गया। पैसे भी नहीं हैं, ट्रेन भी नहीं है। प्रशासन का आदेश था, जल्द से जल्द हॉस्टल खाली करो। हॉस्टल में घुस-घुसकर निकाला गया। प्रोटेस्ट रात 9 बजे तक चला। एक लड़की ने आत्महत्या की थी, प्रोटेस्ट को दबाने के लिए हमें जबरन हॉस्टल से निकाला गया। हम पूरी तरह से बेसहारा हैं।”
अध्यापिका मंजूषा पांडे सहित वीडियो में मौजूद एक अन्य को प्रशासन ने सस्पेंड करने की घोषणा कर दी गई है। अपने माफीनामे के साथ अफ़सोस जताते हुए मंजूषा जी ने एक वीडियो अपने सोशल मीडिया हैंडल से जारी किया है, जिसपर उन्हें यूजर्स की ओर से जमकर लताड़ मिल रही है।
नेपाली मीडिया चैनलों में छात्र छात्राओं के पलायन का दृश्य
यहां पर बड़ा सवाल यह उठता है कि क्या KIIT संस्थान अपनी प्रकृति में ही ऐसा है, या भारत के लगभग सभी शिक्षण संस्थानों की मानसिक स्थिति कुछ इसी प्रकार की बन गई है? जैसा राजा, वैसी प्रजा को चरितार्थ करते हुए हमारे देश के शिक्षण संस्थानों, अदालतों सहित शायद ही कोई संस्था बची हो जिसके चारित्रिक पतन में कोई कोर-कसर बची हो।
मौजूदा व्यवस्था में जो भी इन दुर्दिनों के बावजूद फलफूल रहा है, वह निश्चित रूप से क्षेत्रीय या राष्ट्रीय स्तर पर सरकार के संरक्षण में खुद को दबंग और अंधराष्ट्रवाद के तहत सभी नियम-कानूनों और नैतिक मर्यादा से ऊपर पा रहा है। मृतका के साथ अद्विक के साथ हुई फोन पर बातचीत का एक ऑडियो भी वायरल हो रहा है, जिसमें मृतका के साथ बात-बात पर गाली-गलौज करने वाला यह शख्स आज नहीं तो कल अवश्य कानून के शिकंजे से बच निकलने में कामयाब रहने वाला है, इस बात को सभी मानकर चल रहे हैं। क्योंकि यही न्यू इंडिया है, इसमें वैश्विक भूराजनीति में चैंपियन बनने की तो बात रही दूर, नेपाल जैसे सबसे प्रगाढ़ मित्र देश से भी कटुता चरम पर पहुंच जाने का अंदेशा है।
(रविंद्र पटवाल जनचौक संपादकीय टीम के सदस्य हैं)
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