Friday, April 19, 2024

अहमदाबाद बना नया कोरोना हॉटस्पॉट ! 3 महिलाओं समेत अब तक 43 की मौत

अहमदाबाद। अहमदाबाद नगर निगम के कमिश्नर आशीष नेहरा ने दावा किया है कि यदि “लॉक डाउन का कड़क अमल हो और सहयोग मिले तो मैं एक महीने में कोरोना नियंत्रण कर लूंगा।” लेकिन अहमदाबाद को समझने वाले इसे एक खोखला दावा मानते हैं। आज से दस-बारह दिन पहले केरल, महाराष्ट्र और दिल्ली से कोरोना संक्रमितों की संख्या अधिक आ रही थी।

केरल में 30 जनवरी को पहला संक्रमित व्यक्ति पाया गया था। शुरुआत में सबसे अधिक मामले यहीं से आये लेकिन जिस प्रकार से राज्य सरकार ने संक्रमण को नियंत्रित किया उसके हेल्थ मॉडल की तारीफ देश ही नहीं वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइज़ेशन तक कर रहा है। 

आज 21अप्रैल तक गुजरात में कुल कोरोना पॉज़िटिव केस का आंकड़ा 2066 पहुँच गया है। जबकि मौतों की संख्या 77 है। वहीं राज्य सरकार के अनुसार 33316 टेस्ट हो चुके हैं। क्वारंटाइन में 30357 लोग भेजे गए हैं। 1298 से अधिक पॉज़िटिव मामले अकेले अहमदाबाद से हैं। 3 महिलाओं समेत अहमदाबाद में 43 लोगों की कोरोना से मृत्यु हुई है। मृतकों में वर्तमान पार्षद कमरुद्दीन पठान के भाई सिराजुद्दीन पठान भी शामिल हैं। अहमदाबाद नगर निगम में पूर्व विपक्षी नेता बदरुद्दीन शेख और जमालपुर से विधायक इमरान खेड़ावाला भी कोरोना पॉज़िटिव हैं और SVP हॉस्पिटल में दाखिल हैं।

पिछले 24 घंटे में LG हॉस्पिटल के 2 महिला डॉक्टर सहित चार डॉक्टर कोरोना संक्रमित पाए गए हैं। चाणक्यपुरी के डॉक्टर हीरेन दोषी और नारणपुरा के डॉक्टर राघव सुथार पॉज़िटिव पाए गए हैं। अहमदाबाद के कोर्ट विस्तार में 15 से 20 अप्रैल तक कर्फ्यू था। जिसे बढ़ाकर 24 अप्रैल तक कर दिया गया है। शनिवार और रविवार अथवा 48 घंटे का पॉज़िटिव संक्रमित आंकड़ा 239 था सोमवार को 152 नये संक्रमित मामले सामने आए। 

अब तक सबसे अधिक मामले महाराष्ट्र से कोरोना पॉज़िटिव केस आए हैं दूसरे नंबर पर दिल्ली है। गुजरात तीसरे नंबर पर। लेकिन मृत्यु दर के हिसाब से गुजरात दूसरे नंबर पर है। पॉज़िटिव मामले क्रमश: 4666, 2081और 2066 हैं। महाराष्ट्र में 232 लोगों को इस बीमारी ने लील लिया है। जबकि दिल्ली में 47 की मौत हो चुकी है। गुजरता में यह आँकड़ा 77 को छू लिया है जो दिल्ली के मृत्यु आंकड़े के लगभग दोगुना के करीब है। ये आंकड़े गुजरात हेल्थ मॉडल की तस्वीर बयान करते हैं। 

लॉकडाउन से पहले 19 मार्च को एडिशनल सेक्रेटरी जयंती रवि ने प्रेस कांफ्रेंस कर राज्य के पहले और दूसरे कोरोना पॉज़िटिव केस की जानकारी दी थी। राज्य में पहला केस सूरत की एक महिला का आया था जो अमेरिका के न्यूयॉर्क से आई थी। दूसरा मामला सऊदी अरब के मक्का से लौटे राजकोट के एक व्यक्ति का था। उस समय जयंती रवि ने कोरोना से लड़ने के लिए गुजरात राज्य को सक्षम बताया था। परंतु आज स्वास्थ्य विभाग धराशाई दिख रहा है। 

गुजरात हाईकोर्ट के वकील केआर कोष्टी बताते हैं कि “संवैधानिक तौर पर स्वास्थ्य की ज़िम्मेदारी सरकार की है। फिर भी गुजरात सरकार PPP मॉडल को मेडिकल में भी प्रोत्साहित करती है। यही कारण है कि सरकार आज कोरोना से लड़ने में असफल दिख रही है। राज्य में 30-35% GDMO की कमी है जिनकी भर्ती नहीं हुई है। क्रिटिकल बीमारियों के डॉक्टरों की संख्या भी 60-65% कम है। इसी प्रकार से नर्सों की संख्या भी ज़रूरत से 20-25% कम है। हेल्थ वर्कर (महिला, पुरुष दोनों) लैब टेक्नीशियन, फार्मासिस्ट इत्यादि सभी की कमी है। ऐसे में बेहतर तरीके से ऐसी आपदा से कैसे लड़ा जा सकता है।”

इन सभी कमियों को छुपाने के लिए वर्तमान सरकार चाहे गुजरात की हो या केंद्र की हिंदू-मुस्लिम विवाद को आगे कर रही है। 

देश में नरेंद्र मोदी की असफलता को तबलीगी जमात के बहाने मुख्य धारा के मीडिया ने ढंक दिया। इसी प्रकार गुजरात के बड़े अखबारों और गुजराती चैनलों ने मुस्लिम, दरियापुर, जमालपुर की आड़ में विजय रूपानी की असफलता को भी छिपाने की कोशिश की है। ऐसा माना जा रहा है कि मीडिया द्वारा मुस्लिम विरोधी प्रोपगैंडा को जारी रखने के लिए मुस्लिमों की टेस्टिंग अधिक की गयी है। गुजरात में भी कोरोना को मुस्लिमों से जोड़ने का प्रयत्न हुआ। परिणाम स्वरूप हॉस्पिटल और तंत्र अधिक दबाव में दिखे और मुस्लिम और खासकर तब्लीग से जुड़े लोगों की टेस्टिंग अधिक हुई। स्वाभाविक है जिसकी टेस्टिंग अधिक होगी वहां पॉज़िटिव केस मिलने की आशंका भी अधिक होगी।

दो दिन पहले 25 लोगों के टेस्ट रिज़ल्ट पॉज़िटिव आने के बाद भी उन्हें घंटों बेड नहीं मिलने तथा वीडियो वायरल होने के बाद अस्पताल की पोल खुली। अहमदाबाद सिविल अस्पताल में 1200 बेड और SVP अस्पताल में 500 से बढ़ाकर बेडों की संख्या 1000 कर दिया गया है। जिससे कोरोना से कारगर तरीक़े से लड़ा जा सके। केरल जैसा छोटा राज्य कोरोना मरीज़ों के लिए 250000 बेड तैयार करता है। लेकिन गुजरात में दावों के अलावा कुछ नहीं दिख रहा है। संप्रादायिकता ऐसी कि सिर्फ अफवाह फैला दी जाए कि कोरोना मुसलमानों में अधिक है तो दूसरा समुदाय सरकार से सवाल नहीं करता। 

वरिष्ठ पत्रकार बसंत रावत का कहना है कि “अहमदाबाद के कालूपुर, दरियापुर, जमालपुर के मोहल्ले इतनी घनी आबादी वाले हैं कि वहां सोशल डिस्टेंसिंग संभव ही नहीं है। कोर्ट विस्तार से कोरोना के अधिक मामले आने का मुख्य कारण यही है। इसे धर्म विशेष से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए। नहीं तो कोरोना से हम नहीं लड़ पाएंगे।” हालांकि पिछले 24 घंटों में अहमदाबाद के जो पचास मामले आये हैं उनमें से केवल 11 मुस्लित समुदाय से हैं। 

इस बीच सरकार ने प्राइवेट अस्पतालों को भी कोरोना के इलाज की छूट दे दी है। हालाँकि उसमें लोगों को इलाज के खर्चे ख़ुद वहन करने होंगे। इस लिहाज से यह कहा जा सकता है कि पैसे वालों के लिए सरकार ने बिल्कुल अलग व्यवस्था कर दी। अब तक देश में कोरोना के 18995 मामले आ चुके हैं। 3260 को इलाज के बाद अस्पताल से छुट्टी दी जा चुकी है 603 की मृत्यु हो चुकी है। 

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