संसद में शाह ने किया संविधान प्रमुख बाबा साहेब की तौहीन   

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तड़ीपार से गृहमंत्री का सफ़र संघ की बदौलत तय करने वाले के मुखारविंद से बाबा साहेब के प्रति जो असम्मान प्रकट हुआ है वह मात्र दिल की बात ज़ुबां पर आने जैसा है। जिनके दिल दिमाग में मनुस्मृति कूट-कूट कर भरी गई है वे जब संविधान का सरासर झूठा सम्मान करते नज़र आते हैं तो संविधान निर्माण समिति प्रमुख एक दलित विद्वान का सम्मान कैसे कर सकते हैं।

दूसरी बात उनसे नफ़रत की ये भी है कि बाबा साहेब ने अपने पचास हजार साथियों के साथ हिंदू धर्म छोड़कर बौद्ध धर्म अपनाया था। आज भी बौद्ध धर्म अपनाने का सिलसिला जारी है। बाबा साहेब ने सभी धर्मों का अध्ययन कर बौद्ध धर्म को सर्वश्रेष्ठ बताया था। उन्होंने जात-पात, ऊंच-नीच और कुप्रथाओं के वशीभूत हिंदू धर्म के लिए यह कहा था कि इस धर्म में जन्म लेना मेरे वश में नहीं था किन्तु मैं इस धर्म को धारण किए हुए नहीं मरूंगा। वाकई वे जब बौद्ध हो गए तभी दुनिया से गए।

बाबा साहेब से ये दोनों नफ़रत की वजह ही है कि उनके मुख से ये असम्मानजनक शब्द निकले वे बोले-” ये एक फ़ैशन हो गया है। आंबेडकर, आंबेडकर, आंबेडकर, आंबेडकर… इतना नाम अगर भगवान का लेते तो सात जन्मों तक स्वर्ग मिल जाता।”

उनके यह बोल पूरी तरह मनुवादी थे आज भगवान नहीं संविधान प्रदत्त अधिकार ही हमें खुश रख सकते हैं। आपके जीवन की तरक्की संविधान से ही होती है। भगवान आस्था का बिंदु है जिसका संविधान से कुछ लेना देना नहीं, ना इसमें स्वर्ग की कोई गुंजाइश है। संविधान के मुताबिक आपकी खुशी ही वास्तविक स्वर्ग का अहसास कराती है।

आज सत्ता में गृहमंत्री बतौर जो बैठे हैं वह संविधान की बदौलत ही। शासन व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने का काम भी संविधान द्वारा ही सम्पन्न कराया जाता है। संविधान के मुताबिक हम भारत के  लोग ही इस व्यवस्था के लिए जिम्मेदार हैं। स्त्री पुरुष को बराबरी का हक संविधान ही देता है। मनुवादी लोग यह बराबरी नहीं चाहते इसलिए उन्हें फुसलाकर घर बैठाने की सोच के तहत लाडली बहनों के नाम पर लेशमात्र की धनराशि दी जाती है। धर्म निरपेक्ष राष्ट्र में दूसरे धर्मों के प्रति घृणा को जन्म दिया जाता है। जातिवाद को बढ़ाया जाता है। एक राष्ट्र एक चुनाव की बात तो होती है किंतु कभी एक जैसी शिक्षा, सभी भारतीय की मुनादी नहीं पीटी जाती।

फ़र्क साफ है ये सब संविधान विरोधी हैं। संविधान की 75 वीं वर्षगांठ पर भी कांग्रेस और देश निर्माताओं के खिलाफ आग उगलते रहे। संविधान की पुस्तक माथे पर लगाकर झांसा देना इन्हें खूब आता है।

अंबेडकर जी के अपमान से आज सारा देश उद्वेलित है। तमाम विपक्षी दल एक हैं। राज्य सभा में प्रतिपक्ष नेता और कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने तो प्रधानमंत्री से गृहमंत्री को बर्खास्त करने का अल्टीमेटम दिया हुआ है। जबकि गृहमंत्री  प्रेस कांफ्रेंस में इसे तोड़-मरोड़कर दिया बयान बताते हुए घमंड से कह रहे हैं कि खड़गे जी अभी 15 साल और विपक्ष में बैठेंगे।

उधर प्रधानमंत्री भी गृहमंत्री के पक्ष में ट्वीट कर उनके बयान को सही बता रहे हैं।

इसलिए यह मुनासिब तो नहीं लगता कि प्रधानमंत्री कोई एक्शन लेंगे किंतु देश की रुष्ट जनता और तमाम विपक्षी इस मुद्दे पर ना केवल उन्हें घेरेगा बल्कि आगत चुनाव के लिए उनकी कब्र खोदने का पुख्ता इंतजाम कर देगा क्योंकि जिन बाबा साहेब की जगह आपने भगवान को बिठाया है विदित हो आदिवासी और दलित समाज के लोग उन्हें आज के भगवान स्वरूप में उनकी पूजा करते हैं।

(सुसंस्कृति परिहार लेखिका और एक्टिविस्ट हैं।)

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