कोलकाता। पश्चिम बंगाल में अब तक आए तमाम तूफानों के मुकाबले अंफान भयानक साबित होगा। मौसम विभाग के अलावा राज्य सरकार और इसकी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी तो बीते दो-तीन दिनों से कई बार यह बात दोहरा रही थीं। लेकिन यह इतना भयानक होगा, यह उन्होंने सपने में भी कल्पना नहीं की होगी। सरकार ने तमाम ऐहितयाती उपाय करने और प्रशासन के पूरी तरह मुस्तैद रहने का दावा किया था। लेकिन अंफान महज तीन घंटे में सैकड़ों पेड़ों, बिजली और केबल के खंभों के अलावा कच्चे मकानों की छतों के साथ ही तमाम सरकारी तैयारियों को भी अपने साथ उड़ा ले गया।
120 से 140 किमी प्रति घंटे की रप्तार से कोलकाता पर हमला करने वाले इस तूफान ने कुछ देर में ही इस महानगर की तस्वीर ही बदल दी। तूफान से बंगाल के पांच जिलों में 72 लोगों की मौत हो चुकी है। इनमें से 15 कोलकाता के हैं। ममता बनर्जी ने यह जानकारी दी। बंगाल सरकार मृतकों के परिजनों को देगी दो, दो लाख। इस बीच ममता ने प्रधानमंत्री से बंगाल का दौरा करने की अपील की थी तो प्रधनमंत्री आज बंगाल और ओड़िसा के दौरे पर हैं।
गुरुवार को सड़कों पर जहां-तहां गिरे हजारों पेड़, बिजली और केबल के टूटे तार और खंभे, हवा के जोर से एक-दूसरे से टकरा कर क्षतिग्रस्त हुई गाड़ियां, क्षतिग्रस्त मकान, सड़कों पर बिखरे शीशे, ज्यादातर इलाकों में गुल बिजली और कोलकाता एअरपोर्ट पर बाढ़ जैसा नजारा तूफान की ताकत की गवाही दे रहे हैं। इससे यह भी साफ हो गया है कि विज्ञान चाहे कितनी भी प्रगति कर ले, प्राकृतिक विपदा के सामने वह अक्सर बौना साबित होता है।
78 साल के कुशल सरकार कहते हैं, “मैंने अपने जीवन में कभी ऐसा भयावह तूफान नहीं देखा था। लगता था कि आज जीवित बचना मुश्किल है। मेरी आंखों के सामने कई पेड़ गिरे। हवाओं का गर्जन दिल में कंपकपी पैदा कर रहा था।” तूफान गुजरने के बारह घंटे बीतने के बाद भी उनके चेहरे पर आतंक की लकीरें साफ नजर आती हैं। मौसम विभाग के निदेशक जी.सी.दास बताते हैं, “बुधवार रात आठ से दस बजे के बीच दो घंटे में 222 मिमी बारिश रिकार्ड की गई है।” कोलकाता नगर निगम के प्रशासक और शहरी विकास मंत्री फिरहाद हकीम कहते हैं, “अंफन भयानक होगा इसका अंदाजा तो था। लेकिन यह इतना भयानक होगा, इसकी कल्पना नहीं की गई थी। पूरा महानगर कचरे के ढेर में तब्दील हो गया है।”
राज्य सचिवालय नवान्न की बहुमंजिली इमारत में भी कई खिड़कियों और दरवाजों के शीशे टूट गए हैं। इनसे दो कर्मचारियों को चोटें आई हैं। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बुधवार पूरी रात राज्य सचिवालय में बने कंट्रोल रूम में गुजारी है। वह बताती हैं, “प्राथमिक सूचनाओं के मुताबिक तूफान की वजह से कम से कम 12 लोग मारे जा चुके हैं। संचार व्यवस्था ठप होने की वजह से कई इलाकों से अब तक सूचनाएं नहीं मिल सकी हैं। संपत्ति और खेतों में लगी फसलों को जो नुकसान हुआ है उसका कल्पना तक नहीं की जा सकती। नुकसान का पूरा आकलन करने में अभी तीन से चार दिन लगेंगे।” ममता बताती हैं कि उत्तर और दक्षिण 24-परगना जिले पूरी तरह बर्बाद हो चुके हैं। छह हजार से ज्यादा कच्चे मकान ढह गए हैं और कई बांध और जेटियां टूट गई हैं।
मुख्यमंत्री बताती हैं, “अब तक मैंने अपने जीवन में तूफान से किसी महानगर को इतने बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचते नहीं देखा है। तीन लाख से ज्यादा लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने की वजह से जान का नुकसान तो कम हुआ है लेकिन संपत्ति का नुकसान कल्पना से परे है।” बिजली मंत्री शोभन चटर्जी बताते हैं, “गुरुवार सुबह से तारों पर गिरे पेड़ों को हटाने का काम शुरू हुआ है। लेकिन इतने बड़े पैमाने पर नुकसान को देखते हुए सप्लाई बहाल करने में समय लगेगा।” सरकार ने तूफान से बचाव के लिए तमाम ऐहतियाती उपाय किए थे। लेकिन तूफान की रफ्तार इतनी तेज थी कि सारी व्यवस्था धरी की धरी रह गई।”
महानगर के उत्तर में स्थित नेताजी सुभाष चंद्र अंतरराष्ट्रीय एअरपोर्ट पर तो तूफान की रफ्तार से 40-40 टन वजन के विमान किसी खिलौने की तरह हिल रहे थे। वहां छोटे विमानों को तो पहले ही सुरक्षित स्थानों पर भेज दिया गया था। लेकिन 42 बड़े विमान दो से तीन फीट तक पानी में डूब गए। गुरुवार सुबह को भी एअरपोर्ट पर बाढ़ जैसा नजारा था। एअरपोर्ट पर तैनात एक सुरक्षा कर्मी ने बताया, “रात को लग रहा था कि कहीं एअरपोर्ट की छत ही न उड़ जाए। विमानों को खिलौनों की तरह हिलते देखना काफी डरावना था।”
(कोलकाता से प्रभाकर मणि तिवारी की रिपोर्ट। शुक्रवार से साभार।)