Saturday, April 20, 2024

तो भूख या बीमारी से नहीं, बस यूं ही मर गया यह साधु?

अयोध्या। अयोध्या से दिल को झकझोर देने वाली एक तस्वीर सामने आई है। सरकार के बड़े-बड़े दावे और समाजसेवियों की फौज ने सिर्फ रोड पर चंद लोगों को खाना खिला कर या राशन किट बांट कर फोटो खिंचवाने तक ख़ुद को सीमित कर लिया है। अयोध्या में स्थित चौधरी चरण सिंह घाट के समीप सरयू तट पर लगभग 80 वर्ष के एक वृद्ध साधु की भूख से मौत हो गई है। स्थानीय लोगों ने बताया कि वृद्ध साधु कई दिन से बीमार चल रहे थे। उनका हाल-चाल ना तो स्थानीय प्रशासन ने लिया ना ही किसी समाजसेवी ने लेना ज़रूरी समझा। बीमारी की हालत में कई दिनों से भूखे-प्यासे साधु ने आखिरकार आज दम तोड़ दिया। 

इस सिलसिले में जनचौक की अयोध्या में सरयू के घाट पर फूल बेचने वाले स्कंद दास से बात हुई। उन्होंने बताया कि साधु बारादरी के सामने रहते थे। और छह दिन से भूखे थे। और बीमार भी चल रहे थे। साधु की उम्र 80 साल के आस-पास थी। इलाक़ा कोतवाली थाने के तहत आता है। बताया जा रहा है कि पिछले छह दिनों से वह वहीं पड़े हुए थे। 

स्थानीय पत्रकार तुफैल ने बताया कि आज सुबह तक उनका शव रेत में पड़ा हुआ था। लेकिन अचानक वहाँ से ग़ायब हो गया। स्थानीय लोगों से पूछने पर पता चला कि कुछ पुलिसकर्मियों ने आनन-फ़ानन में उसे उठवाकर सरयू में विलीन कर दिया। उनका कहना है कि ऐसा इसलिए किया गया जिससे पूरे मामले को रफा-दफा कर दिया जाए और किसी को कानों-कान ख़बर तक न हो। इसके पीछे एक दूसरी वजह पोस्टमार्टम से बचने की भी बतायी जा रही है। स्थानीय पुलिस ने कुछ प्रत्यक्षदर्शियों से संपर्क किया और उनसे मामले को दबाने का इशारा किया।

इस मसले पर फैजाबाद के सीओ सिटी अरविंद चौरसिया ने बताया कि वो इलाका उनके क्षेत्र में नहीं आता। आप द्वारा सूचना देने पर उस क्षेत्र के इंस्पेक्टर से बात हुई उसने बताया कि मामले की सूचना पुलिस को है। और उसकी जांच की जा रही है। जबकि दूसरी तरफ खुद को मृतक साधु का चेला कहने वाले दीपक गुप्ता ने बताया कि साधु एक महीने से बीमार थे उनकी देखरेख करने वाला कोई नहीं था। कल रात पानी बरसा उसी में शायद उनकी मौत हो गयी। पुलिस मौके पर आयी थी और उसने पंचनामा किया।

इस घटना में देर रात हमें सादे कागज पर लिखीं दो तहरीरें मिलीं, जिनमें हमें सबसे पहले मृतक साधु का नाम पता चला। मृतक साधु का नाम विष्णु दास उम्र 80 साल है। पहली तहरीर पर खुद को मृतक साधु विष्णु दास का चेला बताने वाले सुखदेव गिरि के अंगूठे के निशान हैं, यानी उन्हें पढ़ना-लिखना नहीं आता। तहरीर सुस्पष्ट कानूनी भाषा में सुंदर हैंड राइटिंग में लिखी गई है।

इस तहरीर पर रामेश्वर दास और सोमनाथ के भी अंगूठे के निशान हैं, यानी वे भी अनपढ़ हैं। तहरीर में साधु की मौत की वजह स्वाभाविक बताई गई है और कहा गया है कि वहां उन साधुओं को दिन में करीब छह से सात बार खाना मिलता है। तहरीर में समाचार देने वाले ग्रुप 5 न्यूज पोर्टल के संचालक तुफैल और रिपोर्टर स्कंद दास सहित इंडियन टाइम्स पर गलत समाचार फैलाकर साधुओं की छवि बिगाड़ने का आरोप लगाया गया है। 

दूसरी तहरीर जो मिली है, वह चौकी इंचार्ज के नाम है। यह तहरीर सुखदेव गिरि, सोमनाथ, परमेश्वर दास और सीताराम के नाम से लिखी गई है और इस पर इन्हीं चारों के अंगूठे के निशान हैं। किसी डायरी के पन्ने को फाड़कर लिखी इस तहरीर में कच्चा घाट बारादरी के पीछे झोपड़पट्टी में साधु विष्णु दास की स्वाभाविक मृत्यु हो गई है, वे लोग पोस्टमार्टम नहीं चाहते हैं और लाश साधु रीति रिवाज से नदी में विसर्जित करना चाहते हैं। इन दोनों में से किसी भी तहरीर पर किसी भी थाने की न तो कोई रिसीविंग है और न ही किसी की कोई मुहर है। दोनों तहरीरें आप फोटो में देख सकते हैं।

इस बीच, देर रात अयोध्या पुलिस ने कुछ फ़ोटो ट्विटर पर पोस्ट किए हैं जिसमें इन तहरीरों के अलावा साधु की अर्थी को ले जाते हुए दिखाया गया है।

यह सब कुछ उस समय हो रहा है जब सूबे में हिंदू हितैषी होने का दावा करने वाली सरकार है। और इसका दंभ भरने का वह कोई मौक़ा नहीं चूकती। अयोध्या में रामनवमी के दिन योगी आदित्यनाथ करोड़ों रुपये दिया और दीवाली पर फूंक सकते हैं लेकिन वहाँ के गरीब साधु, संत और भक्तों की जब बारी आती है तो उनका ख़ज़ाना ख़ाली हो जाता है।

शायद सूबे में साधुओं पर शामत आयी हुई है। बुलंदशहर में दो साधुओं की तलवार से जघन्य तरीक़े से हत्या कर दी गयी। पालघर लिंचिंग का मसला उठाने वाले कथित हिंदुओं के रक्षक इस पूरे मसले पर चुप्पी साधे हुए हैं। 

जनचौक से जुड़े

5 1 vote
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments

Latest Updates

Latest

अपरेंटिसशिप गारंटी योजना भारतीय युवाओं के लिए वाकई गेम-चेंजर साबित होने जा रही है

भारत में पिछले चार दशकों से उठाए जा रहे मुद्दों में बेरोजगारी 2024 में प्रमुख समस्या के रूप में सबकी नजरों में है। विपक्षी दल कांग्रेस युवाओं के रोजगार पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, वहीं भाजपा के संकल्प पत्र में ठोस नीतिगत घोषणाएँ नहीं हैं। कांग्रेस हर शिक्षित बेरोजगार युवा को एक वर्ष की अपरेंटिसशिप और 1 लाख रूपये प्रदान करने का प्रस्ताव रख रही है।

ग्राउंड रिपोर्ट: रोजी-रोटी, भूख, सड़क और बिजली-पानी राजनांदगांव के अहम मुद्दे, भूपेश बघेल पड़ रहे हैं बीजेपी प्रत्याशी पर भारी

राजनांदगांव की लोकसभा सीट पर 2024 के चुनाव में पूर्व सीएम भूपेश बघेल और वर्तमान सांसद संतोष पांडेय के बीच मुकाबला दिलचस्प माना जा रहा है। मतदाता सड़क, पानी, स्वास्थ्य, महंगाई और बेरोजगारी के मुद्दों को प्रमुखता दे रहे हैं, जबकि युवा बेरोजगारी और रोजगार वादों की असफलता से नाराज हैं। ग्रामीण विकासपरक कार्यों के अभाव पर चिंता व्यक्त कर रहे हैं।

वामपंथी हिंसा बनाम राजकीय हिंसा

सुरक्षाबलों ने बस्तर में 29 माओवादियों को मुठभेड़ में मारे जाने का दावा किया है। चुनाव से पहले हुई इस घटना में एक जवान घायल हुआ। इस क्षेत्र में लंबे समय से सक्रिय माओवादी वोटिंग का बहिष्कार कर रहे हैं और हमले करते रहे हैं। सरकार आदिवासी समूहों पर माओवादी का लेबल लगा उन पर अत्याचार कर रही है।

Related Articles

अपरेंटिसशिप गारंटी योजना भारतीय युवाओं के लिए वाकई गेम-चेंजर साबित होने जा रही है

भारत में पिछले चार दशकों से उठाए जा रहे मुद्दों में बेरोजगारी 2024 में प्रमुख समस्या के रूप में सबकी नजरों में है। विपक्षी दल कांग्रेस युवाओं के रोजगार पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, वहीं भाजपा के संकल्प पत्र में ठोस नीतिगत घोषणाएँ नहीं हैं। कांग्रेस हर शिक्षित बेरोजगार युवा को एक वर्ष की अपरेंटिसशिप और 1 लाख रूपये प्रदान करने का प्रस्ताव रख रही है।

ग्राउंड रिपोर्ट: रोजी-रोटी, भूख, सड़क और बिजली-पानी राजनांदगांव के अहम मुद्दे, भूपेश बघेल पड़ रहे हैं बीजेपी प्रत्याशी पर भारी

राजनांदगांव की लोकसभा सीट पर 2024 के चुनाव में पूर्व सीएम भूपेश बघेल और वर्तमान सांसद संतोष पांडेय के बीच मुकाबला दिलचस्प माना जा रहा है। मतदाता सड़क, पानी, स्वास्थ्य, महंगाई और बेरोजगारी के मुद्दों को प्रमुखता दे रहे हैं, जबकि युवा बेरोजगारी और रोजगार वादों की असफलता से नाराज हैं। ग्रामीण विकासपरक कार्यों के अभाव पर चिंता व्यक्त कर रहे हैं।

वामपंथी हिंसा बनाम राजकीय हिंसा

सुरक्षाबलों ने बस्तर में 29 माओवादियों को मुठभेड़ में मारे जाने का दावा किया है। चुनाव से पहले हुई इस घटना में एक जवान घायल हुआ। इस क्षेत्र में लंबे समय से सक्रिय माओवादी वोटिंग का बहिष्कार कर रहे हैं और हमले करते रहे हैं। सरकार आदिवासी समूहों पर माओवादी का लेबल लगा उन पर अत्याचार कर रही है।