Thursday, April 18, 2024

दो स्विस बैंक खातों में गुप्त धन रखने पर अनिल अंबानी को आईटी का नोटिस, 420 करोड़ की टैक्स चोरी का आरोप

काला धन कानून के तहत आयकर विभाग ने टैक्स चोरी को लेकर रिलायंस समूह के चेयरमैन अनिल अंबानी के खिलाफ मामला चलाने के लिये नोटिस जारी किया है। आयकर विभाग ने दो स्विस बैंक अकाउंट मेंरखे 814 करोड़ रुपये से ज्यादा के अघोषित धन पर 420 करोड़ रुपये की टैक्स चोरी करने के आरोप में रिलायंस ग्रुप के अध्यक्ष के खिलाफ मुकदमा चलाने की मांग की है।

गौरतलब है कि दो साल पहले साल 2020 में अनिल अंबानी ने ब्रिटेन की एक कोर्ट को घोषणा की थी कि वह दिवालिया हैं और उनकी नेटवर्थ जीरो है। लेकिन अक्टूबर 2021 में ‘इंटरनेशनल कंसोर्शियम ऑफ इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट्स’ (आईसीआईजे) ने गुप्त वित्तीय लेन-देन और कारोबार पर पेंडोरा पेपर्स के नाम से बड़ा खुलासा किया था। इसमें सामने आया था कि अनिल अंबानी और उनके प्रतिनिधियों के पास जर्सी, ब्रिटिश वर्जिन आईलैंड्स और साइप्रस जैसी जगहों पर कम से कम 18 विदेशी कंपनियां हैं।

आयकर विभाग ने अंबानी पर जानबूझकर टैक्स नहीं चुकाने का आरोप लगाया है। मामले में विभाग ने कहा कि उद्योगपति ने विदेश में बैंक अकाउंट और वित्तीय हितों का ब्योरा टैक्स अधिकारियों को नहीं दिया। उल्लेखनीय है कि इस संदर्भ में अंबानी को इसी महीने की शुरुआत में कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था। आरोप लगा है कि अनिल अंबानी ने वित्त वर्ष 2012-13 से 2019-20 के दौरान विदेश में अघोषित संपत्ति रख टैक्स चोरी की है।

इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने 63 साल के अनिल अंबानी पर टैक्स चोरी का आरोप लगाते हुए कहा है कि उन्होंने जानबूझकर भारतीय टैक्स ऑफिसर्स को अपने विदेशी बैंक खातों और फाइनेंशियल इंटरेस्ट की जानकारी नहीं दी थी। इस संदर्भ में अंबानी को इस महीने की शुरुआत में कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था।

विभाग ने कहा कि अनिल पर काला धन (अघोषित विदेशी आय और संपत्ति) कर अधिनियम 2015 की धारा 50 और 51 के तहत मुकदमा चलाया जा सकता है, जिसमें जुर्माने के साथ अधिकतम 10 साल कारावास की सजा का प्रावधान है। अनिल से आरोपों पर 31 अगस्त तक जवाब मांगा गया है। हालांकि, अब तक इन आरोपों पर अनिल अंबानी और उनके ऑफिस की ओर से कोई जवाब नहीं आया है।

अनिल अंबानी पर असेसमेंट ईयर 2012-13 से 2019-20 के लिए विदेश में अघोषित संपत्ति रखने और इसके जरिए टैक्स चोरी करने का आरोप लगाया गया है। नोटिस के अनुसार, टैक्स ऑफिसर्स ने पाया कि अंबानी बहामास-बेस्ड इकाई ‘डायमंड ट्रस्ट’ और एक अन्य कंपनी नॉर्दर्न अटलांटिक ट्रेडिंग अनलिमिटेड के इकोनॉमिक कंट्रीब्यूटर होने के साथ-साथ बेनिफिशियल ओनर थे। नॉर्दर्न अटलांटिक ट्रेडिंग अनलिमिटेड को ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड्स में शामिल किया गया था।

बहामास ट्रस्ट के मामले में विभाग ने पाया कि उनकी ड्रीमवर्क होल्डिंग्स इंक नाम की एक कंपनी है। यह फर्म एक स्विस बैंक खाते की मालिक थी, जिसमें 31 दिसंबर 2007 को अधिकतम बेलेंस 255 करोड़ रुपए से ज्यादा (3.2 करोड़ अमेरिकी डॉलर) था। नोटिस में कहा गया है कि ट्रस्ट को करीब 200 करोड़ रुपए (25,040,422 डॉलर) की शुरुआती फंडिंग मिली थी।

विभाग ने आरोप लगाया कि इस कंपनी के खाते में अंबानी के पर्सनल अकाउंट से फंडिंग की गई थी। यह भी पाया गया कि अंबानी ने 2006 में इस ट्रस्ट को खोलने के लिए केवाईसी दस्तावेज के रूप में अपना पासपोर्ट दिया था। इस ट्रस्ट के लाभार्थी उनके परिवार के सदस्य भी थे।

विभाग ने आरोप लगाया कि अंबानी अपनी इनकम टैक्स रिटर्न फाइलिंग में इन विदेशी संपत्तियों का खुलासा करने में विफल रहे। उन्होंने मोदी सरकार द्वारा 2014 में पहली बार सत्ता में आने के तुरंत बाद लाए गए काला धन अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन किया है। टैक्स ऑफिसरों ने कहा कि यह अनिल अंबानी ने जानबूझकर किया है।

विभाग ने कहा है कि 63 वर्षीय अनिल अंबानी के खिलाफ काला धन (अघोषित विदेशी इनकम और एसेट) कर अधिरोपण अधिनियम 2015 की धारा 50 और 51 के तहत मुकदमा चलाने का मामला बनता है। इस मामले में जुर्माने के अलावा ज्यादा से ज्यादा 10 साल की सजा का प्रावधान है।

इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की ओर से भेजे गए नोटिस के मुताबिक, टैक्स अधिकारियों को पता चला कि अंबानी बहामास स्थित इकाई डॉयमंड ट्रस्ट और एक अन्य कंपनी नॉर्दर्न एटलांटिक ट्रेडिंग अनलिमिटेड में आर्थिक योगदानकर्ता के साथ-साथ लाभार्थी मालिक भी हैं। एनएटीयू का गठन ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड में किया गया था। बहामास ट्रस्ट के मामले में पाया गया कि यह ड्रीमवर्क होल्डिंग्स इंक नाम की कंपनी थी। स्विस बैंक में अकाउंट कंपनी का है। अकाउंट में 31 दिसंबर 2007 को 3.2 करोड़ डॉलर यानी 32,095,600 डॉलर की राशि थी।

शुरुआत में ट्रस्ट को 2.5 करोड़ डॉलर की फाइनेंसिंग प्राप्त हुई थी, जिसका स्रोत अंबानी का ‘पर्सनल अकाउंट’ था। साल 2006 में अंबानी ने इस ट्रस्ट को खोलने के लिए केवाईसी दस्तावेज के रूप में अपना पासपोर्ट दिया था। ट्रस्ट के लाभार्थियों में उनके परिवार के सदस्य भी शामिल हैं।

ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड की कंपनी का गठन जुलाई 2010 में हुआ। इसका खाता बैंक ऑफ साइप्रस (ज्यूरिख) में है। विभाग ने दावा किया कि अनिल अंबानी इस कंपनी और उसके कोष के लाभार्थी मालिक हैं। कंपनी पर आरोप है कि उसने कथित रूप से 2012 में बहामास में पंजीकृत पीयूएसए नाम की इकाई से 10 करोड़ डॉलर प्राप्त किये। ऐसा कहा जाता है कि इसके भी सेटलर और लाभार्थी मालिक अंबानी हैं।

आयकर विभाग ने कहा कि जो सबूत उपलब्ध हैं, उनसे साफ है कि अनिल अंबानी विदेशी ट्रस्ट डायमंड ट्रस्ट में आर्थिक योगदानकर्ता के साथ लाभार्थी मालिक भी हैं। कंपनी ड्रीमवर्क्स होल्डिंग इंक के बैंक खाते, एनएटीयू और पीयूएसए के लाभकारी मालिक भी हैं। अतः उपरोक्त एंटिटीज के पास उपलब्ध धन/संपत्ति अनिल अंबानी की ही है। विभाग ने आरोप लगाया है कि अनिल अंबानी ने इन विदेशी संपत्तियों के बारे में आयकर रिटर्न में जानकारी नहीं दी। उन्होंने नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा 2014 में पहली बार सत्ता में आने के तुरंत बाद लाये गये काला धन अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन किया। कर अधिकारियों ने कहा कि इस तरह की चूक जानबूझकर की गयी है। कर अधिकारियों ने दोनों खातों में अघोषित फंड 8142795784 रुपये होने का आकलन किया है। इस पर कर देनदारी 420 करोड़ रुपये बनती है।

(वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट।)

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