सिंघु बॉर्डर पर एक और किसान ने की खुदकुशी, बीजेपी के एक नेता ने कहा- पिकनिक मना रहे हैं किसान

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कल शाम दिल्ली-हरियाणा सिंघु सीमा पर पंजाब के 40 वर्षीय एक किसान ने जहर खाकर खुदखुशी कर ली। मृतक किसान अमरिंदर सिंह पंजाब के फतेहगढ़ साहिब जिले के रहने वाले थे। शनिवार देर शाम उन्होंने सल्फास खा लिया, जिसके बाद उन्हें तुरंत अस्पताल ले जाया गया, जहां उनकी मृत्यु हो गई। 

सिंघु बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे एक किसान के मुताबिक “अमरिंदर सिंह ने शाम बॉर्डर के मुख्य स्टेज के पीछे सल्फास खाया, वहीं स्टेज के सामने मौजूद पंडाल के सामने आकर गिर गया, उस वक़्त वहां खड़े अन्य किसान साथी उन्हें अस्पताल ले गए, जहां शाम करीब 7 बजे उनकी मृत्यु हो गई।”

किसान अमरिंदर सिंह ने किन कारणों से खुदकुशी की ये साफ नहीं हो पाया है, न ही अमरिंदर सिंह का कोई सुसाइड नोट मिला है। सोनीपत के कुंडली पुलिस थाने में निरीक्षक रवि कुमार ने मीडिया को बताया है कि किसान अमरिंदर सिंह पंजाब के फतेहगढ़ साहिब जिले का निवासी था। जहरीला पदार्थ खाने के बाद उसे सोनीपत के स्थानीय अस्पताल ले जाया गया, जहां उसकी मौत हो गई। 

पिछले डेढ़ महीने से आंदोलनरत किसानों में खुदकुशी का ये संभवतः सातवां मामला है। अमरिंदर सिंह से पहले एडवोकेट किसान अमरजीत सिंह, बाबा राम सिंह, निरंजन सिंह, भीम सिंह, कुलबीर सिंह, गुर लाभ सिंह ने खुदकुशी की थी। जबकि किसान आंदोलन के दौरान अब तक 60 से अधिक किसानों की मौत हो चुकी है। 

बता दें कि कृषि कानून के विरोध में 26 नवंबर से लगातार दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का आंदोलन जारी है। वहीं सरकार और किसान संगठनों के बीच 8 दौर की बेनतीजा बैठकें हुई हैं। केंद्र सरकार साफ कर चुकी है कि वह कृषि कानूनों को वापस नहीं लेगी, वहीं दूसरी ओर किसान भी कानून की वापसी की मांग पर अड़े हुए हैं।

राजस्थान भाजपा प्रदेश महामंत्री ने कहा-किसान पिकनिक मना रहे

भाजपा विधायक और राजस्थान भाजपा के प्रदेश महामंत्री मदन दिलावर ने विवादित बयान देते हुए कहा है कि “किसान आंदोलन में बैठे लोग हर रोज चिकन बिरयानी, ड्राई फ्रूट और अन्य लजीज खानों की पार्टियां कर रहे हैं। इससे बर्ड फ्लू का खतरा बढ़ता जा रहा है। इन तथाकथित किसानों को देश की चिंता नहीं है। यह किसान आंदोलन नहीं बल्कि पिकनिक मनाई जा रही है।”

मदन दिलावर का मन इतने से नहीं भरा और उन्होंने आगे कहा, “उनके बीच आतंकवादी, लुटेरे और चोर हो सकते हैं और वे किसानों के दुश्मन भी हो सकते हैं। ये सभी लोग देश को बर्बाद करना चाहते हैं। अगर सरकार उन्हें आंदोलन स्थलों से नहीं हटाती है, तो बर्ड फ्लू एक बड़ी समस्या बन सकता है।” 

किसान आंदोलन पर विवादित बयान देने वालों के खिलाफ़ मुकदमा करेगी आम आदमी पार्टी

चंडीगढ़ में प्रेस कांफ्रेंस कर ‘आप’ नेता राघव चड्ढा ने बताया है कि बीजेपी के कई बड़े नेता बार-बार किसानों को देशविरोधी, पाकिस्तान और चीन समर्थक, खालिस्तानी, गुंडे आदि बता रहे हैं। बीजेपी वालों ने किसानों को बदनाम करने के लिए उनके खिलाफ अभद्र टिप्पणी की। इसलिए अब किसान कोर्ट का रुख कर रहे हैं।

इस कड़ी में आम आदमी पार्टी (आप) ने बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रनौत, बीजेपी नेता रवि किशन, मनोज तिवारी, रमेश बिधूड़ी और केंद्रीय मंत्री राव साहब दानवे को कानूनी नोटिस भेजा है। ये नोटिस किसान आंदोलन पर दिए गए बयानों के सिलसिले में भेजा गया है। 

राघव चड्ढा ने आगे बताया कि “आम आदमी पार्टी उन सभी किसानों को कानूनी सहायता दे रही है, जो बीजेपी नेताओं द्वारा उन पर की गई अपमानजनक टिप्पणी के खिलाफ कोर्ट का रुख कर रहे हैं। चड्ढा के मुताबिक, कुछ किसानों ने फैसला किया कि वे बीजेपी नेताओं के खिलाफ उन पर की गई अपमानजनक और अभद्र टिप्पणी के लिए कानूनी कार्रवाई करेंगे। 

केंद्र सरकार आंदोलन को बदनाम करने के एजेंडे पर फिर लौटी 

8 जनवरी को सरकार और किसान संगठनों के बीच बैठक के बाद ये स्पष्ट हो गया है कि सरकार कृषि क़ानूनों को वापस नहीं लेगी, वहीं किसान संगठनों ने भी कृषि क़ानूनों को रिपील करने से कम पर आंदोलन न खत्म करने और मई 2024 तक आंदोलन करने का मन बना लिया है। ऐसी सूरत में सरकर के पास किसान आंदोलन को बदनाम ककर उनका जनाधार खत्म करने, जन समर्थन व सहानुभूति खत्म करके  दमन से आंदोलन खत्म करने का विकल्प ही बचा है। 

किसान नेता डॉ. दर्शनपाल ने इस बाबत मीडिया में बयान देकर कहा है, “इस सप्ताह आंदोलन को बदनाम करने के लिए सभी हथकंडे अपनाए जा सकते हैं। किसान संगठनों ने सरकार की इस मंशा को भांप कर ही देश के सभी जिलों में आंदोलन की गतिविधियां शुरू करने की बात कही है। ट्रैक्टर परेड, पहले दिल्ली के लिए तय हुई थी, मगर अब सभी राज्यों में जिला स्तर पर ट्रैक्टर परेड निकाली जाएगी।”

वहीं किसान नेता बलदेव सिंह सिरसा ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि “जब यह आंदोलन शुरू हुआ था तो सरकार की ओर से इसे बदनाम करने का हर संभव प्रयास किया गया। सरकार का मकसद था कि आम जनमानस की नज़र में यह आंदोलन बदनाम हो जाए। आप देख रहे हैं कि ऐसा नहीं हुआ। दिल्ली में और इसके चारों तरफ के राज्यों में रहने वाले लोगों को दिक्कतें हो रही हैं, लेकिन उन्होंने आंदोलन को लेकर कभी अपना गुस्सा जाहिर नहीं किया। जिससे जैसी मदद हुई, उसने दे दी। लोगों ने इसलिए मदद की है, क्योंकि आंदोलन के किसी एक कार्यकर्ता ने भी कुछ ऐसा नहीं किया, जिससे किसान संगठनों को सिर नीचे झुकाना पड़े। अब हम देख रहे हैं कि सरकार दूसरे हथकंडे अपना रही है।”

बलदेव सिंह सिरसा आगे कहते हैं, ” भाजपा का प्रचार तंत्र आंदोलन को बदनाम करने के लिए हर तरीका अपना रहा है। अब दोबारा से खालिस्तान का मुद्दा उछाल रहे हैं। कहीं पोस्टर लगा दिए जाते हैं। जिन्हें खेती का कुछ नहीं पता या थोड़ा बहुत जानते हैं, उन्हें किसान बनाकर देश के सामने पेश किया जा रहा है। किसान तो देश के हर राज्य में हैं। हम अपने आंदोलन को इस सप्ताह देश के सभी जिलों तक ले जाएंगे। केंद्र सरकार इसे हमारी कमजोरी बता रही है कि यह आंदोलन तो पंजाब, उत्तर प्रदेश और हरियाणा के किसानों का है। सरकार को इस भूल का अहसास भी करा दिया जाएगा।”

(जनचौक के विशेष संवाददाता सुशील मानव की रिपोर्ट।)

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