अर्णब को बॉम्बे हाईकोर्ट ने नहीं दी जमानत, सत्र अदालत गए

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बॉम्बे हाईकोर्ट के जस्टिस एसएस शिंदे और एमएस कार्णिक की खंडपीठ ने रिपब्लिक टीवी के एडिटर इन चीफ अर्णब गोस्वामी को करारा झटका देते हुए उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी है। हाईकोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता को असाधारण क्षेत्राधिकार के तहत रिहा करने का कोई मामला नहीं बनता है।

खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा कि याचिकाकर्ता द्वारा अतिरिक्त सामान्य क्षेत्राधिकार को लागू करने के लिए कोई भी प्रथम दृष्ट्या मामला नहीं बनाया गया है।हमने देखा था कि उसके पास सत्र न्यायालय के समक्ष उपाय है, उसी का लाभ उठाया जा सकता है और हमारे आदेश में की गई कोई भी टिप्पणी केवल इस आवेदन के सीमित उद्देश्य के लिए है।

खंडपीठ ने कहा कि अर्णब नियमित जमानत के लिए अधीनस्थ न्यायालय में अर्जी डाल सकते हैं और अधीनस्थ न्यायालय चार दिन के अंदर जमानत की उनकी अपील पर फैसला करेगा। इस बीच, अर्णब गोस्वामी ने सोमवार को सत्र न्यायालय, अलीबाग में दायर अपने आवेदन में उन पर इंटीरियर डिजाइनर अन्वय नाइक को आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप लगाते हुए एफआईआर (सीआर नंबर 59/2018) में जमानत की मांग की है।

खंडपीठ ने शनिवार को फैसला रिजर्व रख लिया था। हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि बेल के लिए अर्णब सेशन कोर्ट जा सकते हैं। इसके लिए उन्हें तयशुदा समय में अपील करनी होगी।एक डिजाइनर और उनकी मां को आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में मुंबई पुलिस ने 4 नवंबर को अर्णब को गिरफ्तार किया था।

गोस्वामी ने 4 नवंबर की सुबह अपनी गिरफ्तारी को चुनौती देते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट में अपनी हैबियस कॉर्पस याचिका के साथ अंतरिम जमानत अर्जी भी दायर की थी।जस्टिस एसएस शिंदे और एमएस कार्णिक की खंडपीठ ने एक दिन की सुनवाई के बाद शनिवार को जमानत अर्जी पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था। उनकी अंतरिम याचिका में उच्च न्यायालय का आदेश सोमवार को दोपहर 3 बजे सुनाया।

खंडपीठ ने गोस्वामी की याचिका की सुनवाई के दौरान अपने आदेश में कहा था कि सत्र न्यायालय अलीबाग से नियमित जमानत के लिए उनके पास आने में कोई बाधा नहीं है। यह भी कहा गया कि सत्र अदालत इस तरह के आवेदन को प्रस्तुत करने की तारीख से 4 दिनों के भीतर तय करे। ऐसी अनुमति के मद्देनजर गोस्वामी ने अब नियमित जमानत के लिए अलीबाग सत्र न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है।

गिरफ्तारी के बाद अर्णब को रायगढ़ जिले के अलीबाग जेल के लिए कोविड-19 केंद्र में न्यायिक हिरासत में रखा गया था, लेकिन यहां उन पर मोबाइल फोन का इस्तेमाल करने का आरोप लगा, जिसके बाद उन्हें तलोजा जेल भेज दिया गया। रायगढ़ क्राइम ब्रांच ने अर्णब को किसी अन्य व्यक्ति का मोबाइल का इस्तेमाल करते हुए और सोशल मीडिया एक्टिव पाया गया, जबकि चार नवंबर को पुलिस ने जब अर्णब को हिरासत में लिया था तो उनका निजी मोबाइल जब्त कर लिया गया था।

अर्णब ने जेल ले जाए जाने के वक्त पर चिल्लाकर बोला कि जेलर ने उनकी पिटाई की है। उन्होंने अपनी जान को खतरा बताया और यह भी कहा कि उन्हें उनके वकील से बात नहीं करने दी जा रही है। अर्णब ने तलोजा जेल जाते वक्त कहा था कि उनकी जान को खतरा बताया। हिरासत में उन्हें टॉर्चर किया जा रहा है। इससे पहले शनिवार को अर्णब के वकील ने हाईकोर्ट में सप्लीमेंट्री एप्लिकेशन लगाई थी। इसमें अर्णब ने दावा किया था कि पुलिस ने उन्हें जूते से मारा और पानी तक नहीं पीने दिया।

इससे पहले महाराष्ट्र राजभवन की तरफ से बयान आया कि अर्णब के मामले में राज्यपाल बीएस कोश्यारी ने गृह मंत्री अनिल देशमुख से बात की है। राज्यपाल ने अर्णब की सिक्योरिटी और हेल्थ को लेकर चिंता जताई। साथ ही गृह मंत्री से कहा है कि अर्णब के परिवार को उनसे मिलने और बात करने की छूट दी जाए।

मुंबई में इंटीरियर डिजाइनर अन्वय नाइक और उनकी मां कुमुदिनी ने मई 2018 में आत्महत्या कर ली थी। सुसाइड नोट में अर्णब समेत 3 लोगों पर आरोप लगाए थे। सुसाइड नोट के मुताबिक अर्णब और दूसरे आरोपियों ने नाइक को अलग-अलग प्रोजेक्ट के लिए डिजाइनर रखा था, लेकिन करीब 5.40 करोड़ रुपए का पेमेंट नहीं किया। इससे अन्वय की आर्थिक स्थिति बिगड़ गई और उन्होंने सुसाइड कर लिया। नाइक ने रिपब्लिक टीवी का स्टूडियो तैयार किया था।

गोस्वामी को आत्महत्या के लिए उकसाने के दोहरे मामले में 4 नवंबर को गिरफ्तार किया गया था। आरोप है कि आर्किटेक्ट अन्वय नाइक और उनकी मां कुमुद नाइक को गोस्वामी ने कथित तौर पर बकाया रकम का भुगतान करने से इनकार कर दिया, जिसके बाद उन दोनों ने 5 मई, 2018 को आत्महत्या कर ली थी। मामले में अर्णब के अलावा दो अन्य आरोपियों, फिरोज शेख और नीतेश सारदा को गिरफ्तार किया गया था।

(वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट।)

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