Friday, March 29, 2024

खुदाई खिदमतगार प्रमुख फैसल खान की गिरफ्तारी गैरकानूनी होने के साथ मानवता के लिए कलंक है

खुदाई खिदमतगार के प्रमुख फैसल भाई को उत्तर प्रदेश पुलिस ने धारा 153ए, 295, 505 के तहत गिरफ्तार कर लिया। टीवी पर खबर देखी की स्वयंभू हिन्दू नेता और धर्म गुरू कड़ी सजा देने की मांग कर रहे हैं।

इससे ज्यादा शर्मनाक कुछ नहीं हो सकता। एक ऐसी शख्सियत, जो साम्प्रदायिक सद्भावना बढ़ाने के लिए दिन-रात काम कर रहा हो। जिसको कई हिन्दू धर्म गुरुओं से लेकर प्रतिष्ठित आईटीएम विश्वविद्यालय द्वारा पुरस्कृत किया गया हो, जिसने सबका घर बनाकर सभी धर्मों, जातियों के लोगों के लिए साथ रहने और खाने की व्यवस्था शुरू की हो, जो घोषित गांधीवादी और समाजवादी हो, जिसे 97 वर्षीय स्वतन्त्रता संग्राम सेनानी डॉ जीजी परीख जी से लेकर मेगासेसे अवार्ड विजेता समाजवादी चिंतक सन्दीप पांडेय का आशिर्वाद और मार्गदर्शन प्राप्त हो। जिसने शांति और सद्भाव को बढ़ावा देने के लिए सैकड़ों यात्राएं की हों ऐसे व्यक्ति को गिरफ्तार किया जाना बतलाता है कि योगी सरकार सांप्रदायिकता को बढ़ावा देने वालों को पुरस्कृत कर रही है तथा सर्वधर्म सद्भाव को बढ़ावा देने वालों को प्रताड़ित कर रही है।

मैं नंद बाबा मंदिर के पुजारी की सराहना करना चाहता हूँ जिन्होंने नमाज़ के वक्त मंदिर परिसर में नमाज़ पढ़ने की अनुमति दी। मैं चाहता हूं हिन्दू धर्माचारी मुझे बतलाएं कि कौन से ग्रंथ में लिखा है कि मंदिर परिसर में कोई दूसरे धर्म को मानने वाला उपासना नहीं कर सकता? 

मैं यह भी कहना चाहता हूं कि जिन धाराओं के तहत अपराध कायम किया गया है उन धाराओं का उपयोग किया ही नहीं जा सकता क्योंकि 24 से 29 अक्तूबर की गोवर्धन की चौरासी कोसी यात्रा के दौरान कोई भी हिंसा नहीं हुई, कोई तनाव, वैमनस्य पैदा नहीं हुआ। स्पष्ट है कि साम्प्रदायिक तनाव पैदा करने और ध्रुवीकरण बढ़ाने के लिए एफआईआर दर्ज कराई गई है।

मैं चाहता हूं। फैसल जमानत नहीं लें। एफआईआर रद्द कराने के लिए इलाहाबाद उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल करें। उन्हें न्याय मिलेगा। तथ्यों के आधार पर अदालत एफआईआर रद्द करेगी। न भी करे तो सर्वोच्च न्यायालय में अपील की जा सकती है।

देश के धर्मनिरपेक्षता में विश्वास रखने वाले संगठनों से अपील है कि वे उत्तर प्रदेश सरकार की दमनात्मक और असंवैधानिक कार्यवाही का विरोध करें। हिन्दू धर्म गुरु बतलाएं कि वे उदारवादी मुसलमानों की मुखालफत करके कट्टरवाद को क्यों बढ़ावा देना चाहते हैं? 

क्यों भारत की गंगा-जमुनी तहजीब का विध्वंस कर तानाशाही पूर्ण हिंसक तालिबानी संस्कृति को बढ़ावा देना चाहते हैं, जिनके प्रतीक आज मोदी-योगी बन चुके हैं। मैं किसान संघर्ष समिति-जन आंदोलनों के राष्ट्रीय समन्वय, समाजवादी समागम की ओर से फैसल खान की तत्काल बिना शर्त रिहाई और चांद मोहम्मद, आलोक रत्न और नीलेश गुप्ता पर दर्ज फर्जी मुकदमों को रद्द करने की मांग करता हूँ। फर्जी मुकदमा दायर करने वाले अधिकारियों को निलंबित करने की भी मांग करता हूँ।

(डॉ. सुनीलम समाजवादी नेता हैं और मध्य प्रदेश के विधायक रह चुके हैं।)

इसी मसले पर सोशलिस्ट पार्टी और उसके नेता संदीप पांडेय तथा जुगुल किशोर शास्त्री की तरफ से एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की गयी है:

48 वर्षीय फैसल खान ने अपनी सारी जिंदगी साम्प्रदायिक सद्भावना के काम के लिए लगा दी है। लोगों के बीच में शांति और सौहार्द बना रहे इसके लिए न जाने उन्होंने कितनी यात्राएं की हैं, सिर्फ भारत के अंदर ही नहीं बल्कि भारत से पाकिस्तान के बीच भी। फैसल खान अगर कुरान की आयतें पढ़ते हैं तो उतनी ही आसानी से रामचरितमानस की चौपाई भी पढ़ते हैं। वे मस्जिद में नमाज़ अदा करते हैं, तो मंदिर में प्रसाद ग्रहण कर पुजारी से आशिर्वाद भी लेते हैं। पिछले वर्ष उन्होंने अयोध्या में सरयू आरती में भी हिस्सा लिया। 2018 में जाने-माने संत मुरारी बापू ने उन्हें अपने स्थान महुआ बुलाकर सद्भावना पर्व पर पुरस्कार दिया और अपनी सभा में बोलने का मौका भी दिया।

फैसल खान से रामचरित मानस के दोहे व चौपाई सुनकर मुरारी बापू इतने गदगद हो गए कि उन्होंने कहा कि वे एक दिन फैसल खान द्वारा जामिया मिल्लिया के निकट गफ्फार मंजिल में, किसी भी प्रकार के भेदभाव के कारण शहीद हुए लोगों को समर्पित, ‘सबका घर,‘ जो फैसल खान द्वारा स्थापित किया गया है, देखने ज़रूर आएंगे। ‘सबका घर‘ साम्प्रदायिक सद्भावना की एक मिसाल है जहां विभिन्न धर्मों को मानने वाले एक साथ रहते हैं और होली, दिवाली, ईद, क्रिसमस सभी त्योहार सब मिलकर मनाते हैं।

हाल में फैसल खान ने चांद मोहम्मद, आलोक रतन व निलेश गुप्ता को लेकर बृज में 84 कोस की परिक्रमा की और इसी यात्रा के दौरान मथुरा के नंद बाबा मंदिर में दर्शन करने पहुंचे। मंदिर में प्रसाद ग्रहण किया व पुजारी को रामचरितमानस की चौपाइयां सुनाईं। पुजारी ने प्रसन्न होकर उन्हें मंदिर प्रांगण में ही नमाज़ अदा करने की अनुमति दे दी। यह घटना 29 अक्तूबर, 2020 की है। मंदिर प्रांगण में नमाज़ अदा करते हुए फैसल खान व चांद मोहम्मद की फोटो जब सार्वजनिक हुई तो ऐसा प्रतीत होता है कि किसी ने दुर्भावना से मंदिर के पुजारी को पुलिस से शिकायत करने को कहा। इसीलिए घटना के तीन दिन बाद 1 नवम्बर को प्राथमिकी दर्ज हुई। चारों यात्रियों पर भारतीय दंड संहिता की धाराएं 153ए, 295 व 505 के तहत मुकदमा दर्ज हुआ। 2 नवम्बर, 2020 को करीब चार बजे उत्तर प्रदेश पुलिस उन्हें दिल्ली में गिरफ्तारी के बाद मथुरा ले गई।

पुलिस द्वारा दर्ज धाराओं में विरोधाभास है। जो व्यक्ति मथुरा में 84 कोस की परिक्रमा कर रहा है उसका उद्देश्य किसी की धार्मिक भावना भड़काना कैसे हो सकता है? हिन्दू धर्म के अनुयायियों को तो इस बात से खुश होना चाहिए कि दूसरे धर्म को मानने वाले उनकी मान्यताओं के अनुसार परिक्रमा कर रहे हैं और मंदिर में भगवान का दर्शन कर प्रसाद ग्रहण कर रहे हैं। वैसे सभी धर्म मानते तो यही हैं कि भगवान एक है। तो फिर इससे क्या फर्क पड़ता है कि उस भगवान की पूजा कैसे की जाए? कोई नमाज़ पढ़कर वही पूजा कर सकता है। यानी मंजिल एक है रास्ते ही तो अलग-अलग हैं। जो समझदार होंगे उन्हें इसमें कोई आपत्ति नहीं हो सकती। हां, कोई धर्म के आधार पर राजनीति करना चाह रहा हो या धार्मिक भावनाओं के आधार पर समाज का ध्रुवीकरण करना चाह रहा हो तो वह ज़रूर इसको विवाद का मुद्दा बना सकता है।

फैसल खान अयोध्या के रामजानकी मंदिर, दुराही कुआं, सरजू कुंज स्थित सर्व धर्म सद्भाव केन्द्र न्यास के न्यासी भी हैं। आचार्य युगल किशोर शास्त्री के इस मंदिर को एक सर्व धर्म सद्भाव केन्द्र के रूप में विकसित करने की योजना है। इस मंदिर में फैसल खान ने कई बार आ कर नमाज़ अदा ही है और यहां किसी को कोई आपत्ति नहीं होती। इस मंदिर में सभी धर्मों को मानने वाले व दलित समेत सभी जातियों का स्वागत होता है। इस मंदिर में लंगर का आयोजन होता है जिसकी संचालन समिति के अध्यक्ष फैजाबाद के दानिश अहमद हैं। धर्म का तो उद्देश्य ही यही है कि लोगों को मिल जुलकर रहने का संदेश दे। धर्म को यदि कोई झगड़े का आधार बनाता है तो वह धार्मिक कृत्य नहीं है।

हम समाज से अपेक्षा करते हैं कि फैसल खान को ठीक से समझे और सामाजिक सौहार्द को मजबूत करने के प्रयासों का साथ दे न कि उनका जो समाज को अपने निहित स्वार्थ हेतु बांटना चाहते हैं। हम यह भी मांग करते हैं कि उत्तर प्रदेश सरकार व पुलिस अपनी गलती को सुधारते हुए फैसल खान व उनके साथियों के खिलाफ दर्ज मुकदमा वापस लें व फैसल खान को ससम्मान रिहा करें।

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