Friday, April 19, 2024

कश्मीरियों की शरीरों पर दर्ज हो चुकी हैं सैनिकों के वहशीपन की निशानियां

नई दिल्ली। केंद्र सरकार द्वारा धारा 370 खत्म करने के कुछ दिनों बाद ही 10 अगस्त को भारतीय सेना के कुछ सैनिक दक्षिण कश्मीर स्थित बशीर अहमद दार के घर में प्रवेश किए। फिर अगले 48 घंटों में पेशे से प्लंबर दार की सुरक्षा बलों के जवानों ने दो चक्रों में अलग-अलग पिटायी की।

दार का कहना था कि वो उससे उसके छोटे भाई को पेश करने के लिए कह रहे थे जो विद्रोहियों के कैंप में चला गया है। उनका कहना था कि उसका समर्पण कराओ वरना उसकी सजा तुमको भुगतनी पड़ेगी।

दार का कहना था कि दूसरे दौर की पिटाई के दौरान उसे तीन सैनिकों ने लाठियों के बीच बिल्कुल दबा दिया था। वो तब तक दबाए रखे जब तक कि वह बेहोश नहीं हो गया। बाद में जब उसे होश आया तो वह अपने घर में था।

लेकिन यह मामला यहीं तक सीमित नहीं है। 14 अगस्त को सैनिक उसके गांव हेफ शर्मल आए और उसके घर में रखे सप्लाई वाले चावल और दूसरे खाने के पदार्थों में खाद और किरासिन का तेल मिला दिए।

दार द्वारा वर्णित सैनिकों का व्यवहार कोई असमान्य नहीं है। 50 गांवों के दर्जनों से ज्यादा घरों के लोगों ने इसी तरह की कहानियां सुनायी हैं। जिनमें सेना के जवानों ने उनके घरों में छापे मारे हैं और फिर उन्हें दार जैसी स्थितियों से गुजरना पड़ा है। उनका कहना है कि सैनिकों ने पिटाई की है और कई बार उन्हें इलेक्ट्रिक शॉक भी दिए गए हैं। यहां तक कि उन्हें कीचड़ या फिर प्रदूषित पानी पीने तक को मजबूर किया गया। उनके खाने तक में जहर मिला दिया गया या फिर उनके पशुओं को मार दिया गया। और उन्हें उनकी महिलाओं को उठा ले जाने और उनसे शादी करने की धमकियां दी गयीं।

जब एपी की तरफ से इस मामले में सेना से सवाल पूछा गया तो उत्तरी कमान के प्रवक्ता कर्नल राजेश कालिया ने सभी आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया। उन्होंने उन्हें पूरी तरह से आधारहीन और झूठा बताया। साथ ही कहा कि भारतीय सेना मानवाधिकारों का सम्मान करती है।

कालिया ने कहा कि वहां आतंकियों की गतिविधियों की रिपोर्ट थी। उसमें कुछ युवक राष्ट्रविरोधी और विध्वंसक गतिविधियों में शामिल रहे हैं लिहाजा कानून के मुताबिक उन्हें पुलिस को सौंप दिया गया था।

एनएसए अजीत डोभाल ने एक बयान जारी कर कहा है कि वहां किसी भी तरह का उत्पीड़न नहीं हो रहा है।

इसी तरह की घटना परिगाम गांव में देखने को मिली। जहां सोनाउल्लाह सोफी का परिवार सो रहा था जब रात में सेना के जवानों ने उनके घर पर छापा मारा। सैनिक लाठी और गन के बट से मारते हुए उनके दो बेटों को सड़क पर उठा ले गए।

सोफी ने बताया कि “मैं पूरी तरह से असहाय हो गया जब अपने बेटे को बीच सड़क पर बेरहमी से सैनिकों द्वारा पीटते हुए देखा”।    

जल्द ही सैनिक दस और बच्चों को पकड़ कर वहीं ले आए। और उनसे भारत के विरोध में प्रदर्शन करने वालों के नाम पूछने लगे। यह बात सोफी के 20 वर्षीय बेटे मुजफ्फर अहमद ने 7 अगस्त की घटना को याद करते हुए बताया।

उसने बताया कि वो लोग तीन घंटों तक उसके पिछले हिस्से और पैरों में मारते रहे। उन लोगों न इलेक्ट्रिक शॉक भी दिया। यह कहते हुए उसने अपने शर्ट उठा दिए। जिसमें पीठ के पीछे पिटाई के निशान अभी भी अपनी कहानी कह रहे थे। अहमद का कहना था कि “जब हम उनसे छोड़ने की गुजारिश करते तब वो और पिटाई शुरू कर देते। वो हमें कीचड़ खाने और नाले का गंदा पानी पीने के लिए मजबूर करते।”

क्रैकडाउन के बाद से बताया जा रहा है कि तकरीबन 3000 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। 120 लोगों को पब्लिक सेफ्टी एक्ट के तहत गिरफ्तार किया गया है। जिसमें किसी को बगैर ट्रायल के दो सालों तक हिरासत में रखा जा सकता है।

अहमद ने बताया कि आखिर में दोपहर में सैनिक हम लोगों को दर्द में छोड़कर चले गए। उसके बाद उसके और उसके भाई समेत 8 लोगों को एक अकेली एंबुलेंस में भरकर अस्पताल भेज दिया गया।

घाटी के जाने-माने मानवाधिकार कार्यकर्ता परवेज इमरोज का कहना था कि सुरक्षा बलों द्वारा किए जा रहे उत्पीड़न की रिपोर्ट बहुत परेशान करने वाली है।

60 साल के अब्दुल गनी दार ने बताया कि अगस्त से अब तक सैनिक उनके घर में सात बारे छापे मार चुके हैं। उन्होंने बताया कि उनके आने के पहले मैं अपनी बेटी को दूसरे स्थान पर भेज देता हूं।

आंखों में आसुओं के साथ दार ने बताया कि “वो कहते हैं कि वो मेरे बेटे को खोजते हुए आए हैं लेकिन मैं जानता हूं कि वो मेरी बेटी के लिए आए हैं।”

तीन दूसरे गांवों के बाशिंदों का कहना है कि सैनिकों ने उनको उनके परिवारों से लड़कियां ले जाकर शादी करने की धमकी दी है।

अरिहल में रहने वाले नजीर अहमद भट ने बताया कि “ वो हमारे घरों औऱ दिलों को विजयी सेना की तरह रौंद रहे हैं। वो हमारे साथ इस तरह का व्यवहार कर रहे हैं जैसे हमारे जीवन, संपत्ति और सम्मान पर अब उनका हक है।”

अगस्त के शुरुआत में सैनिक उस समय रफीक अहमद लोन के घर पर आए थे जब वह मौजूद नहीं थे।

उन्होंने बताया कि “सैनिकों ने घर में तलाशी के लिए मेरी पत्नी से साथ चलने के लिए कहा। जब उन्होंने ऐसा करने से इंकार कर दिया तो उनकी लाठियों और गन के बट से पिटाई की गयी।”

जब सैनिकों द्वारा उसकी पिटाई की जा रही थी उसी समय कुछ सैनिकों ने उनकी मुर्गी को मार डाला।

(एसोसिएटेड प्रेस में प्रकाशित एज़ाज हुसैन की रिपोर्ट।)

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