Thursday, April 25, 2024

बेढंगी और ऊटपटांग शर्तों के साथ आजाद को मिली जमानत

नई दिल्ली। दिल्ली की एक एडिशनल सेशन कोर्ट ने भीम आर्मी मुखिया चंद्रशेखर आजाद को सशर्त जमानत दे दी है। दरियागंज में सीएए के खिलाफ जुलूस में शामिल होने के आरोप में उन्हें गिरफ्तार किया गया था। एडिशनल सेशन जज कामिनी लौ ने जमानत देने के साथ ही उनके लिए कुछ शर्तें भी तय कर दी हैं। जिसमें सबसे पहली शर्त है कि आजाद अगले चार हफ्तों तक दिल्ली में नहीं दिखेंगे। जज ने इसके पीछे दिल्ली में चल रहे चुनाव को प्रमुख कारण बताया है।

एएसजे लौ ने कहा कि आजाद को अगले चार हफ्तों तक हर शनिवार को सहारनपुर में एसएचओ के सामने अपनी उपस्थिति दर्ज करानी होगी। और उसके बाद चार्जशीट पेश किए जाने तक हर महीने के आखिरी शनिवार को ऐसा ही करना होगा।

इसके पहले जमानत की सुनवाई करते हुए एएसजे लौ ने आजाद के वकील महमूद प्राचा को बताया कि प्रधानमंत्री पर हमला नहीं किया जाना चाहिए और हमारी संस्थाओं का सम्मान किया जाना चाहिए।

आजाद ने जमानत आवेदन दाखिल करते हुए कहा था कि दिल्ली पुलिस ने उन्हें कानूनी प्रक्रिया का पालन किए बगैर गिरफ्तार किया है। उन्हें 21 दिसंबर को जामा मस्जिद से उस समय गिरफ्तार किया गया था जब उनके संगठन ने नागरिकता कानून के खिलाफ मार्च निकाला था।

सुनवाई ढाई बजे एएसजे लौ की कोर्टरूम में शुरू हुई। प्राचा ने आजाद के उन ट्वीट को पढ़ना शुरू किया जिनसे दिल्ली पुलिस ने हिंसा फैलने का दावा किया था।

प्राचा ने आजाद का आंबेडकर की तारीफ और उनके द्वारा संविधान के निर्माण में दिए गए सहयोग को पढ़ा। एएसजे लौ ने इस पर कहा कि “यह ठीक है”।

एएसजे का इस पर कहना था कि सरकारी पक्ष के वकील का कहना है कि इन ट्वीटों से हिंसा फैली है। यह लोगों को उकसाता है। प्राचा ने कहा कि लोग अपने देश को बचाने को लेकर उत्तेजित हैं। नेताओं की तारीफ करने को लेकर उत्तेजित हैं। इस पर एएसजे ने कहा कि हम अपने नेताओं की तारीफ नहीं करते हैं। हम संस्थाओं की तारीफ करते हैं।

प्राचा ने दूसरा ट्वीट पढ़ना शुरू किया जिसमें लिखा गया था कि डरने पर मोदी जी पुलिस को आगे कर देते हैं। एएसजे लौ ने कहा कि यह समस्याग्रस्त है। आपको संस्थाओं का सम्मान करना चाहिए। आपको प्रधानमंत्री का सम्मान करना होगा। आप पीएम पर क्यों हमला बोलेंगे?

दिल्ली में धारा 144 लागू करने के पुलिस के फैसले पर बातचीत करते हुए एएसजे ने कहा कि इस सेक्शन पर सबसे ज्यादा बहस हुई है। सुप्रीम कोर्ट ने भी इस पर अपनी बात रखी है और हाईकोर्टों ने भी। सेक्शन 144 को दमन के हथियार के तौर पर इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है। लॉ की छात्रा के तौर पर हमने पहला सबक यही सीखा है कि आपका अधिकार वहीं खत्म हो जाता है जहां से दूसरों का शुरू होता है।

उसके बाद एएसजे लौ ने कहा कि जब सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचायी जाती है तो लोगों को असुविधा होती है और उसी वजह से धारा 144 का बार-बार इस्तेमाल किया जाता है।

उसके बाद प्राचा ने एक दूसरा ट्वीट पढ़ा। जिसमें लिखा गया था कि यह आजाद का संगठन नहीं है जिसके चलते हिंसा हुई है बल्कि उसके लिए आरएसएस जिम्मेदार है। इस पर एएसजे लौ ने कहा कि आप आरएसएस का नाम क्यों ले रहे हैं? अपने बारे में बात करिए। यह लोगों को भड़का सकता है। वैचारिक रूप से हमारे बीच मतभेद हो सकते हैं। संविधान के तहत यह आपका अधिकार है।

उसके बाद प्राचा ने आजाद द्वारा ट्वीट किए गए राम प्रसाद बिस्मिल के कोट को उद्धृत किया और कहा कि यह गाना हम लोग रोजाना गाते हैं। इस पर एएसजे ने पूछा। सच में। प्राचा ने उसका उत्तर देते हुए कहा कि मुझे दिल्ली पुलिस के सामने इसे गाने की इजाजत नहीं है क्योकि वो इसे उकसावे वाला मान सकते हैं। अपने दिल में मैं इसे हमेशा गाता हूं।

उसके बाद एसएजे ने पूछा कि इस बात की क्या गारंटी है कि अगर आजाद को जमानत दे दी गयी तो वह फिर उसी तरह का अपराध नहीं करेंगे। और लॉ एंड आर्डर की समस्या नहीं खड़ी होगी। प्राचा ने उसका उत्तर देते हुए कहा कि वह कानून और व्यवस्था को बरकरार रखने में पुलिस की मदद कर रहे थे। वह उन्हें चाय पिला रहे थे।

इस पर एएसजे ने पूछा कि क्या बहुत सारे संगठनों ने विरोध का आह्वान किया था। प्राचा ने उसका उत्तर देते हुए कहा कि केवल आजाद के संगठन ने आह्वान किया था। एएसजे ने कहा कि कानून के मुताबिक जो संगठन कार्यक्रम आयोजित करता है संपत्ति के नुकसान पर उसे ही उसकी भरपाई करनी होती है। एएसआई ने सरकारी वकील से पूछा कि क्या सार्वजनिक संपत्ति के नुकसान का कोई मूल्यांकन किया गया है? वकील ने जवाब दिया कि दो निजी कारें क्षतिग्रस्त हुई थीं, पुलिस के बैरिकेड टूटे थे। सड़क का बीच का हिस्सा टूटा था…।

इस पर एएसजे लौ ने प्राचा से कहा कि अगर आजाद को छोड़ा जाता है तो क्या उसके बाद फिर इसी तरह की घटनाएं होंगी? प्राचा ने कहा कि हम दिल्ली पुलिस को अपना भाषण दे सकते हैं।

एएसजे ने कहा कि आप ऐसे अवैध प्रस्ताव दे सकते हैं लेकिन मैं इसकी इजाजत नहीं दूंगी।                                                        

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