नई दिल्ली। एचडीएफसी बैंक के चेयरमैन दीपक पारेख ने एक बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि हम नियमित तौर पर कर्ज माफी का कार्यक्रम चलाते हैं और कारपोरेट के कर्जे माफ करते रहते हैं लेकिन आम लोगों की बचत को सुरक्षित करने के लिए किसी भी तरह की वित्तीय व्यवस्था नहीं है।
पारेख पीएमसी बैंक में हुए घोटाले पर अपनी प्रतिक्रिया जाहिर कर रहे थे। इकोनामिक टाइम्स में प्रकाशित खबर के मुताबिक उन्होंने कहा कि पीएमसी बैंक घोटाले ने अपने हजारों जमाकर्ताओं को चपेट में ले लिया है। क्योंकि उनका पैसा अब बैंक में फंस गया है। आरबीआई ने पिछले महीने वहां से निकासी की सीमा 25,000 रुपये कर दी है।
आरबीआई ने ऐसा रीयल स्टेट की कंपनी एचडीआईएल समेत कई दूसरी कंपनियों द्वारा बैंक से बेतहाशा लोन लेने और उनके एनपीए को भी बैंक द्वारा छुपाए जाने के चलते किया।
पीएमसी ने एचडीआईएल को 6500 करोड़ रुपये लोन दे रखे हैं जो उसके कुल दिए गए 8800 हजार करोड़ के लोन का 73 फीसदी है।
पारेख ने कहा कि “मेरी सोच के लिहाज से आम आदमी की गाढ़े रूप से कमायी गयी बचत का बेजा इस्तेमाल से बड़ा कोई दूसरा पाप नहीं हो सकता है।”
एक कार्यक्रम में भाग लेने गए पारेख ने कहा कि “बार-बार लोन को माफ करने और राइट ऑफ करने की जिस व्यवस्था को हम चला रहे हैं यह बेहद अनुचित है। लेकिन फिर भी हमारे पास ऐसी वित्तीय व्यवस्था नहीं है जो आम ईमानदार आदमियों की बचत की रक्षा कर सके।”
उन्होंने कहा कि विश्वास और भरोसा वित्तीय व्यवस्था की रीढ़ हैं। और किसी को भी नैतिकता और मूल्यों की शक्ति को कभी कम करके नहीं आंकना चाहिए।
यह चीज बेहद परेशान करने वाली है कि अक्सर इसको दरकिनार कर दिया जाता है। हालांकि उन्होंने कहा कि यह समस्या वैश्विक स्तर पर व्याप्त है। उन्होंने बचत को प्रोत्साहित करने की सलाह दी।
उन्होंने कहा कि किसी भी अर्थव्यवस्था के लिए घरेलू बचत बेहद महत्वपूर्ण है। और इसी वजह से वहां एक ऐसी सीमा है जिसके आगे व्याज दर को कम ही नहीं किया जा सकता है।
वित्तीय क्षेत्र की समस्या का निचोड़ यह है कि कामर्शियल सेक्टर की ओर क्रेडिट का फ्लो अभी भी जाम है।
अर्थव्यवस्था के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि मौजूदा वैश्विक मंदी के दौर में हमारा विकास दर अभी भी अच्छा है। हां हम तात्कालिक लिहाज से चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। खासकर उपभोग विकास के मोर्चे पर। लेकिन ऐसा लगता है कि यह चक्रीय है। भारत के पास विकास की क्षमता है।
इस मौके पर एसबीआई की पूर्व चेयरपर्सन अरुंधति भट्टाचार्य ने कहा कि अगर देश 5 ट्रिलियन डालर की अर्थव्यवस्था बनना चाहता है तो उसके लिए वित्तीय व्यवस्था को और ज्यादा मजबूत होना चाहिए।