Thursday, March 28, 2024

कोरोना और भूख से पहले सड़कें ही ले ले रही हैं प्रवासी मज़दूरों की जान

लॉकडाउन के बाद मुंबई और तेलंगाना सरीखे सुदूर शहर से अपने घर परिवार के बीच पहुंचने के लिए सैकड़ों किलोमीटर की दूरी पैदल नापने सड़कों पर उतरे मजदूरों को सरकार और दमनकारी व्यवस्था की तरह सड़कों पर दौड़ने वाली गाड़ियों ने भी कुचलना शुरू कर दिया है। लॉकडाउन में फँसे इन प्रवासी मजदूरों को एक ओर से कोरोना-19 मार रही है, दूसरी ओर से सरकार और पुलिस और तीसरी ओर से मौत बनकर सड़कों पर दौड़ती गाड़ियां।

मुंबई, विरार में टेंपो ने 7 मजदूरों को कुचला 

आज सुबह मुंबई से सटे विरार में मुंबई-अहमदाबाद राजमार्ग पर एक तेज गति से आई आयरिश टेंपो ने 7 मजदूरों को कुचल दिया। इसमें 4 मजदूरों की मौत हो गई जबकि तीन गंभीर रूप से घायल हैं। इस टेंपों में चिकित्सा से संबंधित सामान लदे हुए थे। सभी 7 मजदूर पैदल ही अपने घरों की ओर जा रहे थे। तभी भारोल गांव के पास तेजी से आ रहे आयरिश टेंपो ने उन्हें कुचल दिया।  

पालघर के एसपी गौरव सिंह के मुताबिक टेंपो चालक को गिरफ्तार कर लिया गया है। इसमें मेडिकल से जुड़ा समान भरा हुआ था। मुंबई और गुजरात में अभी भी यूपी-बिहार के लाखों प्रवासी मजदूर फँसे हुए हैं जबकि हजारों मजदूर सड़कों पर कदम दर कदम घर वापसी का रास्ता नाप रहे हैं।

तेलंगाना में सड़क दुर्घटना में कर्नाटक के सात मजदूरों की मौत

आज 27 मार्च शुक्रवार को देर रात तेलंगाना शहर के बाहरी क्षेत्र में पेड्डा गोल कोंडा के पास एक वैन को ट्रक ने टक्कर मार दी। इस दुर्घटना में वैन में सवार कर्नाटक के सात मजदूरों की मौत हो गई जबकि चार लोग घायल हो गए। मरने वालों में दो बच्चे भी शामिल हैं। 

सहायक आयुक्त (यातायात) विश्व प्रसाद के मुताबिक वैन में सवार 31 मजदूरों में से पांच की मौके पर ही मौत हो गई थी जबकि दो मजदूरों की इलाज के दौरान हो गई। जबकि चार मजदूर अभी भी अस्पताल में भर्ती हैं, जिनमें से एक की हालत गंभीर बनी हुई है।

वाहन में सवार अन्य लोगों को हल्की चोटें आईं हैं। सहायक आयुक्त विश्व प्रसाद ने बताया कि ये सभी मजदूर यहां सूर्यपेट इलाके में सड़क निर्माण के कार्य में लगे थे और कोरोना वायरस का प्रसार रोकने के लिए किए गए लॉकडाउन के कारण काम बंद होने के बाद कर्नाटक में अपने गृह जिले रायचुर लौट रहे थे। उन्होंने बताया कि शुरुआती जांच में पता चला है कि गुजरात जा रहा आम से लदा ट्रक बेहद तेज गति में था।

पैदल चलने के चलते मजदूर की मौत 

रणविजय दिल्ली से मुरैना के लिए पैदल ही निकला था। उसे उम्मीद थी कि वो पुलिस और कोरोना से बचते बचाते एक न एक दिन घर पहुँच ही जाएगा। लेकिन उसकी यात्रा आगरा पहुँचकर सदा सदा के लिए खत्म हो गई। अब घर वो नहीं उसकी लाश पहुँचेगी। रण विजय की मौत का जिम्मेदार कौन है।

इन सभी 10 मजदूरों की मौत लॉकडाउन के चलते हुई है। इनकी गिनती कोविड-19 संक्रमण से होने वाली मौत में नहीं होगी। लॉकडाउन के बाद पैदल घर जाते मारे गए इन मजदूरों की मौतों का आँकड़ा कहीं नहीं दर्ज होगा। न ही इन्हें मुआवजा दिया जाएगा। 

घर वापसी चैंपियन प्रधानमंत्री और उनके संगठन ने आखिर इन प्रवासी मजदूरों के सकुशल घर वापसी के बारे में एक बार क्यों नहीं विचार किया। क्यों इन मजदूरों को भूखे और सड़कों पर गाड़ियों से कुचल कर मारे जाने के लिए छोड़ दिया गया। प्रधानमंत्री जी लॉकडाउन के चलते भूखे प्यासे पुलिस की लाठियाँ खाते पैदल यात्रा करते समय गाड़ियों से कुचलकर मारे गए इन मजदूरों की हत्या आपके सिर है। 

(सुशील मानव जनचौक के विशेष संवाददाता हैं और आजकल दिल्ली में रहते हैं।)

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