Friday, March 29, 2024

महबूबा मुफ्ती का बड़ा ऐलान, कहा- तिरंगा तभी उठाएंगे जब मेरा झंडा मुझे मिलेगा

केंद्र की मोदी सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर से धारा-370 को हटा कर उसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजन करने के बाद लम्बे समय तक नाकाबंदी और वहां के तमाम राजनीतिक दलों के नेताओं को नज़रबंद और हिरासत में रखने से जो आक्रोश दबा हुआ था अब वह बाहर निकलने लगा है।

करीब 14 महीने की हिरासत के बाद रिहा हुईं जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने पहली बार किसी प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित हुए घोषणा की है कि उनकी पार्टी जम्मू-कश्मीर को वही दर्जा (अनुच्छेद 370 हटने से पहले) वापस दिलाने में जमीन-आसमान एक कर देगी। इसके साथ ही उन्होंने ऐलान किया कि जब तक ऐसा नहीं हो जाता, वो कोई भी चुनाव नहीं लड़ेंगी। इतना ही नहीं, महबूबा मुफ़्ती ने यह तक ऐलान किया है कि वे जम्मू-कश्मीर के अलावा दूसरा कोई झंडा नहीं उठाएंगी।

महबूबा ने जम्मू-कश्मीर के झंडे की ओर इशारा करते हुए कहा कि तिरंगे से हमारा रिश्ता इस झंडे से अलग नहीं है। और, जब यह झंडा हमारे हाथ में आ जाएगा, तभी हम तिरंगे को उठाएंगे।

महबूबा मुफ्ती ने कहा, “जिस वक्त हमारा ये झंडा वापस आएगा, हम उस (तिरंगा) झंडे को भी उठा लेंगे। मगर जब तक हमारा अपना झंडा, जिसे डाकुओं ने डाके में ले लिया है, तब तक हम किसी और झंडे को हाथ में नहीं उठाएंगे। वो झंडा हमारे आईन का हिस्सा है, हमारा झंडा तो ये है। उस झंडे से हमारा रिश्ता इस झंडे ने बनाया है?।”

महबूबा ने कहा कि केंद्र में सत्तारूढ़ पार्टी देश के संविधान को अपनी पार्टी के घोषणापत्र के हिसाब से बदलने की कोशिश कर रही थी। हमारी लड़ाई अनुच्छेद-370 की बहाली तक सीमित नहीं है, बल्कि कश्मीर मुद्दे के समाधान के लिए भी है। कश्मीर मुद्दे से कोई भी अपनी आंखें नहीं मूंद सकता। जो ये सोचते हैं कि हम आर्टिकल-370 को भूल गए हैं वे गलतफहमी में जी रहे हैं। यहां के लोगों ने इसके लिए बहुत से बलिदान दिए हैं। हम उनके बलिदान को बेकार नहीं जाने देंगे।

महबूबा ने कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो नेताओं के बीच वह अपना खून देने वाली पहली व्यक्ति होंगी। हम (नेता) एकजुट हैं और लोगों को भी एकजुट होकर लड़ना चाहिए। यह डॉ. फारूक अब्दुल्ला, सज्जाद लोन या किसी और नेता की नहीं, सभी की लड़ाई है। धारा-370 को निरस्त कर दिया गया था, इसलिए सरकार ने सभी जनविरोधी फैसले लेकर लोगों की भावनाओं को आहत करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। वे जम्मू और कश्मीर के लोगों को नहीं चाहते हैं।

लद्दाख में चीनी अतिक्रमण पर भी रखी अपनी बात 

महबूबा मुफ्ती ने कहा कि चीन ने लद्दाख में 1000 वर्ग किमी से अधिक जमीन पर कब्जा कर लिया। चीन ने 370 को हटाने और भारत द्वारा किए गए परिवर्तनों पर खुलकर आपत्ति जताई है। वे इस बात से कभी इनकार नहीं कर सकते कि जम्मू-कश्मीर कभी भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इतना प्रसिद्ध नहीं था, जितना अब है।

याद हों कि पिछले दिनों नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता और तत्कालीन जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने भी एक बयान में कहा था कि चीन के समर्थन से जम्मू-कश्मीर में फिर से अनुच्छेद 370 को लागू किया जाएगा। इंडिया टुडे टीवी से बात करते हुए फारुक अब्दुल्ला ने कहा कि आर्टिकल 370 को हटाया जाना चीन कभी स्वीकार नहीं करेगा और उम्मीद है कि उसके सपोर्ट से इसे दोबारा लागू किया जाएगा।

अब्दुल्ला ने कहा था, “वो LAC पर जो कुछ भी कर रहे हैं, इसलिए क्योंकि आर्टिकल 370 को हटा दिया गया। इस बात को वो कभी स्वीकार नहीं करेंगे। मुझे उम्मीद है कि उनकी मदद से आर्टिकल 370 को जम्मू-कश्मीर में दोबारा लागू किया जाएगा।”

चौदह महीने की नज़रबंदी के बाद जब महबूबा मुफ़्ती रिहा हुईं थी उस वक्त भी फ़ारूक़ अब्दुल्ला ने उनका स्वागत करते हुए जम्मू- कश्मीर में पुरानी स्थिति की बहाली के लिए संघर्ष करने का ऐलान किया था। 

बता दें कि सरकार ने 2019 में अनुच्छेद 370 को हटा दिया था और राज्य का विभाजन दो केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर और लद्दाख बना दिया था।

कश्मीरी में लम्बी ख़ामोशी के बाद अब जब वहां बर्फबारी का मौसम आने वाला है राजनीतिक सरगर्मियां तेज होने लगी हैं। यह तय है कि इन घटनाओं से दिल्ली में भी अब हलचल तेज होगी। किन्तु उससे पहले तमाम कथित समाचार चैनलों पर बहस शुरू हो चुकी है। 

गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर से विशेष दर्जा हटाने के बाद वहां लम्बे समय तक मीडिया, इन्टरनेट सहित लगभग सभी संचार साधनों पर रोक लगा दिया गया था। राज्य के सभी प्रमुख नेताओं को नज़रबंद या हिरासत में लिया गया था। 

यह भी याद दिलाने की बात है कि जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाने के बाद बीजेपी के कुछ नेताओं ने विवादास्पद बयान भी दिए थे। वहां जमीन खरीदने और कश्मीरी लड़कियों से शादी करने जैसी बातें भी कही गयी थीं। 

(वरिष्ठ पत्रकार और कवि नित्यानंद गायेन की रिपोर्ट।)

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