Friday, March 29, 2024

महाराष्ट्र, यूपी और छत्तीसगढ़ से दिल्ली आ रहे हैं किसानों के बड़े जत्थे

दिल्ली में हो रहे किसान आंदोलन को पंजाबी किसान या सिख किसान का आंदोलन कहकर सीमित करने की कोशिश करती सरकार और गोदी मीडिया को पहला झटका भारतीय किसान यूनियन की अगुवाई में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसानों ने दिया। जो उत्तर प्रदेश की तरफ से दिल्ली में दाखिल होने के बाद गाजीपुर और चिल्ला बॉर्डर को घेरकर पिछले 20 दिन से धरने पर बैठे हैं।

उधर पूर्वी उत्तर प्रदेश के गोंडा से महेश सिंह की अगुवाई में हजारों किसानों का जत्था पिछले कई दिनों से लोनी से 8 किमी पहले सहारनपुर दिल्ली हाईवे पर अनिश्चितकालीन धरने पर बैठा हुआ है। ख़बर है कि कुछ और किसानों का जत्था उत्तर प्रदेश के तमाम जिलों से दिल्ली के लिए कूच करेगा।

वहीं छत्तीसगढ़ से एकता परिषद के संस्थापक राजगोपाल पीवी की अगुवाई में हजारों किसानों का जत्था पदयात्रा करते हुए केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के चुनाव क्षेत्र मुरैना से होकर दिल्ली पहुंचेगा।

13 दिसंबर को रायपुर के पास तिल्दा के प्रयोग आश्रम में हुई महत्वपूर्ण बैठक में एकता परिषद ने यह फैसला किया गया था। एकता परिषद की अगुवाई में किसानों की पदयात्रा की शुरुआत केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के गृह जिले और निर्वाचन क्षेत्र से होगी। बताया गया है कि शुरुआत मुरैना में एक जनसभा से होगी। और फिर उसके बाद पदयात्रा रवाना होगी। मुरैना से राजस्थान के धौलपुर, उत्तर प्रदेश के आगरा-मथुरा से होती हुई यह पदयात्रा दिल्ली की सीमा पर आंदोलन कर रहे किसानों से जाकर मिल जाएगी। इस पदयात्रा में बड़ी संख्या में महिला किसानों के शामिल होने की सूचना है।

राजगोपाल पीवी ने कहा है कि “लोकतंत्र में सरकार जो कर रही है कि चुनाव जीतने के बाद किसी से बात करने की ज़रूरत नहीं है। किसानों से जुड़े क़ानून के लिए किसानों से बात मत करो, आदिवासी को प्रभावित करने वाले क़ानून से पहले उनका पक्ष मत पूछो, ये बेहद ख़तरनाक है। इसमें हस्तक्षेप के लिए ऐसे एक्शन की ज़रूरत आ गई है।”

इससे पहले यूपीए शासनकाल में एकता परिषद ने भूमिहीनों के अधिकारों के लिए ग्वालियर से दिल्ली तक पदयात्रा की थी। इसमें 25-30 हजार से अधिक लोग शामिल थे।

महाराष्ट्र के 21 जिलों से हजारों किसान आज करेंगे दिल्ली को कूच

दिल्ली में हो रहे किसान आंदोलन में शामिल होने के लिए महाराष्ट्र के किसानों ने भी कमर कस ली है। आज 21 दिसंबर सोमवार को महाराष्ट्र के 21 जिलों से हजारों किसान दिल्ली के लिए कूच कर रहे हैं। सड़क मार्ग से जाने वाले यह सभी किसान तकरीबन 3 से 4 दिन में दिल्ली पहुंचेंगे। बताया गया है कि दिल्ली जाने वाले विभिन्न जिलों के तमाम किसान पहले नासिक में जुड़ेंगे फिर 1,266 किलोमीटर का सफर तय करके दिल्ली आएंगे। साथ ही किसान रास्ते में 24 दिसंबर को राजस्थान-हरियाणा के बॉर्डर पर चल रहे किसान प्रदर्शन में भी शामिल होंगे।

ऑल इंडिया किसान सभा के अध्यक्ष डॉ अजीत नवले ने मीडिया से कहा कि – “तीनों कानूनों का लक्ष्य उद्योगपतियों को किसानों की कीमत पर मुनाफा कमाने की अनुमति देना है। उनका विरोध करने के लिए हम 21 दिसंबर को नासिक से रवाना होंगे और प्रदर्शन में हिस्सा लेंगे। नए कृषि-विपणन कानून न्यूनतम समर्थन मूल्य की सुरक्षा नहीं करते, इसलिए उनका संगठन इन कानूनों के खिलाफ़ है। यदि इसी प्रकार से अगर देश के हर राज्य से किसानों का जत्था दिल्ली आना शुरू हो जाए तो किसानों की मांग को सरकार को मानना ही पड़ेगा। केंद्र सरकार द्वारा लाए गए कृषि कानून के विरोध में यहां किसान आंदोलन बीते कई दिनों से दिल्ली के बॉर्डर पर शुरू है हाड़ कंपा देने वाली सर्दी में भी किसानों के हौसले ठंडे नहीं हुए हैं। वह अपना हक़ लेकर ही वापस जाएंगे। केंद्र सरकार के तुगलकी फरमान को देश के किसान किसी भी कीमत पर नहीं मानेंगे।” 

इससे पहले नासिक में किसानों की विशाल जनसभा के जरिए किसानों का शक्ति प्रदर्शन किया गया था। किसानों के वाहन का जत्था मध्य प्रदेश में प्रवेश करने से पहले नासिक, धुले के ओझर, पिपलगांव बसवंत, चांदवड़, उमरेन, मालेगां और शिरपुर से होकर गुजरेगा जहां किसानों का भव्य स्वागत किया जाएगा।

अंबानी के दिल्ली दफ्तर पर मोर्चाबंदी करेंगे किसान

महाराष्ट्र के स्कूली शिक्षा राज्य मंत्री बच्चू कडू ने भी इस आंदोलन में किसानों के साथ सहभागी होने की घोषणा करते हुए अंबानी के दिल्ली दफ्तर के मोर्चाबंदी की बात कही है। उन्होंने कहा है कि वह भी 23 तारीख को दिल्ली किसान आंदोलन में शामिल होंगे। उसके बाद अंबानी के दिल्ली स्थित कार्यालय के बाहर अपने समर्थकों के साथ में विरोध प्रदर्शन करेंगे। उनका कहना है कि जब सरकार किसानों के हक़ की बात करती है तो वह किसानों की बातों को सुनती क्यों नहीं? अगर किसान चाहते हैं कि इस क़ानून को रद्द किया जाए तो किसानों की भलाई के लिए यह क़ानून रद्द किया जाना चाहिए।

कुछ दिन पहले किसान नेता राजू शेट्टी के नेतृत्व में स्वाभिमानी शेतकरी संगठन ने महाराष्ट्र के कोल्हापुर, पुणे, औरंगाबाद जैसे कई शहरों में किसानों के समर्थन में आंदोलन किया था। उस दौरान केंद्र सरकार और अडानी अंबानी का प्रतीकात्मक पुतला भी जलाया गया था।

(जनचौक के विशेष संवाददाता सुशील मानव की रिपोर्ट।)

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