Thursday, April 18, 2024

यूपी विधानसभा चुनाव से पहले ही राजनीति का घिनौना चेहरा उजागर

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों से पहले छोटे राजनीतिक दलों का घिनौना चेहरा सामने आने लगा है। दरअसल पहले अपने जातिवादी राजनीति से अपने समर्थक जातियों को गोल बंद करना फिर पहले वोटकटवा बनकर चुनाव परिणाम प्रभावित करना,फिर अगले चुनावों में किसी बड़े दल से चुनावी गठबंधन करके चुनाव लड़ना और जितनी सीट मिले उसमें अपने कुनबे से बचे सीटों को किसी धनकुबेर या शातिर अपराधी को बेच देने की राजनीति यूपी और बिहार में धड़ल्ले से चल रही है। दरअसल वोट ट्रान्सफर कराने की क्षमता अपने समर्थक वर्गों को बेचने का पर्यायवाची बन चुका है। यही नहीं ऐसे भी दल हैं जो इक्का दुक्का सीटों को जीतने के अलावा दूसरों के हराने में भूमिका निभाने की क्षमता रखते हैं। इन्हें इसकी कीमत मिलती है यानि प्रकारांतर से ये भी अपने सार्थक वर्गों का वोट जीतने के लिए नहीं बल्कि किसी दूसरे को हराने के लिए बेचते हैं और ईमानदार रहने का ढोंग भी करते हैं।     

इस बीच ‘टाइम्स नाउ नवभारत’ ने स्टिंग ऑपरेशन करके इस नासूर को फोड़ दिया है, जिससे कदाचार और भ्रष्टाचार का मवाद भी निकला है। चैनल के स्पेशल इंवेस्टिंगेटिंग टीम के खुफिया कैमरे में यूपी की सियासत के बड़े सियासी खिलाड़ियों का चेहरा बेनकाब हुआ है। इसमें सबसे पहला नाम निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद का है। चैनल के स्टिंग ऑपरेशन में संजय निषाद कहते हैं कि वह पैसे के लिए अपनी सीटें बेचने के लिए तैयार हैं। संजय निषाद मायावती के फॉर्मूले का जिक्र करते हैं। वह कहते हैं वह जिधर जाएंगे उसकी सरकार बन जाएगी। वह सपा को मारने की बात भी करते हैं। वह कहते हैं कि राज्य में बसपा मर गई है। लेकिन वह अपने बारे में भी कहते हैं कि वह अभी बेसलेस पार्टी के लीडर हैं।

संजय निषाद चुनाव जीतने के लिए मर्डर करने और थाने में आग लगाने की अपनी साजिश बताने लगे। वह कहते हैं कि हमारे लोग तो थाना फूंकने वाले हैं। हमसे बड़ा गुंडा कौन होगा। दावा है कि चुनाव में मर्डर करना पड़े तो वह भी करेंगे और चुनाव बाद केस वापस करा लेंगे। वह आगे कहते हैं, ‘हमने बहुत बड़ी जमीन ली है। हम लोगों को ट्रेन करते हैं, उन्हें बताते हैं कि वह गरीब क्यों है। मुकेश सहनी अगर आएगा तो उसे मारकर भगा देंगे। सहनी की गाड़ी फूंक देंगे। दो-चार लोगों को जला देंगे। निषाद की बातों से साफ जाहिर है कि निषाद आपराधिक प्रवृत्ति के नेता हैं।

स्टिंग के अलगे हिस्से में संजय निषाद ने कई चौंकाने वाला खुलासा किया है। स्टिंग ऑपरेशन में वह कहते हैं कि भाजपा से मनमाफिक सीटें नहीं मिलने पर वह सपा के साथ चले जाएंगे। वह सीएम योगी आदित्यनाथ को अपना दुश्मन बताते हैं। वह कहते हैं कि 2022 में योगी अदित्यनाथ मुख्यमंत्री नहीं रहेंगे। ऐसे में पैसे कमाना आसान हो जाएगा। दावा है कि वह एक उम्मीदवार पर दो करोड़ रुपए खर्च करेंगे। वह चुनाव प्रचार के दौरान शराब बंटवाने से भी परहेज नहीं करेंगे।  

‘टाइम्स नाउ नवभारत’ के स्टिंग ‘ऑपरेशन मुख्यमंत्री’ में अपनी नैतिकता का पर्दाफाश होने और चुनाव में बड़े दलों से पैसा लेने की अपनी बात पकड़े जाने पर सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर भड़क गए। उन्होंने चैनल की एडिटर इन चीफ नाविका कुमार से बातचीत में कहा कि ‘कोई पैसा देता है तो इसमें बुराई क्या है। आप बताइए किससे पैसा मिला। मैं पैसे के लिए काम नहीं करता लेकिन पार्टी चलाने के लिए पैसों की जरूरत पड़ती है। कोई अगर पैसा देता है तो इसमें बुराई क्या है। मुझे स्टिंग ऑपरेशन का डर नहीं है। मेरे शब्द सही हैं।’

निषाद पर खुलासे पर चैनल ने जब राजभर से बात की तो उन्होंने लंबी-चौड़ी बातें कीं। उन्होंने कहा कि वह बाबा साहेब अंबेडकर के बताए गए रास्ते पर चलते हैं। उन्होंने नैतिकता भरी बातें कीं।

चैनल ने जब ‘ऑपरेशन मुख्यमंत्री पार्ट 2’ में उनका स्टिंग दिखाया तो वह जवाब देने की जगह सवाल करने लगे। चैनल के स्टिंग में राजभर ने कहा, ‘हम जिसके साथ जाएंगे उससे पहले ही कह देंगे कि देखो भाई हमारे पास पैसे नहीं हैं। हम तुम्हारे साथ गठबंधन करेंगे तो तुम्हारा रेट बढ़ जाएगा, जहां तुम 2 करोड़ लेते हो तो तुमको 5-6 करोड़ रुपए मिलेंगे। तो हमको लड़ने के लिए पैसा देना पड़ेगा। हम तो देंगे नहीं। हमारे पास कुछ नहीं है’।

उत्तर प्रदेश की राजनीति में पिछले कई विधानसभा चुनावों से हर बार कोई न कोई मुस्लिम पार्टी ताल ठोकती नजर आती है भले ही उसके एक या दो जीते उसका असल मकसद मुस्लिम वोटों का बिखराव रहता है जो किसी न किसी पार्टी को सूट करता है। कभी पीस पार्टी नजर आती है तो कभी यूडीएफ नजर आता है, दो बार से ओवैसी की ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) दिखाई पड़ रही है। इनका दावा है कि यूपी के 19 फीसद मुस्लिमों में बहुसंख्य का वोट इन्हें मिलेगा। यदि ऐसा हो भी तो इनका खाता तब तक नहीं खुलेगा जब तक अन्य जातियों, वर्गों का समर्थन इन्हें न मिले। नतीजतन ये वोटकटवा बनकर भाजपा को लाभ पहुंचायेंगे।

ओवैसी से पहले डॉक्टर जलील फ़रीदी, डॉक्टर मसूद और डॉक्टर अयूब उतरे थे, लेकिन हाशिये पर ही रहे। ओवैसी का भी वही हश्र होना तय है, जो इन लोगों का हुआ है। असदुद्दीन ओवैसी अगर 2-4 सीटें जीत भी जाते हैं, तो इससे उत्तर प्रदेश की राजनीति पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा, लेकिन अकलियतों को ये हाशिये पर जरूर पहुंचा देंगे।

बिहार विधानसभा चुनाव में 5 सीटें जीतने के बाद असदुद्दीन ओवैसी पश्चिम बंगाल के चुनाव में कूद पड़े पर उनकी पार्टी की हुई दुर्गति ने उनकी राजनीति का जनाजा निकाल दिया। अगर, ओवैसी उत्तर प्रदेश में पश्चिम बंगाल वाला प्रदर्शन दोहराते हैं, तो फिर उनकी राजनीति हैदराबाद तक ही सिमट कर रह जाएगी और उनके समर्थक उसी तरह छले महसूस करेंगे जैसे अमिताभ बच्चन के इलाहाबाद संसदीय चुनाव जीतने के बाद लोकसभा से इस्तीफ़ा देकर राजनीति से भाग खड़े होने के बाद उनके समर्थक राजनीति में खोयी जमीन आज तक नहीं पा सके हैं।

यूपी में वास्तविक अर्थों में तीन राजनीतिक दल ही ऐसे हैं जिनमें पैसे लेकर टिकट देने के आरोप नहीं लगे हैं। ये कांग्रेस, भाजपा और सपा हैं। बसपा में हमेशा पैसे लेकर टिकट देने के आरोप लगते हैं क्योंकि वहां सवर्ण या किसी भी अन्य ओबीसी प्रत्याशी को दलित वोट ट्रान्सफर कराने का दावा किया जाता रहा है और दलित वोट ट्रान्सफर भी होते रहे हैं। कोई वोट ट्रान्सफर कराके, तो कोई सीटें बेचकर, तो कोई वोट काटकर माल कमा रहा है और हाशिये पर समर्थक खड़े होकर जातिगान में लीन हैं।

(जेपी सिंह वरिष्ठ पत्रकार हैं और आजकल इलाहाबाद में रहते हैं।)

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