धामी सरकार का 65.57 करोड़ का बजट पेश: आमदनी अठन्नी खर्चा रुपैया

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देहरादून। उत्तराखण्ड विधानसभा के बजट सत्र के पहले ही दिन वित्तमंत्री प्रेमचन्द अग्रवाल ने राज्य का बजट पेश किया जिसमें कर्ज समेत कुल राजस्व प्राप्ति 63.77 हजार करोड़ एवं खर्च 65.57 हजार करोड़ दर्शाया गया है। बजट में कुल राजस्व घाटा 1796.94 करोड़ का है। लेकिन राजकोषीय घाटा अब भी चिन्ता का विषय बना हुआ है। इस बजट का जहां सत्ता पक्ष ने विकासोन्मुख और सर्वहितकारी बताया है वहीं विपक्ष ने बजट का निराशाजनक बताया है।

विधानसभा के इस सत्र के पहले दिन मंगलवार को धामी सरकार के वित्तमंत्री प्रेमचन्द अग्रवाल ने जो बजट पेश किया उसमें कुल व्यय 65571.49 रुपये और कुल राजस्व 63774.55 करोड़ अनुमानित है। कुल राजस्व में करों से 24500.72 करोड़ और करेत्तर आय 26973.55 करोड़ अनुमानित की गयी है। इस प्रकार सारे स्रोतों से कुल मिला कर 51,474.27 करोड़ का राजस्व मिलने की उम्मीद की गयी है। बजट आवश्यकताओं की पूर्ति संभव न होने पर बाजार से 12,275.00 करोड़ रुपये का कर्ज उठाने का प्रावधान भी किया गया है। लेकिन इस सबके बावजूद बजट की कुल व्यय राशि 65,571.49 से कुल राजस्व प्राप्ति 1,796.94 करोड़ पिछड़ रही है।

बजट के खर्चों में 6,017.85 करोड़ रुपये कर्जों की ब्याज अदायगी और 5,568.24 करोड़ मूलधन की किश्त की अदायगी भी शामिल है। जाहिर है कि चालू वित्त वर्ष में भी उत्तराखण्ड सरकार अपने संसाधनों से ज्यादा कर्ज के भरोसे है। क्योंकि राज्य का अपना कर राजस्व केवल 15,37,0 करोड़ 55 लाख और 89 हजार रुपये अनुमानित है। इसके अलावा 5,520 करोड़ 78 लाख 65 हजार करेत्तर आय आने की आशा जताई गयी है जबकि बजट खर्च जुटाने के लिये 12,275 करोड़ कर्ज उठाने की बात बजट प्रावधानों में की गयी है। राज्य को केन्द्रीय करों से राज्य के हिस्से के रूप में 9,130.16 करोड़ मिलने का अनुमान लगाया गया है। चिन्ता का विषय यह है कि बजट में अपूरित घाटा जिसे राजकोषीय घाटा कहते हैं, उसकी रकम 8,503.70 करोड़ तक पहुंच गयी है। जबकि आरबीआई की गाइडलाइन के तहत राजकोषीय घाटा 3 प्रतिशत से कम होना चाहिये। 

इस प्रकार देखा जाए तो बजट में स्वयं का कर राजस्व 23.48 प्रतिशत, करेत्तर राजस्व 8.43 प्रतिशत, केन्द्रीय करों से 13.94 प्रतिशत, केन्द्र से सहायता अनुदान के रूप में 32.77 प्रतिशत और लोक ऋण से 18.75 प्रतिशत राजस्व अनुमानित है।  जबकि खर्चों में वेतन, भत्ते, मजदूरी और प्रतिष्ठान पर 27.19 प्रतिशत, निवेश ऋण पर 9.09 प्रतिशत, ब्याज अदायगी पर 9.18 प्रतिशत, वृहद निर्माण पर 16.07 प्रतिशत पेंशन आनुतोषिक पर 12.49 तथा अन्य खर्चों पर 14.72 प्रतिशत का प्रावधान किया गया है।

उत्तराखण्ड प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा ने उत्तराखण्ड सरकार द्वारा वर्ष 2022-23 के लिए प्रस्तुत बजट को दिशाहीन, प्रतिगामी, विकास विरोधी तथा आम आदमी के हितों के खिलाफ बेरोजगारी व महंगाई बढ़ाने वाला बजट बताया है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के अनुसार बजट में ग्रामीण क्षेत्रों के लिए कुछ भी नहीं किया गया है। बजट का आकार बढ़ाया गया है परन्तु आय के स्रोत नहीं बताये गये हैं। बजट में ऐसे विभाग जो गांव, गरीब, दलित व कमजोर तबके को लाभ पहुंचाने वाले हैं उनके बजट जैसे कृषि विभाग, समाज कल्याण विभाग, एससीपी, एसटीपी, स्वास्थ्य, शिक्षा, सड़क, बिजली, पानी तथा पंचायतों के बजट में कुछ नहीं किया गया है। पर्वतीय क्षेत्रों से लगातार हो रहे पलायन को रोकने के लिए बजट मात्र 25 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। बजट में पर्यटन, महिलाओं, नौजवानों के भविष्य की घोर उपेक्षा की गई है। विगत वर्ष की भांति इस बजट में भी पटवारियों को मोटर साइकिल देने जैसी कोरी घोषणायें की गई हैं।

(वरिष्ठ पत्रकार जयसिंह रावत की रिपोर्ट।)

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