नई दिल्ली। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पीएम मोदी को एक बार फिर पत्र लिखा है। इस बार उन्होंने देश में सरकार द्वारा लगातार बढ़ायी जा रही है पेट्रोल और डीजल की कीमतों को मुद्दा बनाया है। उन्होंने साफ-साफ लिखा है कि देश और उसकी जनता जब बेहद संकट के दौर से गुजर रहे हैं तब सरकार लगातार एक्साइज ड्यूटी बढ़ा कर उगाही में जुटी हुई है।
उन्होंने कहा कि वह इस बात को लेकर बहुत दुखी हैं कि बेहद कठिन दौर में मार्च के बाद सरकार ने 10 अलग-अलग मौकों पर एक्साइज ड्यूटी के जरिये पेट्रोल औऱ डीजल की कीमतों को बढ़ाने का असंवेदनशील फैसला लिया।
उन्होंने आंकड़ा पेश करते हुए कहा कि इसके जरिये सरकार ने 260000 रुपये हासिल किए। यह तब हुआ जब लोग अकल्पनीय परेशानियों का सामना कर रहे थे। और लोगों में जबर्दस्त भय और असुरक्षा थी।
इन कीमतों ने अतिरिक्त बोझ डालकर हमारे लोगों को दुखी किया है जो किसी भी रूप में उचित नहीं है।
उन्होंने कहा कि सरकार का कर्तव्य लोगों की कठिनाइयों को हल करना है न कि उनके बोझ को बढ़ाना। पत्र में उन्होंने कहा है कि उनको इसमें कोई तर्क भी नहीं दिखता कि एक ऐेसे समय में जबकि लोग भीषण कठिनाइयों का सामना कर रहे हों, करोड़ों लोगों की नौकरी चली गयी हो, छोटा या बड़ा व्यवसाय पूरी तरह से बिखर गया हो, लोगों के जीवनयापन तक की समस्या हो, मध्य वर्ग तक संकटों का सामना कर रहा हो, यहां तक कि किसान खरीफ की अपनी रोपाई को लेकर परेशान हों तब सरकार इन हिस्सों पर अतिरिक्त बोझ डाल दे।
उन्होंने कहा कि इस दौरान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में 9 फीसदी की गिरावट दर्ज की गयी है। लेकिन सरकार ऐसा कुछ नहीं कर रही है जिससे उससे हासिल होने वाला लाभ सीधे जनता को पहुंच जाए।
उन्होंने कहा कि यह बात रिकार्ड में दर्ज होनी चाहिए कि पिछले छह सालों में सरकार ने प्रति लीटर पेट्रोल पर 23.78 रुपये और डीजल पर 28.37 रुपये हासिल कर सरकारी खजाने की पूंजी में बड़े पैमाने की वृद्धि की है। उनका कहना है कि अगर इसको परसेंटेज में नापा जाए तो यह पेट्रोल की एक्साइज में 258 फीसदी तथा डीजल की एक्साइज में 820 फीसदी की बढ़ोत्तरी है। और इस तरह से सरकार ने कुल 18 लाख करोड़ रुपये अतिरिक्त जुटाए हैं। और अगर इस संसाधन को ही लोगों की सेवा में लगाया गया होता तो आज तस्वीर बिल्कुल दूसरी होती।
अंत में उन्होंने कहा है कि वह बढ़ी हुई कीमतों की वापसी की मांग करती हैं। साथ ही इससे होने वाले लाभ को सीधे जनता तक पहुंचाने का भी मामला बनता है। उन्होंने कहा कि अगर आप उन्हें आत्मनिर्भर बनाना चाहते हैं तो उनके रास्ते में वित्तीय बाधाएं मत खड़ा करिए जिससे कि उनके आगे बढ़ने की क्षमता प्रभावित हो।
आखिर में उन्होंने कहा कि वह एक बार फिर यह दोहरना चाहती हैं कि कृपया सरकारी संसाधनों का इस्तेमाल जनता को सीधे पैसे मुहैया कराने में किया जाए।
उन लोगों के हाथ में सीधे पैसे रखिए जिनको इस समय सबसे ज्यादा जरूरत है।
This post was last modified on June 16, 2020 11:26 am