Sunday, October 1, 2023

केंद्र ने अध्यादेश लाकर सीबीआई और ईडी निदेशकों का कार्यकाल किया 5 साल

अध्यादेश सरकार एक और अध्यादेश लेकर आयी जिसके मुताबिक़ CBI और ED के निदेशकों का कार्यकाल अब 5 साल होगा। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने दोनों अध्यादेशों पर हस्ताक्षर कर दिए हैं। 

केंद्रीय सतर्कता आयोग (संशोधन) 2021 और दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम (संशोधन) 2021 नाम के दोनों अध्यादेश संसद के शीतकालीन सत्र के शुरू होने से कुछ दिन पहले लाए गए हैं। बता दें कि संसद का शीतकालीन सत्र 29 नवंबर से शुरू होने वाला है। 

नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने कल ​रविवार को CBI और ED के निदेशकों का कार्यकाल 3 साल के लिए और बढ़ा दिया है। इसके लिए सरकार ने दो अध्यादेश जारी किए हैं। इन अध्यादेशों के मुताबिक अब प्रवर्तन निदेशालय (ED) और केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) के निदेशकों का कार्यकाल 5 साल का होगा। बता दें कि अभी तक इन पदों पर अधिकतम कार्यकाल 2 वर्ष ही था। 

अब शीर्ष एजेंसियों के सभी आगामी प्रमुखों के कार्यकाल के 2 साल पूरे होने के बाद, उन्हें और 3 साल के लिए बढ़ाया जा सकता है। हालांकि, ज्वाइनिंग के समय दिए गए कार्यकाल को मिलाकर कुल 5 साल का विस्तार संभव है।

बता दें कि हाल ही में जस्टिस एलएन राव की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने प्रवर्तन निदेशालय के प्रमुख संजय मिश्रा के सेवा विस्तार से जुड़े मामले में फैसला सुनाया था। संजय मिश्रा ने 2018 में कार्यभार संभाला था। पीठ ने कार्यकाल के विस्तार पर प्रकाश डालते हुए कहा था कि सेवा का विस्तार केवल दुर्लभ और असाधारण मामलों में ही किया जाना चाहिए। मोदी सरकार का ये मनमाना अध्यादेश सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश के बाद ही लाया गया है। 

केंद्र सरकार का राजनीतिक हथियार है ED व CBI

बता दें कि प्रवर्तन निदेशालय वित्त मंत्रालय के तहत एक विशेष जांच एजेंसी है, जो मनी लॉन्ड्रिंग, विदेशी मुद्रा कानूनों और विनियमों से संबंधित मामलों की जांच करती है। वहीं, सीबीआई कार्मिक, पेंशन और लोक शिकायत मंत्रालय के तहत एक प्रमुख जांच एजेंसी है। यह एक नोडल पुलिस एजेंसी भी है जो इंटरपोल सदस्य राज्यों के सहयोग से जांच करती है। दोनों ही संस्थायें केंद्र सरकार का राजनीतिक हथियार बनी हुयी हैं जिसका इस्तेमाल मोदी सरकार चुनाव से ठीक पहले विपक्षी दलों, क्षेत्रीय दलों और मीडिया संस्थानों के ख़िलाफ़ करती आ रही है। 

जाहिर है ऐसी एजेंसियों के शीर्ष पदों पर सरकार अपने चहेते अधिकारियों को बैठाना और उन्हें बरकरार रखना चाहती है। 

विपक्ष ने बताया तानाशाही

29 नवंबर से शुरू होने वाले संसद सत्र से ठीक पहले लाये गये अध्यादेश को विपक्षी दलों ने तानाशाही कहा है। माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने ट्वीट करके कहा है कि “केंद्र ने छानबीन से बचने के लिए रविवार को सीबीआई और ईडी निदेशकों का कार्यकाल बढ़ाने के लिए अध्यादेश जारी कर दिये। इतनी हड़बड़ी से कुछ गड़बड़ लगता है।” 

वहीं, तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य डेरेक ओ ब्रायन ने प्रतिक्रिया देते हुये कहा है कि संसद का ‘मजाक उड़ाने’ के लिए अध्यादेश लाये गये हैं। उन्होंने ट्वीट करके कहा, ”मोदी-शाह की भाजपा किस तरह संसद का मजाक उड़ाती है और बेशर्मी से अध्यादेशों का इस्तेमाल करती है। ईडी और सीबीआई में उनके पालतू तोतों को रखने के लिए आज यही नाटक दोहराया गया।”

बता दें कि देश की दो महत्वपूर्ण जांच एजेंसियों के शीर्ष पदों पर बहाल अधिकारियों के कार्यकाल को लेकर मोदी सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया है। वो भी ऑर्डिनेन्स के सहारे।

वर्तमान में कौन हैं सीबीआई व ईडी हेड

वर्तमान में CBI के निदेशक 1985 बैच के आईपीएस अधिकारी और महाराष्ट्र के पूर्व डीजीपी सुबोध कुमार जायसवाल हैं। उन्हें मई 2021 में निदेशक बनाया गया था। 

जबकि ED के निदेशक संजय कुमार मिश्रा हैं, जिन्होंने नवंबर 2018 में पदभार ग्रहण किया था। संजय मिश्रा 1984 बैच के भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) अधिकारी हैं। पिछले साल नवंबर में केंद्र सरकार ने एक अभूतपूर्व फैसला करते हुए मिश्रा का कार्यकाल एक साल के लिए बढ़ा दिया था। मिश्रा का कार्यकाल नवंबर 2020 में समाप्त हो गया। पिछले साल नवंबर में केंद्र सरकार ने ईडी डायरेक्टर संजय कुमार मिश्रा के कार्यकाल को एक साल के लिए बढ़ा दिया था। 1997 से पहले सीबीआई डायरेक्टर्स का कार्यकाल तय नहीं था और किसी भी प्रकार से सरकार उन्हें हटा सकती थी।

वर्तमान में सीबीआई और ईडी के निदेशकों का कार्यकाल 2 साल का होता है। वहीं अब सरकार के इस फैसले के बाद दोनों एजेंसियों के निदेशकों का कार्यकाल अब 5 साल तक बढ़ाया जा सकता है।

नए अध्यादेश के मुताबिक, सीबीआई और ईडी चीफ की नियुक्ति पहले 2 साल के लिए की जाएगी। इसके बाद तीन साल का (1+1+1) करके एक्सटेंशन दिया जाएगा। 

(जनचौक ब्यूरो की रिपोर्ट।)

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