Friday, March 29, 2024

पेगासस जासूसी जांच के लिए छत्तीसगढ़ सरकार ने बनायी कमेटी

एक ओर केंद्र की मोदी सरकार पेगासस जासूसी के आरोपों को खारिज कर रही है और इसकी जांच कराने से इनकार कर रही है वहीं दूसरी ओर  पेगासस जासूसी मामले में छत्तीसगढ़ के कनेक्शन की अब जांच  बघेल सरकार करायेगी। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने  कहा है  कि छत्तीसगढ़ में भी कुछ लोगों की जासूसी हुई है। इसकी जांच होनी चाहिए। यह प्रजातांत्रिक देश है। पेगासस जासूसी मामले में मुख्यमंत्री ने चार सदस्यीय जांच कमेटी बनाई है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा, पेगासस के लोग आए थे छत्तीसगढ़, कुछ लोगों से भी मिले थे। जल्दी ही बंगाल सहित अन्य गैर भाजपा शासित राज्यों में राज्य सरकारों द्वारा इस तरह की जांच का आदेश देने की संभावना है।

पेगासस जासूसी मामले की जांच के लिए बघेल सरकार ने अपर मुख्य सचिव गृह की अध्यक्षता में चार सदस्यीय कमेटी बनाई गई है। इसमें पुलिस महानिदेशक, आईजी इंटेलिजेंस और जनसंपर्क आयुक्त शामिल हैं।

 मुख्यमंत्री बघेल ने बुधवार को सरकार से कहा कि भारत सरकार को बताना चाहिए कि उनकी डील हुई कि नहीं हुई? डील हुई तो किससे हुई? बघेल ने कहा कि उन्होंने मंत्रियों, विपक्ष के नेताओं, पत्रकारों और अन्य लोगों की जासूसी कराया। आखिर उनका उद्देश्य क्या था?

भूपेश बघेल ने कहा है कि उनके पास सूचना है कि भाजपा सरकार के समय पेगासस बनाने वाली कंपनी के अधिकारी यहां आए और कुछ लोगों से संपर्क किया था। राज्य सरकार ने इस मामले की जांच के लिए एक समिति गठित की है। उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह से कहा है कि वे खुलासा करें कि उनकी किनसे मुलाकात हुई और किस तरह का सौदा किया है।

सीएम ने कहा कि एनएसओ समूह का कहना है कि वे केवल सरकार के साथ काम करते हैं, भारत सरकार को यह बताना चाहिए कि उन्होंने उनके साथ सौदा किया है या नहीं। वे विपक्षी नेताओं, पत्रकारों और यहां तक कि मंत्रियों की भी जासूसी कर रहे हैं। उद्देश्य क्या था? इसकी जांच होनी चाहिए।

उन्होंने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह को बताना चाहिए कि वे किनसे मिले थे और किस तरह की डील हुई थी। भूपेश ने कहा कि वो (पेगासस) कह रहे हैं कि भारत सरकार को सेवाएं देते हैं। भारत सरकार को बताना चाहिए कि उनसे डील हुई या नहीं हुई। मंत्रियों, विपक्ष के नेता और पत्रकारों की जासूसी करा रहे हैं। सामाजिक कार्यकर्ताओं की जासूसी करा रहे हैं। आखिर उद्देश्य क्या था? ये तो पूरे देश को जानने का हक है। आखिर उनसे डील हुई कि नहीं हुई।

मुख्यमंत्री बघेल ने सवाल किया कि दूसरे देशों में जांच हो रही है, यहां क्यों नहीं होनी चाहिए। यह तो प्रजातांत्रिक देश है। इससे पहले मुख्यमंत्री ने ट्वीट करके सवाल किया। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार के समय पेगासस के लोग छत्तीसगढ़ भी आए थे। हमने उसकी जांच शुरू की है। पूर्व मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह को बताना चाहिए कि किससे डील हुई ।

इमरान खान सहित 13 राष्ट्राध्यक्षों का फोन  हैक 

लीक हुए पेगासस डेटाबेस से पता चलता है कि 2019 में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान को भारत द्वारा पर्सन ऑफ इंटरेस्ट (जिस व्यक्ति में रुचि हो) के रूप में चुना गया था। द गार्जियन की रिपोर्ट में यह दावा किया गया है। द गार्जियन ने खुलासा किया है कि पेगासस प्रोजेक्ट के केंद्र में लीक हुए डेटाबेस में फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन और 13 अन्य राष्ट्राध्यक्षों और सरकार के प्रमुखों के मोबाइल फोन नंबर शामिल हैं।

दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा और पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान को भी डेटा में सूचीबद्ध किया गया है, जिसमें 34 देशों के राजनयिक, सैन्य प्रमुख और वरिष्ठ राजनेता शामिल हैं। द गार्जियन ने कहा कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान को 2019 में भारत द्वारा पर्सन ऑफ इंटरेस्ट के रूप में चुना गया था।
रिपोर्ट में कहा गया है, न तो भारत और न ही पाकिस्तान ने इस दावे पर विशेष रूप से टिप्पणी की है कि दिल्ली ने खान को लक्षित करने के लिए चुना है। भारत ने कहा है कि उसके पास अवरोधन के लिए अच्छी तरह से स्थापित प्रोटोकॉल हैं, जिसके लिए केवल राष्ट्रीय हित में स्पष्ट कारणों के लिए उच्च रैंक वाले राष्ट्रीय या क्षेत्रीय अधिकारियों से अनुमोदन की आवश्यकता है।

इजरायली स्पाइवेयर पेगासस की मदद से दुनियाभर के कई नेताओं और पत्रकारों सहित बड़ी हस्तियों के फोन हैक किए जाने को लेकर छिड़ा बवाल भारत ही नहीं बल्कि पड़ोसी देश पाकिस्तान में भी तूल पकड़ता जा रहा है।

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के फोन की हैकिंग की रिपोर्ट सामने आई है, लेकिन इमरान के मंत्री लगातार इस हैकिंग के लिए भारत को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। पाकिस्तान के सूचना और प्रसारण मंत्री फारुख हबीब ने इस हैकिंग में भारत को लेकर बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि संभवत: इमरान का फोन पाकिस्तान के पूर्व पीएम नवाज शरीफ ने भारत के पीएम नरेंद्र मोदी की मदद से हैक करवाया था।

पाकिस्तानी अखबार द डॉन की रिपोर्ट के अनुसार, मंत्री फारुख हबीब ने मंगलवार को अपने राजनीतिक विरोधियों के निजी डेटा को गुप्त रूप से एक्सेस करने में पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की भूमिका के बारे में संदेह जताते हुए कहा, यह संभावना है कि शरीफ ने नरेंद्र मोदी (भारतीय प्रधानमंत्री) की मदद से इजरायली स्पाइवेयर के माध्यम से (इमरान खान के बारे में) जानकारी प्राप्त की ।

फ्रांस में जांच

जिस पेगासस स्पाइवेयर से भारत में नेताओं, पत्रकारों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, जजों की जासूसी कराए जाने के आरोपों को सिरे से खारिज किया जा रहा है उसी पेगासस से कई फ्रांसीसी पत्रकारों की जासूसी के आरोपों पर फ्रांस में जाँच शुरू की गई है। न्यूज़ एजेंसी एएफ़पी की रिपोर्ट के अनुसार पेरिस में अभियोजकों ने मंगलवार को कहा कि उन्होंने आरोपों की जाँच शुरू कर दी है कि मोरक्को की खुफिया सेवाओं ने कई फ्रांसीसी पत्रकारों की जासूसी करने के लिए इजरायली पेगासस का इस्तेमाल किया था। खोजी पत्रकारिता करने वाली वेबसाइट मीडियापार्ट ने सोमवार को क़ानूनी शिकायत दर्ज कराई थी। मीडियापार्ट का भी एक पत्रकार उन पत्रकारों में शामिल है जिन्हें फ़्रांस में निशाना बनाया गया है। 

फ़्रांस से ऐसी ख़बर तब आई है जब भारत में सरकार यह मानने को बिल्कुल भी तैयार नहीं है कि पेगासस से कोई निगरानी की गई है, किसी जाँच के आदेश देने की तो बात ही दूर है। बीजेपी के प्रवक्ता तो टीवी डिबेट में विपक्ष को चुनौती दे रहे हैं कि यदि किसी को गड़बड़ लगता है तो एफ़आईआर दर्ज क्यों नहीं करा रहे हैं।

केंद्र सरकार की सहमति के बिना नहीं हो सकता पेगासस हमला

शिवसेना के मुखपत्र सामना के संपादकीय में कहा गया है कि पेगासस का हमला आपातकाल से भी बड़ा है। जब कांग्रेस शासन के दौरान जासूसी के मामले सामने आए थे, तब भाजपा ने प्रधानमंत्री और गृह मंत्री को इसके लिए ज़िम्मेदार ठहराते हुए उनके इस्तीफ़े की मांग की थी। अब यह सत्ता में है, लेकिन संसद में इस मुद्दे पर चर्चा के लिए तैयार नहीं है।जासूसी के खुलासे के मामले में केंद्र सरकार को घेरते हुए शिवसेना ने बुधवार को एक बार फिर से कहा पेगासस चुने गए भारतीयों पर किया गया एक साइबर हमला है और ऐसा हमला केंद्र सरकार की सहमति के बिना नहीं हो सकता है।

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