Friday, April 19, 2024

चीन कर रहा था भारत के पूरे सत्ता प्रतिष्ठान पर निगरानी; पीएम और राष्ट्रपति से लेकर 10 हजार लोग शामिल

नई दिल्ली। जब भारत सरकार तमाम तरह के डिजिटल उपायों के जरिये अपने नागरिकों पर निगरानी की व्यवस्था कर रही थी उसी समय चीन भारत के सर्वोच्च पदों पर बैठे लोगों के साथ इसी काम को अंजाम दे रहा था। इसका खुलासा इंडियन एक्सप्रेस ने आज किया है। यह काम शेनजेन में स्थापित एक टेक्नॉलाजी कंपनी ने किया है जिसके चीन सरकार के साथ घनिष्ठ रिश्ते बताये जाते हैं। बताया जा रहा है कि चीनी सरकार ने भारत के 10000 लोगों और संगठनों की निगरानी की है। यह काम कंपनी ने अपने फारेन टारगेट और ग्लोबल डाटाबेस इकट्ठा करने के मिशन के तहत किया है। इंडियन एक्सप्रेस ने अपनी जांच में इस बात का खुलासा किया है।

झेन्हुआ डाटा इंफार्मेशन टेक्नॉलाजी कंपनी द्वारा भारत में चिन्हित किए गए और निगरानी वाले टारगेट की रेंज चौड़ी होने के साथ ही बेहद गहरी भी है।

इसमें राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से लेकर पीएम मोदी, अंतरिम कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उनका परिवार, मुख्यमंत्रियों में ममता बनर्जी, अशोक गहलोत, अमरिंदर सिंह और उद्धव ठाकरे शामिल हैं। इसके साथ ही नवीन पटनायक, शिवराज सिंह चौहान, कैबिनेट मंत्री राजनाथ सिंह, रविशंकर प्रसाद, निर्मला सीतारमन, स्मृति ईरानी और पीयूष गोयल भी इसमें शरीक हैं। इसके अलावा चीफ ऑफ डिफेंस बिपिन सिंह रावत से लेकर सेना के 15 पूर्व आर्मी चीफ, नेवी और एयरफोर्स के भी अफसर इसमें शामिल हैं।

इसमें न्यायपालिका को भी नहीं बख्शा गया है। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस शरद बोबडे और साथी जज एएम खानविलकर से लेकर लोकपाल जस्टिस पीसी घोष और सीएजी जीसी मूर्मू भी इसी कतार में हैं। निगरानी के इस दायरे में स्टार्ट अप टेक इंटरप्रेन्योर भारत पे के फाउंडर निपुण मेहरा, आथ ब्रिज के अजय त्रेहान का नाम भी शामिल है। साथ ही उच्च औद्योगिक घरानों में टाटा और अडानी भी इस सूची में शुमार हैं।

लिहाजा यह कहा जा सकता है कि न केवल प्रभावशाली व्यक्तिगत लोग बल्कि राजनीतिक और सरकारी प्रतिष्ठान के हर क्षेत्र के लोगों पर निगरानी रखी गयी है। इसमें महत्वपूर्ण पदों पर बैठे नौकरशाह, जज, वैज्ञानिक और एकैडमीशियन शामिल हैं। पत्रकार, एक्टर और स्पोर्टपर्सन, धार्मिक व्यक्ति और कार्यकर्ता तक इसके हिस्से हैं। यहां तक कि वित्तीय अपराध, भ्रष्टाचार, आतंकवाद और स्मग्लिंग से लेकर नारकोटिक्स और गोल्ड, आर्म्स क्षेत्र से जुड़े आरोपी भी इसमें शुमार हैं।

यह मामला इसलिए गंभीर हो जाता है कि क्योंकि भारत और चीन दोनों इस समय वास्तविक नियंत्रण रेखा पर एक दूसरे के सामने हैं। इसके साथ ही चीन अपने तमाम पड़ोसियों को पीछे धकेलने में लगा हुआ है। और गौर करने वाली बात यह है कि झेन्हुआ ने चीनी खुफिया, सैन्य और सिक्योरिटी एजेंसीज के साथ काम करने का दावा भी किया है।

इंडियन एक्सप्रेस का कहना है कि उसकी टीम पिछले दो महीनों से इस पर काम कर रही थी। और वह झेन्हुआ ऑपरेशन द्वारा भारत की तमाम इकाइयों से इकट्ठा किए गए डाटा की जांच कर रही थी जिसे ओवरसीज की इनफार्मेशन डाटाबेस (ओकेआडीबी) के नाम से कंपनी जुटा रही थी।

अमेरिका, इंग्लैंड, जापान, आस्ट्रेलिया, कनाडा, जर्मनी, और यूनाइटेड अरब अमीरात से भी इसमें एंट्री शामिल है। एक्सप्रेस का कहना है कि इसको दक्षिण-पूर्व चीन के गौंगडांग प्राविंस के शेनझेंग शहर में स्थित इस कंपनी के एक सूत्र के हवाले से हासिल किया गया है।

एक्सप्रेस का कहना है कि जोखिम और सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए सूत्र अपना नाम जाहिर नहीं होने देना चाहता है।

वियतनाम में रहने वाले एक प्रोफेसर क्रिस्टोफर बाल्डिंग जो शेनझेंग में अध्यापन का काम कर चुके हैं, के साथ काम करने के जरिये सूत्र ने द इंडियन एक्सप्रेस, द आस्ट्रेलियन फाइनेंशियल रिव्यू, इटली के इल फोगलियो और लंदन के द डेली टेलीग्राफ के साथ डाटा को साझा किया।

निगरानी प्रक्रिया की मुख्य बात झेन्हुआ डाटा का लक्ष्य हाइब्रिड वारफेयर- वर्चस्व हासिल करने के लिए गैर सैन्य उपकरणों का इस्तेमाल या फिर डैमेज, ध्वस्त और प्रभाव डालने के लिए उसका इस्तेमाल करना है। उसके खुद के शब्दों में उसके उपकरण हैं- सूचना, प्रदूषण, अवधारणा प्रबंधन और प्रचार।

रिकार्ड बताता है कि झेन्हुआ को अप्रैल, 2018 में एक कंपनी के तौर पर रजिस्टर किया गया था। और इसने 20 प्रोसेसिंग सेंटर और रिजन पूरे देश में स्थापित किए थे। यह अपने ग्राहकों में चीनी सरकार और सेना के तौर पर गिनी जाती है।

एक्सप्रेस का कहना है कि उसकी वेबसाइट http://www.china-revival.com पर 1 सितंबर को सवालों की फेहरिस्त भेजी गयी थी लेकिन उसका कोई जवाब नहीं आया। वास्तव में कंपनी ने 9 सितंबर को अपना वेबसाइट हटा लिया। और अब उस तक नहीं पहुंचा जा सकता है।

जब एक्सप्रेस का एक संवाददाता शेनझेंन स्थित झेन्हुआ डाटा के हेडक्वार्टर पर पहुंचा और वहां सवालों की सूची एक्सप्रेस की तरफ से सौंपी तो कंपनी के एक स्टाफ ने अपना नाम न जाहिर करते हुए कहा कि “माफ कीजिएगा, ये सवाल हमारे ट्रेड सिक्रेट से जुड़े हुए हैं। और उनका खुलासा करना सुविधाजनक नहीं होगा।”

लेकिन इंडियन एक्सप्रेस के सवालों का जवाब देते हुए भारत स्थित चीनी दूतावास ने कहा कि “चीन ने चीनी सरकार के लिए पिछले दरवाजे से या फिर स्थानीय कानूनों का उल्लंघन करके कंपनियों या फिर व्यक्तियों से दूसरे देशों में स्टोर की गयी सूचनाएं या फिर डाटा इकट्ठा करने या उन्हें मुहैया कराने के लिए न ही कहा है और न ही कभी कहेगा। “

दूतावास के सूत्र ने बताया कि “जिस बात को मैं चिन्हित करना चाहूंगा वह यह कि चीनी सरकार ने अपनी कंपनियों से बाहर व्यवसाय करते हुए पूरी सख्ती के साथ स्थानीय कानूनों का पालन करने के लिए कहा है। वह इस रुख को कभी नहीं बदलेगा।”

इसमें कोई आश्चर्य नहीं है कि ओकेआईडीबी ने फैमिली ट्री बना रखी है:

इंडियन एक्सप्रेस की जांच में यह बात सामने आयी कि ओकेआईडीबी ने इन सभी शख्सियतों के रिश्तेदारों तक को नहीं छोड़ा। पीएम की पत्नी यशोदाबेन; राष्ट्रपति कोविंद की पत्नी सविता कोविंद; पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की पत्नी गुरशरण कौर और बेटी उपिंदर, दमन, अमृत; सोनिया गांधी के पति राजीव गांधी, बेटा राहुल गांधी, बेटी प्रियंका गांधी वाडेरा; स्मृति ईरानी के पति जुबिन ईऱानी; हरसिमरत कौर के पति सुखबीर बादल, भाई बिक्रम सिंह मजीठिया और पिता सत्यजीत सिंह मजीठिया; अखिलेश यादव के पिता मुलायम सिंह पत्नी डिंपल और पिता आसी रावत और चाचा शिवपाल तथा राम गोपाल सभी पर निगरानी रख रही थी।

झेन्हुआ की सूची में अन्य जिन पूर्व मुख्यमंत्रियों की निगरानी हो रही थी उसमें रमन सिंह, अशोक चह्वाण, सिद्धरमैया के अलावा डीएमके के एम करुणानिधि, बीएसपी के कांशीराम और आरजेडी के लालू प्रसाद यादव शामिल हैं। डाटा बेस में 250 भारतीय नौकरशाहों और राजनयिकों के कलेक्शन हैं। इसमें विदेश सचिव हर्ष वर्धन श्रृंगला, नीति आयोग के चेयरमैन अमिताभ कांत के अलावा 23 पूर्व और मौजूदा मुख्य सचिव भी इसके हिस्से हैं। साथ ही दर्जनों पूर्व और मौजूदा पुलिस चीफ का डाटा भी कंपनी के पास मौजूद है।

इसके अलावा मीडिया को भी कंपनी ने नहीं छोड़ा है। इसमें द हिंदू के एन रवि, जी न्यूज के सुधीर चौधरी, इंडिया टुडे के राजदीप सरदेसाई, पीएम के पूर्व मीडिया सलाहकार संजय बारू और इंडियन एक्सप्रेस के चीफ एडिटर राज कमल झा भी इसमें शरीक हैं।

स्पोर्ट्स और कला क्षेत्र में पूर्व क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर, फिल्म निर्देशक श्याम बेनेगल, क्लासिक डांसर सोनल मानसिंह, अकाल तख्त जत्थेदार गुरबचन सिंह, ढेर सारे विशप, राधे मा, बीबी जागीर कौर और निरंकारी मिशन के हरदेव सिंह शामिल हैं।

कैनबरा में रहने वाले साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट राबर्ट पॉटर का कहना है कि हर देश इस या उस तरह से इस काम को करता है। विदेशी खुफिया एजेंसियों का काम ही यही है। लेकिन विज्ञान और टेक्नॉलाजी के बिग डाटा का इस्तेमाल करके बीजिंग ने इसे दूसरे चरण में पहुंचा दिया है।

(इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट का हिंदी अनुवाद।)

जनचौक से जुड़े

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments

Latest Updates

Latest

वामपंथी हिंसा बनाम राजकीय हिंसा

सुरक्षाबलों ने बस्तर में 29 माओवादियों को मुठभेड़ में मारे जाने का दावा किया है। चुनाव से पहले हुई इस घटना में एक जवान घायल हुआ। इस क्षेत्र में लंबे समय से सक्रिय माओवादी वोटिंग का बहिष्कार कर रहे हैं और हमले करते रहे हैं। सरकार आदिवासी समूहों पर माओवादी का लेबल लगा उन पर अत्याचार कर रही है।

शिवसेना और एनसीपी को तोड़ने के बावजूद महाराष्ट्र में बीजेपी के लिए मुश्किलें बढ़ने वाली हैं

महाराष्ट्र की राजनीति में हालिया उथल-पुथल ने सामाजिक और राजनीतिक संकट को जन्म दिया है। भाजपा ने अपने रणनीतिक आक्रामकता से सहयोगी दलों को सीमित किया और 2014 से महाराष्ट्र में प्रभुत्व स्थापित किया। लोकसभा व राज्य चुनावों में सफलता के बावजूद, रणनीतिक चातुर्य के चलते राज्य में राजनीतिक विभाजन बढ़ा है, जिससे पार्टियों की आंतरिक उलझनें और सामाजिक अस्थिरता अधिक गहरी हो गई है।

केरल में ईवीएम के मॉक ड्रिल के दौरान बीजेपी को अतिरिक्त वोट की मछली चुनाव आयोग के गले में फंसी 

सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय चुनाव आयोग को केरल के कासरगोड में मॉक ड्रिल दौरान ईवीएम में खराबी के चलते भाजपा को गलत तरीके से मिले वोटों की जांच के निर्देश दिए हैं। मामले को प्रशांत भूषण ने उठाया, जिसपर कोर्ट ने विस्तार से सुनवाई की और भविष्य में ईवीएम के साथ किसी भी छेड़छाड़ को रोकने हेतु कदमों की जानकारी मांगी।

Related Articles

वामपंथी हिंसा बनाम राजकीय हिंसा

सुरक्षाबलों ने बस्तर में 29 माओवादियों को मुठभेड़ में मारे जाने का दावा किया है। चुनाव से पहले हुई इस घटना में एक जवान घायल हुआ। इस क्षेत्र में लंबे समय से सक्रिय माओवादी वोटिंग का बहिष्कार कर रहे हैं और हमले करते रहे हैं। सरकार आदिवासी समूहों पर माओवादी का लेबल लगा उन पर अत्याचार कर रही है।

शिवसेना और एनसीपी को तोड़ने के बावजूद महाराष्ट्र में बीजेपी के लिए मुश्किलें बढ़ने वाली हैं

महाराष्ट्र की राजनीति में हालिया उथल-पुथल ने सामाजिक और राजनीतिक संकट को जन्म दिया है। भाजपा ने अपने रणनीतिक आक्रामकता से सहयोगी दलों को सीमित किया और 2014 से महाराष्ट्र में प्रभुत्व स्थापित किया। लोकसभा व राज्य चुनावों में सफलता के बावजूद, रणनीतिक चातुर्य के चलते राज्य में राजनीतिक विभाजन बढ़ा है, जिससे पार्टियों की आंतरिक उलझनें और सामाजिक अस्थिरता अधिक गहरी हो गई है।

केरल में ईवीएम के मॉक ड्रिल के दौरान बीजेपी को अतिरिक्त वोट की मछली चुनाव आयोग के गले में फंसी 

सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय चुनाव आयोग को केरल के कासरगोड में मॉक ड्रिल दौरान ईवीएम में खराबी के चलते भाजपा को गलत तरीके से मिले वोटों की जांच के निर्देश दिए हैं। मामले को प्रशांत भूषण ने उठाया, जिसपर कोर्ट ने विस्तार से सुनवाई की और भविष्य में ईवीएम के साथ किसी भी छेड़छाड़ को रोकने हेतु कदमों की जानकारी मांगी।