राफेल पर फिर घिरी मोदी सरकार, कांग्रेस ने पूछा- पीएम मोदी ने डील से ‘नो-करप्शन’ क्लॉज़ क्यों हटवाया

“मोदी जी ने खुद आगे बढ़कर, निजी तौर पर हस्तक्षेप करके रक्षा मंत्रालय को नज़रअंदाज़ करके “नो-करप्शन” क्लॉज़ हटाया। उपरोक्त बातें मंगलवार को प्रेस कांफ्रेंस में कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा है। कांग्रेस ने नरेंद्र मोदी को कठघरे में खड़ा करते हुये कहा है कि पीएम को जवाब देना चाहिए कि उन्होंने भ्रष्टाचार विरोधी खंड को क्यों निरस्त कर दिया जो रक्षा खरीद प्रक्रिया के अनुसार किसी भी निविदा के लिए एक पूर्व-आवश्यकता है, और यूपीए सरकार द्वारा जारी निविदा के हिस्से थे? फ्रांस की ऑनलाइन खोजी पत्रिका मीडियापार्ट के खुलासे के बाद मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने चौकीदार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भूमिका पर गंभीर सवाल खड़े किये हैं। इस मुद्दे पर कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कल प्रेस कांफ्रेंस करके भाजपा सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुये कहा कि ” मोदी सरकार द्वारा राफेल डील में भ्रष्टाचार, रिश्वत और मिलीभगत को दफनाने के लिए एक “Operation Cover-up”चल रहा है और वह फिर से उजागर भी हो रहा है।

उन्होंने आगे कहा कि जुलाई, 2015 में अंतर-सरकारी समझौते में रक्षा मंत्रालय के जोर देने के बावजूद, सितंबर 2016 में प्रधानमंत्री और मोदी सरकार द्वारा ‘भ्रष्टाचार विरोधी खंड’ को हटाने की मंजूरी क्यों दी गई थी? कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि मोदी जी ने स्वयं हस्तक्षेप करके ‘भ्रष्टाचार विरोधी खंड’ क्यों हटवाया? किसी भी रक्षा सौदे में ‘भ्रष्टाचार विरोधी खंड’ जो होता है वह हमारी ‘रक्षा ख़रीद प्रक्रिया’ का एक महत्वपूर्ण स्तम्भ है?

पवन खेड़ा ने आगे कहा कि 23 अक्टूबर, 2018 को पीएम मोदी की अगुवाई वाली एक समिति ने CBI निदेशक आलोक वर्मा को मध्यरात्रि में तख्तापलट कर हटा दिया, दिल्ली पुलिस के माध्यम से CBI मुख्यालय पर छापा मारा और एम नागेश्वर राव को CBIप्रमुख नियुक्त किया। क्या यही कारण है कि सीबीआई और ईडी ने 11 अक्टूबर, 2018 से आज तक राफेल सौदे में भ्रष्टाचार की जांच से इनकार कर दिया? कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि “मीडियापार्ट ने चौंकाने वाले खुलासे के ताजा सेट में उजागर किया है कि कैसे बिचौलिए सुषेन गुप्ता ने 2015 में भारत के रक्षा मंत्रालय से भारतीय वार्ता दल (INT) से संबंधित गोपनीय दस्तावेजों को भारत के रुख का विवरण देते हुए पकड़ा था”।

कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि भाजपा सरकार राष्ट्रीय सुरक्षा को दांव पर लगा रही है, सुषेन गुप्ता पर छापे के दौरान ईडी को मिले गोपनीय रक्षा दस्तावेजों के बावजूद भी कोई कार्रवाई नहीं करना भाजपाई संलिप्तता को दर्शाता है। भाजपा का तथाकथित राष्ट्रवाद राष्ट्रीय सुरक्षा को दांव पर लगा रहा है।

कांग्रेस ने प्रधानमंत्री मोदी को कठघरे में खड़ा करते हुये कहा है कि “पीएम को जवाब देना चाहिए कि राफेल घोटाले में अपनी भूमिका की जांच का आदेश नहीं देकर उन्होंने सुषेन गुप्ता की रक्षा क्यों की? कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी को जवाब देना चाहिए कि उन्होंने भारतीय वायु सेना से परामर्श किए बिना राफेल विमानों की संख्या को एकतरफा रूप से 126 से घटाकर 36 क्यों कर दिया? कांग्रेस ने कहा है कि पीएम को जवाब देना चाहिए कि उन्होंने भारत में प्रौद्योगिकी हस्तांतरण से इंकार क्यों किया और ऑफसेट अनुबंध के लिए एचएएल को अनिल अंबानी की कंपनी से बदल दिया? कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने प्रेस कांफ्रेंस करके कहा है कि सुषेन गुप्ता एक मिडिलमैन है, इसको डसॉल्ट ने सन 2000 में भाजपा सरकार के दौरान हायर किया था। भाजपा सरकार के दौरान जनवरी 2004 को 2 मिलियन यूरो देता है। यह कोई आरोप नहीं बल्कि तथ्य हैं।

राफेल डील में मोदी ने राष्ट्रीय सुरक्षा को ख़तरे में डाला

कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि भाजपा सरकार ने ‘राष्ट्रीय सुरक्षा’ का बलिदान कर दिया, भारतीय वायु सेना के हितों को ख़तरे में डालकर देश के खजाने को हजारों करोड़ का नुकसान पहुंचाया गया है। मीडियापार्ट ने चौंकाने वाले खुलासे के ताजा सेट में उजागर किया है कि कैसे बिचौलिए सुशेन गुप्ता ने 2015 में भारत के रक्षा मंत्रालय से भारतीय वार्ता दल (INT) से संबंधित गोपनीय दस्तावेजों को भारत के रुख का विवरण देते हुए पकड़ा था। क्या मोदी सरकार में “हाईकमान” के साथ ऐसी कोई बैठक हुई थी? यह राष्ट्रीय सुरक्षा को ख़तरे में डालने, देशद्रोह और आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम के घोर उल्लंघन से कम नहीं है।

ईडी ने घोटाले की जांच के लिए इन सबूतों को आगे क्यों नहीं बढ़ाया? तब मोदी सरकार ने दस्तावेजों को लीक करने वाले राजनीतिक कार्यकारी या रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों, डसॉल्ट के ख़िलाफ़ कार्रवाई क्यों नहीं की? किसने ये गोपनीय कागज़ लीक किए? उन्होंने कहा कि हमारी सीमाओं पर पाक-चीन की धुरी हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए ख़तरा है। एलएसी के पार बुनियादी ढांचे का निर्माण, नई हवाई पट्टियों का निर्माण, मिसाइल आदि गंभीर चिंता का विषय है।

ऑपरेशन कवर अप

कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने राफेल डील पर मोदी को भ्रष्टाचार का मास्टरमाइंड बताते हुये कहा कि पिछले 5 वर्षों से संदिग्ध राफेल डील मामले में प्रत्येक आरोप और पहेली का प्रत्येक टुकड़ा मोदी सरकार में बैठे सत्ता के उच्चतम स्तर तक के लोगों तक जाता है। “ऑपरेशन कवर-अप” में नवीनतम खुलासे से राफेल भ्रष्टाचार को दफ़नाने के लिए मोदी सरकार-सीबीआई-ईडी के बीच संदिग्ध साठगांठ का पता चलता है। उन्होंने सीबीआई, राफेल डील और मोदी सरकार के सारे सूत्र जोड़ते हुये बताया कि 4 अक्टूबर, 2018 को भाजपा के दो पूर्व केंद्रीय मंत्रियों और एक वरिष्ठ वकील ने राफेल सौदे में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार का हवाला देते हुए उस वक़्त के सीबीआई के निदेशक को अपना पूरा हलफ़नामा, शिकायत की एक फाइल सौंपी।

11 अक्टूबर 2018 को मॉरीशस सरकार ने अपने अटॉर्नी जनरल के माध्यम से राफेल सौदे से जुड़े कमीशन के कथित भुगतान के संबंध में सीबीआई को दस्तावेज़ दिए। और 23 अक्टूबर 2018 को पीएम मोदी की अगुवाई वाली एक समिति ने CBIनिदेशक आलोक वर्मा का मध्यरात्रि में तख्तापलट कर हटा दिया, दिल्ली पुलिस के माध्यम से CBI मुख्यालय पर छापा मारा और श्री एम नागेश्वर राव को CBI प्रमुख नियुक्त किया।

प्रेस कांफ्रेंस में मोदी सरकार को कठघरे में खड़ा करते हुये कांग्रेस प्रवक्ता ने मोदी सरकार के समक्ष निम्न सवाल रखे हैं –

1- मोदी सरकार और सीबीआई ने पिछले 36 महीनों से कमीशन और भ्रष्टाचार के सबूतों पर कोई कार्यवाही क्यों नहीं की?
2- इस मामले को क्यों दफनाया गया? मोदी सरकार ने मध्यरात्रि तख्तापलट में सीबीआई प्रमुख को क्यों हटाया?
3- उन्होंने भारतीय वायु सेना से परामर्श किए बिना राफेल विमानों की संख्या को 126 से घटाकर 36 कैसे व क्यों कर दिया?
4- उन्होंने भारत को प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और एचएएल द्वारा राफेल के निर्माण से इंकार क्यों किया?
5- पीएम मोदी ने भ्रष्टाचार विरोधी खंड को क्यों निरस्त कर दिया जो रक्षा ख़रीद प्रक्रिया के अनुसार किसी भी निविदा के लिए बहुत आवश्यक है?
6- राफेल घोटाले में अपनी भूमिका की जांच के आदेश न देकर उन्होंने सुषेन गुप्ता की रक्षा क्यों की?
7- कांग्रेस- यूपीए सरकार ने अंतरराष्ट्रीय टेंडर के बाद 526 करोड़ रुपये में प्रौद्योगिकी हस्तांतरण सहित एक राफेल लड़ाकू विमान खरीदने के लिए बातचीत की थी; मोदी सरकार ने वही राफेल लड़ाकू विमान (बिना किसी निविदा के) ₹1670 करोड़ में ख़रीदा।
8- क्या सरकार जवाब देगी कि हम भारत में प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के बिना उन्हीं 36 विमानों के लिए ₹41,205 करोड़ अतिरिक्त क्यों दे रहे हैं? जब 126 विमानों का लाइव अंतरराष्ट्रीय टेंडर था तो पीएम एकतरफा 36 विमान ‘ऑफ द शेल्फ’ कैसे ख़रीद सकते थे?

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