नई दिल्ली। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने केंद्र सरकार पर एक बार फिर जमकर हमला बोला है। उन्होंने कहा है कि पिछले कुछ समय से हमारे देश को पटरी से उतारने की कोशिश की जा रही है। हमारे लोकतंत्र के सामने नई चुनौतियां खड़ी हुई हैं। आज देश दो रास्ते पर खड़ा है – जनता को एक दूसरे से लड़ा कर राज करने वाली गरीब विरोधी, देश विरोधी ताकतें देश में नफरत और हिंसा का जहर घोल रही हैं। अच्छी सोच पर गलत सोच हावी होती जा रही है। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता खतरे में है।
लोकतान्त्रिक संस्थाएँ ध्वस्त की जा रही हैं और लोकशाही पर तानाशाही का प्रभाव बढ़ रहा है। वो क्या चाहते हैं – वो चाहते हैं – हिंदुस्तान की अवाम, हिंदुस्तान के युवा, हमारे आदिवासी, हमारी महिलाएँ, हमारे किसान, दुकानदार और छोटे व्यापारी, हमारे जवान सभी अपना मुँह बंद रखें। वे देश का मुँह बंद रखना चाहते हैं।
वह छत्तीसगढ़ की विधानसभा के गठन के 20 वर्ष होने पर बनने वाले विधानसभा के नया भवन के शिलान्यास के मौके पर बोल रही थीं। उन्होंने कहा कि विधायिका हमारे लोकतंत्र का सबसे बड़ा स्तंभ है, सबसे अहम स्तंभ है, संसद और विधानसभाएँ हमारे लोकतंत्र के पवित्र मंदिर हैं। इन्हीं मंदिरों में हमारे संविधान की रक्षा होती है, लेकिन याद रखना होगा कि हमारा संविधान भवनों से नहीं, भावनाओं से बचेगा। इन भवनों में दूषित और गलत भावनाओं के प्रवेश को रोकना होगा, तभी हमारा संविधान बचेगा।
वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये इस आयोजन को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि हमने पिछले 7 दशकों में एक बड़ी दूरी तय की है। कई चुनौतियों का सफलतापूर्वक सामना किया है और कई बड़ी समस्याओं से छुटकारा पाया है, लेकिन हम अपने पूर्वजों के सपनों से अभी भी बहुत दूर हैं। आजादी की लड़ाई के दौरान जो प्रण हमने किया था, उसे पूरा करने के लिए अभी भी बहुत कुछ किया जाना बाकी है।
उन्होंने कहा कि दो वर्ष बाद आज़ादी को 75 वर्ष पूरे हो जाएंगे। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, आधुनिक भारत के निर्माता पंडित जवाहर लाल नेहरु, संविधान सभा के अध्यक्ष जी वी मावलंकर और संविधान के रचयिता बाबा साहब अंबेडकर सहित हमारे सारे पूर्वजों ने ये कल्पना भी नहीं की होगी कि आज़ादी के 75 वर्ष बाद हम ऐसे कठिन दौर का सामना करेंगे, जब हमारा लोकतंत्र और संविधान ही खतरे में पड़ जाएगा।
आज हमारे लिए एक महत्वपूर्ण दिन है, जब हम एक नए विधानसभा भवन की बुनियाद रख रहे हैं और यही वह दिन है, जब हम अपने लोकतंत्र की बुनियाद को सुरक्षित रखने की शपथ लें। हम आज शपथ लें कि जब तक हमारे हाथ में सत्ता रहेगी, हम कतार के अंतिम व्यक्ति को भी ध्यान में रखकर फैसले लेंगे।
उन्होंने कहा कि मुझे ये कहते हुए संतोष हो रहा है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ की सरकार के फैसलों से अंतिम व्यक्ति का पूरा ध्यान रखने की कोशिश की जा रही है। 15 वर्ष की लंबी अवधि के बाद छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार बनी है। हमारे तमाम साथियों को शहादत देनी पड़ी। पिछले वर्षों में छत्तीसगढ़ में जो हुआ, वह उदाहरण है कि एक दिशाहीन और विचारहीन सरकार जनहित के बारे में कभी नहीं सोच सकती। छत्तीसगढ़ एक संसाधन संपन्न राज्य है, लेकिन कुशासन ने इस राज्य को देश के सबसे गरीब और सबसे पिछड़े राज्य में तब्दील कर दिया।
उन्होंने कहा कि मुझे प्रसन्नता है कि हमारी सरकार ने सही दिशा में काम करना शुरू किया है। चाहे किसान की कर्ज माफी हो, बस्तर के आदिवासियों की जमीन लौटाना हो, राजीव गांधी किसान न्याय योजना और गोधन न्याय योजना तक का योजना का सफर डेढ़ साल में पूरा करना सराहनीय कदम है। कुपोषण के खिलाफ अभियान से लेकर, हाट बाजार में इलाज और दवा का इंतजाम करने की योजना बनी है। तेंदू पत्ता के मजदूरों को उनकी मेहनत का सही भुगतान हो रहा है। यह खुशी की बात है कि भूपेश बघेल अपने सहयोगियों के साथ छत्तीसगढ़ में समावेशी दृष्टिकोण से लोगों के दिलों को जीत रहे हैं। यही सरकारों का कर्तव्य भी होता है।