Friday, March 29, 2024

हथिनी की मौत पर हंगामा है क्यों बरपा !

अभी जबकि पूरी दुनिया अमेरिका में हुई जॉर्ज फ्लायड की हत्या का शोक मना रही है और जगह-जगह उसके खिलाफ प्रदर्शन हो रहे हैं। भारत में कोविड 19 आंकड़ों का नया रिकार्ड बनाता हुआ आगे बढ़ता जा रहा है। बीमारी ने छह हजार से ज्यादा की जान ले ली है और 900 के आस-पास लोग ट्रेनों की यात्रा और पैदल चलते काल के गाल में समा गए। उसी समय एकाएक केरल में एक हथिनी की मौत का मुद्दा सोशल मीडिया पर ट्रेंड करने लगता है। और फिर उस पर सत्ता के शीर्ष पर बैठे मंत्री और सांसद अपनी प्रतिक्रियाएं देने लगते हैं। किसी जानवर की मौत हो या हत्या दोनों बुरी है। और हथिनी की मौत जिस तरह से हुई है वह निश्चित तौर पर बेहद दुखद और पीड़ादायक है। 

उसके लिए जिम्मेदार लोगों को न केवल सजा मिलनी चाहिए बल्कि आइंदा इस तरह की कोई घटना न घटे सरकार को इसे भी सुनिश्चित करना चाहिए। लेकिन मामला तब और ज्यादा गंभीर एवं संदिग्ध हो जाता है जब हजारों इंसानों की भूख-प्यास और बीमारी से मौतों पर यह तबका चुप रहता है और एकाएक एक जानवर की मौत उसके लिए असहनीय हो जाती है। यह बताता है कि इंसानियत किस हद तक नीचे गिर गयी है और एक तबके को अब केवल अपने निहित स्वार्थ से ही लेना देना है। हथिनी के गर्भवती होने का इस हिस्से को दर्द है। सही है होना भी चाहिए। लेकिन यह संवेदना सीएए मामले में गिरफ्तार सफूरा जरगर के साथ क्यों नहीं जुड़ पाती जो तीन महीने के गर्भ से हैं। चलिए कोई कह सकता है कि उनके खिलाफ केस चल रहा है। लेकिन जब उनको बगैर शादी-शुदा गर्भवती होने का झूठ फैला कर अपमानित और लज्जित करने की कोशिश की जा रही थी तब वह उसके प्रतिकार में क्यों नहीं खड़ा हुआ? बल्कि उल्टे उस दुष्प्रचार का वह साझीदार था।

हथिनी की मौत को भी राजनीतिक एजेंडे के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है। लेकिन उसमें भी पहले के मामलों की तरह हर किस्म के झूठ को शामिल कर लिया गया है। दरअसल कोविड मामले से निपटने का केरल ने जो मॉडल पेश किया है उसको दुनिया के पैमाने पर सराहना मिल रही है। अब यह बात दक्षिणपंथी जमात और मूलत: केंद्र को न उगलते बन रही है और न ही निगलते। क्योंकि इसी देश के भीतर एक सरकार है जो कोविड के मोर्चे पर पूरी तरह से सफल रही जबकि दूसरी तरफ केंद्र की सरकार है जिसका नाकामियों का जनाजा पूरी दुनिया में निकल रहा है। ऐसे में केरल को बदनाम करने के साथ ही देश का ध्यान तमाम सवालों से हटाने के लिए संघ परिवारियों को एक मुद्दा मिल गया और वे उसको लेकर उड़ पड़े।

लेकिन इसमें भी तमाम तरह के झोल हैं। और बाद में जिस तरह से इसको सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश शुरू हो गयी उससे इनकी कथित संवेदनशीलता की कलई खुल गयी। यह घटना मई में 23 तारीख की बतायी जा रही है। और केरल के पलक्कड़ जिले में घटित हुई थी। पहले कुछ शरारती तत्वों का इसके पीछे हाथ बताया जा रहा था। लेकिन अब असली मामला खुलकर सामने आ रहा है। बताया जा रहा है कि इस इलाके के किसान हाथियों से बहुत ज्यादा परेशान रहते हैं। क्योंकि हाथी उनकी फसलों को नष्ट कर देते हैं। लिहाजा उन लोगों ने अनानास के साथ पटाखे रख छोड़े थे। और उसी में एक अनानास के भीतर भी इसको डाल दिया था।

ऐसा इसलिए किया गया था जिससे पटाखों के फूटने से हाथी डर कर भाग जाएं। लेकिन दुर्भाग्य से हथिनी ने उनमें से एक अनानास को खा लिया। यह वही अनानास था जिसमें अंदर पटाखा भरा था। मुंह में डालते ही उसमें भरा पटाखा फूट गया। जिससे दांत टूटने के साथ हथिनी का मुंह भी लहूलुहान हो गया। इसके साथ ही पटाखों का कुछ हिस्सा अंदर पेट में चला गया। जिसके जहर बन जाने से बाद में हथिनी की मौत हो गयी। मामले को सरकार ने गंभीरता से लिया है और उसकी जांच भी बैठा दी है। साथ ही इसमें कुछ लोगों की गिरफ्तारी भी हो चुकी है।

लेकिन संघ परिवारी इस मामले को यहीं तक सीमित नहीं रहने देना चाहते थे। क्योंकि उन्हें भी पता है जब तक किसी मुद्दे को सांप्रदायिक रंग न दिया जाए लाभ होता नहीं है। लिहाजा उसे विश्वसनीय बनाने के लिए पशु प्रेमी मेनका गांधी को लगाया गया। और पिछले तीन महीनों से जा रही बेतहाशा इंसानी जानों पर चुप्पी साधी गांधी को हथिनी का दुख सहन से बाहर हो जाता है। और वह ट्विटर पर आकर सीधे राहुल गांधी पर हमला बोल देती हैं। जबकि यह इलाका न तो राहुल के लोकसभा क्षेत्र वायनाड से जुड़ता है और न ही उनका इससे दूसरा सीधा कोई रिश्ता है। उससे समझा जा सकता है कि मेनका जी हथिनी की मौत से कितनी संवेदित हैं और उनका और उनकी पार्टी की राजनीति उन पर कितनी हावी है।

अपने ट्वीट में उन्होंने पलक्कड़ की जगह वारदात वाला जिला मलप्पुरम बताया है जो अल्पसंख्यक बहुल है। साथ ही इसमें उन्होंने यह भी जोड़ दिया कि यह जिला भीषण आपराधिक गतिविधियों के लिए जाना जाता है। दूसरे केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर हैं। वैसे तो वह सूचना और प्रसारण मंत्री के जिस पद पर बैठे हैं वह देश के मीडिया में किसी भी तरह के झूठ को प्रसारित होने से रोकने और नागरिकों को सही और तथ्यपरक सूचना मुहैया हो इसको सुनिश्चित करने के लिए बनाया गया है। लेकिन यहां गंगोत्री से ही मवाद निकल रही है।

जावड़ेकर साहब ने भी वही मेनका का झूठ अपने ट्विटर पर दोहरा दिया। और हथिनी की मौत को गंभीर बताते हुए घटनास्थल को पलक्कड़ की जगह मलप्पुरम बताया। ये घटनाएं बताती हैं कि केंद्र सरकार सब कुछ घोल कर पी गयी है। और उसके गिरने के लिए अब कोई स्तर नहीं बचा है। राजनीतिक और नैतिक स्तर पर तो यह पहले ही साख खो चुकी थी। अब इसे झूठ और अफवाह से लेकर किसी भी तरह का अपराध करने से कोई गुरेज नहीं है। और हां चलते-चलते एक सूचना देना ही काफी होगा कि चंदन तस्कर और 2000 हाथियों को मारने वाले वीरप्पन की बेटी बीजेपी की सम्मानित सदस्य है।    

(महेंद्र मिश्र जनचौक के संपादक हैं।)

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