जैसे-जैसे चुनाव की तारीख नजदीक आती जा रही है, दिल्ली विधानसभा चुनाव की सरगर्मियां तेज हो रही हैं। हालांकि ठंड का कहर पूरे जनवरी माह तक दिल्ली में बना रहने वाला है और अगले सप्ताह पारा और ज्यादा लुढ़क सकता है। लेकिन आप, बीजेपी और कांग्रेस तीनों के लिए ही यह चुनाव कहीं न कहीं काफी अहमियत रखता है।
आम आदमी पार्टी (आप) के लिए तो यह अस्तित्व का सवाल है, क्योंकि पार्टी का जन्म ही दिल्ली में शीला दीक्षित की 15 वर्ष की सरकार को अपदस्थ कर हुआ था, जिसने पार्टी और संयोजक अरविंद केजरीवाल को राष्ट्रीय परिदृश्य पर लाने का काम किया था।
दो महीने पहले तक आप और भाजपा के लिए दिल्ली का चुनाव खुला हुआ था। लेकिन आज के हालात देखते हुए कहा जा सकता है कि बाजी धीरे-धीरे बीजेपी के हाथ से खिसकती जा रही है।
हरियाणा और महाराष्ट्र की जीत से आश्वस्त भाजपा के राष्ट्रीय नेतृत्व ने दिल्ली चुनाव के लिए पहले चरण में निश्चित रूप से रणनीतिक तैयारी की थी, जिसमें दिल्ली के झुग्गी-झोपड़ी वालों को 1,675 मकान की सौगात और दिल्ली-मेरठ रेपिड मेट्रो लाइन मुख्य आकर्षण का केंद्र थे।
ऐसा लगा कि भाजपा ने पिछले तीन चुनावों से आख़िरकार यह सबक सीख लिया है कि दिल्ली का रण जीतने के लिए उसे अपने वोट बेस (32-38%) में कम से कम 5-6% प्रतिशत का इजाफ़ा करना ही होगा।
पिछले 11 वर्षों से भाजपा ने दिल्ली में फ्री बिजली, पानी, शिक्षा और स्वास्थ्य को फ्री की रेवड़ी और दिल्लीवासियों को भिखारी बनाने के नाम पर जमकर खिल्ली उड़ाई थी।
लेकिन कोविड महामारी के बाद जब पूरे देश को ही फ्री राशन के सहारे जिंदा रखने की नौबत आ गई, जिसे चाहकर भी केंद्र सरकार हटा पाने में खुद को असमर्थ पा रही है, तो उसके लिए अब दिल्ली में हाशिये पर रहते हुए आप पार्टी का मखौल उड़ाते रहना व्यर्थ लगना स्वाभाविक था।
ऊपर से पिछले दो वर्षों का रिकॉर्ड देखिये तो मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और अब महाराष्ट्र में महिला सम्मान या लड़की बहन स्कीम को मोदी की गारंटी बताकर भाजपा सीधे महिलाओं को प्रति माह 1000 रूपये से लेकर 2100 रूपये देने के वादे पर ही सरकार बना पाने में सफल रही है।
इसलिए भाजपा ने दिल्ली चुनाव में अपने वोट शेयर को बढ़ाने, आप पार्टी के वोट शेयर में छेद करने के मकसद से महिला और झुग्गी-झोपड़ी के मतदाताओं पर केंद्रित किया। लेकिन लगता है आम आदमी पार्टी की छापामार रणनीति की काट उसके पास अभी भी नहीं है।
न्यूज़ चैनलों पर बीजेपी की मजबूत पकड़ का लाभ उठाते हुए भाजपा ने झुग्गीवासियों के लिए आवास के मुद्दे को सबसे प्रमुख मुद्दा बनाने की रणनीति अपनाई। पार्टी के कार्यकर्ताओं को दिल्ली की सभी विधानसभाओं के झुग्गीवासियों को अशोक विहार में गरीबों को आवंटित किये गये मकानों का दीदार कराने का कार्यभार सौंपा गया।
बीजेपी की योजना थी कि इस एक कदम से वह यह साबित करने में कामयाब हो सकती है कि पिछले दस वर्षों में केजरीवाल ने सिर्फ कोरी हवाबाजी के अलावा गरीबों के लिए कोई काम नहीं किया है, जबकि पीएम मोदी ने एक झटके में दिल्ली के झुग्गीवासियों के लिए अपना पक्का मकान और सम्मान के साथ जीने का रास्ता खोल दिया है। इसे भुनाकर न सिर्फ शहरी गरीबों बल्कि मध्यवर्गीय दिल्ली वासियों की नजरों में भी चढ़ा जा सकता है।
इस मामले में आम आदमी पार्टी ने पहले तो खामोशी अख्तियार की। लेकिन पिछले दो-तीन दिनों से उसने पलटवार करना शुरू कर दिया है। बता दें कि दिल्ली सरकार के पास भूमि सहित कई महत्वपूर्ण विभाग नहीं हैं। दिल्ली में डीडीए एलजी के अधिकार क्षेत्र में आता है।
पिछले 5 वर्षों में देखें तो दिल्ली में आये दिन विभिन्न इलाकों में झुग्गीवासियों की बस्तियों को अनधिकृत बताकर बुलडोज करने का काम डीडीए की ओर से किया गया है। यह बात आमतौर पर दिल्लीवासियों को तो पता है, लेकिन मीडिया के नैरेटिव का दबाव इतना अधिक होने की वजह से मतदाता की चेतना को कुंद करना पिछले दस वर्षों में काफी आसान रहा है।
लेकिन बीजेपी शायद यह भूल गई कि उसका मुकाबला कांग्रेस जैसे ढीले-ढाले राजनीतिक संगठन से नहीं बल्कि उसी से राजनीति का ककहरा सीख कर उसे ही टोपी पहनाने वाली पार्टी से है।
अरविंद केजरीवाल ने अपनी खास शैली में कल 20 विधानसभा में हार-जीत का फैसला करने वाले झुग्गी-झोपड़ी के मतदाताओं को यह कहकर सोचने के लिए मजबूर कर दिया कि पिछले वर्षों में भाजपा के आदेश पर डीडीए ने जिन-जिन झुग्गी-झोपड़ियों को जमींदोज किया है, और उनके खिलाफ अदालत में मुकदमे चल रहे हैं, उसे वापस ले।
इसके अलावा यदि गृह मंत्री अमित शाह 24 घंटे के भीतर शपथ पत्र देकर यह वादा करते हैं कि इन सभी झुग्गीवासियों को उनकी झुग्गियों के स्थान पर ही सरकार आवास बनाकर देने जा रही है तो वे 5 फरवरी के चुनाव से अपना नाम वापस ले लेंगे।
अब इसका जवाब तो भाजपा क्या केंद्र सरकार तक के पास नहीं है। दिल्ली में पिछले वर्षों के दौरान झुग्गी-झोपड़ियों को बुलडोज करने की एक नहीं दर्जनों घटनाएं देखने को मिली हैं। उधर शकूरबस्ती मामले पर दिल्ली के उपराज्यपाल के कूदने से मामला गरमा गया है।
कल एक बयान में एलजी वी के सक्सेना का कहना था, “आज अरविंद केजरीवाल शकूरबस्ती की झुग्गियों के नजदीक गए। वहां उन्होंने शकूर बस्ती को लेकर जो बयान दिया, वह पूरी तरह से झूठ है।
27 दिसंबर की DDA की बैठक का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि एलजी ने इस जमीन (शकूर बस्ती की जमीन) का लैंड यूज बदल दिया है। DDA ने न तो इस बस्ती का लैंड यूज बदला है और न ही DDA ने कोई बेदखली या तोड़फोड़ का नोटिस दिया है।
केजरीवाल जानबूझकर झूठ बोल रहे हैं और लोगों को गुमराह कर रहे हैं। 27 दिसंबर को DDA की बैठक में केजरीवाल जी के दो विधायक मौजूद थे। मेरी उनको सलाह है कि वो तत्काल प्रभाव से इस विषय पर झूठ बोलना बंद करें वरना DDA उनके खिलाफ कार्रवाई करेगा।”
इसके जवाब में आज सोमवार को मुख्यमंत्री आतिशी सिंह ने कहा, “कल शाम को एलजी साहब ने बयान जारी किया कि अरविंद केजरीवाल झूठ बोल रहे हैं, लेकिन दस्तावेज बिल्कुल साफ हैं। डीडीए की बैठक हुई, लैंड यूज बदला गया, तो यह बिल्कुल साफ है कि भाजपा का झूठ पकड़ा गया है।
भाजपा नेता झुग्गियों में जाते हैं, वहां के लोगों के साथ खाना खाते हैं, बच्चों के साथ कैरम खेलते हैं और कुछ महीने बाद वे सारी झुग्गियां तोड़ देते हैं।”
इसकी कुछ मिसालें इस प्रकार से हैं: इंडियन एक्सप्रेस ने 25 मार्च 2011 की अपनी रिपोर्ट में बताया है कि दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) ने पिछले दो दिनों में पटेल नगर के पास गायत्री कॉलोनी में 600 झुग्गियों को ध्वस्त कर दिया।
डीडीए के एक वरिष्ठ अधिकारी ने अख़बार को बताया, “बुधवार को 300 झुग्गियों को ध्वस्त किया गया, उसके बाद गुरुवार को भी 300 झुग्गियों को ध्वस्त किया गया और हमारी योजना और भी झुग्गियों को ध्वस्त करने की है। हालांकि, गुरुवार को दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश के बाद आगे और झुग्गियों को ध्वस्त करने पर रोक लगा दी गई है।”
इसी प्रकार लाइव लॉ की 28 जून 2022 की रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली उच्च न्यायालय ने हजरत निजामुद्दीन के ग्यासपुर इलाके में झुग्गी-झोपड़ियों को ध्वस्त करने के दिल्ली विकास प्राधिकरण के प्रस्ताव पर यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया है। न्यायमूर्ति नीना बंसल कृष्णा की अवकाश पीठ ने यहां के निवासियों द्वारा दायर याचिका पर अंतरिम राहत प्रदान की।
एक अन्य अख़बार ने 26 सितंबर 2020 की अपनी रिपोर्ट में बताया है कि दक्षिण दिल्ली में बटला हाउस धोबी घाट के पीछे यमुना नदी के बाढ़ क्षेत्र में स्थित झुग्गी बस्ती में 300 से ज़्यादा झुग्गियां हटा दिए जाने से सैकड़ों गरीब लोग, जिनमें ज़्यादातर दिहाड़ी मज़दूर और घरेलू नौकर हैं, बिना छत के रह गए हैं।
दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) की अतिक्रमण विरोधी शाखा ने गुरुवार को झुग्गियों को हटा दिया। डीडीए केंद्र सरकार के अधीन आता है।
अंग्रेजी दैनिक द हिंदू की 11 फरवरी, 2023 की रिपोर्ट कहती है कि दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) ने शुक्रवार को पुलिस की मौजूदगी में शहर के महरौली इलाके में तोड़फोड़ अभियान चलाया, जिसका स्थानीय निवासियों और आप पार्टी के नेताओं ने कड़ा विरोध किया।
जबकि इसके एक दिन पहले 10 फरवरी, 2023 को पीटीआई के मुताबिक, दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को अधिकारियों को महरौली में एक झुग्गी बस्ती की 400 झुग्गियों पर यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश दिया, जिन्हें दिन के दौरान ध्वस्त किया जाना था।
उच्च न्यायालय ने मामले की अगली सुनवाई 14 फरवरी को तय की है, जिसमें कहा गया है कि वकील ने कहा कि झुग्गियों को ढहाने के लिए कोई भी व्यक्ति जिम्मेदार नहीं है।
एक और रिपोर्ट में कहा गया है, दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) ने पिछले दो दिनों में पटेल नगर के पास गायत्री कॉलोनी में 600 झुग्गियां गिरा दी हैं। बुधवार को 300 झुग्गियां गिराई गईं, उसके बाद गुरुवार को भी 300 झुग्गियां गिराई गईं और हमारी योजना और भी झुग्गियां गिराने की है।
ऐसा जान पड़ता है कि अरविंद केजरीवाल ने जानबूझकर इस मुद्दे पर पहले चुप्पी साधे रखी, चूंकि पार्टी को पहले से पता था कि बीजेपी उनके ट्रैप में खुद वोटों के लालच में फंस रही है। और जब बीजेपी ने इसे अपना सबसे बड़ा मुद्दा बनाकर प्रचार शुरू किया तो खुद को दांव पर लगाकर भाजपा के मुद्दे की हवा निकाल दी है।
भाजपा अब जितना इस मुद्दे को तूल देगी, उतना ही आप पार्टी की ओर से झुग्गीवासियों के बीच भय का वातावरण बनाया जायेगा कि रात्रि विश्राम करने वाली भाजपा यदि सरकार बनाने में सफल रही तो सबसे पहले आप सभी की झुग्गियां तोड़ी जाएंगी। आप पार्टी ने अभी से कहना भी शुरू कर दिया है कि बीजेपी को जिताने का मतलब होगा गरीबों का आत्महत्या करना।
वोटर लिस्ट में धांधली: बीजेपी के सांसद और केंद्रीय मंत्री तक सवालों के घेरे में
जिस मुद्दे पर कांग्रेस हरियाणा और महाराष्ट्र चुनाव हारकर अभी तक समीक्षा कर रही है, उससे सीख लेकर अरविंद केजरीवाल की पार्टी चुनाव की घोषणा से एक माह पहले से सक्रिय है।
मतदाताओं के लिए वायदों की झड़ी के अलावा, निष्पक्ष चुनाव की गारंटी और मताधिकार की रक्षा का सवाल भी मतदाताओं को आपके पक्ष में गोलबंद कर सकता है, यह बात कांग्रेस को अभी तक समझ नहीं आई लेकिन 12 साल से राजनीति में कदम रखने वाली आप इसे बेहद मंझे अंदाज में इस्तेमाल कर रही है।
इसकी सबसे ज्यादा मार नई दिल्ली में भाजपा के उम्मीदवार और पूर्व सांसद, प्रवेश वर्मा के हिस्से में आ रही है। इसी सीट से अरविंद केजरीवाल विधायक हैं। इसी विधानसभा में प्रवेश वर्मा के घर पर क्षेत्र की महिलाओं को 1100 रुपये दिए जाने के वीडियो सार्वजनिक हुए थे। आम आदमी पार्टी ने इसकी शिकायत चुनाव आयोग से की थी।
लेकिन आप सांसद संजय सिंह ने पिछले दिनों एक नया धमाका यह किया है कि भाजपा के दर्जनों सासंदों और मंत्रियों के आवास के पते पर चुनाव आयोग के सामने 20 से लेकर 36 की संख्या में मतदाताओं के नाम जोड़ने की अर्जी दी गई है। यह मामला बेहद संगीन है, जिसके बारे में आज 3 बजे दोपहर अरविंद केजरीवाल और टीम ने चुनाव आयोग के साथ मुलाक़ात की।
इसे विडंबना ही कहा जा सकता है कि हरियाणा और महाराष्ट्र में चुनाव से संबंधित तमाम धांधलियों, महाराष्ट्र के तमाम गांवों में चुनाव प्रक्रिया के खिलाफ विरोध, मशाल जुलूस और यहां तक कि mock-polling की पहल के बावजूद कांग्रेस-एनसीपी-शिवसेना(उद्धव) के गठबंधन ने जनता का साथ देना गंवारा नहीं किया। नतीजा, आज महाविकास अघाड़ी टूट के कगार पर है।
वहीं, दिल्ली में चुनाव बाद शिकायत और बिसुरने के बजाय आम आदमी पार्टी ने रंगे हाथों बीजेपी की धांधलियों का पर्दाफाश करने, चुनाव आयोग, बीएलओ स्तर पर भाजपा के पन्ना-प्रमुख की कारगुजारियों पर चाबुक चलाने की जो पहल ली है, उसे देश अवाक होकर देख रहा है।
जैसे-जैसे चुनावों की तारीख नजदीक आती जाएगी, दोनों ही खेमों से नए-नए आक्रामक हमलों की बौछार और जवाबी कार्रवाई देखने को मिलेगी। इस बीच कल शाम कांग्रेस नेता, राहुल गांधी ने सीलमपुर विधानसभा से दिल्ली चुनाव में हुंकार भरा है।
कांग्रेस ने इस बार कई पुराने वरिष्ठ नेताओं को मुकाबले में खड़ा कर मजबूत दावेदारी का मन बनाया है, लेकिन जिस प्रकार से मुकाबला मोदी बनाम केजरीवाल होता जा रहा है, उसमें कांग्रेस को वोट देने वाला मतदाता भी अपने वोट की बर्बादी नहीं चाहेगा।
हालांकि दिल्ली चुनाव के लिए कांग्रेस ने अब तक 4 गारंटियों का ऐलान किया है और आगे और भी गारंटियों के ऐलान का दावा किया जा रहा है। इसमें पहला है प्यारी दीदी योजना, जिसके तहत दिल्ली की महिलाओं को 2500 रुपये की आर्थिक मदद दी जाएगी।
दूसरा है जीवन रक्षा योजना – जिसके तहत दिल्ली के सभी नागरिकों को 25 लाख रुपये का मुफ्त इलाज और स्वास्थ्य बीमा मिलेगा।
तीसरा है युवा उड़ान योजना: जिसके तहत दिल्ली के बेरोजगार युवाओं को एक साल तक हर महीने 8500 रुपये की आर्थिक मदद दी जाएगी।
चौथी गारंटी है महाकुंभ की तर्ज पर दिल्ली में छठ पर्व मनाया जायेगा।
(रविंद्र पटवाल जनचौक की संपादकीय टीम के सदस्य है।)
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