Tuesday, April 16, 2024

दिल्ली पुलिस पर भरोसा नहीं! 5 दलों के नेताओं ने राष्ट्रपति से मिलकर की दंगों की न्यायिक जांच की मांग

पांच राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों ने भारत के राष्ट्रपति से मिलकर उनसे दिल्ली दंगों की न्यायिक जांच कराने की मांग की है। ये पांच पार्टियां हैं- कांग्रेस, सीपीआई, सीपीआईएम, राजद और डीएमके। इन पार्टियों के प्रतिनिधि सीताराम येचुरी, डी राजा, अहमद पटेल, मनोज कुमार झा, कनिमोझी ने राष्ट्रपति से दिल्ली दंगों की  न्यायिक जांच कराने का अनुरोध करते हुए आरोप लगाया कि दिल्ली पुलिस की जांच सही रास्ते पर नहीं जा रही है। 

जो दंगे में खुद शामिल रहे वही जांचकर्ता हैं

गृहमंत्रालय के अधीन काम करने वाली दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच की स्पेशल सेल और नार्थ ईस्ट थानों की स्थानीय पुलिस दिल्ली दंगों की मुख्य जांचकर्ता हैं। दंगों के दौरान के कई वीडियो सामने आए हैं, साथ ही कई पीड़ितों ने भी दिल्ली पुलिस को दंगों में शामिल होने की बात कही है, इनके दंगों में शामिल होने के सबूत हैं बावजूद इसके स्थानीय पुलिस सह-जांचकर्ता है। जो खुद दंगे में शामिल रहा है वो जांच करेगा तो किसे आरोपी बनाएगा जाहिर है दूसरे पक्ष को। तभी तो भाजपा नेता कपिल मिश्रा जिसने दंगा भड़काया और रागिनी तिवारी जिसने दंगों के वक्त प्रभावित इलाकों में रहकर दंगाइयों को मारने काटने के लिए उकसाया उसके खिलाफ़ कई सबूत, कई वीडियो होने के बावजूद दिल्ली पुलिस ने उनसे पूछताछ तक करने की ज़रूरत नहीं महसूस की। 

सीएए-एनआरसी विरोधियों को दिल्ली पुलिस दंगाई घोषित कर दे रही है

गृह मंत्रालय के अधीन काम करने वाली दिल्ली पुलिस सीएए एनआरसी विरोध का समर्थन करने वालों के नाम दिल्ली दंगों को भड़काने और साजिशकर्ताओं में जोड़ दे रही हैं।

अभी चार दिन पहले उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों के सिलसिले में दाखिल एक पूरक आरोप-पत्र में माकपा महासचिव सीताराम येचुरी, स्वराज अभियान के योगेंद्र यादव, अर्थशास्त्री जयति घोष और दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अपूर्वानंद को नामजद किया गया है और उन पर संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शनों को भड़काने का आरोप लगाया गया है।

यही नहीं दिल्ली पुलिस द्वारा एफआईआर नंबर के तहत 59/2020 उमर खालिद, समेत कई एक्टिविस्टों को गिरफ़्तार किया गया। ये एफआईआर 6 मार्च को दर्ज़ करवाई थी दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच के नार्कोटिक्स सेल के एसआई अरविंद कुमार ने। कांग्रेस की पूर्व पार्षद इशरत जहां, सफाउर रहमान, सफूरा जरगर, पिंजड़ा तोड़ संस्थापक और जेएनयू छात्र नताशा नरवाल और देवांगना कलिता समेत 14 लोगों को इस एफआईआर के तहत यूएपीए लगाकर गिरफ्तार किया गया है। 

एसएन श्री वास्तव दिल्ली पुलिस कमिश्नर के मुताबिक़ 751 कुल एफआईआर दर्ज़ हुई हैं। 410 एफआईआर मुस्लिम समुदाय की ओर से और 190 एफआईआर हिंदू समुदाय की ओर से दर्ज़ करवाए गए हैं। जबकि दिल्ली पुलिस की डेली डायरी से एफआईआर दर्ज़ हुए। कुल 1400 लोग गिरफ़्तार हुए हैं। 

270 लोगों ने मुख्यमंत्री केजरीवाल को पत्र लिखकर दिल्ली दंगों की न्यायिक जांच कराने के लिए कहा था 

29 जुलाई को दिल्ली के करीब 270 हस्तियों ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को पत्र लिख कर इस साल फरवरी में हुए सांप्रदायिक दंगे की एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश से ‘स्वतंत्र जांच’ कराने की मांग की थी। इन लोगों ने आरोप लगाया था कि दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग की अनुशंसा के विपरीत दिल्ली पुलिस ‘मनगढ़ंत’ जांच कर रही है।

केजरीवाल को लिखे पत्र में कहा गया है, ‘‘हम यह पत्र उपयुक्त सेवानिवृत्त न्यायाधीश के नेतृत्व में स्वतंत्र और समयबद्ध जांच का अनुरोध करने के लिए लिख रहे हैं। जांच के दायरे में हिंसा के सभी पहलू शामिल होने चाहिए।” इस पत्र पर हस्ताक्षर करने वालों में वरिष्ठ पत्रकार एचके दुआ, मृणाल पांडे, पूर्ववर्ती योजना आयोग सदस्य सइदा हमीद, अंबेडकर विश्वविद्यालय के कुलपति श्याम मेनन, कार्यकर्ता अग्निवेश अवकाश प्राप्त एयर वाइस मार्शल एनआई रज्जाकी, पूर्व विदेश सचिव मुचकुंद दुबे, राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व अध्यक्ष वजाहत हबीबुल्ला, माकपा नेता बृंदा करात, सामाजिक कार्यकर्ता हर्ष मंदर प्रमुख हैं। उन्होंने कहा कि यह पत्र दिल्ली पुलिस द्वारा उत्तर पूर्व दिल्ली में हुई सांप्रदायिक हिंसा की एकतरफा, अन्यायपूर्ण बनावटी जांच के प्रति निराशा और चिंता प्रकट करने के लिए लिखा गया है।

(जनचौक के विशेष संवाददाता सुशील मानव की रिपोर्ट।)

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