Saturday, April 20, 2024

दिल्ली बनी ‘कोरोना कैपिटल’, वाम दलों ने सौंपा केजरीवाल को मांग पत्र

नई दिल्ली। राजधानी दिल्ली अब कोरोना की भी कैपिटल बनती जा रही है। स्वास्थ्य का हर संसाधन भी नाकाफी साबित हो रहा है। और कोरोना महामारी है कि दिन दुगुनी और रात चौगुनी की गति से बढ़ती जा रही है। बताया जा रहा है कि रविवार को लगातार तीसरे दिन राजधानी में 3000 से ज्यादा कोरोना संक्रमण के मामले सामने आए। इस तरह से तमिलनाडु से आगे निकलकर दिल्ली दूसरे नंबर पर आ गयी है। पहले नंबर पर अभी भी मुंबई चल रही है। दिल्ली में इस समय कोरोना के 59746 मामले हैं। इनमें 18564 पिछले एक सप्ताह में दर्ज किए गए हैं। तमिलनाडु जो तीसरे स्थान पर चला गया है उसमें कोरोना के 59377 मामले हैं।

जबकि महाराष्ट्र में यह संख्या 1.32 लाख पहुंच चुकी है। इस तरह से दिल्ली मुंबई के लक्ष्य को पाने की तरफ बहुत तेजी से अग्रसर है। इसके उलट मुंबई में जहां अब तक 66500 मामले थे। धीरे-धीरे संक्रमण की रफ्तार वहां धीमी पड़ रही है। पिछले एक हफ्ते में वहां केवल 8000 मामले सामने आए जबकि दल्ली में यह आंकड़ा 18000 का है।

हालांकि चेन्नई भी बहुत पीछे नहीं है। वहां इस समय 41172 कोरोना के मरीज हैं। इस तरह से इन शहरों को अगर एक साथ जोड़ लिया जाए तो यह पूरे देश के कोरोना संक्रमण का 40 फीसदी हो जाता है। भारत में इस समय कोरोना संक्रमण के कुल 4.25 लाख मामले हैं। हालांकि इनमें 2.27 लाख ठीक हो चुके हैं।

पिछले एक सप्ताह में कोरोना के देश में कुल 90 हजार मामले सामने आए। इस तरह से सप्ताह दर सप्ताह अगर मामलों की तुलना की जाए तो अगला सप्ताह अपने पिछले सप्ताह के संक्रमण के मामले में बहुत आगे खड़ा है। 7 से 14 जून के बीच संक्रमण के 75000 मामले थे जबकि उसके पहले सप्ताह में यह आंकड़ा 66000 का था।

राजधानी में संक्रमण की इन गंभीर स्थितियों को राजनीतिक दलों ने महसूस करना शुरू कर दिया है। हालांकि मुख्य विपक्षी दल तो अभी चुप हैं। लेकिन छोटी वामपंथी पार्टियों ने इस दिशा में पहल कर दी है। और उन्होंने केजरीवाल सरकार से तत्काल बड़े स्तर पर पहल कर संक्रमण को काबू करने और स्वास्थ्य से जुड़ी तमाम सुविधाओं के विस्तार के साथ ही लोगों को हर तरीके से सहायता करने की अपील की है। उन्होंने इस दिशा में ठोस पहल करते हुए एक मांग पत्र सौंपा है और 30 जून तक उसके न पूरा होने पर सड़क पर उतरने की चेतावनी दी है। सीपीएम, सीपीआई, सीपीआई (एमएल), फारवर्ड ब्लॉक, आरएसपी और सीजीपीआई की ओर से दिए गए इस पत्र में कई बेहद अहम मांगें रखी गयी हैं।

इनमें सबसे प्रमुख है कोरोना की जांच को बिल्कुल नि:शुल्क करना। साथ ही पीड़ितों के इलाज के सारे खर्चे को सरकार से अपने हाथ में लेनी की बात कही गयी है। वाम दलों का कहना है कि जिस तरह से दिल्ली में संक्रमण की रफ्तार है उसके हिसाब से उसे अभी से 80 हजार बेड के एक अलग अस्पताल की व्यवस्था शुरू कर देनी चाहिए। साथ ही दिल्ली के अस्पतालों में जुलाई तक मौजूदा संख्या के मुकाबले उससे चार गुना ज्यादा वेंटिलेटर उपलब्ध करा दिए जाने चाहिए।

इसके साथ ही जिस तरह से पूरी अर्थव्यवस्था ठप हो गयी है और लोगों की नौकरियां चली गयी हैं उनमें वाम दलों ने एक अहम सुझाव दिया है। उनका कहना है कि अगले छह माह तक हर परिवार को 7500 हजार रुपये मुहैया कराए जाएं। इसके अलावा गांवों की तर्ज पर शहरों में भी मनरेगा जैसी कोई रोजगार योजना को शुरू किए जाने की उन्होंने मांग की है। लॉक डाउन की अवधि का वेतन मजदूरों और कर्मचारियों को दिए जाने की मांग वाम दलों ने एक बार फिर उठायी है। इसके अलावा बेरोजगार युवक-युवतियों को उन्होंने 5000 रुपये वेतन देने की जरूरत बतायी है। इसी तरह की कुछ और बेहद महत्वपूर्ण मांगें उन्होंने की है।

(कुछ इनपुट इंडियन एक्सप्रेस से लिए गए हैं।)

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