Friday, March 24, 2023

लोकतंत्र बचाओ-देश बचाओ रैली में दीपंकर बोले-फासीवाद से लड़ने के लिए एकजुट हो विपक्ष

Janchowk
Follow us:

ज़रूर पढ़े

पटना। बुधवार को पूरा पटना शहर लाल झंडे से पट गया। बुधवार को ऐतिहासिक गांधी मैदान में भाकपा (माले) की “लोकतंत्र बचाओ-देश बचाओ” रैली में जनसैलाब उमड़ पड़ा। रैली को संबोधित करते हुए भारत की कम्युनिस्ट पार्टी- मार्क्सवादी-लेनिनवादी के राष्ट्रीय महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा “ बिहार गरीबों का प्रदेश है और लोकतंत्र की जरूरत गरीबों को ही पड़ती है। ऐसे में बिहार की राजधानी पटना में जुटी यह भीड़ पूरे देश को संदेश दे रही है कि संविधान पर हमला करने वाली और नफरत की राजनीति करने वाली ताकतों के खिलाफ आवाज उठ चुकी है। भाजपा अगर चुनाव के लिए हर समय तैयार रहती है तो वामपंथी दलों को भी रहना होगा। विपक्षी एकता के लिए वामपंथी दलों की कार्ययोजना इस तरह तैयार करनी होगी कि आगामी चुनाव में देश से नरेंद्र मोदी सरकार को उखाड़ फेंका जा सके।”

दीपंकर ने कहा कि रैली के बाद 16 से 20 जनवरी तक पटना में पार्टी का महाधिवेशन होगा, जिसमें विपक्षी और वामपंथी एकता के लिए बात कर कार्ययोजना तैयार की जाएगाी। देश को विभाजनकारी ताकतों से बचाने के लिए यह वक्त की जरूरत है।

Shaheed Smarak
गांधी मैदान में स्थित शहीद स्मारक

भाकपा-माले महासचिव ने विपक्षी एकता की आह्वान करते हुए देश को नरेंद्र मोदी सरकार से मुक्ति दिलाने की अपील की। साथ ही उन्होंने कहा कि 25 फरवरी को पूर्णिया में होने वाली महागठबंधन की जनसभा में जरूर पहुंचें।

लोकतंत्र बचाओ-देश बचाओ रैली की झलकियां

1. भाकपा (माले) महासचिव कामरेड दीपंकर भट्टाचार्य राज्य सचिव कुणाल, पोलित ब्यूरो सदस्य कार्तिक पाल और केंद्रीय कमिटी सदस्य सन्तोष सहर के साथ 11.45 बजे गांधी मैदान पहुंचे। वहां पहुंचते ही उन्होंने मंच की बाईं ओर बनाई गई शहीद वेदी पर पुष्पांजलि की। शहीद वेदी को चारों तरफ पिछले वर्षों दिवंगत हुए पार्टी नेताओं- बिहार के पूर्व राज्य सचिव का. रामजतन शर्मा व का. पवन शर्मा, तमिलनाडु राज्य सचिव का. एनके नटराजन, समकालीन लोकयुद्ध के पूर्व सम्पादक का. बीबी पांडेय, बिहार के वरिष्ठ कम्युनिस्ट नेता का. रामदेव वर्मा और का. प्रो. अरविंद कुमार सिंह की तस्वीरों को भी लगाया गया था। डी एरिया समेत पूरे मैदान को झंडों से सजाया गया था।

Rally

2. रैली में सीमांचल के जिलों-पूर्णिया, अररिया, कटिहार, किशनगंज से कल रात से ही लोगों के आने का तांता लगा रहा। इनमें महिलाओं की भी काफी संख्या शामिल थी। तीर-धनुष के साथ परंपरागत वेश भूषा में हजारों की तादाद में वे गांधी मैदान पहुंचे थे। भाकपा (माले) महासचिव का. दीपंकर ने आगामी 25 फरवरी को पूर्णिया में होनेवाली महागठबंधन की रैली में भारी तादाद में शामिल होने की जब अपील की तो उन्होंने तालियों से स्वागत किया।

3. रैली मंच पर 10 बजे से ही सांस्कृतिक कार्यक्रम शुरू हो गए थे। इसमें आंध्र प्रदेश, प.बंगाल, असम, कार्बी आंग लांग, झारखण्ड और बिहार की सांस्कृतिक टीमों ने गीत व नृत्य प्रस्तुत किए। रैली में शामिल होने दूर-दराज से ये लोगों ने बीच-बीच में तालियां बजाकर उनका उत्साह बढ़ाया। भाकपा (माले) केंद्रीय कमेटी के सदस्य बलिन्द्र सैकिया, हिरावल पटना के संतोष झा व अनिल अंशुमन ने इस कार्यक्रम को पेश किया।

4. मंच के ठीक सामने सिर पर सफेद टोपियां लगाए बैठे उत्प्रेरक संघ के सैकड़ों सदस्य अलग से दिखाई दे रहे थे। भाकपा (माले) के युवा विधायक सन्दीप सौरभ ने जब रोजगार के सवाल पर मोदी सरकार को आड़े हाथों लिया तो उन्होंने जोरदार नारा लगाया।

5. रैली में आशा, रसोइया, स्कीम वर्करों, पटना के ई रिक्शा चालकों व फुटपाथ दुकानदारों की भी इस बार व्यापक भागीदारी दिखी।

6. गया के वरिष्ठ अधिवक्ता फैयाज हाली और कैमूर जिले के पूर्व मुख्यिा सतीश यादव ने आज रैली के मंच से भाकपा-माले की सदस्यता ग्रहण करने की घोषणा की। माले महासचिव का. दीपंकर भट्टाचार्य ने उनसे हाथ मिलाकर पार्टी में उनका स्वागत किया।

7. भाकपा-माले महासचिव का. दीपंकर भट्टाचार्य ने जब पार्टी के पूर्व महासचिव का. विनोद मिश्र के चर्चित कथन – हम फिर मिलेंगे साथियों संघर्ष के मैदानों में – से अपने वक्तव्य की शुरूआत की, तो कई मिनटों तक गांधी मैदान लाल सलाम और शहीदों के सपनों का भारत बनाने के नारे के साथ गुंजता रहा।

8. रैली के मंच पर मार्क्सवादी समन्वय समिति के का. हलधर महतो, लाल निशान पार्टी (लेनिनवादी) के भीमराव बंसोड व विजय कुलकर्णी, सोशलिस्ट पार्टी आफ बांग्लादेश के बजरूल रसिक फिरोज व सैफुल हक (महासचिव, विप्लवी वर्कर्स पार्टी, बांग्लादेश), आस्ट्रेलिया के सोशलिस्ट एलाएंस के सैमुअल वेनराइट आदि उपस्थित थे।

Gandhi Maidan

रैली के राजनीतिक प्रस्ताव

1. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के चहेते अडानी पर हिंडनबर्ग की रिपोर्ट ने उस कड़वे सच को बेनकाब किया है, जिसे पूरा देश देख और समझ रहा था। भाजपा को देश की सत्ता में बनाए रखने के लिए काॅरपोरेटों ने पहले पानी की तरह पैसा बहाया और फिर बदले में भाजपा एक के बाद एक नीतिगत बदलाव करके देश के कीमती प्राकृतिक संसाधनों तथा रेल, सेल, बैंक, बीमा सहित सार्वजनिक क्षेत्रों को उनके हवाले करती गई। यही वजह है कि 2014 में पूंजीपतियों की ग्लोबल लिस्ट में 609 वें पोजिशन पर खड़ा अडानी ग्रुप हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के आने के पहले तक भयानक धोखाधड़ी करके तीसरे नंबर पर पहुंच गया था। अडानी के पतन के बाद आम शेयरधारकों की चिंता व उनकी जवाबदेही लेने से बचते हुए नरेन्द्र मोदी ने चुप्पी साध रखी है। गांधी मैदान की यह रैली इस बात का उद्घोष है कि इस देश में अब मोदी-अडानी गठजोड़ नहीं चलेगा। रैली के माध्यम से हम अडानी ग्रुप पर कार्रवाई करने तथा विपक्ष द्वारा जेपीसी जांच की उठाई गई मांग का समर्थन करते हैं।

2. एक ओर चरम काॅरपोरेट लूट तो दूसरी ओर राज्य संरक्षित हिंसा व दमन के जरिए लोकतंत्र व संविधान को कुचल देने की हर रोज नई साजिशें  जारी हैं और ‘देश’ के नाम पर ‘देश की जनता’ के ही बड़े हिस्से को निशाना बनाया जा रहा है। दरअसल, कॉर्पोरेट लूट व फासीवादी हमला एक दूसरे से गहरे जुड़े हुए हैं। केन्द्र और कई राज्यों में सत्ता पर काबिज होने के बाद भाजपा-आरएसएस द्वारा शासन के समूचे तंत्र व संस्थाओं पर अपनी मजबूत जकड़ में ले लेने की यह फासीवादी प्रवृत्ति लगातार बढ़ती ही जा रही है। भारतीय मार्का फासीवाद के इस उभार को रोकना आज सभी लोकतंत्र व देशभक्त नागरिकों की साझा चिंता का सबब बन गया है। बिहार की सत्ता से भाजपा की बेदखली एक स्वागतयोग्य कदम है लेकिन भाजपा-आरएसएस जैसी ताकतों को राज व समाज दोनों जगह से बेदखल करना होगा। यह रैली फासीवादी गिरोहों को मुकम्मल तौर पर पीछे धकेलने तथा देश के संविधान में घोषित प्रतिबद्धताओं-संप्रभुता, लोकतंत्र, समाजवाद व धर्मनिरपेक्ष गणतंत्र-की रक्षा के लिए संघर्ष को तेज करने का संकल्प लेती है तथा 2024 के आम चुनाव में देश की सत्ता से मोदी सरकार को उखाड़ फेंकने का आह्वान करती है।

CPI ML Rally 1

3. वैश्विक असमानता रिपोर्ट ने देश में बढ़ती गरीबी व असामनता की खाई को एक बार फिर से उजागर किया है। मोदी राज में ग्लोबल हंगर सूचकांक में भी भारत सबसे दयनीय देशों की सूची में शामिल हो गया है। महंगाई, बेरोजगारी व कर्ज के दबाव में सामूहिक आत्महत्याओं का सिलसिला हर जगह तेज हुआ है। शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा घोर अराजकता व बदहाली की चरम अवस्था तक पहुंचती जा रही है। इन ज्वलंत सवालों की जगह मोदी सरकार के मंत्री और संघ-भाजपा के नेता सांप्रदायिक विभाजन की मुहिम चला रहे हैं और इसके खिलाफ उठने वाली आवाजों का दमन कर रहे हैं। यह रैली नफरत और दमन की लगातार जारी इस मुहिम की घोर निंदा करते हुए देश में बढ़ती कमरतोड़ महंगाई पर रोक लगाने, बेरोजगारी दूर करने तथा शिक्षा और स्वास्थ्य के सवालों पर जनांदोलन तेज करने का आह्वान करती है।

4. हाल के केंद्रीय बजट में भारत में बढ़ती असमानता को दूर करने के लिए काॅरपोरटों पर टैक्स बढ़ाने व वेल्थ टैक्स लगाने तथा आम लोगों को राहत देने के बदले मनरेगा सहित सामाजिक सुरक्षा मदों और उर्वरकों पर जारी सब्सिडी में की गई भारी कटौती महंगाई-बेरोजगारी की मार झेल रही देश की जनता के साथ एक और क्रूर मजाक है। यह रैली बजट 2023 के प्रति अपने आक्रोश को जाहिर करते हुए आम जनता के लिए राहत के उपायों के प्रावधान की मांग करती है।

5. रैली उच्चतम न्यायालय द्वारा उच्च जातियों के लिए 10 प्रतिशत इडब्लूएस आरक्षण और मोदी सरकार द्वारा खुले दिल से किये गये इसके अनुमोदन का पुरजोर विरोध करती है। यह संविधान की मूल भावना के साथ छेड़छाड़ है। दूसरी ओर दलितों-पिछड़ों के आरक्षण में लगातार कटौती किसी न किसी रूप में लगातार जारी है। आज की रैली असंवैधानिक 10 प्रतिशत इडब्लूएस आरक्षण को रद्द करने तथा दलितों-पिछड़ो के आरक्षण के दायरे को बढ़ाने की मांग करती है।

CPI ML Rally 2

6. आज की गांधी मैदान की रैली मोदी राज के पिछले 8 वर्षों के दौरान देश के विभिन्न हिस्सों में कई तरह के कठोर कानूनों के तहत और फर्जी तरीके से अभियुक्त बनाये गये और जेल में डाल दिये गये सभी राजनीतिक कार्यकर्ताओं, पत्रकारों और बुद्धिजीवियों की अविलंब रिहाई की मांग करती है।

7. भाजपा बिहार में विगत कई वर्ष सरकार में रही है और उसने सरकारी संस्थानों व नीतियों को बुरी तरह से प्रभावित किया है। भाजपाई फासीवादी शासन की संस्कृति का बिहार के शासन तंत्र पर जबरदस्त असर अब भी है। भाजपाई बुलडोजर की तर्ज पर दलितों के घरों को बिना नोटिस उजाड़ देना, आंदोलनकारियों पर मुकदमा दर्ज करना और गिरफ्तार करना जैसी भाजपाई संस्कृति अब भी जारी हैं। यह रैली राज्य सरकार से ऐसे मामलों पर तत्काल रोक लगाने, दोषी अधिकारियों पर कठोर कार्रवाई करने और बिना वैकल्पिक व्यवस्था के गरीबों को नहीं उजाड़ने की सरकारी घोषणा को जमीन पर लागू करने की अपनी मांग फिर से दुहराती है।

8. भाजपा-आरएसएस के इशारे पर एनआइए बिहार में लगातार मुस्लिम समुदाय के लोगों को प्रताड़ित व अपमानित करने के काम में लगी हुई है। रैली बिहार की महागठबंधन की सरकार से एनआइए की ऐसी असंवैधानिक कार्रवाइयों पर रोक लगाने की मांग करती है।

CPI ML Rally 3

9. बिहार में कई गुना ज्यादा राशि वाला बिजली बिल भुगतान न करने की वजह से सैकड़ों दलित-गरीब बस्तियों के घरों का बिजली कनेक्शन काटे जाने और उपभोक्ताओं पर मुकदमा दर्ज करने की घटनायें लगातार सामने आ रही हैं। यह रैली राज्य सरकार से इस पर अविलंब रोक लगाने, राज्य की बिजली कंपनियों पर नकेल कसने और उनके निगरानी की व्यवस्था कायम करने की मंाग करती है।

10. राज्य में महिलाओं-दलितों के ऊपर लगातार बढ़ रही हिंसा की घटनाएं बेहद चिंताजनक हैं। गरीबों पर हमला करनेवाले भाजपा संरक्षित गिरोहों को स्थानीय शासन प्रशासन का सह भी हासिल है। यह रैली राज्य सरकार से दलित-गरीबों और महिलाओं पर हिंसा व हमले की बढ़ती घटनाओं पर रोक लगाने, दोषियों पर कार्रवाई करने तथा भाजपा संरक्षित-अपराधी गिरोहों के खिलाफ कठोर कदम उठाने की मांग करती है।

11. यह रैली आशा, रसोइया, आंगनबाड़ी सेविका-सहायिका को जीने लायक मासिक मानदेय देने के प्रति मोदी सरकार की उदासीनता और विश्वासघात की पुरजोर भर्त्सना करती है। कोरोना काल में उत्कृष्ट भूमिका के बावजूद हालिया बजट में किसी तरह का बजटीय प्रावधान का नहीं होना सरकार के मजदूर विरोधी रवैया को एक बार फिर से जाहिर करता है। रैली केंद्र सरकार से मांग करती है कि देश के लाखों स्कीम वर्कर्स जिसमें नब्बे फीसदी से ज्यादा महिलाएं हैं, को न्यूनतम 21 हजार मासिक मानदेय और सेवा के नियमितिकरण के न्यायोचित मांग को अविलंब पूरा करे। इसके साथ ही बिहार सरकार द्वारा राज्य में कार्यरत इन स्कीम वर्कर्स के प्रति बरती जा रही उपेक्षापूर्ण नीति के प्रति यह रैली नाराजगी जाहिर करती है और महागठबंधन के घोषणापत्र के आलोक में तमाम स्कीम वर्कर्स को को राहत देने, ताकि इस भीषण महंगाई में स्कीम वर्कर्स अपने परिवारों का भरण-पोषण कर सकें, की मांग करती है।

CPI ML Rally

12. यह रैली विश्वविद्यालयों और प्लस टू विद्यालयों में में कार्यरत अतिथि शिक्षकों के समायोजन, लंबित शिक्षक बहाली को अविलंब शुरू करने, बहाली की प्रक्रिया को पारदर्शी व सुगम बनाने तथा विश्वविद्यालयों के शैक्षणिक माहौल को ठीक करने व सत्र के नियमितीकरण, भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के साथ-साथ संबद्ध महाविद्यालयों में दशकों से कार्यरत शिक्षक व शिक्षकेत्तर कर्मचारियों को अतिथि शिक्षक को मिलने वाली न्यूनतम राशि देने की गारंटी की मांग करती है ताकि साक्षर भारत के सपने को पूरा किया जा सके।

13. शिक्षा के बाजारीकरण को बढ़ावा देने वाली नई शिक्षा नीति 2020 को वापस लेने, समान स्कूल प्रणाली लागू करने तथा सरकारी विद्यालयों की गुणवत्ता सुधारने; शिक्षा विभाग के तहत जारी स्कीमों में कार्यरत कर्मियों को सम्मानजनक वेतन व नियमितीकरण और साथ ही, शिक्षा विभाग में बरसों तक अपनी सेवा देने वाले हजारों शिक्षा प्रेरकों की पुनबर्हाली की मांग करती है।

14. यह रैली एमएसपी पर केंद्र सरकार के विश्वासघात और खाद उपलब्धता सुनिश्चत करने में उसकी विफलता की तीखी भर्त्सना करते हुए एमएसपी आधारित सभी फसलों की खरीद की गारंटी को लेकर मुकम्मल कानून बनाने की मांग करती है। रैली बिहार में एपीएमसी ऐक्ट की पुनबर्हाली की मांग को फिर से दुहराती है तथा अन्य राज्यों की भांति किसानों को कृषि कार्यों के लिए फ्री बिजली देने की मांग करती है।

15. यह रैली टाडा और शराबबंदी कानून के तहत जेल में बंद लोगों की रिहाई और भाकपा-माले नेताओं व विधायकों पर आंदोलनों के दौरान दर्ज किए गए फर्जी मुकदमों को वापस लेने की मांग करती है।

जनचौक से जुड़े

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of

guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments

Latest News

भारत में मानवाधिकार के हालात पर अमेरिका की वार्षिक रिपोर्ट, मनमानी गिरफ्तारियों और बुलडोजर न्याय पर सवाल

अमेरिकी विदेश विभाग की 2022 में भारत में मानवाधिकार की स्थिति पर जारी एक वार्षिक रिपोर्ट में मनमानी गिरफ़्तारियों,...

सम्बंधित ख़बरें