Thursday, April 25, 2024

साक्षात्कार: बिहार में बंद हो जाएंगी विभाजनकारी राजनीति करने वालों की दुकानें- तेजस्वी यादव

पटना। बिहार विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता व महागठबंधन की तरफ से मुख्यमंत्री के चेहरे तेजस्वी यादव का कहना है कि बिहार का चुनाव इस बार रोजगार व विकास के सवाल पर हो रहा है। लोगों ने सत्ता बदलने का मन बना लिया है। इस बार विभाजनकारी राजनीति करने वालों की दुकान बिहार में बंद हो जाएगी।

मौजूदा राजनीतिक स्थिति व चुनाव में महागठबंधन की भागीदारी समेत विभिन्न सवालों पर जनचौक के लिए स्वतंत्र पत्रकार जितेंद्र उपाध्याय ने तेजस्वी यादव से विस्तार से वार्ता की। पेश है बातचीत का प्रमुख अंश:

जितेंद्र: आपकी चुनावी सभाओं में भारी संख्या में लोग जुट रहे हैं। इसे एक नए नेतृत्व की चाहत के रूप में विश्लेषक देख रहे हैं, आप इसे कैसे देखते हैं? आखिर इतनी बड़ी संख्या में लोग आपकी सभाओं में किस उम्मीद एवं सपने  के साथ आ रहे हैं?

तेजस्वी: पिछले पंद्रह सालों में नीतीश कुमार ने बिहार का बेड़ा गर्क कर दिया है। हर जगह त्राहिमाम है। हर जगह भ्रष्टाचार, अपराध का बोल-बाला है। बेरोज़गारी चरम पर है, सरकार को आम जनता की कोई फिक्र नहीं है। नीतीश जी को सिर्फ अपनी कुर्सी की चिंता है। हम लोगों के हितों की बात कर रहे हैं, कैसे बेरोज़गारी दूर करने के लिए 10 लाख स्थायी नौकरी देंगे उसकी बात रख रहे, कैसे स्वास्थ्य सुविधाओं को दुरुस्त करेंगे उसकी बात कर रहे, शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए अपना विजन रख रहे, नियोजित शिक्षकों, आंगनवाड़ी सेविकाओं, आशा दीदियों और अन्य संविदाकर्मियों को नियमित करने की बात कर रहे। मैं समझता हूँ कि मेरी आशावादी राजनीति में बिहार की महान जनता ने विश्वास जता कर अपना आशीर्वाद देने का मन बना लिया है।

जितेंद्र: कहा जा रहा है कि आपकी सभाओं में कुछ खास सामाजिक समुदायों के लोग ही ज्यादा आ रहे हैं, मतदाताओं का एक बड़ा हिस्सा चुप-चाप अपने घरों पर बैठा है, जो अभी अनिर्णय की स्थिति में है। आप इसे किस रूप में देख रहे हैं?

तेजस्वी: देखिये नीतीश कुमार के खिलाफ़ ज़बरदस्त आक्रोश किसी वर्ग व समुदाय तक सीमित नहीं रह गया है। उन्होंने पिछले पंद्रह वर्षों तक एक काल्पनिक भय का वातावरण बना कर लोगों को ठगा है। मैं जन सरोकार के मुद्दों की बात कर रहा हूं और उनका समाधान करने का वादा कर रहा हूँ। आज जो भी समस्याएँ हैं वो सभी के लिए हैं। महागठबंधन को सभी वर्गों का प्यार और समर्थन मिल रहा है और चुनावी नतीजे चौंकाने वाले होंगे।

जितेंद्र: यह भी कहा जा रहा है कि जनसभाओं में भीड़ जुटना एक बात है और भीड़ का वोट में तब्दील होना दूसरी बात है, आपकी क्या राय है?

तेजस्वी: मैं अपनी चुनावी सभाओं में लोगों का उत्साह जिस तरह से देख रहा हूँ, बदलाव की फ़िज़ा बिल्कुल साफ़ है। ये बिल्कुल तय है कि अगली सरकार महागठबंधन की होगी।

जितेंद्र: कहा जा रहा है कि आप मंडल के दौर के राजनीतिक एजेंडों को छोड़कर बिहार के सभी सामाजिक समुदायों-वर्गों को संबोधित कर रहे हैं, जिसे ए टू जेड नाम दिया जा रहा है। चुनाव की रणनीति में इस बदलाव की वजह क्या है? या यह सिर्फ आपकी तात्कालिक कार्यनीति है?

तेजस्वी: देखिये ये सामाजिक न्याय का विस्तारीकरण है। सशक्तिकरण के साथ उन्नति हमारा उद्देश्य है। हम चाहते हैं कि समावेशी राजनीति हो जिसमें हर वर्ग का उचित प्रतिनिधित्व और सम्मान हो और इसके लिए हम प्रतिबद्ध हैं।

जितेंद्र: बार-बार आपको राजद के पिछले कार्यकाल की नाकामियों-असफलाताओं के लिए घेरने की कोशिश की जा रही है, स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी उसी को टारगेट कर रहे हैं, आप उसका जवाब किस रूप में देना चाहते हैं?

तेजस्वी: नीतीश जी या मोदी जी के पास उनके पंद्रह वर्षों के शासनकाल में कोई ऐसी उपलब्धि है ही नहीं जिसे वो जनता को बता सकें। नकारात्मक राजनीति उनको मुबारक, जनता इस बार इस खोखले राजनीति का जवाब देने को तैयार है। विडंबना देखिए पिछले पंद्रह वर्षों से सत्ता में नीतीश जी हैं लेकिन अपनी नाकामियों का ठीकरा तीस साल पहले की सरकार पर फोड़ना चाहते हैं।

जितेंद्र: एक तरह से आपने बिहार की चुनाव की राजनीति के एजेंडे को रोजगार और विकास के इर्द-गिर्द केंद्रित कर दिया है। आपने विरोधियों को भी अपने एजेंडे के इर्द-गिर्द ही बात करने को बाध्य कर दिया है, लेकिन प्रश्न यह है कि बिहार के विकास और रोजगार सृजन का रोड मैप क्या है? यह प्रश्न आपके विरोधी भी पूछ रहे हैं?

तेजस्वी: मैं बिल्कुल साफ़ सुथरी और जन सरोकार के मुद्दों की राजनीति करने आया हूँ। मुझे साढ़े छह करोड़ बिहारी भाइयों की चिंता है। आज सबसे ज्यादा बेरोज़गारी दर 46.6 प्रतिशत बिहार में है। इससे ज्वलंत मुद्दा कोई है ही नहीं। वर्षों से लगभग साढ़े चार लाख रिक्तियां नहीं भरी गई हैं, आबादी के अनुसार सुचारू रूप से विभागीय कामकाज चलाने के लिए साढ़े पाँच लाख पदों का सृजन करने की तत्काल आवश्यकता है। हम इस पर बहुत पहले से काम कर रहे हैं और सरकार बनने के उपरांत पहली कैबिनेट बैठक में पहली कलम से 10 लाख नौकरियों की बहाली  प्रक्रिया शुरू करने के लिये दस्तख़त करूंगा।

जितेंद्र: रोजगार के लिए विवश होकर पलायन बिहार की सबसे बड़ी समस्या है। इस स्थिति को आप कैसे बदलेंगे, क्या आपके पास कोई कार्य योजना है?

तेजस्वी: हाँ बिल्कुल पलायन एक गंभीर समस्या है और हम इसको रोकने के लिए व्यापक कार्ययोजना तैयार किए हैं। ये 10 लाख नौकरियां, नए कल-कारखाने, खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों तथा अन्य कृषि आधारित उद्योगों को लगाने का काम करेंगे जिससे की बिहार में ही रोज़गार व स्वरोजगार के लाखों अवसर उत्पन्न होंगे। एक बार सरकार बनने दीजिए इन सब समस्याओं का निदान हो जायेगा।

जितेंद्र: जाति-धर्म के इर्द-गिर्द ध्रुवीकृत बिहार की राजनीति के चक्रव्यूह को तोड़ने के लिए आपने रोजगार के प्रश्न को केंद्रीय मुद्दा बना दिया है, क्या यह मुद्दा ग्रामीण आम मतदाताओं को भी आपकी ओर खींच पाएगा?

तेजस्वी: हमने आज तक ऐसी राजनीति नहीं की। सामाजिक सद्भावना और भाईचारा हमारी विचारधारा है। आसमानी मुद्दों से हटकर असली मुद्दों पर हम इस चुनाव में लोगों के बीच जा रहे। बेरोज़गारी सारी समस्याओं की जननी है। इसके निवारण से ग़रीबी हटेगी, अर्थव्यवस्था सुदृढ़ होगी, अपराध कम होगा। आम जनता ने मेरे इस मिशन में साथ देने का मन बना लिया है। बेरोजगारी एक ऐसी मर्ज़ है जिससे आज बिहार का हर परिवार ग्रसित है तो स्वाभाविक है यही केंद्रीय मुद्दा होगा।

जितेंद्र: कहा जा रहा है कि महागठबंधन में कांग्रेस कमजोर पड़ रही है। इसमें कितनी सच्चाई है, आपका आकलन क्या है?

तेजस्वी: महागठबंधन के सभी दल एकजुट हैं और सभी दल मजबूती से चुनाव लड़ रहें हैं। 

जितेंद्र: यदि महागठबंधन बहुमत प्राप्त करके सरकार बनाता है, तो आपकी प्राथमिकताएं क्या होंगी? आप कैसे बिहार को एक बीमारू राज्य की जगह समृद्ध एवं विकसित राज्य में तब्दील करेंगे?

तेजस्वी: हमारी प्राथमिकता बेरोज़गारी हटाना है, बेहतर स्वास्थ्य सुविधा देना है, गुणवत्ता शिक्षा देना है, भ्रष्टाचार मुक्त शासन प्रणाली विकसित करना है, आधारभूत संरचनाओं को विकसित करना है, कल-कारखाने लगाना है । जिससे कि अगले पाँच सालों में बिहार देश के अग्रणी राज्यों में शामिल हो जाए। विशेषज्ञों के परामर्श से हमने एक रोड मैप तैयार किया है। जिस पर सरकार बनते ही युद्ध स्तर पर काम किया जाएगा।

जितेंद्र: वामपंथियों के साथ बनाया गया गठबंधन किस रूप में आपको फायदा पहुंचा रहा है?

तेजस्वी: गठबंधन निजी फ़ायदा या नुकसान को देखकर नहीं बनाया गया है। समान विचारधाराओं का समागम है हमारा महागठबंधन।

जितेंद्र: क्या अभी भी आपको लगता है कि बीजेपी चुनाव में सांप्रदायिक ध्रुवीकरण करने का प्रयास कर सकती है? और अगर ऐसा होता है तो आपके पास उसकी क्या काट है?

तेजस्वी: उनके पास यही घिसे पिटे हथकंडे हैं जिसे लोगों ने इस बार पूरी तरह से नकार दिया है। जनता उनसे रोज़गार पर सवाल पूछ रही है जिससे वो भाग रहे हैं और ऐसी विभाजनकारी राजनीति करने वालों की दुकान बिहार में बंद हो जाएगी।

जितेंद्र: जनचौक से बात करने के लिए बहुत-बहुत शुक्रिया तेजस्वी जी।

तेजस्वी: आपका भी धन्यवाद।

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