Saturday, April 20, 2024

हाथरस कांड: एफएसएल रिपोर्ट पर सवाल उठाने वाले अलीगढ़ अस्पताल के दोनों डॉक्टर बर्खास्त

नई दिल्ली। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज के उस डॉक्टर को बर्खास्त कर दिया गया है जिसने हाथरस गैंगरेप मामले में कहा था कि एफएसएल की रिपोर्ट का कोई मूल्य नहीं है। मेडिकल आफिसर के खिलाफ यह कार्रवाई मंगलवार को की गयी है।

अज़ीम मलिक के अलावा एक और चिकित्सक ओबैद हक को भी अस्पताल द्वारा एक उसी तरह का पत्र जारी किया गया है। डॉ. हक ने ही महिला की मेडिको लीगल केस रिपोर्ट पर हस्ताक्षर किया था।

इसके पहले एफएसएल रिपोर्ट का हवाला देते हुए यूपी के एडीजी (लॉ एंड ऑर्डर) प्रशांत कुमार ने एक प्रेस कांफ्रेंस में कहा था कि 19 वर्षीय दलित महिला के साथ बलात्कार नहीं हुआ था।

हालांकि डॉ. मलिक ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया था कि “एफएसएल के लिए सैंपल महिला के साथ बलात्कार की घटना के 11 दिन बाद इकट्ठा किया गया था। जबकि सरकार की गाइडलाइन के मुताबिक किसी भी कीमत पर घटना के 96 घंटे के भीतर फोरेंसिक प्रमाण हासिल कर लिया जाना चाहिए। यह रिपोर्ट घटना में बलात्कार की पुष्टि नहीं कर सकती है।”

कल सुबह डॉ. मलिक और डॉ. हक ने प्रभारी सीएमओ डॉ. एसएएच जैदी द्वारा हस्ताक्षरित पत्र हासिल किया जिसमें कहा गया था कि “जैसा कि माननीय उप कुलपति प्रोफेसर तारिक मंसूर ने टेलीफोन पर 20.10.2020 को 11.14 सुबह निर्देशित किया है, आपको सूचित किया जाता है कि जेएनएमसीएच के इमरजेंसी और ट्रौमा के मेडिकल आफिसर पद पर आपकी नियुक्ति को तत्काल प्रभाव से रद्द किया जाता है। इसलिए आप से आगे ड्यूटी नहीं करने का निवेदन किया जाता है।”

इंडियन एक्सप्रेस ने जब एएमयू प्रशासन से संपर्क किया तो उसने कहा कि “प्रशासन ने हाथरस की घटना से संबंधित किसी भी डॉक्टर को निलंबित नहीं किया है। दो महीने पहले रिक्तियां थीं क्योंकि मौजूदा सीएमओ छुट्टी पर थे। उनमें से कुछ कोविड संक्रमण के शिकार थे। वहां इमरजेंसी थी और दो डॉक्टरों- डॉ. मलिक और डॉ. हक- को केवल इन ‘छुट्टी की रिक्तियों’ को भरने के लिए नियुक्त किया गया था। अब सीएमओ वापस आ गए हैं और वहां कोई लीव वैकेंसी नहीं हैं। इसलिए उनकी सेवाओं की कोई जरूरत नहीं है।”

बाद में शाम को एएमयू प्रशासन ने कहा कि “यह हमारे नोटिस में आया है कि डॉक्टर फैसले से खुश नहीं हैं। हम उनकी शिकायतों पर ध्यान दे रहे हैं और उन्हें अस्पताल में कहीं और समायोजित किया जा सकता है।”

मास कम्यूनिकेशन डिपार्टमेंट की प्रोफेसर और पब्लिक रिलेशन इंचार्ज टीम की सदस्य शैफी किदवई ने कहा कि “विश्वविद्यालय ने हाथरस घटना के संदर्भ में मीडिया को इंटरव्यू देने के लिए विश्वविद्यालय ने किसी डॉक्टर को निलंबित नहीं किया है। दो डॉक्टर लीव वैकेंसी पर काम कर रहे थे और उनका कार्यकाल 8 अक्तूबर को पूरा हो गया था लेकिन डॉक्टर अस्पताल आते रहे और उन्होंने कुछ मेडिको लीगल केसों पर हस्ताक्षर भी किए। इस तरह से अगर सीएमओ उनके एक्सटेंशन की संस्तुति देते हैं तो विश्वविद्यालय उस पर विचार कर सकता है।”

डॉ. हक ने बताया कि “मुझे आखिरी बार अगस्त में वेतन मिला था। हम लोगों को इसलिए रखा गया था क्योंकि हमारे वरिष्ठ स्वस्थ नहीं थे। उस समय हम लोगों से तत्काल ज्वाइन करने के लिए कहा गया था। मैंने अपनी मास्टर डिग्री एएमयू से ली है और ग्रेजुएशन भी यहीं से किया है। महामारी के दौरान हमने काम किया और अपने जीवन को पूरे खतरे में डाला और अब उन लोगों ने हम लोगों को बर्खास्त कर दिया है क्योंकि डॉ. मलिक ने मीडिया से बात कर ली। और उनका मानना है कि हम लोगों ने सूचनाएं लीक कीं। मैं अभी भी इस बात को लेकर निश्चित नहीं हूं कि मुझे क्यों निशाना बनाया जा रहा है। तीन दिन पहले मुझे पता चला कि मेरी नियुक्ति रद्द कर दी जाएगी। इसके बारे में अभी भी हमें उप कुलपति की तरफ से कोई लिखित बयान नहीं मिला है।…..यह दुखद है। हमने कुछ भी गलत नहीं किया था।”

डॉ. मलिक से जब एक्सप्रेस ने संपर्क किया तो उन्होंने भी कहा कि उन्हें पिछले महीने का वेतन नहीं दिया गया और वरिष्ठों से उन्हें मीडिया के सामने अपना व्यक्तिगत विचार रखने के लिए डांट भी मिली।

उन्होंने कहा कि “पहले मुझे डांट मिली थी लेकिन उन्होंने कुछ किया नहीं। सितंबर के आखिरी में मैंने अपने सेवा विस्तार के लिए आवेदन दिया था लेकिन उन्होंने एक महीने बाद उसको खारिज कर दिया। हम अब बर्खास्त कर दिए गए हैं और उन्होंने उसका कोई कारण भी नहीं बताया है।”

इंडियन एक्सप्रेस ने जब उप कुलपति तारिक और चीफ मेडिकल आफिसर डॉ. शाहिद अली सिद्दीकी से बात करने की कोशिश के लिए काल किया तो उन्होंने फोन नहीं उठाया। इसके साथ ही उन लोगों ने टेक्स्ट मेसेज का भी कोई जवाब नहीं दिया। अस्पताल के एक वरिष्ठ डॉक्टर ने बताया कि औपचारिकताएं पूरी करने के बाद दोनों डाक्टरों को उनका वेतन मिल जाएगा।

हाथरस की दलित बच्ची को बलात्कार की घटना के बाद यहीं भर्ती कराया गया था। गौरतलब है कि उसके गांव के चार सवर्ण युवकों ने उसके साथ न केवल बलात्कार किया था बल्कि उसकी जीभ भी काट ली थी। इसके साथ ही रीढ़ की हड्डी तोड़ने के जरिये उसे मारने की कोशिश भी की थी। घटना 14 सितंबर को हुई थी और फिर उसे 22 सितंबर को गंभीर हालत में एमएमयू के इसी अस्पताल में भर्ती कराया गया था जहां से बाद में उसे दिल्ली स्थित सफदरजंग अस्पताल में रेफर कर दिया गया था। और फिर उसकी वहां 29 सितंबर को मौत हो गयी थी।

(जनचौक डेस्क पर बनी रिपोर्ट।)

जनचौक से जुड़े

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments

Latest Updates

Latest

अपरेंटिसशिप गारंटी योजना भारतीय युवाओं के लिए वाकई गेम-चेंजर साबित होने जा रही है

भारत में पिछले चार दशकों से उठाए जा रहे मुद्दों में बेरोजगारी 2024 में प्रमुख समस्या के रूप में सबकी नजरों में है। विपक्षी दल कांग्रेस युवाओं के रोजगार पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, वहीं भाजपा के संकल्प पत्र में ठोस नीतिगत घोषणाएँ नहीं हैं। कांग्रेस हर शिक्षित बेरोजगार युवा को एक वर्ष की अपरेंटिसशिप और 1 लाख रूपये प्रदान करने का प्रस्ताव रख रही है।

ग्राउंड रिपोर्ट: रोजी-रोटी, भूख, सड़क और बिजली-पानी राजनांदगांव के अहम मुद्दे, भूपेश बघेल पड़ रहे हैं बीजेपी प्रत्याशी पर भारी

राजनांदगांव की लोकसभा सीट पर 2024 के चुनाव में पूर्व सीएम भूपेश बघेल और वर्तमान सांसद संतोष पांडेय के बीच मुकाबला दिलचस्प माना जा रहा है। मतदाता सड़क, पानी, स्वास्थ्य, महंगाई और बेरोजगारी के मुद्दों को प्रमुखता दे रहे हैं, जबकि युवा बेरोजगारी और रोजगार वादों की असफलता से नाराज हैं। ग्रामीण विकासपरक कार्यों के अभाव पर चिंता व्यक्त कर रहे हैं।

वामपंथी हिंसा बनाम राजकीय हिंसा

सुरक्षाबलों ने बस्तर में 29 माओवादियों को मुठभेड़ में मारे जाने का दावा किया है। चुनाव से पहले हुई इस घटना में एक जवान घायल हुआ। इस क्षेत्र में लंबे समय से सक्रिय माओवादी वोटिंग का बहिष्कार कर रहे हैं और हमले करते रहे हैं। सरकार आदिवासी समूहों पर माओवादी का लेबल लगा उन पर अत्याचार कर रही है।

Related Articles

अपरेंटिसशिप गारंटी योजना भारतीय युवाओं के लिए वाकई गेम-चेंजर साबित होने जा रही है

भारत में पिछले चार दशकों से उठाए जा रहे मुद्दों में बेरोजगारी 2024 में प्रमुख समस्या के रूप में सबकी नजरों में है। विपक्षी दल कांग्रेस युवाओं के रोजगार पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, वहीं भाजपा के संकल्प पत्र में ठोस नीतिगत घोषणाएँ नहीं हैं। कांग्रेस हर शिक्षित बेरोजगार युवा को एक वर्ष की अपरेंटिसशिप और 1 लाख रूपये प्रदान करने का प्रस्ताव रख रही है।

ग्राउंड रिपोर्ट: रोजी-रोटी, भूख, सड़क और बिजली-पानी राजनांदगांव के अहम मुद्दे, भूपेश बघेल पड़ रहे हैं बीजेपी प्रत्याशी पर भारी

राजनांदगांव की लोकसभा सीट पर 2024 के चुनाव में पूर्व सीएम भूपेश बघेल और वर्तमान सांसद संतोष पांडेय के बीच मुकाबला दिलचस्प माना जा रहा है। मतदाता सड़क, पानी, स्वास्थ्य, महंगाई और बेरोजगारी के मुद्दों को प्रमुखता दे रहे हैं, जबकि युवा बेरोजगारी और रोजगार वादों की असफलता से नाराज हैं। ग्रामीण विकासपरक कार्यों के अभाव पर चिंता व्यक्त कर रहे हैं।

वामपंथी हिंसा बनाम राजकीय हिंसा

सुरक्षाबलों ने बस्तर में 29 माओवादियों को मुठभेड़ में मारे जाने का दावा किया है। चुनाव से पहले हुई इस घटना में एक जवान घायल हुआ। इस क्षेत्र में लंबे समय से सक्रिय माओवादी वोटिंग का बहिष्कार कर रहे हैं और हमले करते रहे हैं। सरकार आदिवासी समूहों पर माओवादी का लेबल लगा उन पर अत्याचार कर रही है।