Friday, April 19, 2024

दर्जन भर से ज़्यादा अंतरराष्ट्रीय संगठनों की साझा मांग: भारत में एक्टिविस्टों के उत्पीड़न पर तत्काल रोक लगे

नई दिल्ली। संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्रिटेन और कनाडा समेत दुनिया के तमाम देशों में सक्रिय दर्जनों अंतरारष्ट्रीय संगठनों ने दिल्ली पुलिस और भारत सरकार के गृह मंत्रालय से देश में जारी एक्टिविस्टों के उत्पीड़न पर तत्काल रोक लगाने की माँग की है। इन अंतरराष्ट्रीय संगठनों और इस प्रतिवेदन पर हस्ताक्षर करने वाले दुनिया भर के 2000 लोगों ने अनलॉफुल एक्टिविटि्ज प्रिवेंशन एक्ट ( यूएपीए) जैसे काले क़ानूनों के तहत मनगढ़ंत तरीके से छात्र-छात्राओं और अन्य कार्यकर्ताओं के उत्पीड़न एवं गिरफ्तारी पर आक्रोश व्यक्त किया है।

 कोलिशन अगेंस्ट फासिज्म इन इंडिया की नेता एनिया ने कहा कि “ यह पूरी तरह अस्वीकार्य है कि साहसी एवं अपने कर्तव्यों के प्रति समर्पित नौजवान लोगों को सिर्फ इसलिए जेल में डाल दिया जाए क्योंकि वे भारत की एकता और भारत के सभी नागरिकों के अधिकारों के लिए खड़े होते हैं। ऐसे समय में जब जेलें भरी हुई हैं, और जब महामारी फैल रही है, कैसे कोई आजाद समाज पुलिस एवं राज्य द्वारा इस तरह के प्रतिशोधपूर्ण कार्रवाई और दमन को बर्दाश्त कर सकता है?”

इस प्रतिवेदन पर हस्ताक्षर करने वालों में डॉक्टर व ड्राइवरों के साथ-साथ विद्यार्थी भी शामिल हैं। विदेशों में रहने वाले हिंदू, मुस्लिम, सिख, दलित, क्रिश्चियन जैसे विविध समुदायों के साथ विभिन्न प्रगतिशील संगठनों के अन्य लोगों ने भी इस प्रतिवेदन का समर्थन किया है और इस पर हस्ताक्षर किया है। इस प्रतिवेदन पर वैज्ञानिकों, इंजीनियरों, सर्विस कर्मचारियों और कम्प्यूटर प्रोफेशनल,  कलाकारों, नर्सों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, वामपंथी और उदार बुद्धिजीवियों और समुदायों के नेताओं ने भी हस्ताक्षर किए हैं।

तेलतुंबडे और गौतमनवलखा।

एलायंस फॉर सेकुलर एंड डेमोक्रेटिक साउथ एशिया के अगुआ आभा ने कहा कि “  राज्य के निर्णयों के खिलाफ असहमति और प्रतिरोध का अधिकार पूरी दुनिया के लोकतंत्र में एक मूल अधिकार है। सीएए का विरोध करने वाले एक्टिविस्टों की मनमाने तरीके से गिरफ्तारी इस अधिकार का मजाक उड़ाता है और भारतीय नागरिकों को यह संदेश देता है कि उनके विरोध को सख्त से सख्त तरीके से कुचला जाएगा।”

इंडियन अमेरिकन मुस्लिम काउंसिल के अध्यक्ष अमीन ने कहा कि “ शासन-प्रशासन के आदेशों के आधार पर झूठे आरोपों से भयभीत करने की कार्यनीति, गिरफ्तारी और यहां तक कि देशद्रोह के मामले लगाना विधि व्यवस्था की सच्चाई को पूरी तरह  उजागर कर देते हैं और अन्याय का प्रतिरोध करने का हौसला बढ़ाते हैं।”

हिंदुज ऑफ ह्यूमन राइट्स की की सह-संस्थापक सुनीता ने कहा कि “ एक हिंदू अन्तरात्मा से लैश व्यक्ति के रूप में यह अन्यायपूर्ण गिरफ्तारी  दुखद एवं अस्वीकार्य है। यह शासन की कार्य योजना का हिस्सा है, जो भारत को एक हिंदू राष्ट्र में तब्दील करना चाहता है, जिसमें अल्पसंख्यकों को कोई अधिकार, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता न मौजूद हो और मुसलमानों को सिर्फ जिंदा रहने का अधिकार हो। हम लोग धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक भारत की आत्मा को बचाए रखने के लिए और हिंदुत्व के समावेशी एवं प्यार करने वाले चरित्र को बचाए रखने के लिए संघर्ष जारी रखेंगे।”

दिल्ली पुलिस, केंद्र सरकार के इशारे पर कार्य कर रही है, वह ऐसे कार्यकर्ताओं को अपना निशाना बना रही है, जिन्होंने अहिंसक तरीके से नागरिक  संशोधन अधिनियम ( सीएए) के खिलाफ चले संघर्षों में हिस्सेदारी की थी। कोविड-19 महामारी के समय असहमति को कुचलने के लिए दिल्ली पुसिल भय का वातावरण तैयार कर रही है।

इस प्रतिवेदन पर हस्ताक्षर करने वाले वाले इस तथ्य से अचंभित हैं कि जामिया मिलिया इस्लामिया एलमुनि एसोसिएशन के अध्यक्ष सिफा-उर-रहमान को पूर्वोत्तर दिल्ली के कार्यक्रम में शामिल होने के आरोप में अनलॉफुल एक्टिविटिज ( प्रिवेंशन) एक्ट के तहत फंसाया गया। दिल्ली पुलिस ने ऑल इंडिया स्टूडेंट एसोसिएशन ( आइसा) दिल्ली की अध्यक्ष कवलप्रीत कौर के मोबाइल फोन को जब्त कर लिया और उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज किया ( जिसमें कुछ आरोप यूएपीए के तहत भी लागाए गए हैं)। दिल्ली के कार्यक्रम में शामिल होने के तथाकथित आरोप के तहत जवाहर लाल नेहरु विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र उमर खालिद को भी यूएपीए के तहत फंसाया गया। इसके पहले जामिया मिलिया इस्लामिया की छात्र मीरन हैदर और सफूरा जरगर को भी यूएपीए का आरोप लगाकर गिरफ्तार कर लिया गया और जेल भेज दिया गया। जितने दिन ये लोग जेल में या पुलिस की हिरासत में हैं, उतना ही उनके कोविड-19 का शिकार होने की संभावना है, विशेषकर सफूरा जरगर, जो तीन महीने की गर्भवती हैं।

कश्मीर के तीनों पत्रकार जिनके ख़िलाफ़ यूएपीए लगा है।

साउथ एशियन सॉलिडरिटी ग्रुप की कल्पना ने कहा कि “ हम उन सभी लोगों के साथ हैं, जो उत्पीड़न का सामना कर रहे हैं।” टीम सॉलिडरिटी के संगठनकर्ता स्टीव ने सभी आरोपों को वापस लेने और एक्टिविस्टों को रिहा करने की मांग की।

इन अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने आक्रोश व्यक्त करते हुए कहा कि कोविड-19 महामारी का इस्तेमाल करके आनंद तेलतुंबडे और गौतम नवलखा जैसे प्रतिष्ठित जन बुद्धिजीवियों को गिरफ्तार किया जा रहा है। इन लोगों को उस दिन गिरफ्तार किया गया जब 14 अप्रैल को डॉ. आंबेडकर का 129 वां जन्मदिन था। कश्मीरी फोटो जर्नलिस्ट मशरत जहरा को भी तथाकथित ‘देश-द्रोही’ फोटो अपलोड करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया।

वैश्विक महामारी के ऐसे समय में जब मानवाधिकारों के लिए यूनाइटेड़ नेशन हाई कमिश्नर ने सभी देशों से अनुरोध किया है कि वे उन सभी लोगों को छोड़ दें, जिन्हें बिना पर्याप्त कानूनी अधिकारों के गिरफ्तार किया गया है, जिसमें राजनीतिक कैदी भी शामिल हैं और ऐसे लोग भी शामिल हैं, जिन्हें आलोचनात्मक असहमति की अभिव्यक्ति के लिए गिरफ्तार किया गया है।

इन अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने इस बात पर आश्चर्य व्यक्त किया कि सीएए का विरोध करने वाले लोगों को तो गिरफ्तार किया जा रहा है, लेकिन जिन्होंने वास्तव में दिल्ली में हिंसा फैलाया और घृणा से भरे भाषण दिए ऐसे लोग आजाद घूम रहे हैं, जैसे कपिल मिश्रा, अनुराग ठाकुर और परवेश वर्मा।

आइसा नेता कंवलप्रीत कौर।

इस प्रतिवेदन पर हस्ताक्षर करने वालों में बोस्टन कोलिशन, एलायंस फॉर सेकुलर डेमोक्रेटिक इंडिया, कोलिशन अगेंस्ट फासिज्म इन इंडिया, काउंसिल ऑन माइनारिटीज राट्स इन इंडिया, फ्री साईंबाब कोलिशन, हिंदूज ह्यूमन राइट्स, इंडिया सिविल वार वॉच- इंटरनेशनल एक्शन सेंटर-बोस्टन, इंडियन अमेरिकन मुस्लिम काउंसिल, इंडियन अमेरिकन फोरम, साउथ एशिएन नेटवर्क फॉर सेकुलरिज्म एंड डेमोक्रेसी ( कनाड़ा) साउथ एशिया सॉलिडरिटी ग्रुप ( ब्रिटेन), स्टूडेंट्स अगेंस्ट हिंदुत्वा आडियालोजी ग्रुप और टीम सॉलिडैरिटी ( बोस्टन) भी शामिल हैं।

प्रतिवेदन का समर्थन करने वाले सभी अंतरराष्ट्रीय संगठनों एवं हस्ताक्षर कर्ताओं ने निम्न मांगें की:

  • सभी उन एक्टिविस्टों और विद्यार्थियों को तुरंत रिहा किया जाए, जिन्हें गिरफ्तार किया गया है और उनके ऊपर लगाए गए सभी आरोप हटाए जाएं, जिसमें यूएपीए भी शामिल है।
  • दिल्ली पुलिस न्याय एवं शांति की सोच रखने वाले सभी एक्टिविस्टों की गिरफ्तारी एवं दमन को तुरंत रोके, जिन्होंने सीएए के विरोध में शांतिपूर्ण तरीके से हिस्सेदारी की थी।
  •   दिल्ली में अशांति एवं दंगों के असली अपराधी- दिल्ली प्रोग्राम के कर्ताधर्ता ( कपिल मिश्रा, अनुराग ठाकुर और परवेश वर्मा) पर हिंसा के लिए उकसाने और घृणा फैलाने के आरोप तय किए जाएं, उन्हें गिरफ्तार किया जाए।

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