Thursday, April 25, 2024

2जी स्पेक्ट्रम आवंटन मामला: पूर्व सीएजी विनोद राय माफ़ी भी माँगते हैं!

पूर्व कैग (सीएजी) विनोद राय माफ़ी भी माँगते हैं!जी हाँ ,सही पढ़ रहे हैं आप।यूपीए 2 सरकार की वर्ष 2014 में करारी हार की पटकथा लिखने के सबसे महत्वपूर्ण किरदार विनोद राय ने 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन मामले में सीएजी रिपोर्ट में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का नाम शामिल न करने के लिए दबाव बनाने वालों में कांग्रेस नेता संजय निरुपम के नाम के उल्लेख पर बिना शर्त उनसे माफी मांग ली है। सीएजी ने सरकारी खजाने को एक लाख 76 हजार करोड़ रूपयों के नुकसान होने का दावा किया था।वहीं दावा किया गया कि यदि लाइसेंस आवंटन नीलामी के आधार पर होता तो खजाने को कम से कम एक लाख 76 हजार करोड़ रूपयों का इजाफा होता। लेकिन कोर्ट में साबित नहीं हुआ घोटाला।

 पूर्व नियंत्रक एवं महा लेखा परीक्षक विनोद राय के 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन मामले को लेकर किए एक दावे पर पूर्व सांसद संजय निरुपम से माफी मांगने के बाद कांग्रेस ने हमला बोला है। मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने गुरुवार को कहा कि राय के इस माफीनामे से पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और पूर्ववर्ती यूपीए  सरकार को बदनाम करने के लिए चलाए गए सारे झूठ बेनकाब हो गए हैं।पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट किया कि सच्चाई की पुष्टि हुई है। डॉक्टर मनमोहन सिंह और संप्रग सरकार को बदनाम करने के लिए बोले गए झूठ इस हलफनामे से बेनकाब हो गए हैं। इस लड़ाई के लिए संजय निरुपम की सराहना करता हूं।उन्होंने सवाल किया, ‘क्या समाचार चैनलों को माफी नहीं मांगनी चाहिए?

विनोद राय ने 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन मामले में सीएजी रिपोर्ट में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का नाम शामिल न करने के लिए दबाव बनाने वालों में कांग्रेस नेता संजय निरुपम के नाम के उल्लेख पर बिना शर्त उनसे माफी मांग ली है। राय ने अपनी किताब में निरुपम के नाम का उल्लेख उन सांसदों के साथ किया था, जिन्होंने कैग की रिपोर्ट में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का नाम नहीं लेने के लिए उन पर कथित तौर पर दबाव डाला था।

वर्ष 2014 में पूर्व सीएजी ने अपनी किताब में आरोप लगाए थे और मीडिया को दिए साक्षात्कारों में इसे दोहराया था, जिसके बाद निरुपम ने राय के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर किया था। पटियाला हाउस में मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट की अदालत ने राय की माफी स्वीकार करते हुए निरुपम का बयान दर्ज कर मामले का निपटारा कर दिया है।

निरुपम के वकील आर के हांडू ने बताया कि विनोद राय को मामले में बरी कर दिया गया है। चूंकि निरुपम ने उनकी माफी स्वीकार कर ली है, इसलिए उनका बयान दर्ज करने के बाद मामले का निपटारा कर दिया गया है।पूर्व सीएजी ने अदालत में दायर एक हलफनामे में कहा है कि उन्होंने अनजाने में और गलत तरीके से निरुपम के नाम का पहले उल्लेख किया।

पूर्व सीएजी ने अदालत में दायर एक हलफनामे में कहा है कि उन्होंने अनजाने में और गलत तरीके से निरुपम के नाम का पहले उल्लेख किया है।उन्होंने अपने हलफनामे में कहा कि मैंने अनजाने में और गलत तरीके से संजय निरुपम के नाम का उल्लेख उन सांसदों में से एक के रूप में किया था जिन्होंने पीएसी की बैठकों में या जेपीसी की बैठकों से इतर, 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन पर कैग की रिपोर्ट से तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का नाम बाहर रखने के लिए दबाव डाला था।

पूर्व सीएजी ने यह भी कहा है कि निरुपम के खिलाफ उनके द्वारा दिए गए बयान तथ्यात्मक रूप से गलत हैं। राय ने अदालत में दायर अपने हलफनामे में कहा कि मैं समझता हूं कि मेरे बयान से संजय निरुपम, उनके परिवार और उनके शुभचिंतकों को ठेस पहुंची है और मैं इसके लिए बिना शर्त माफी मांगना चाहता हूं। मुझे उम्मीद है कि संजय निरुपम मेरी बिना शर्त माफी पर विचार करेंगे और स्वीकार करेंगे और इस मुद्दे को बंद कर देंगे।निरुपम ने बाद में कहा कि राय को 2जी स्पेक्ट्रम और कोयला ब्लॉक आवंटन पर कैग की रिपोट्स को लेकर देश से माफी मांगनी चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया कि ये दोनों ‘फर्जी’ थीं।

स्पेशल कोर्ट में 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाले के सारे आरोपी बरी हो चुके हैं, अब सीबीआई दिल्ली हाई कोर्ट पहुंची हुई है। लेकिन, जिस तरह से इस मामले में पूर्व सीएजी ने एक आरोप में माफी मांगी है, उससे इस संवैधानिक संस्था की प्रतिष्ठा सवालों के घेरे में आ गई है।11 साल पहले 1.76 लाख करोड़ रुपये के 2जी घोटाले का खुलासा करके भारत के तत्कालीन नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (सीएजी) ने देश की राजनीति और कारोबार जगत में भूचाल ला दिया था। लेकिन, यह केस आज की तारीख में खोदा पहाड़ निकली चुहिया टाइप ही नजर आ रहा है।

2जी घोटाले में जो बड़े नाम सामने आए थे, उनमें तत्कालीन टेलीकॉम मंत्री ए राजा, डीएमके सांसद कणिमोझी, पूर्व टेलीकॉम सेकरेटरी सिद्धार्थ बेहुरा शामिल थे। इसके अलावा यूनिटेक के एमडी संजय चंद्रा समेत बाकी और दर्जनों नाम थे।

सीएजी रिपोर्ट की वजह से टेलीकॉम सेक्टर पर तब बहुत बड़ी चोट लगी थी। इस रिपोर्ट के चलते ही सुप्रीम कोर्ट ने 2012 में 2जी स्पेक्ट्रम के 122 लाइसेंस रद्द कर दिए थे। इसका परिणाम ये हुआ कि इस क्षेत्र में काम करने वाली विदेशी कंपनियां, जैसे कि नॉर्वे की टेनीलॉर, रूस की सिस्तेमा, यूएई के एतिसलैट और बहरीन टेलीकॉम भारत से पलायन कर गईं, जिससे निवेशकों की भावना को बहुत नुकसान हुआ।

गौरतलब  है कि वर्ष2008 में तत्कालीन यूपीए सरकार के कार्याकल में 2जी स्पेक्ट्रम का आवंटन किया गया । इस आवंटन पर 2010 में पहली बार सवाल तब उठा जब देश के महालेखाकार और नियंत्रक (सीएजी) ने अपनी एक रिपोर्ट में इस स्पेक्ट्रम आवंटन से केन्द्र सरकार के खजाने को नुकसान पहुंचने की बात कही गई ।रिपोर्ट के हवाले से दावा किया गया कि 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन में कंपनियों को नीलामी की बजाए पहले आओ और पहले पाओ की नीति पर स्पेक्ट्रम दिया गया । सीएजी ने सरकारी खजाने को एक लाख 76 हजार करोड़ रूपयों के नुकसान होने का दावा किया था । वहीं दावा किया गया कि यदि लाइसेंस आवंटन नीलामी के आधार पर होता तो खजाने को कम से कम एक लाख 76 हजार करोड़ रूपयों का इजाफा होता ।

इस घोटाले में तत्कालीन टेलिकॉम मंत्री ए राजा पर आरोप लगा कि उन्होंने आवंटन के नियमों में बदलाव करने के लिए टेलिकॉम कंपनियों से कमीशन लिया । इसके साथ ही यह भी कहा गया कि ए राजा ने इस बदलाव के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय से जारी सलाह को भी दरकिनार करते हुए कुछ टेलिकॉम ऑपरेटर को फायदा पहुंचाने का काम किया था । आरोप में यह भी कहा गया था कि ए राजा ने लाइसेंस के लिए आवेदन की तारीख में बदलाव किया और 2008 में हुए इस आवंटन के लिए 2001 के दर से एंट्री फीस वसूली जिसके चलते केन्द्रीय खजाने को करोड़ों का नुकसान उठाना पड़ा ।

मामले की जांच कर रही सीबीआई ने सीएजी के 1 लाख 76 हजार करोड़ रुपये के नुकसान से इतर 30,984 करोड़ रुपये के नुकसान की बात कही ।. इसके बाद 2012 में ए राजा के कार्यकाल में आवंटित सभी टेलिकॉम लाइसेंस को सुप्रीम कोर्ट ने रद्द करते हुए राजा के खिलाफ मुकदमा चलाने का आदेश दिया था । हालांकि इससे पहले नवंबर 2010 में ए राजा ने टेलिकॉम मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था । सीबीआई की जांच के बीच राजा को फरवरी 2011 में जेल भेज दिया गया जहां से उन्हें 15 महीने के बाद रिहाई मिल पाई ।पटियाला कोर्ट ने एक लाइन का  फैसला सुनाते हुए पूर्व दूरसंचार मंत्री ए। राजा, द्रमुक सांसद कनिमोझी समेत सभी आरोपियों को बरी कर दिया था।

(जेपी सिंह वरिष्ठ पत्रकार हैं।)

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