Thursday, March 28, 2024

जेएनयू के पूर्व छात्रनेता उमर खालिद गिरफ्तार, फिल्म मेकर राहुल राय और सबा दीवान से आज पूछताछ

नई दिल्ली। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने जवाहर लाल विश्वविद्यालय यानी जेएनयू के पूर्व छात्र नेता उमर खालिद को यूएपीए के तहत गिरफ्तार कर लिया है। इसके साथ ही फिल्म मेकर राहुल राय और सबा दीवान को आज पूछताछ के लिए बुलाया है। स्पेशल सेल का कहना है कि इनका कुछ छात्र समूहों और दिल्ली प्रोटेस्ट सपोर्ट ग्रुप नाम के एक ह्वाट्सएप ग्रुप से भी संबंध निकला है।

इंडियन एक्सप्रेस के सूत्रों के मुताबिक उन्हें रविवार को लोधी कालोनी के स्पेशल सेल में पूछताछ के लिए बुलाया गया था। पुलिस सूत्रों के मुताबिक “इसके पहले उनसे 31 जुलाई को पूछताछ की गयी थी जब उनका फोन जब्त कर लिया गया था। रविवार को वह दिन में एक बजे आए और इस तरह से गिरफ्तारी से पहले उनके साथ पूरे दिन पूछताछ चली।”

आने वाले दिनों में पुलिस उनके खिलाफ चार्जशीट दायर करेगी। ऐसा कहा जा रहा है। सोमवार यानी आज उन्हें पुलिस दिल्ली कोर्ट में पेश करेगी।

पुलिस के मुताबिक खालिद के खिलाफ 6 मार्च को ही इंफार्मर द्वारा सब इंस्पेक्टर अऱविंद कुमार को दी गयी सूचना के आधार पर एफआईआर दर्ज की गयी थी। एफआईआर के मुताबिक कुमार का कहना है कि इंफार्मर ने उन्हें बताया कि उत्तर पूर्वी दिल्ली का दंगा पहले से तय किया गया एक षड्यंत्र था। और उसको दानिश के साथ मिलकर खालिद ने अंजाम दिया था। इसके अलावा दो और संगठनों के लोग इसमें शामिल थे।

एफआईआर के मुताबिक खालिद ने दो जगहों पर भड़काने वाले भाषण दिए। और नागरिकों को सड़क पर आने की अपील की। और डोनाल्ड ट्रंप के दौरे के समय सड़कों को जाम करने का आह्वान किया। इसके साथ ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस तरह का प्रोपोगंडा फैलाने के लिए कहा जिससे बाहर के लोगों को पता चल सके कि भारत में अल्पसंख्यकों के साथ क्या हो रहा है।

इसके साथ ही मामले में गिरफ्तार आप काउंसिलर ताहिर हुसैन के भी खालिद और एक दूसरे आंदोलनकारी खालिद सैफी से मुलाकात की बात कही गयी है।

खालिद के वकील त्रिदीप पायस ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि खालिद के खिलाफ लगाए गए आरोप सिरे से झूठे हैं। और पूरी तरह से मनगढ़ंत हैं। 

4 सितंबर को हुई प्रेस कांफ्रेंस में खालिद ने कहा था कि यहां दो तरह के कानूनों का पालन किया जा रहा है एक सत्तारूढ़ पार्टी के समर्थकों के लिए और दूसरा आम लोगों के लिए जिसमें साक्ष्यों को फर्जी तरीके से तैयार किया जा रहा है।

हमारी आंखों के सामने पिछले छह महीनों से इतिहास को फिर से लिखने की कोशिश की जा रही है। और उस पर सरकारी मुहर लगा दी जा रही है।

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