Prayagraj, June 12 (ANI): A bulldozer demolishes the illegally constructed residence of Javed Ahmed, who is allegedly the key conspirator of a violent protest in Prayagraj against suspended BJP leader Nupur Sharma over her alleged remarks on Prophet Muhammad, on Sunday. (ANI Photo)
प्रयागराज में जेएनयू की छात्र नेता आफरीन फातिमा की मां परवीन फातिमा का घर गिराने के बाद देश भर में तमाम हस्तियों की तीखी प्रतिक्रिया सामने आ रही है और मामला तूल पकड़ता जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट के तीन पूर्व जजों ने बुलडोजर से लोगों के घर गिराने की कार्रवाई को खारिज कर दिया है। इन तीन पूर्व जजों के अलावा 9 जाने-माने कानूनी विशेषज्ञों और एक्टिविस्टों ने इस कार्रवाई को कानून का मजाक बताया है। इन लोगों ने सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस को पत्र लिख कर इस मामले में दखल देने की मांग की है। प्रयागराज में जेएनयू की छात्र नेता आफरीन फातिमा की मां परवीन फातिमा का घर गिराने के बाद देशभर में तमाम हस्तियों की तीखी प्रतिक्रिया सामने आ रही है।
जस्टिस बी. सुदर्शन रेड्डी, पूर्व जज, सुप्रीम कोर्ट – जस्टिस वी. गोपाल गौड़ा, पूर्व जज, सुप्रीम कोर्ट – जस्टिस ए.के. गांगुली, पूर्व जज, सुप्रीम कोर्ट -जस्टिस एपी शाह, पूर्व चीफ जज, दिल्ली हाईकोर्ट – जस्टिस के चंद्रू, पूर्व जज, मद्रास हाईकोर्ट – जस्टिस मोहम्मद अनवर, पूर्व जज, कर्नाटक हाईकोर्ट – शांति भूषण, सीनियर एडवोकेट, सुप्रीम कोर्ट – इंदिरा जयसिंह, सीनियर एडवोकेट, सुप्रीम कोर्ट – चंद्र उदय सिंह, सीनियर एडवोकेट, सुप्रीम कोर्ट – श्रीराम पंचू, सीनियर, मद्रास हाईकोर्ट – प्रशांत भूषण, एडवोकेट, सुप्रीम कोर्ट – आनंद ग्रोवर, सीनियर एडवोकेट ने पैगंबर टिप्पणी मामले में सुप्रीम कोर्ट को पत्र लिखकर उत्तर प्रदेश राज्य में प्रदर्शनकारियों अवैध रूप से हिरासत में लेने, घरों पर बुलडोजर की कार्रवाई और पुलिस हिरासत में कथित पुलिस हिंसा की विभिन्न घटनाओं का स्वत: संज्ञान लेने का आग्रह किया है। पत्र याचिका में कहा गया है कि प्रदर्शनकारियों को सुनने और शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन में शामिल होने का मौका देने के बजाय, उत्तर प्रदेश के राज्य प्रशासन ने ऐसे व्यक्तियों के खिलाफ हिंसक कार्रवाई करने की मंजूरी दी है।
पत्र में लिखा गया है कि मुख्यमंत्री ने कथित तौर पर आधिकारिक तौर पर अधिकारियों को \दोषियों के खिलाफ ऐसी कार्रवाई करने के लिए प्रोत्साहित किया है कि यह एक उदाहरण स्थापित करता है ताकि कोई भी अपराध न करे या भविष्य में कानून अपने हाथ में न ले। पत्र याचिका में कहा गया है कि उन्होंने आगे निर्देश दिया है कि राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम, 1980 , और उत्तर प्रदेश गैंगस्टर्स और असामाजिक गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम, 1986, गैरकानूनी विरोध के दोषी पाए जाने वालों के खिलाफ लागू किया जाना चाहिए। इन टिप्पणियों ने पुलिस को क्रूरता और गैरकानूनी रूप से प्रदर्शनकारियों को यातना देने के लिए प्रोत्साहित किया है।
इसके अलावा, यह कहा गया है कि यूपी पुलिस ने 300 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया है और विरोध करने वाले नागरिकों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है। पत्र याचिका में आगे कहा गया है कि विभिन्न वीडियो सामने आए हैं जिसमें यह देखा गया है कि पुलिस हिरासत में युवकों को लाठियों से पीटा जा रहा है, प्रदर्शनकारियों के घरों को बिना सूचना के तोड़ा जा रहा है और अल्पसंख्यक मुस्लिम समुदाय के प्रदर्शनकारियों का पीछा किया जा रहा है और पुलिस उन्हें पीटा जा रहा है।
यह भी लिखा गया है कि सत्तारूढ़ प्रशासन द्वारा इस तरह का क्रूर दमन कानून के शासन का अस्वीकार्य तोड़फोड़ और नागरिकों के अधिकारों का उल्लंघन है, और संविधान और राज्य द्वारा गारंटीकृत मौलिक अधिकारों का मजाक बनाता है। समन्वित तरीके से पुलिस और विकास प्राधिकरणों ने स्पष्ट निष्कर्ष तक पहुंचाया है कि विध्वंस सामूहिक अतिरिक्त न्यायिक दंड का एक रूप है, जो राज्य की नीति के कारण अवैध है। इसके अलावा यह कहते हुए कि सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में प्रवासी श्रमिकों और पेगासस मामले के मुद्दों पर स्वत: कार्रवाई की थी, पत्र याचिका में सुप्रीम कोर्ट से उत्तर प्रदेश राज्य में बिगड़ती कानून व्यवस्था की स्थिति में गिरफ्तारी के लिए स्वत: कार्रवाई करने का आग्रह किया गया था।
जमीयत उलमा-ए-हिंद ने भी सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है और उत्तर प्रदेश राज्य को यह सुनिश्चित करने के लिए निर्देश देने की मांग की है कि राज्य में उचित प्रक्रिया का पालन किए बिना कोई और विध्वंस न किया जाए।
दरअसल प्रयागराज हिंसा में पुलिस ने जावेद मोहम्मद को 10 जून को गिरफ्तार कर लिया था। 12 जून की दोपहर को करेली थानाक्षेत्र के अंतर्गत आने वाले जेके आशियाना 39 सी/2 ए/1 को जावेद मोहम्मद का मकान बताते हुए उस पर बुलडोजर चलाया गया। मगर, असल में इस मकान की मालकिन उनकी पत्नी परवीन फात्मा हैं। उनका नाम न ही प्राधिकरण के नोटिस में लिखा है और न ही पुलिस की एफआईआर में। फिर आखिर उनकी प्रॉपर्टी पर कार्रवाई क्यों की गई?
गौरतलब है कि प्रयागराज विकास प्राधिकरण (पीडीए) के दस्तावेज बता रहे हैं कि जेएनयू की छात्र नेता आफरीन फातिमा की मां परवीन फातिमा के घर को गिराने की कार्रवाई अवैध है। जल कल विभाग, प्रयागराज द्वारा जारी रसीद 8 फरवरी की है और यह बताती है कि परवीन फातिमा ने 4,578 रुपये के पानी के बिल का भुगतान किया। नगर निगम द्वारा जारी 28 जनवरी के एक प्रमाणपत्र से पता चलता है कि हाउस नंबर 39सी/2ए/1 परवीन फातिमा के नाम पर है और वित्तीय वर्ष 2020-2021 के लिए हाउस टैक्स का भुगतान किया गया है।
लेकिन प्रयागराज प्रशासन ने रविवार को सिर्फ एक दिन का नोटिस देने के बाद घर को यह कहते हुए ध्वस्त कर दिया कि निर्माण उत्तर प्रदेश शहरी नियोजन और विकास अधिनियम, 1973 के प्रावधानों के उल्लंघन में किया गया था। डीएम और एसएसपी तब तक मौजूद रहे, जब तक कि घर को पूरी तरह बुलडोजर से गिरा नहीं दिया गया। इससे साफ है कि इस घर और इस परिवार को किन्हीं खास वजहों से टारगेट किया गया। एसएसपी ने उस बयान भी दिया था कि बाप-बेटी मिलकर प्रोपेगेंडा करते हैं। जाहिर है कि आफरीन फातिमा का एक्टिविस्ट होना और सरकार से सवाल पूछना योगी सरकार को पसंद नहीं आ रहा था।
घर पर जो नोटिस प्रशासन ने लगाया, उसमें परवीन फातिमा को नहीं बल्कि उनके पति मोहम्मद जावेद को संबोधित किया गया था, जिन्हें शनिवार को नूपुर शर्मा की पैगंबर पर अपमानजनक टिप्पणियों के खिलाफ हिंसक विरोध प्रदर्शन को उकसाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।
सुप्रीम कोर्ट में नूपुर शर्मा की गिरफ्तारी की मांग की अर्जी
बीजेपी की पूर्व प्रवक्ता नूपुर शर्मा की गिरफ्तारी की मांग अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है। उन पर एक्शन लेने के लिए कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है। पैगंबर मोहम्मद के बारे में विवादित टिप्पणी के बाद बीजेपी ने उन्हें निलंबित कर दिया था। हालांकि, उसके बाद देशभर में उनकी गिरफ्तारी की मांग को लेकर प्रदर्शन हुए है ।
नूपुर शर्मा के खिलाफ एक्शन और उनकी गिरफ्तारी की गुहार लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट में दो वकीलों ने एडवोकेट सोहेल और एडवोकेट चांद कुरेशी की ओर से अर्जी दाखिल कर कहा गया है कि पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ शर्मा के नफरती बयान के कारण मुस्लिम समुदाय की संवेदना को ठेस पहुंची है। ऐसे में संबंधित अथॉरिटी को निर्देश दिया जाए कि वह नूपुर शर्मा के खिलाफ एक्शन ले। उन्हें गिरफ्तार करे। कोर्ट में अर्जी दाखिल कर कहा गया है कि नूपुर के बयान के कारण भारतीय संविधान के अनुच्छेद-14, 15, 19, 21 और 25 का उल्लंघन हुआ है।
पैगंबर मोहम्मद के बारे में विवादित टिप्पणी के बाद भारतीय जनता पार्टी ने नूपुर शर्मा को निलंबित कर दिया था। उनके साथ दिल्ली बीजेपी मीडिया इकाई के प्रमुख नवीन कुमार जिंदल को निष्कासित किया गया था। कई देशों ने इस मसले पर नाराजगी जाहिर की थी। इसके बाद इन दोनों के खिलाफ बीजेपी ने एक्शन लिया था।नुपूर शर्मा के खिलाफ कई राज्यों में एफआईआर दर्ज हो गई है। उन्हें गिरफ्तार करने की मांग ने भी जोर पकड़ा है। हाल में उनकी गिरफ्तारी की मांग को लेकर देशभर में जोरदार प्रदर्शन हुए।
(वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट।)