सिंघु बॉर्डर, टिकरी बॉर्डर, कुंडली बॉर्डर, गाजीपुर बॉर्डर, चिल्ला बॉर्डर व शाहजहांपुर बॉर्डर पर आंदोलनकारी किसानों ने मोदी सरकार द्वारा जबर्दस्ती थोपे गये तीन कृषि क़ानूनों की प्रतियां जलाकर लोहड़ी मनाई। साथ ही किसानों ने भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के द्वारा किसानों की मांगें न माने जाने के खिलाफ नारेबाजी भी की।
दिल्ली बॉर्डर के अलावा पंजाब, हरियाणा और उत्तर भारत के अन्य राज्यों में जिला व ग्राम स्तर पर लोहड़ी के अलाव में तीनों कृषि कानूनों की प्रतियां फूंकी गईं।
इससे पहले दशहरा पर किसानों द्वारा रावण की जगह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अडानी अंबानी के पुतले पंजाब हरियाणा समेत कई राज्यों में रावण के तौर पर जलाये गये थे।
पंजाब के किसानों ने आज लोहड़ी के मौके पर केन्द्र के तीन नए कृषि कानूनों की प्रतियां जलाकर इन कानूनों के प्रति अपना विरोध व्यक्त किया।
बता दें कि लोहड़ी नई फसल के मौसम की शुरुआत का प्रतीक है। यह पंजाब के सबसे व्यापक रूप से मनाए जाने वाले त्योहारों में से एक है। पंजाब, हरियाणा और उत्तर भारत के अन्य हिस्सों में लोहड़ी का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन लोग लकड़ियां इकट्ठी करके जलाते हैं और सुख एवं समृद्धि की कामना करते हैं।
विभिन्न संगठनों से नाता रखने वाले किसानों ने राज्य में कई स्थानों पर प्रदर्शन किया और कानूनों की प्रतियां जलाईं। किसानों ने उनकी मांगें ना मानने को लेकर भाजपा नीत केन्द्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी भी की।
वहीं अखिल भारतीय किसान सभा के महासचिव हन्नान मोल्ला ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा कमेटी बनाये जाने पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि “सरकार जो चाहती है वही हो रहा है। उन्हें मालूम था कि कोर्ट जाकर कमेटी बनवाएंगे। हमें बोला गया कोर्ट में चलो। शुरू से हमें मालूम था कि कमेटी बनेगी कारपोरेट समर्थक लोगों से जो कारपोरेट के खिलाफ नहीं बोलेंगे”।
बिहार में भी जगह-जगह कृषि कानूनों की प्रतियों को जलाए जाने की खबर है। मुजफ्फरपुर में बड़ी तादाद में किसान सड़कों पर उतरे और उन्होंने कानूनों की प्रतियों को जलाया। उनका कहना था कि यह आंदोलन तब तक वापस नहीं होगा जब तक कि सरकार इन काले कानूनों को वापस नहीं लेती है। आप को बता दें कि महागठबंधन के नेतृत्व में गांधी की शहादत दिवस 30 जनवरी को यहां एक बड़ी मानव श्रृंखला बनाने की योजना है।
किसान आन्दोलन एकजुटता मंच, इलाहाबाद ने दिल्ली में चल रहे किसान आन्दोलन के साथ एकजुटता व्यक्त करते हुए किसान संगठनों के राष्ट्रीय आह्वान के तहत आज चौक घंटाघर पर छुन्नन गुरू की प्रतिमा के पास कृषि विरोधी काले कानूनों की प्रतियां जलाई। कार्यक्रम के दौरान प्रदर्शनकारियों ने कहा कि केन्द्र सरकार हठधर्मिता अपनाते हुए किसान विरोधी कानूनों को वापस लेने को तैयार नहीं है। उन्होंने कहा कि किसान विरोधी कानून हों, अथवा श्रम संहिताएं हों या फिर नई शिक्षा नीति हो, सरकार किसी से बात-चीत किये बिना मनमाने तरीके से उन्हें पारित कर देश पर थोप रही है। न कृषि कानूनों के संदर्भ में किसान संगठनों से समुचित बातचीत की गई थी, न श्रम संहिताओं के संदर्भ में श्रमिक संगठनों से, न नई शिक्षा नीति के समय शिक्षक अथवा छात्र संगठनों से।
सरकार अम्बानी अडानी जैसे मुठ्ठी भर पूंजीपतियों की तिजोरी भरने के लिए कोरोना काल का फायदा उठाते हुए इनको जबरिया पारित कर रही है। किसान आन्दोलन में इतने किसानों की शहादत के बावजूद सरकार इन्हें नक्सली और खालिस्तानी बता रही है। देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह इसका खण्डन करते हैं तो सरकार के वकील अदालत में किसानों को खालिस्तानी और नक्सली बताते हैं। यह सरकार की बौखलाहट को ही दर्शाता है। सरकार का कहना है कि यह आन्दोलन केवल कुछ राज्यों का और किसानों का है जबकि यह आन्दोलन समूचे देश की मेहनतकश जनता का है। जहां इलाहाबाद के तमाम गांवों में किसान इन प्रतियों को जला रहे हैं, वहीं तमाम श्रमिक संगठन, छात्र संगठन, युवा संगठन, महिला संगठन किसान आन्दोलन एकजुटता मंच के बैनर तले किसानों के साथ कंधे से कंधा मिला कर खड़े हैं।
मजदूर किसान मंच ने यूपी के तमाम जिलों में फूंकी किसान विरोधी कृषि कानूनों की प्रतियां
संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर जय किसान आंदोलन से जुड़े मजदूर किसान मंच के कार्यकर्ताओं ने आज पूरे प्रदेश में किसान विरोधी तीनों कृषि कानूनों की प्रतियों को जलाया और सरकार से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानून बनाने की पुरजोर मांग की। कार्यक्रमों के बारे में जानकारी देते हुए आल इंडिया पीपुल्स फ्रंट के राष्ट्रीय प्रवक्ता एसआर दारापुरी व मजदूर किसान मंच के महासचिव डॉ. बृज बिहारी ने बताया कि आज गांव-गांव कार्यकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस कानूनों के प्रबल पक्षधर और प्रवक्ता रहे लोगों को लेकर गठित कमेटी पर गहरी निराशा व्यक्त की। कार्यकर्ताओं ने सरकार द्वारा लगातार आंदोलन को बदनाम करने और उस पर दमन ढाने व किसानों की हो रही मौतों पर गहरा आक्रोश व्यक्त किया।
अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति, (एआईकेएससीसी) ने आज दिल्ली समेत देश के तमाम राज्यों व जिलों में कृषि कानून की प्रतियां जलाई। देश भर में 20 हजार से ज्यादा स्थानों पर कानून की प्रतियां जलाई गईं। सभी स्थानों पर किसानों ने एकत्र होकर कानून की प्रतियां जलाईं और उन्हें रद्द करने के नारे लगाए।
साथ ही एआईकेएससीसी ने दिल्ली के आसपास 300 किमी के सभी जिलों में किसानों से अपील की है कि वे दिल्ली में गणतंत्र दिवस पर ट्रैक्टर परेड की तैयारी में जुटें और सीमाओं पर एकत्र हों।
आगे की रणनीति का खुलासा करते हुए एआईकेएससीसी ने कहा है कि18 जनवरी को सभी जिलों में महिला किसान दिवस मनाया जाएगा, बंगाल में 20 से 22 जनवरी, महाराष्ट्र में 24 से 26 जनवरी, केरल, तेलंगाना, आंध्रा में 23 से 25 जनवरी और ओडिशा में 23 जनवरी को महामहिम के कार्यालय के समक्ष महापड़ाव आयोजित किया जाएगा।
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