Saturday, April 20, 2024

हरियाणा के टोहाना में चल रही किसान बनाम सत्ता की लड़ाई में किसानों की जीत, सभी गिरफ्तार किसान छूटे

टोहाना (फतेहाबाद)। हजारों किसानों के बढ़ते प्रतिरोध के बाद, हरियाणा प्रशासन ने आज टोहाना कांड के विरोध में प्रदर्शन कर रहे किसानों की सभी मांगों को मान लिया है और तीसरे गिरफ्तार साथी मक्खन सिंह को प्रशासन द्वारा रिहा कर दिया गया है।

फतेहाबाद के टोहाना (हरियाणा) थाने में चोर दरवाजे से गिरफ्तार किए गए निर्दोष किसानों की रिहाई और उनके खिलाफ FIR वापस लेने की मांग को लेकर हजारों किसानों के धरने का आज तीसरा दिन था। संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं के साथ बड़ी संख्या में किसान 6 और 7 जून की रात भी टोहाना थाने के बाहर आंदोलन करते रहे, किसान नेताओं द्वारा टोहाना के साथ-साथ हरियाणा प्रदेश में सभी पुलिस थानों के घेराव की घोषणा के बाद प्रशासन ने आधी रात को संयुक्त किसान मोर्चा के दो युवा नेता, विकास सीसर और रवि आज़ाद को रिहा कर दिया। दोनों रिहा हुए किसान आज सुबह टोहाना थाने के बहार चल रहे प्रदर्शन में शामिल हुए।

दोनों युवा किसानों की रिहाई के बाद संयुक्त किसान मोर्चा ने यह निर्णय लिया कि हरियाणा के अन्य पुलिस थानों पर घोषित विरोध प्रदर्शन को रद्द किया जाएगा, लेकिन टोहाना थाने के बाहर चल रहा प्रदर्शन जारी रहेगा। संयुक्त किसान मोर्चा ने सभी स्थानों, विशेषकर सिरसा, फतेहाबाद, जींद और हिसार जिलों के किसान से टोहाना थाने के बाहर चल रहे प्रदर्शन में हिस्सा लेने का आह्वान किया। संयुक्त किसान मोर्चा के इस आह्वान पर हजारों प्रदर्शनकारी टोहाना पहुंचे। कोई देखभाल करने के लिए मौजूद न होने के कारण कई किसान अपने साथ अपने पशुओं को भी आंदोलन स्थल पर लेकर आए। किसानों ने टोहाना थाने के बाहर मंच तैयार कर लिया है और लंगर की व्यवस्था भी शुरू कर दी है।

प्रशासन और पुलिस के साथ बातचीत के बाद यह तय हुआ है कि इस केस (FIR 103) को सरकार की तरफ से वापस ले लिया जाएगा।

संयुक्त किसान मोर्चा 4 जून को सिंघु बॉर्डर की अपनी बैठक में सत्तारूढ़ दलों के नेताओं और जनप्रतिनिधियों के खिलाफ चल रहे विरोध कार्यक्रमों के बारे में निम्नलिखित मर्यादा सूत्र तय कर घोषित कर चुका है:

a) विरोध के ये कार्यक्रम केवल सरकारी या राजनैतिक आयोजन तक सीमित रहेंगे। किसी भी प्राइवेट आयोजन (जैसे शादी, तेहरवीं, पारिवारिक फंक्शन इत्यादि) में इन नेताओं और जनप्रतिनिधियों का विरोध नहीं किया जाएगा।

b) यह विरोध प्रदर्शन शांति पूर्वक तरीके से काले झंडे दिखाने, नारे लगाने आदि तक सीमित रहेगा। विरोध प्रदर्शन में हिंसा या तोड़ फोड़ के लिए कोई जगह नहीं है।

कल गुरनाम सिंह चढूनी के नेतृत्व में हजारों वाहन सिंघु बॉर्डर पर चल रहे आंदोलन में पहुंचे, इसमें मुख्य रूप से अंबाला/शंभू सीमा से आए किसान मौजूद हैं, साथ ही अन्य आंदोलन स्थलों पर भी बड़ी संख्या में किसान पहुंच रहे हैं। आज बड़ी संख्या में उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के किसान भी गाजीपुर बॉर्डर और शाहजहांपुर बॉर्डर के आंदोलन में शामिल हुए हैं। उम्मीद है कि आने वाले दिनों में और भी अधिक संख्या में किसान विरोध स्थलों पर पहुंचेंगे।

संयुक्त किसान मोर्चा की जनरल बॉडी ने अपनी सभा में सिख योद्धा और खालसा सेना के कमांडर “शहीद बंदा सिंह बहादुर” की शहादत को आंदोलन स्थलों पर मनाने का फैसला किया है, शहीद बंदा सिंह बहादुर ने मुगल साम्राज्य के खिलाफ बहादुरी से लड़ाई लड़ी थी। पंजाब में खालसा शासन स्थापित करने के बाद बंदा सिंह बहादुर ने जमींदारी व्यवस्था को समाप्त कर दिया और किसानों को उनका भूमि अधिकार दिया था । 9 जून 1716 को बंदा सिंह यातनाएं सहते हुए शहीद हुए थे, उनकी शहादत से प्रेरणा लेते हुए किसान अपने आंदोलन को और ताकतवर करेंगे और साथ ही प्रदर्शनकारी किसानों ने तय किया है कि वह इस दिन शहीद बंदा सिंह बहादुर को श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे।

जारीकर्ता – बलवीर सिंह राजेवाल, डॉ दर्शन पाल, गुरनाम सिंह चढूनी, हनन मौला, जगजीत सिंह डल्लेवाल, जोगिंदर सिंह उग्राहां, युद्धवीर सिंह, योगेंद्र यादव, अभिमन्यु कोहाड़

सयुंक्त किसान मोर्चा

जनचौक से जुड़े

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments

Latest Updates

Latest

अपरेंटिसशिप गारंटी योजना भारतीय युवाओं के लिए वाकई गेम-चेंजर साबित होने जा रही है

भारत में पिछले चार दशकों से उठाए जा रहे मुद्दों में बेरोजगारी 2024 में प्रमुख समस्या के रूप में सबकी नजरों में है। विपक्षी दल कांग्रेस युवाओं के रोजगार पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, वहीं भाजपा के संकल्प पत्र में ठोस नीतिगत घोषणाएँ नहीं हैं। कांग्रेस हर शिक्षित बेरोजगार युवा को एक वर्ष की अपरेंटिसशिप और 1 लाख रूपये प्रदान करने का प्रस्ताव रख रही है।

ग्राउंड रिपोर्ट: रोजी-रोटी, भूख, सड़क और बिजली-पानी राजनांदगांव के अहम मुद्दे, भूपेश बघेल पड़ रहे हैं बीजेपी प्रत्याशी पर भारी

राजनांदगांव की लोकसभा सीट पर 2024 के चुनाव में पूर्व सीएम भूपेश बघेल और वर्तमान सांसद संतोष पांडेय के बीच मुकाबला दिलचस्प माना जा रहा है। मतदाता सड़क, पानी, स्वास्थ्य, महंगाई और बेरोजगारी के मुद्दों को प्रमुखता दे रहे हैं, जबकि युवा बेरोजगारी और रोजगार वादों की असफलता से नाराज हैं। ग्रामीण विकासपरक कार्यों के अभाव पर चिंता व्यक्त कर रहे हैं।

वामपंथी हिंसा बनाम राजकीय हिंसा

सुरक्षाबलों ने बस्तर में 29 माओवादियों को मुठभेड़ में मारे जाने का दावा किया है। चुनाव से पहले हुई इस घटना में एक जवान घायल हुआ। इस क्षेत्र में लंबे समय से सक्रिय माओवादी वोटिंग का बहिष्कार कर रहे हैं और हमले करते रहे हैं। सरकार आदिवासी समूहों पर माओवादी का लेबल लगा उन पर अत्याचार कर रही है।

Related Articles

अपरेंटिसशिप गारंटी योजना भारतीय युवाओं के लिए वाकई गेम-चेंजर साबित होने जा रही है

भारत में पिछले चार दशकों से उठाए जा रहे मुद्दों में बेरोजगारी 2024 में प्रमुख समस्या के रूप में सबकी नजरों में है। विपक्षी दल कांग्रेस युवाओं के रोजगार पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, वहीं भाजपा के संकल्प पत्र में ठोस नीतिगत घोषणाएँ नहीं हैं। कांग्रेस हर शिक्षित बेरोजगार युवा को एक वर्ष की अपरेंटिसशिप और 1 लाख रूपये प्रदान करने का प्रस्ताव रख रही है।

ग्राउंड रिपोर्ट: रोजी-रोटी, भूख, सड़क और बिजली-पानी राजनांदगांव के अहम मुद्दे, भूपेश बघेल पड़ रहे हैं बीजेपी प्रत्याशी पर भारी

राजनांदगांव की लोकसभा सीट पर 2024 के चुनाव में पूर्व सीएम भूपेश बघेल और वर्तमान सांसद संतोष पांडेय के बीच मुकाबला दिलचस्प माना जा रहा है। मतदाता सड़क, पानी, स्वास्थ्य, महंगाई और बेरोजगारी के मुद्दों को प्रमुखता दे रहे हैं, जबकि युवा बेरोजगारी और रोजगार वादों की असफलता से नाराज हैं। ग्रामीण विकासपरक कार्यों के अभाव पर चिंता व्यक्त कर रहे हैं।

वामपंथी हिंसा बनाम राजकीय हिंसा

सुरक्षाबलों ने बस्तर में 29 माओवादियों को मुठभेड़ में मारे जाने का दावा किया है। चुनाव से पहले हुई इस घटना में एक जवान घायल हुआ। इस क्षेत्र में लंबे समय से सक्रिय माओवादी वोटिंग का बहिष्कार कर रहे हैं और हमले करते रहे हैं। सरकार आदिवासी समूहों पर माओवादी का लेबल लगा उन पर अत्याचार कर रही है।