नई दिल्ली। महाराष्ट्र के किसानों ने एक बार फिर अपनी मांगों को लेकर विशाल मार्च शुरू किया है। अखिल भारतीय किसान सभा (एआईकेएस ) के नेतृत्व में 26 अप्रैल की शाम को 15,000 से अधिक किसानों ने अहमदनगर जिले के अकोले से लोनी तक के लिए अपना विशाल मार्च शुरू किया है। किसान मार्च में हजारों महिलाएं और युवा भी शामिल हैं। एआईकेएस और सीटू के कार्यकर्ताओं ने हाथ में लाल झंडा और सिर पर लाल टोपी, लाल बैज और लाल तख्तियों के साथ मार्च किया, किसान अपनी मांगों के नारे लगाते हुए महाराष्ट्र सरकार पर निशाना साधा।
अखिल भारतीय किसान सभा के संयुक्त सचिव बादल सरोज ने कहा, “ अपनी मांगों के लोकर मार्च महीने में भी किसानों ने मार्च किया था तब महाराष्ट्र सरकार ने बीच में आंदोलन को रोकते हुए किसानों को आश्वासन दिया था कि उनकी हर मांग मानी जायेगी। सरकार के प्रतिनिधियों ने कहा था कि प्याज किसानों को प्रति क्विंटल 350 रुपये सब्सिडी दी जायेगी, ऐसे ही कपास और अन्य कृषि उपज के बारे में वादा किया था। लेकिन अभी तक कोई मांग पूरी नहीं हुई।”
वह कहते हैं कि इसके साथ वनाधिकार कानून को सही तरीके से लागू न करना और साहूकार अधिनियम और धर्म स्थालों की जमीनों को जो लंबे समय से किसान जोत रहे हैं, उस पर पक्का अधिकार देना, मुद्दा है। जंगल की जमीन, धर्मस्थलों यानि मंदिर-मठों की जमीन जिसे लंबे समय से काश्तकार जोत रहे हैं लेकिन उन्हें मालिकाना हक नहीं दिया जा रहा है। सरकार और राजस्व विभाग जब मन में आता है बेदखली का फरमान सुना देते हैं। जबकि ऐसा नहीं होना चाहिए।
इस मार्च में ठाणे-पालघर और अहमदनगर जिलों से ज्यादातर लोग शामिल हुए हैं। नासिक, पुणे, कोल्हापुर, सांगली, सोलापुर, बीड, परभणी, नांदेड़, जालना, औरंगाबाद, अमरावती, बुलढाणा, वर्धा आदि जिलों से भी काफी संख्या में लोग मार्च में शामिल हैं। पहले दिन लगभग 12 किमी चलने के बाद मार्च रात को संगमनेर तहसील के धंडरफाल गांव में रुका।
किसानों के मार्च की खबर से महाराष्ट्र सरकार एक बाऱ फिर एक्शन में है। अभी मार्च पहले पड़ाव पर ही है। महाराष्ट्र सरकार ने तीन मंत्री संगमनेर भेजे गए हैं। किसान नेताओं से उनकी वार्ता हो रही है।
27 अप्रैल की सुबह से किसान मार्च फिर शुरू हुआ। मार्च शुरू करने के लिए अकोले में एक विशाल जनसभा आयोजित की गई। इसकी अध्यक्षता एआईकेएस के अध्यक्ष डॉ. अशोक धवले ने की; इसका उद्घाटन प्रसिद्ध पत्रकार पी साईनाथ ने किया, जो स्वयं तीन दिनों तक किसानों के मार्च के साथ चलेंगे; और इसे प्रख्यात अर्थशास्त्री डॉ. आर रामकुमार, एआईकेएस के संयुक्त सचिव बादल सरोज, एआईकेएस के राज्य उपाध्यक्ष जेपी गावित, पूर्व विधायक और डॉ उदय नारकर, एआईडीडब्ल्यूए के महासचिव मरियम धवले, सीटू के उपाध्यक्ष डॉ. डी एल कराड और राज्य सचिव विनोद निकोले ने संबोधित किया। एआईकेएस के राज्य सचिव डॉ. अजीत नवाले ने स्वागत भाषण किया और प्रदेश अध्यक्ष उमेश देशमुख ने धन्यवाद ज्ञापन किया।
25 अप्रैल को महाराष्ट्र के राजस्व मंत्री राधाकृष्ण विखे पाटिल, जिनका लोनी में आवास और कार्यालय है, वहीं पर इस मार्च का समापन होगा, ने एआईकेएस प्रतिनिधिमंडल को मुंबई में सह्याद्री स्टेट गेस्ट हाउस में बातचीत के लिए आमंत्रित किया। इस दौरान राजस्व और डेयरी विकास विभागों के संबंध में चर्चा में कुछ प्रगति हुई थी, इस मार्च द्वारा उठाए गए मुद्दों से संबंधित कोई अन्य मंत्री उपस्थित नहीं था। यही कारण है कि एआईकेएस ने भाजपा के नेतृत्व वाली राज्य सरकार द्वारा इसे बंद करने की दलीलों के बावजूद इस मार्च को आगे बढ़ाने का फैसला किया।