किसानों के ‘रेल रोको’ आंदोलन का पंजाब में भारी असर, हरियाणा में कई किसानों को पुलिस ने हिरासत में लिया

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नई दिल्ली। पिछले 27 दिनों से पंजाब-हरियाणा के शंभू और खनौरी बॉर्डर पर अपनी मांगों को लेकर डटे किसानों ने आज देश भर में रेल रोको आंदोलन का आह्वान किया था। आज के इस आंदोलन का नेतृत्व संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा के द्वारा किया जा रहा था। इस आंदोलन में संयुक्त किसान मोर्चा के घटक संगठन भारतीय किसान यूनियन (एकता उगरहा), बीकेयू (दकौंदा-धनेर) और क्रांतिकारी किसान यूनियन भी ‘शामिल थे।

आज के रेल रोको आंदोलन का मुख्य असर पंजाब में देखने को मिला है। पंजाब के कई रेलवे स्टेशनों पर सुबह से ही किसानों का तांता लगना शुरू हो गया था। जगह-जगह रेलवे ट्रैक पर किसान धरने पर बैठकर नारेबाजी करते देखे गये।  पंजाब में कुल 52 जगहों पर ट्रेनें रोकी गईं, जबकि हरियाणा में 3 जगहों पर ट्रेन रोकने की खबर है। हरियाणा के सिरसा में ट्रेन रोकने की कोशिश करते 45 किसानों को पुलिस हिरासत में भी लिए जाने की सूचना प्राप्त हुई है। डबवाली ऐलनाबाद में सैकड़ों किसानों को हरियाणा पुलिस ने हिरासत में लिया। किसानों ने इस बीच जमकर केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी की।

इसके अलावा राजस्थान में भी किसानों की ओर से रेल रोको की छिटपुट घटनाएं हुई हैं। गंगानगर में रेलवे स्टेशन पर किसानों ने रेलवे ट्रैक जाम करने का प्रयास किया, लेकिन पुलिस बल की भारी मौजूदगी के चलते किसानों को रेलवे ट्रैक पर नहीं जाने दिया गया, और उन्होंने स्टेशन पर ही खड़े होकर नारेबाजी की।  

तमिलनाडु से भी रेल रोको आंदोलन की खबरें आ रही हैं। यहाँ पर तमिलनाडु फार्मर्स यूनियन की ओर से किसानों की मांगों को केंद्र सरकार द्वारा पूरा न किये जाने के खिलाफ ट्रैक पर धरना दिया गया। 

लेकिन रेल रोको आंदोलन का सबसे बड़ा असर कहीं देखने को मिला तो वह पंजाब था। पंजाब के अमृतसर, लुधियाना, तरनतारन, होशियारपुर, फिरोजपुर, फजिल्का, संगरूर, मनसा, मोगा और बठिंडा समेत 22 जिलों में 52 स्थानों पर रेल पटरियों पर आज धरना दिया गया। इसके लिए किसान नेता सरवन सिंह पंधेर ने सभी किसानों से बड़ी संख्या में प्रदर्शन में शामिल होने का आह्वान किया था। अमृतसर में किसान रेलवे ट्रैक पर दरी बिछाकर बड़ी संख्या में धरने पर बैठे। लुधियाना में ट्रेन रोके जाने पर परेशान यात्रियों को किसानों ने भोजन कराया। 

पंजाब के संगरूर में रेल रोको प्रोटेस्ट में हजारों की संख्या में किसान-मजदूर पहुंचे। सैकड़ों की संख्या में अलग-अलग जत्थों में किसानों और महिलाओं ने आंदोलन में बढ़चढ़कर अपनी हिस्सेदारी निभायी। 

हरियाणा में आज सुबह ही पुलिस प्रशासन ने किसान नेताओं के घरों पर दबिश देकर उन्हें घर में ही नजरबंद कर दिया था। इस सिलसिले में सोशल मीडिया पर अंबाला से एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें बड़ी संख्या में पुलिस बल को किसानों को उनके घरों में ही घेरने की कोशिश करते देखा जा सकता है। सिरसा के डबवाली में किसानों को रेल रोको आंदोलन में शामिल होने की अपील करने वाले किसान नेता मिट्ठू सिंह को पुलिस ने घर में नजरबंद कर दिया। 

21 फरवरी के दिन दिल्ली चलो नारे के साथ जब किसानों ने शंभू और खनौरी बॉर्डर पर पुलिस बैरिकेडिंग को तोड़ने का प्रयास किया, तो उस दौरान शसस्त्र बलों की गोली से 22 वर्षीय युवा किसान शुभकरण सिंह की मौत हो गई थी। शुभकरन को न्याय दिए जाने की मांग और सभी फसलों पर एमएसपी की क़ानूनी गारंटी की मांग को तेज करने के लिए आज दिन में 12 बजे से शाम 4 बजे तक देश भर में रेल रोको आंदोलन का आयोजन किया गया था।

‘रेल रोको’ आंदोलन का असर देश के शेष हिस्सों में देखने को नहीं मिला है। इसकी एक बड़ी वजह आंदोलन के आज भी पंधेर और दल्लेवाल गुट के नेतृत्व के तहत चलाए जाने से है, जिसका मध्य प्रदेश के अलावा देश के बाकी किसान संगठनों से गठजोड़ न होना है। किसानों से हमदर्दी रखने वाले सोशल मीडिया वेबसाइट और ट्विटर हैंडल पर प्रतिबंध भी एक बड़ी बाधा बनी हुई है। 

अब सबकी निगाहें संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) द्वारा 14 मार्च को दिल्ली के रामलीला मैदान में होने वाली किसान महापंचायत के आह्वान पर लगी हुई है। इसके लिए अभी से देशभर से किसान दिल्ली कूच की तैयारी कर रहे हैं। अगर केंद्र सरकार और विभिन्न भाजपा शासित राज्यों ने देश भर से आने वाले किसानों को दिल्ली और हरियाणा पुलिस की तरह ही आने से रोका तो यह आंदोलन राष्ट्रव्यापी हो सकता है, और भाजपा के लिए चुनावों में मुश्किल खड़ी हो सकती है। 

हिसार से भाजपा सांसद ब्रजेन्द्र सिंह के इस्तीफे को किसानों के विरोध से जोड़कर देखा जा रहा 

किसानों के इस आंदोलन से भले ही राष्ट्रीय लोकदल के राष्ट्रीय अध्यक्ष और चौधरी चरण सिंह के पौत्र जयंत चौधरी को कोई खास फर्क न पड़ा हो, और उन्होंने भाजपा के साथ गठबंधन में ही अपने राजनैतिक भाग्य को जोड़ दिया हो, लेकिन खबर है कि हिसार के मौजूदा सांसद, ब्रिजेन्द्र सिंह ने आज ही भाजपा की सदस्यता त्यागकर सांसद पद से भी इस्तीफ़ा दे दिया है। ब्रजेंद्र सिंह चौधरी छोटूराम की चौथी पीढ़ी के वशंज हैं, जिन्हें जाट अपना सर्वोच्च नेता मानते आये हैं।

वरिष्ठ पत्रकार दीपक शर्मा ने ब्रिजेन्द्र सिंह के इस्तीफे को लेकर अपनी टिप्पणी में कहा है, “किसान आंदोलन का पहला झटका आज बीजेपी को लगा है।

हिसार के भाजपा सांसद चौधरी ब्रिजेंद्र सिंह ने मोदी जी का साथ छोड़ दिया।  @BrijendraSpeaks  का जाना हरियाणा में भाजपा के लिये ऐसा नुकसान है जिसकी भरपाई दूसरा कोई भी जाट नेता नहीं कर सकता है।”

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