Friday, April 19, 2024

सरकार का प्रस्ताव खारिज, भाजपा नेताओं का घेराव करेंगे किसान, 14 को देशव्यापी धरना

किसान संगठनों ने सिंघु बॉर्डर पर प्रेस कान्फ्रेंस करके केंद्र सरकार के प्रस्ताव को खारिज कर दिया है। साथ ही किसानों ने आंदोलन को और तेज करने की रूप रेखा भी तय कर ली है। किसान संगठनों ने तय किया है कि 12 दिसंबर तक हर हाल में जयपुर-दिल्ली हाईवे और आगरा-दिल्ली हाईवे को जाम कर दिया जाएगा। साथ ही 14 दिसंबर को देशव्यापी आंदोलन की कॉल दी गई है। इसके तहत दिल्ली के नजदीकी राज्यों उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा, पंजाब के किसानों को दिल्ली चलो का आह्वान किया जाएगा। जबकि दूर के राज्य उस दिन अपने राज्यों में धरना-प्रदर्शन देंगे।

भाजपा नेताओं के घरों का घेराव

भाजपा नेताओं का घेराव करने और लगातार करते रहने की रणनीति किसान संगठनों ने बनाया है। इसके तहत लोकल स्तर पर भाजपा के पार्षदों से लेकर भाजपा के विधायकों और सासंदों के दफ्तरों का घेराव करेंगे। और ये लगातार जारी रहेगा। साथ ही प्रत्येक राज्य के हर जिला स्तर पर आंदोलन खड़ा किया जाएगा और घेराव किया जायेगा।

जियो सिम बायकाट करने का आह्वान

इसके अलावा किसानों ने मुकेश अंबानी के जियो सिम का बायकाट करने का भी आह्वान किया है। जियो सिम इस समय भारत का सबसे ज़्यादा उपभोक्ता वाला कम्युनिकेशन नेटवर्क है। 

क्या था सरकार का प्रस्ताव

इससे पहले आज दोपहर सरकार की ओर से एक लिखित प्रस्ताव किसान संगठनों को सिंघु बॉर्डर पर गया। किसानों ने उस प्रस्ताव को रिसीव किया और उस पर सभी किसान संगठनों ने सिंघु बॉर्डर पर ही बैठक करके रायशुमारी की। 

बता दें कि कल रात गृहमंत्री अमित शाह और 13 किसान संगठनों के प्रतिनिधियों के बीच बैठक में ही सरकार के द्वारा अपने प्रस्ताव को लिखित भेजने का फैसला किया गया था।

सरकार तीनों कृषि कानूनों को बनाये रखने पर अडिग है। इस प्रस्ताव में MSP को लेकर लिखित आश्वासन दिया गया है। बिजली संशोधन विधेयक में परिवर्तन नहीं करने की बात कही गई है। किसानों को सिविल कोर्ट जाने के विकल्प का भी उल्लेख है। इसके अलावा सरकार के प्रस्ताव में राज्यों को अधिक शक्ति प्रदान करने की बात भी कही गई है।

25 विपक्षी दलों के नेताओं ने राष्ट्रपति से मुलाकात की

25 से अधिक विपक्षी दलों ने तीनों कृषि कानूनों और बिजली बिल को वापस लेने की मांग के प्रति अपना समर्थन दिया है। उनका कहना है कि ये कानून भारत के हितों में नहीं हैं और इससे हमारी खाद्य सुरक्षा को भी खतरा है। ये बताते हुए विपक्षी नेताओं ने इस संदर्भ में एक ज्ञापन भी राष्ट्रपति को सौंपा है।

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