हिंदुत्व की प्रयोगशाला गुजरात, उत्तरप्रदेश और अन्य हिंदी भाषी राज्यों में सामंती-ब्राह्मणवादी बर्बरता पूरे उफान पर है। इस तथ्य की शिनाख्त कुछ एक दिनों में घटी घटनाओं से की जा सकती है-
- सोमवार मध्य प्रदेश के छत्तरपुर जिले में एक दलित युवक की शादी के जुलूस पर पथराव की घटना सामने आई है। यह मामला छत्तरपुर के बक्सहा पुलिस थाने के चौराई गांव की बताई जा रही है। गांव के सवर्णों को जुलूस की शक्ल में शादी समारोह और दूल्हे के घोड़ी की सवारी रास नहीं आई। एक दलित की शादी धूमधाम से मनाई जाए और दूल्हा घोड़ी पर चढ़े, यह आज भी कुछ राज्यों में ऊंची जाति के दबंगों को गंवारा नहीं है। गुजरात भी उन्हीं में से एक है। पुलिस अधीक्षक अमित सांघी ने बताया है कि घटनास्थल पर पुलिस बल की तैनाती के बाद विवाह कार्यक्रम शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हो गया। हालांकि पथराव में कुछ पुलिसकर्मी भी जख्मी हुए हैं। करीब 50 लोगों के खिलाफ आईपीसी की विभिन्न धाराओं एवं एससी-एसटी (अत्याचार निरोधक) कानून के तहत मामला दर्ज कर दिया है।
- सोमवार के दिन ही ग्रेटर नोएडा (उत्तर प्रदेश) में एक 22 वर्षीय दलित जाटव छात्र जितेन्द्र कुमार, उर्फ़ जीतू ने पुलिस पर आरोप लगाया है कि ग्रेटर नोएडा की बीटा-2 पुलिस थाने में पिछले वर्ष पुलिस ने बुरी तरह से मारा-पीटा था। अलीगढ़ के इस एलएलबी के छात्र ने अपने ट्विटर अकाउंट से एक के बाद एक कई वीडियो जारी किये हैं, और कहा है कि उसे एक फर्जी केस में फंसाकर थाने में बेरहमी से पीटा गया था। यूपी के डीजीपी एवं गौतम बुद्ध नगर के पुलिस कमिश्नर को टैग करते हुए पीड़ित ने दावा किया है कि उसने लिखित में अपनी शिकायत अप्रैल में गौतम बुद्ध नगर के पुलिस कमिश्नर को दी है।
3. स्पा चलाने वाली एक महिला की शिकायत पर पिछले वर्ष 18 नवंबर को पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया था। महिला का कहना था कि जितेन्द्र ने उससे धंधा चलाने के लिए 3.5 लाख रूपये की फिरौती मांगी थी, और हर महीने 30,000 रूपये की मांग की थी। नोएडा पुलिस ने विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज कर जीतू को हिरासत में लेकर मारा-पीटा। जितेन्द्र के अनुसार, “यह जानने के बाद कि मैं जाती से जाटव हूं, पुलिस ने मेरे साथ गाली-गलौज की और मानवीयता को शर्मसार करते हुए मुझे पेशाब पीने के लिए मजबूर किया।”
छात्र का कहना है कि, “मैंने किसी को भी फिरौती के लिए नहीं धमकाया…मैं तो सिर्फ एक कॉलेज का छात्र हूं। पुलिस ने मुझे पकड़ा और मेरी पेंट की पिछली जेब में 30,000 रूपये डालकर मुझे थाने ले जाकर पीटा।”
इस संबंध में गौतम बुद्ध नगर पुलिस कमिश्नरी का कहना है, “जमानत पर एक सप्ताह बाद छूटने पर, जितेंद्र ने उच्चाधिकारियों के नाम एक शिकायती पत्र लिखा था, जिस पर अभी जांच चल रही है।”
4. महाराष्ट्र: जिला नांदेड़ की यह घटना पिछले सप्ताह की है। यहां पर एक 24 वर्षीय दलित युवक अक्षय भालेराव की हत्या इसलिए कर दी जाती है क्योंकि उसने गांव में भीमराव आंबेडकर की जयंती मनाने के लिए अपने समुदाय को तैयार किया था। नांदेड़ के पुलिस अधीक्षक श्रीकृष्ण कोकाटे के अनुसार, “घटना गुरूवार शाम को बोंधर हवेली गांव की है, हमने हत्या का मामला दर्ज किया है, और इस सिलसिले में 7 लोगों को गिरफ्तार किया है। आरोपियों पर हत्या सहित एससी-एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 की धाराओं के तहत भी मामला दर्ज किया गया है।”
मृतक के बड़े भाई आकाश ने पुलिस को दिए अपने बयान में कहा, “गांव में मराठा समुदाय के नारायण तिड़के की शादी के अवसर पर एक समूह सड़क पर जश्न मना रहा था, और वे हाथों में तलवारें, खंजर और लाठियां लेकर नाच रहे थे। शाम साढ़े सात बजे जब आकाश और अक्षय घर का सामान खरीदने किराने की दूकान पर गये तो जश्न में शामिल लोगों ने उनके खिलाफ कथित टिप्पणियां करनी शुरू कर दीं। उनमें से एक ने कहा कि गांव में भीम जयंती मनाने के लिए इन्हें मार देना चाहिए।
इसके बाद ही कुछ लोगों ने मेरे भाई को पीटना शुरू कर दिया, और लाठियों से मारा। इसी बीच कुछ लोगों ने मेरे भाई के हाथ और पैर पकड़ लिए और दो आरोपियों ने उसके पेट में चाकू घोंप दिया। भाई को बचाने के प्रयास में आरोपियों ने मुझ पर चाकू से हमला किया। मां जब अपने बेटों को बचाने के लिए दौड़ी तो उनपर भी पथराव किया और वे घायल हो गई। तत्काल रिक्शे से अक्षय को अस्पताल लेकर भागे, लेकिन उसने रास्ते में ही दम तोड़ दिया।”
5. गुजरात: जिला पाटन की घटना में 4 जून को ककोशी गांव के स्कूल के प्लेग्राउंड में क्रिकेट मैच चल रहा था। तभी एक दलित बच्चे की टेनिस बॉल मैदान के भीतर चली गई, जिसे उठाने वह मैदान में घुस गया था। इससे वहां पर मौजूद कुछ लोग भड़क उठे और बच्चे को डराने-धमकाने सहित जातिसूचक गालियां देने लगे। इस पर बच्चे के चाचा धीरज परमार ने आपत्ति जताई, और कुछ देर बाद मामला शांत हो गया। लेकिन शाम को हथियारों से लैस हमलावरों ने धीरज और उसके भाई कीर्ति पर हमला कर दिया, और कथित तौर पर कीर्ति का अंगूठा काट लिया। मामला पुलिस में दर्ज कर दिया गया है, और आरोपी कुलदीप सिंह राजपूत, सिद्धराज सिंह, राजदीप, दरबार, यशवंत सिंह, चकुबा लक्ष्मणजी और महेंद्र सिंह के खिलाफ आईपीसी की धरा 326, 506 एवं एससी-एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है। इनमें से दो को गिरफ्तार कर लिया गया था, बाकी फरार थे।
6. गुजरात: जिला बनासकांठा में 30 मई को एक दलित युवक को सिर्फ इस बात पर पीटा गया कि उसने अच्छे कपड़े पहने थे, और ऊपर से सन-ग्लास चश्मा पहना हुआ था। आरोप है कि जब उस युवक की मां उसके बचाव में आगे आई तो उनके साथ भी मारपीट की गई और जान से मारने की धमकी दी गई। इस मामले में पुलिस ने सात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया था।
7. उत्तर प्रदेश: जिला बस्ती से खबर आ रही है कि बस्ती जिले में एक नाबालिग लड़की के साथ गैंग रेप की घटना हुई है। इस घटना में रक्तस्राव इतना अधिक हुआ कि शरीर में खून की कमी से बच्ची की मौत हो गई है। पुलिस ने इस सिलसिले में दो आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है। घटना 5 जून रात 10 बजे की बताई जा रही है। यह घटना गौर थाना के अंतर्गत आने वाले एक गाँव की है। बच्ची शाम को बाजार से सब्जी लेने निकली थी, लेकिन काफी देर हो जाने पर उसकी खोज-खबर लेने परिजन बाहर निकले। किसी ने बताया कि कछिया-बिरऊपुर के स्कूल के पास एक बच्ची की लाश पड़ी है। इस मामले में मुख्य आरोपी भाजपा किसान मोर्चे का मंडल उपाध्यक्ष कुंदन सिंह बताया जा रहा है, जबकि अन्य दो आरोपी भाजपा के कार्यकर्ता हैं। पुलिस ने कुंदन सिंह के घर से खून से सनी बेडशीट जब्त की है।
8. मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और गुजरात की ये घटनाएं साफ़-साफ़ बताती हैं कि भारत में सामंती ब्राह्मणवादी शक्तियां एक बार फिर से आजादी पूर्व की स्थिति की ओर तेजी से बढ़ रही हैं। प्रधान मंत्री 2023 को आजादी का अमृतकाल बताते नहीं थकते, लेकिन दलितों, वंचितों और महिलाओं को पिछले 75 वर्षों में जो थोड़ी-बहुत आजादी, लोकतंत्र और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता भी मयस्सर थी, उसे छीनने में किसी प्रकार से गुरेज नहीं किया जा रहा है। ये ही वे ताकतें हैं, जो मजबूती से मिरर व्यू में हमेशा के लिए देखने के लिए राजनीतिज्ञों को विवश कर रही हैं। इनके लिए आज एक बार फिर से वही स्वर्ण काल वापस आ गया लगता है, जब ढोर, गंवार, शूद्र, पशु और नारी को पीटने पर ही उनसे संयत व्यवहार की अपेक्षा की जाती थी। इनके लिए दलितों का अच्छे कपड़े पहन फैशन करना, धूमधाम से अपने बेटी-बेटे की शादी करना ऊंची जाति की शान में हेठी करना, उन्हें मुहं चिढ़ाना है। इस सामंती मानसिकता को हवा दी जा रही है।
लेकिन भाजपा, आरएसएस और तथाकथित राष्ट्रीय मीडिया इन सब घटनाओं को भाड़ में झोंकते हुए असल में आज देश की आंखों में जॉन किर्बी की धूल झोंकने में व्यस्त हैं। व्हाईट हाउस के रणनीतिक मामलों के प्रेस सचिव जॉन किर्बी ने हाल ही में वाशिंगटन डीसी में अमेरिकी प्रेस को न्यूज़ ब्रीफिंग में कुछ ऐसी लच्छेदार बातें कही हैं, जिससे भारतीय मीडिया ख़ुशी से लहालोट हो रहा है।
सोमवार को न्यूज़ ब्रीफिंग में जॉन किर्बी ने अपने वक्तव्य में कहा, “भारत एक वाइब्रेंट डेमोक्रेसी (जीवंत लोकतंत्र) है। कोई भी नई दिल्ली जाकर स्वंय अपनी आंखों से इसे देख सकता है।” यह जवाब उन्होंने भारत में लोकतंत्र में हो रहे क्षरण के जवाब में कही थी।
कोई जॉन किर्बी को गुजरात और हिंदी भाषी प्रदेशों की इन घटनाओं की जानकारी दे, तो संभवतः वे अपने बयान में कुछ हेर-फेर कर सकते हैं, लेकिन फिलहाल अमेरिकी हुक्मरान की नजर भारत को किसी तरह अपने आईने में उतारने की है, जिसे उसे अपने नए भूराजनैतिक रणनीति में एक अहम प्यादे के रूप में चीन के आगे सजाना है। इसी माह के अंत में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिकी यात्रा में कुछ बेहद अहम फैसले होने हैं। ऐसे में एक प्रेस सचिव भला और क्या कहेगा। लेकिन इनके परिणामों के भावी भुक्तभोगियों के रूप में भारत के नागरिक होंगे, जिनके सामने नित नए सामंती, मध्युगीन बर्बर हमले हो रहे हैं, लेकिन मीडिया भविष्य के रंगीन सपने दिखाकर विषाक्त यथार्थ को हमारी आंखों से ओझल करने पर तुला हुआ है।
(रविंद्र पटवाल जनचौक की संपादकीय टीम के सदस्य हैं।)