सीपी कमेंट्री: इति वोटिंग अथ काउंटिंग कथा-2022

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उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और मणिपुर की विधान सभाओं के बरस 2022 में नए चुनाव की सभी सीटों पर इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) से दर्ज वोटों की काउंटिंग के परिणाम 10 मार्च को सूर्यास्त तक निकल जाने की आशा है। नई सरकार जिसकी भी जितनी जल्दी या देरी से बने ये ही परिणाम 18 पर्व (दिन) चले पौराणिक महाभारत के बाद ‘उत्तर आधुनिक महाभारत‘ के कड़ी ठंड से लेकर फागुन माह में चले चुनावी मुकाबले के सेमीफायनल का निचोड़ कहा जा सकता है।  

आज सात मार्च तक चली सात चरणों की वोटिंग के बाद ये परिणाम पोलिंग सेंटरों से काउंटिंग सेंटरों पर अर्धसैनिक और अन्य केन्द्रीय सुरक्षा बलों की सैकड़ों कंपनियों के जवानों की पहरेदारी में लाई गई इन सीलबंद ईवीएम में लगे चिप में प्रत्याशीवार दर्ज सभी मतों की 10 मार्च को ही गिनती से मिलेंगे। लेकिन न्यू इंडिया की हड़बड़ गड़बड़ गोदी मीडिया आज ही अपने-अपने बुद्धू बक्से पर एग्जिट ओपिनियन पोल दिखा-दिखा कर नई सरकार बना 10 मार्च तक गिरवा भी दे तो कोई आश्चर्य नहीं होनी चाहिए।

निर्वाचन आयोग चुनाव परिणाम की अधिकृत घोषणा ईवीएम चिप में बंद वोटों की गिनती का एक और मशीन वोटर वेरीफाइड पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपीएटी) के स्क्रीन शॉट से रेंडम टैली के बाद ही करेगा। ध्यान रहे वोटिंग में हल्का भी अंतर होने से चुनाव परिणाम बदल जाते हैं। अपेक्षाकृत ज्यादा शिक्षित केरल में ये पुराना ट्रेंड है जहां प्राप्त वोटों में बहुत कम अंतर होने से भी सरकार बदल जाती है। ये भी गौरतलब है कि इस बार प्रत्येक राज्य की वोटिंग के गणित अलग हैं। लेकिन उनमें एक बड़ा ट्रेंड ये था कि इस बार वोटिंग पिछली बार से कम हुई।

दिग्गज

इस चुनाव में पांच मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (उत्तर प्रदेश,भाजपा), पुष्कर सिंह धामी (उत्तराखंड, भाजपा), चरणजीत चन्नी (पंजाब,कांग्रेस), प्रमोद सावंत( गोवा, भाजपा) और एन बीरेन सिंह (मणिपुर, भाजपा) समेत चार पूर्व मुख्यमंत्रियों अखिलेश यादव (उत्तर प्रदेश,समाजवादी पार्टी), कैप्टन अमरिंदर सिंह (पंजाब लोक कांग्रेस),प्रकाश सिंह बादल और हरीश रावत (उत्तराखंड, कांग्रेस) की भी सियासी किस्मत दांव पर है। पंजाब में पूर्व क्रिकेटर और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू के अलावा 90 वर्षीय सीनियर बादल के पुत्र एवं पूर्व उपमुख्यमंत्री सुखबीर बादल, मुख्यमंत्री पद के लिए आम आदमी पार्टी के दावेदार भगवंत मान भी मुकाबले में हैं। गोरखपुर सदर सीट पर योगी आदित्यनाथ खुद फंसे बताए जाते हैं। वह तीन-चार दिन गोरखपुर में ही पड़े रहे।

मुद्दे : रोजगार से छुट्टा सांड तक

इन चुनाव में रोजगार का मुद्दा भी उठा। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की यूपी में गोंडा चुनावी रैली में युवकों ने रोजगार की मांग पर जोरदार नारेबाजी की। उन्होंने सेना में भर्ती शुरू करने की मांग की। युवाओं ने ‘सेना में भर्ती चालू करो‘, ‘हमारी मांगें पूरी करो‘ आदि के नारे लगाए। राजनाथ सिंह ने ये कहा कि ‘होगी, होगी… चिंता मत करो, आपकी चिंता हमारी भी है, कोरोना वायरस के चलते थोड़ी मुश्किलें हैं’। इन प्रदर्शनकारी युवाओं को शांत करने की नाकाम कोशिश की।

प्रधानमंत्री एवं भाजपा नेता नरेंद्र मोदी ने भी कबूल कर लिया कि यूपी में छुट्टा सांड बड़ा मुद्दा है। भाजपा अभी तक इसे कोई बड़ा मुद्दा नहीं मानती थी। मोदी जी ने भाजपा की उन्नाव चुनावी रैली में कहा कि इसके निवारण के लिए 10 मार्च के बाद नई व्यवस्थाएं की जाएंगी।

वोटिंग ट्रेंड

पहले चरण में उत्तर प्रदेश में 10 फरवरी को जाट बहुल 54 सीटों पर वोटिंग हुई जहां पिछली बार भाजपा को 46 फीसद वोट मिले थे। उसकी आबादी में 17 फीसद जाट और 24 फीसद मुस्लिम वोट हैं। कहते हैं पिछली बार मुस्लिम वोट सपा और बसपा में बंट गया था और गैर-जाटव दलित समुदाय का बड़ा हिस्सा भाजपा के साथ हो लिया था। इस बार अधिकतर जाट और मुस्लिम वोट जयंत चौधरी के राष्ट्रीय लोक दल (आरएलडी) आदि के साथ सपा के गठबंधन के साथ हो लेने का आकलन है। इन 55 सीटों पर 2012 के चुनाव में 65.17 फीसदी वोट पड़े थे जो 2017 में थोड़ा बढ़कर 0.36 फीसद हो गए थे। वोटिंग में इस थोड़ी ही बढ़ोत्तरी से भाजपा को जबरदस्त फायदा हुआ था। पिछली बार इन सीटों में से भाजपा को 38 और सपा के कांग्रेस के साथ के गठबंधन को 17 सीटें मिली थीं। तब बसपा और आरएलडी को एक सीट भी नसीब नहीं हुई थी।

इस बार इन 55 सीटों पर सपा के गठबंधन के 19, बसपा के 23, कांग्रेस के 21 और तेलंगाना से सांसद असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी के 19 उम्मीदवार हैं। इन चार पार्टियों के कुल 77 मुस्लिम उम्मीदवार हैं। इस बार इन 55 सीटों पर वोटिंग 3 फीसद कम होने के बावजूद मुख्यमंत्री योगी की सरकार का भविष्य खतरे में चला गया और उससे अंत तक उबर नहीं पाया। भाजपा को जबरदस्त नुकसान और सपा गठबंधन को फायदा होने का आकलन है।

दूसरे चरण में मुस्लिम और दलित बहुल 9 जिलों की 55 सीटों पर 2.02 करोड़ वोटर में से 64.42 फीसद ने वोट डाले जो 2017 की पिछली वोटिंग से 9.45 फीसदी कम है। इन 55 सीटों में से भाजपा ने 2017 में 38 जीती थीं। तब आपसी गठबंधन में सपा को 15 और कांग्रेस को दो सीटें मिली थीं। सपा की 15 में 10 सीटों पर मुस्लिम जीते थे। इन 55 सीटों पर 2012 के चुनाव में 65.17 फीसदी वोट पड़े थे जो 2017 में थोड़ा बढ़कर 0.36 फीसद हो गए थे।

20 फरवरी, 2022 को तीसरे चरण में उत्तर प्रदेश के 16 जिलों की 59 सीटों पर वोटिंग हुई। पूर्व मुख्यमंत्री एवं समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव ने अपने गांव, सैफई में एक स्कूल में जाकर वोट दिया। तीसरे चरण का वोटिंग ट्रेंड भाजपा के लिए नुकसानदेह माना गया जिसमें 59 सीटों पर 61 फीसद वोट डाले गए। सपा के असर वाले इलाकों में औसत से ज्यादा मतदान हुआ। इन्हीं सीटों पर 2017 में 62.2 फीसद वोटिंग हुई थी। 2012 में इन सीटों पर 59.8 फीसद वोटिंग हुई थी। 2012 के चुनाव में इन सीटों में से 37 सीटें सपा जीती थी। 2017 में बीजेपी ने इन 59 सीटों में से 41 सीट जीत ली। इस बार सपा के गढ़ इटावा, मैनपुरी आदि में वोटिंग औसत से ज्यादा हुई। अखिलेश यादव की करहल सीट पर पिछली बार से 3 फीसद ज्यादा मतदान हुआ है। यादव बहुल करीब दो दर्जन सीटों पर औसत से 2 फीसद ज्यादा मतदान हुआ। इन क्षेत्रों में यादव आबादी 30 से 50 फीसद है। भाजपा के असर वाले बुंदेलखंड के पांचों जिलों; झांसी, हमीरपुर, ललितपुर, महोबा और कानपुर देहात में 2017 की तुलना में काफी कम वोट पड़े।

चौथे चरण में 23 फरवरी, 2022 को लखनऊ, पीलीभीत, लखीमपुर खीरी, सीतापुर, हरदोई, उन्नाव, रायबरेली, फतेहपुर और बांदा के 9 जिलों की 59 सीटों पर वोटिंग हुई। उनमें 7 जिले अवध के हैं और अनुसूचित जातियों के लिये 16 आरक्षित सीटें हैं।

पांचवें चरण में 27 फरवरी को 11 जिलों की 61 सीटों पर वोटिंग हुई। छठे चरण में तीन मार्च को और अंतिम सातवें चरण में सात मार्च को वोटिंग हुई। 

अवध

यूपी विधानसभा की कुल 403 में से 118 सीटें अवध के ही 21 जिलों में पसरी हैं। भाजपा को इस क्षेत्र में 2017 में 97 और 2012 में 10 सीटें मिली थीं। सपा को 2012 में 90 सीटें मिली थीं जो 2017 में घटकर 12 रह गईं। अवध की आबादी में एससी के काफी लोग है। सीतापुर में सबसे ज्यादा 32 फीसद और हरदोई, उन्नाव, रायबरेली में 30 फीसद दलित हैं। सबसे कम 21 फीसद दलित वोटर लखनऊ में हैं। अवध में दलित समुदाय में बड़ी संख्या गैर जाटव वोटरों की है जो बंटे हुए हैं। पूर्व मुख्यमंत्री मायावती की बहुजन समाज पार्टी (बसपा) का अवध क्षेत्र की दर्जन भर सीटों पर असर है। 2012 के चुनाव में बसपा की 10 सीटों पर जीत हुई थी जो 2017 में घटकर 6 रह गई। माना जाता है कि अवध में 2017 में सबसे ज्यादा 43 फीसद गैर-जाटव वोट सपा को और 31 फीसद भाजपा को मिले। उस बार बसपा को गैर-जाटव वोट 10 फीसद और जाटव वोट 86 फीसद मिलने का आकलन था। अवध क्षेत्र में हिंदुत्व का मुद्दा हावी करने के मकसद से भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने अयोध्या में 3 चुनावी सभाएं कीं।

पंजाब

पंजाब में 117 विधानसभा सीटों के मुकाबले में इस बार 5 पार्टियों के उतरने के बावजूद वोटरों में ज्यादा उत्साह नहीं दिखा। पिछली बार के 77 प्रतिशत वोटिंग के मुकाबले इस बार 5.25 फीसद कम वोट पड़े। इस बार 71.95 फीसद ही मतदान हुआ जो पिछले 15 वर्षों में सबसे कम मतदान है। इस बार पंजाब में कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और शिरोमणि अकाली दल के अलावा भाजपा और कैप्टन अमरिंदर सिंह के नए बनाए दल, पंजाब लोक कांग्रेस ने भाजपा से गठबंधन कर चुनाव लड़ा। किसानों की पार्टी संयुक्त समाज मोर्चा ने भी करीब एक सौ सीटों पर उम्मीदवार उतारे। राज्य के करीब 2.14 करोड़ मतदाताओं ने 117 सीटों पर 1,304 उम्मीदवारों के चुनावी भाग्य पर अपना फैसला दिया ।

बलात्कार के जुर्म में अदालत के ऑर्डर पर जेल में बंद “डेरा सच्चा सौदा“ (सिरसा, हरियाणा) के प्रमुख गुरमीत राम रहीम को चुनाव के ऐन पहले हरियाणा की मनोहर खट्टर सरकार ने 21 दिन की परोल (फरलो) पर बाहर जाने दिया। यही नहीं केंद्र की मोदी सरकार ने अदालत से सजायाफ्ता इस अपराधी को जेड श्रेणी की सुरक्षा भी प्रदान कर दी। माना जाता है कि पंजाब की 117 में से 56 सीटों पर खास कर मालवा क्षेत्र में डेरे का असर है। तलवंडी साबो से निर्दलीय उम्मीदवार हरमिंदर सिंह जस्सी को समर्थन देने को कहा गया है जो राम रहीम का समधी है। जस्सी पहले कांग्रेस में थे और पार्टी टिकट नहीं मिलने से इस बार निर्दलीय खड़े हो गए। इससे पहले वे तीन चुनाव हार चुके हैं। हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) के प्रमुख ओमप्रकाश चौटाला के मुताबिक डेरा सच्चा सौदा प्रमुख की पैरोल का भाजपा को पंजाब चुनाव में फायदा नहीं होने वाला है। भाजपा के प्रतिनिधि पार्टी छोड़ भाग रहे हैं। मुख्यमंत्री को भी लोग अपने क्षेत्र में हेलीकॉप्टर से उतरने नहीं देते हैं। उनकी पार्टी ने पंजाब में शिरोमणि अकाली दल (बादल) को समर्थन दिया ।

त्तराखंड

उत्तराखंड विधान सभा की सभी 70 सीटों पर मतदान एक ही चरण में 14 फरवरी को हुआ जिसमें 65.37 फीसद वोटिंग हुई। यह 2017 के पिछले चुनाव से 0.18 प्रतिशत कम है। कुल 53 लाख 42 हजार 462 वोटरों में से 67.20 प्रतिशत महिलाओं और 62.60 प्रतिशत पुरुषों ने भाग लिया। इन सीटों पर कुल 632 उम्मीदवार हैं। महिलाओं का मतदान, पुरुषों से अधिक रहा जिसका एक कारण महंगाई के प्रति उनका रोष बताया जाता है। इन सीटों पर कुल 632 उम्मीदवार हैं। लोगों का अनुमान है अधिकतर सीटों पर भाजपा और कांग्रेस में कांटे की टक्कर है। चुनाव से ठीक पहले भाजपा से निष्कासित होने के बाद कांग्रेस में शामिल पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत ने इस बार खुद चुनाव नहीं लड़ा। उनके मुताबिक कांग्रेस करीब 40 सीटों पर जीत कर अपनी सरकार बनाएगी। अभी मुख्यमंत्री भाजपा के पुष्कर सिंह धामी हैं। भाजपा के पाले में दो पूर्व मुख्यमंत्री, त्रिवेंद्र सिंह रावत और रमेश पोखरियाल के अलावा कांग्रेस से आए सतपाल महाराज भी हैं। आम आदमी पार्टी के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार रिटायर्ड कर्नल अजय कोठियाल हैं।

गोवा     

इस राज्य की सभी 40 सीटों पर एक ही चरण में 14 फरवरी को वोटिंग हुई जिसमें करीब 79 फीसद मतदान हुआ। मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने अपनी भाजपा की जीत का विश्वास व्यक्त किया है। गोवा की 40 सीटों पर पिछली बार के 81.21 फीसद से कुछ कम 78.94 प्रतिशत मतदान हुआ। गोवा में इस बार भाजपा और कांग्रेस के अलावा पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की आल इंडिया तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी (आप) भी चुनाव मैदान में है। आम आदमी पार्टी के सीएम उम्मीदवार अमित पालेकर हैं।

अभी कुल 40 सीटों की निवर्तमान विधान सभा में भाजपा के 27, कांग्रेस के 5 , गोवा फॉरवर्ड पार्टी (जीएफडी) के 3 महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी (एमजीपी) और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के एक–एक विधायक हैं जबकि तीन विधायक निर्दलीय हैं। भाजपा के सत्ता पक्ष में एक निर्दलीय मिलाकर 28 विधायक हैं। विपक्ष में 11 विधायक हैं जिनमें कांग्रेस के 5, जीएफडी के 3, एमजीपी और एनसीपी के एक–एक के अलावा दो निर्दलीय हैं। एक और विधायक अन्य दल के हैं।

एबीपी न्यूज और सी-वोटर के सर्वे के मुताबिक गोवा में भाजपा को 23.6 फीसद वोट शेयर की बदौलत स्पष्ट बहुमत मिल सकता है। कांग्रेस को 28.6 फीसद वोट शेयर से अधिकतम 6 सीट मिलने का अनुमान है। आप को 23.6 फीसद वोट शेयर के साथ 7 सीट तक मिलने का आकलन है।

मणिपुर

मणिपुर में परिवर्तित चुनाव कार्यक्रम के अनुसार 60 विधानसभा सीटों पर वोटिंग 28 फरवरी और 5 मार्च को हुई। कांग्रेस का सीपीआई, सीपीएम, फॉरवर्ड ब्लॉक, आरएसपी, जेडी (एस) के साथ गठबंधन है। हर सीट पर औसत 25000 मतदाता हैं। मणिपुर में कांग्रेस की स्थिति भाजपा से मजबूत बताई जाती है। मणिपुर कांग्रेस अध्यक्ष एन लोकेन सिंह के मुताबिक ये गठबंधन भाजपा की हार सुनिश्चित करने के लिए की गई। कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री इबोबी सिंह तीन बार मुख्यमंत्री रहे। उनके नेतृत्व में कांग्रेस 2017 के चुनावों में सबसे बड़ी पार्टी बनी थी। लेकिन भाजपा के एन बीरेन ने छोटे दलों और निर्दलीयों का समर्थन जुटा कर अपनी सरकार बना ली।

कांग्रेस, राज्य में 1980 से 1988, 1994 से 1997 और 2002 से 2017 तक सत्ता में रही है। नेशनल पीपुल्स पार्टी के साथ ही कांग्रेस के भी तीन विधायकों ने एन बीरेन सरकार से समर्थन वापस ले लिया तो भाजपा सरकार के गिर जाने और कांग्रेस सरकार की वापसी की संभावना को मोदी सरकार के हस्तक्षेप से टाल दिया गया।

यूपी में

आज यूपी में सातवें चरण में वाराणसी, चंदौली, भदोही, मिर्जापुर, रॉबर्ट्सगंज, गाजीपुर, मऊ, आजमगढ़ और जौनपुर के नौ जिलों की 54 सीटों पर 613 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं और 2.06 करोड़ वोटर हैं। वोटिंग अनुमानित 54 फीसद हुई। इनमें 11 सीट अनुसूचित जाति के लिए और दो अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं। 2017 के पिछले चुनाव में भाजपा और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा), अपना दल (एस) के साथ उसके गठबंधन ने इनमें से 36 सीटें जीती थी। भाजपा को 29, अपना दल (एस) को चार और सुभासपा को तीन सीट मिली थी। सपा को 11, बसपा को छह और निषाद पार्टी को एक सीट मिली थी। निषाद पार्टी इस बार भाजपा गठबंधन में है और सुभासपा ने सपा से गठबंधन किया है।

प्रधानमंत्री मोदी ने इस सेमिफाइनल का आखरी चुनाव प्रचार वाराणसी में किया। सपा प्रमुख अखिलेश यादव के साथ पश्चिम बंगाल की मुख्‍यमंत्री ममता बनर्जी ने भी वाराणसी में चुनाव प्रचार किया। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा ने भी वाराणसी में अपनी पार्टी के उम्मीदवारों के लिए प्रचार किया। भाजपा के चुनाव प्रचारकों में पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, मुख्‍यमंत्री आदित्‍यनाथ और उप मुख्‍यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य भी थे। आज के चरण की वोटिंग में प्रमुख उम्मीदवारों में सुभासपा अध्यक्ष और पूर्व मंत्री ओमप्रकाश राजभर (जहूराबाद-गाजीपुर), गैंगस्टर से नेता बने मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास अंसारी (मऊ सदर) शामिल हैं। आज शाम पांच बजे तक 53 फीसद वोटिंग हुई थी।

इन 54 विधानसभा सीटों पर पिछली बार भाजपा को 31.26 फीसद वोट शेयर के साथ 29 सीटें मिली थीं। सपा को 23.13 फीसद वोट के साथ 11 सीटें और बसपा को 25.85 फीसद वोट के साथ 6 सीटें मिली थीं। 2017 में यूपी चुनाव के एग्जिट पोल, असल नतीजों के आसपास भी नहीं रहे। लगभग सभी टीवी चैनलों की भाड़े की सर्वे एजेंसियों ने भाजपा गठबंधन को 155 से 285 सीटें मिलने का अनुमान लगाया था। लेकिन उसे वास्तव में 325 सीटें मिलीं जिनमें भाजपा की 312 सीटें शामिल हैं।

बहरहाल, हम मिर्जा गालिब के एक शेर को तनिक स्पिन देकर पहले ही कह सकते हैं : इब्तदा-ए – चुनाव है रोता है क्य , आगे आगे देखिए होता है क्या। इति वोटिंग अथ काउंटिंग कथा 2022।

(सीपी झा स्वतंत्र पत्रकार हैं।)

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