नई दिल्ली। इतिहासकार और लेखक रामचंद्र गुहा, फिल्मकार मणिरत्नम और अपर्णा सेन समेत मॉब लिंचिंग के खिलाफ पीएम मोदी को पत्र लिखने वाले 50 शख्सियतों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गयी है। इन सभी पर देश की छवि को खराब करने का आरोप लगाया गया है। इसके साथ ही उन्हें अलगाववादी प्रवृत्तियों का समर्थक करार दिया गया है।
पुलिस ने बताया कि यह एफआईआर बृहस्पतिवार को दर्ज की गयी। गौरतलब है कि इन सभी ने पीएम मोदी को पत्र के जरिये देश में बढ़ती मॉब लिंचिंग की घटनाओं पर चिंता जाहिर की थी। बिहार के मुजफ्फरपुर में स्थानीय एडवोकेट सुधीर कुमार ओझा ने तकरीबन दो महीना पहले चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट की कोर्ट में याचिका दायर की थी। जिसके बाद कोर्ट ने एफआईआर दर्ज करने का यह आदेश पारित किया था।
दि हिंदू के हवाले से आयी खबर के मुताबिक ओझा ने बताया कि “ मेरी याचिका स्वीकार करने के बाद सीजेएम ने यह आदेश 20 अगस्त को पारित किया था। उसके बाद आज पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज की गयी।”
उन्होंने बताया कि याचिका में 50 हस्ताक्षरकर्ताओं का नाम दिया गया था। एडवोकेट के मुताबिक इसके जरिये न केवल देश की छवि को खराब किया गया है बल्कि प्रधानमंत्री मोदी के शानदार प्रदर्शन पर भी सवालिया निशान लगाया गया है। इसके साथ ही उनका कहना था कि इससे अलगाववादी प्रवत्तियों को भी बढ़ावा मिलेगा।
पुलिस का कहना है कि देशद्रोह, धार्मिक आस्था को चोट पहुंचाने और उसे अपमानित करने और भड़काने के जरिये शांति को भंग करने संबंधी भारतीय दंड संहिता की तमाम धाराओं के तहत इस एफआईआर को दर्ज किया गया है।
यह पत्र इसी साल जुलाई महीने में लिखा गया था। जिसमें इन सभी के अलावा गायिका शुभा मुद्गल भी शामिल थीं। इसमें कहा गया था दलितों, मुसलमानों और सभी अल्पसंख्यकों की लिंचिंग पर तत्काल रोक लगायी जानी चाहिए। इसके साथ ही इसमें कहा गया था कि बगैर असहमति के कोई लोकतंत्र नहीं होता है। इसमें इस बात को बिल्कुल साफ-साफ कहा गया था कि “जय श्रीराम” इस समय युद्ध का नारा बन गया है।
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