Friday, April 19, 2024

ग्राउंड रिपोर्ट: बनारस में बाढ़ से तबाही का मंजर, भूसे-पानी को तड़प रहे मवेशी और शेल्टर हॉउस में लोगों की दुर्गति  

वाराणसी। उत्तर प्रदेश के वाराणसी में बाढ़ से हाहाकार मचा हुआ है। गंगा में आई बाढ़ से लाखों लोगों का जनजीवन अस्त व्यस्त है, और करोड़ों रुपए का कारोबार चौपट हो गया है। जल समाधि ले रहे फसल लगे खेत, मवेशियों को चारे और पेयजल की किल्लत ने किसानों को दोहरी मुश्किल में डाल दिया है। प्रशासन की आधी-अधूरी तैयारी के चलते शेल्टर हॉउस में शरण लिए महिला, बच्चे और पुरुषों की स्थिति दयनीय है और उनकी दुर्गति हो रही है। 

गंगा तटीय इलाकों में संक्रामक बीमारी का खतरा मंडरा रहा है। गंगा और वरुणा, अस्सी नदी की बाढ़ से हजारों लोग बेघर हो गए हैं। रविवार को फिर रिहायशी इलाकों से पलायन जारी रहा। मसलन, बनारस में गंगा नदी खतरे के निशान को पार कर जानमाल को नुकसान पहुंचा रही है। बाढ़ की वजह से अब तक तीन लाख से अधिक आबादी प्रभावित है और हजारों हेक्टेयर में लगी फसलें डूब कर नष्ट हो गई हैं। 

शहर के रिहाइशी इलाके में भरा बाढ़ का पानी।

बनारस में बाढ़ बवंडर जैसी स्थिति बन गई है। बवंडर चारों तरफ घूमता तूफान होता है। उसी तरह गंगा, वरुणा और आशी का पानी शहर में चारों ओर घूमकर रिहायशी इलाकों को घेर रहा है। ‘जनचौक’ की टीम रविवार को चौकाघाट के ढेलवरिया स्थित प्राथमिक विद्यालय में बने बाढ़ राहत शिविर की पड़ताल करने पहुंची। यहां तीन कमरों में 27 परिवार व सदस्य, बकरी, मुर्गियां और तोते के साथ रह रहे हैं। बाढ़ पीड़ितों ने बताया कि बहुत मुश्किल में दिन कट रहे हैं। प्रशासन की तैयारी आधी अधूरी है। शहरी इलाके में गंगा, वरुणा और अस्सी नदियों के पलट प्रवाह से 200 से अधिक कॉलोनियों में पानी भर गया है। इससे हजारों लोगों को पलायन करना पड़ रहा है।

चौकाघाट के शेल्टर हाउस में नहीं आ रहा पेयजल

इंसानों ने जैसे-तैसे ऊंची स्थानों पर शरण ले ली है। लेकिन, हजारों मवेशी पेयजल और चारे के लिए तड़प रहे हैं। बाढ़ पीड़ितों की सुविधा के लिए बनाए गए शेल्टर हाउस में भी लोगों की दुश्वारियां कम नहीं हो रही हैं। लाल निशान से ऊपर बह रही गंगा का जलस्तर अभी बढ़ाव पर है। शहरी क्षेत्र के 15 वार्ड तथा 93 गांव बाढ़ की चपेट में आ चुके हैं। जिले में 20 हजार से ज्यादा लोग बाढ़ पलायन प्रभावित हैं। 40 राहत शिविरों में से सक्रिय 18 शिविरों में तीन हजार से अधिक लोगों ने शरण ली हुई है। प्रशासन का दावा है कि बाढ़ में फंसे हुए तीन हजार से अधिक लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला गया है। 

शेल्टर हाउस में बैठे बाढ़ पीड़ित

चौकाघाट में बने शेल्टर हाउस में कुल 27 परिवारों (बच्चों को लेकर 60 से अधिक) ने शरण लिया हुआ है। यहां स्पेस कम है और जगह भी हवादार नहीं है। तीन कमरों में 27 परिवार के 60 लोग बकरी, तोता और मुर्गियों के साथ रहने को विवश हैं। निशा का घर बाढ़ में समा गया है। चार दिन से इस राहत शिविर में अपने बच्चों के साथ रह रही हैं। निशा कहती हैं कि यहां नहाने और कपड़े चेंज करने में काफी दिक्कत हो रही है। पर्याप्त साफ-सफाई नहीं होने से बच्चों के बीमार पड़ने की आशंका है। इतने कम स्पेस में 50 से अधिक लोग रह रहे हैं। इससे तो कोई संक्रामक बीमारी फैली भी तो सभी को हो जाएगी। 

शेल्टर हाउस में अपनी बकरी के साथ बैठी महिला।

शेल्टर हाउस के ठीक पीछे रह रहे रामचरण यादव प्लास्टिक के थैले में रखे चावल और सब्जी से भोजन करने की तैयारी कर रहे थे। इनके पास कुल 5 गायें हैं। घर-मकान बाढ़ में डूब जाने से ये शेल्टर हाउस के पीछे जैसे-तैसे ऊंचे स्थान पर शरण लिए हुए हैं। इनकी एक गाय गुरुवार से ही बीमार है। कई बार फोन करने के बाद पशु डॉक्टर ने शनिवार को दवा दिया। रामचरण समेत कई अन्य लोगों को भी भूसे और पेयजल की दिक्कत है। 

चारा-पानी के लिए तड़प रहे मवेशी।

बाढ़ पीड़ित अशोक ने बताया कि बाढ़ से पहले मवेशी चारा यानी भूसा ₹250 प्रति मन मिल रहा था। लेकिन, बाढ़ आने से पशु चारे की कीमत में आग लग गई है, और 600 रुपये प्रति मन भूसा मिल रहा है। आढ़तिये मजबूरी का फायदा उठाकर लोगों को लूट रहे हैं। बेचने वालों पर कोई कार्यवाही नहीं होने से इनके हौसले बढ़े हुए हैं। इतना ही नहीं पशु पालकों को चारा रखने का प्रशासन द्वारा कोई इंतजाम नहीं किया गया है। चारा खुले आसमान के नीचे पड़ा हुआ है, जो बारिश में भीगता रहता है। राजेंद्र चौहान ने बताया कि हाउस के आसपास के बाढ़ प्रभावित इलाके के कई बिजली पोल में करंट आ रहा है। लोगों का आना-जाना लगा रहता है। कुछ को बाढ़ के पानी में भी उतरना पड़ रहा है। बिजली काटने के लिए बिजली विभाग को फोन किया गया, लेकिन अभी तक कोई कर्मचारी नहीं आया है।

खुले में रखा गया भूसा, जो बारिश में भीगता रहता है।

शेल्टर हाउस में रहने वाली महिलाओं ने बताया कि दोनों वक्त सिर्फ आधा पेट भोजन मिल रहा है। नीरज विश्वकर्मा ने बताया कि सिर्फ पहले दिन टैंकर से पेयजल आया था। आज यहां रहते हुए पांच दिन हो गए हैं। रोजाना पेयजल की किल्लत हो रही है। स्कूल की टंकी में थोड़ा-बहुत पानी स्टोर होता है तो वहीं स्नानादि में खर्च हो जाता है। फिर दिन भर सभी को पेयजल के लिए परेशान होना पड़ता है। साफ पानी नहीं मिलने की वजह से लोगों को आशंका है कि उनकी तबीयत खराब हो जाएगी। स्कूल में शेल्टर हाउस बनाए जाने से छात्र-छात्राओं की पढ़ाई कई दिनों से बंद है। 

बाढ़ पीड़ित राजेंद्र चौहान

शहर में बुधवार, गुरुवार, शुक्रवार और शनिवार को हुई बारिश से बाढ़ पीड़ित सहमे हुए हैं। बाबतपुर स्थित मौसम विज्ञान विभाग के आंकड़ों के अनुसार चार दिनों में कुल 60 मिलीमीटर की बरसात रिकार्ड किया गया। दक्षिण-पूर्वी हवा 15 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से बह रही है। हवा में नमी 98 फीसदी है। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के अनुमान के अनुसार दोपहर में भी कई इलाकों में बारिश दर्ज की गई। बारिश रुकी तो कुछ देर के लिए धूप ने भी अपना असर दिखाया। इसके बाद बादल छाए रहे। बाढ़ जैसे हालात में बूंदाबांदी और बारिश से तटवर्ती इलाके के नागरिकों की धड़कने बढ़ा दी हैं।

निशा

राजेश चल्लू ने बताया कि गंगा नदी में भारी मात्रा में पानी होने से बाढ़ के हालात होने पर प्रशासन भी लाचार साबित हो रहा है। ऐसे में हरिश्चन्द्र घाट से लगी केदार गली जो कि सबसे ऊंची जगह पर है, उसी जगह पर लकड़ियों के माध्यम से चिताओं का अंतिम संस्कार किया जा रहा है। अब तो हमारे वार्ड की गलियों में अंतिम संस्कार किया जा रहा है जिसकी वजह से स्थानीय लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। विक्रम चौधरी की परेशानी ये है कि ‘गलियों में भारी मात्रा में लकड़ियों के ढेर रखे जा रहे हैं, जिस कारण आने-जाने में काफी परेशानी हो रही है। कहने पर लोग झगड़ा करने के लिए तैयार हो जा रहे हैं।’

धौलपुर बैराज व माताटीला डैम से लगभग 11 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया है। जिससे गंगा में बाढ़ आने की संभावना बढ़ गयी है। सोमवार के दिन चंबल नदी पर बने धौलपुर बैराज से लगभग सात हजार क्यूसेक पानी छोड़ा गया है। वहीं बेतवा नदी पर बने माता टीला डैम से लगभग चार लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया है। बेतवा, चंबल और मैदानी इलाकों में बहने वाली ज्यादातर नदियां गंगा और यमुना की सहायक नदी हैं। ऐसे में इनमें जलराशि का इजाफा होने से पहले यमुना फिर गंगा के जलस्तर में भी बढ़ाव देखने को मिल सकता है। जान-माल को नुकसान नहीं पहुंचे इसके लिए प्रशासन गंगा किनारे के निवासियों को अलर्ट मोड में रहने की अपील की है।

चौकाघाट शेल्टर हाउस तक पहुंचा बाढ़ का पानी

केंद्रीय जल आयोग के आंकड़ों के अनुसार बनारस में गंगा की बाढ़ शहर के तटवर्ती इलाकों को डुबोने के साथ रविवार को सुबह आठ बजे तक गंगा जलस्तर 71.76 मीटर पहुँच गया है। अब भी गंगा एक सेमी प्रति घंटे की रफ़्तार से बढ़ रही है। बाढ़ ढाब क्षेत्र में तेजी से कटान कर रही है। इसके चलते ग्रामीण और तटवर्ती इलाकों के नागरिकों की धुकधुकी बढ़ गई है। 

वाराणसी तहसील प्रशासन ने शनिवार को वरुणा पुल पर रह रहे 31 खानाबदोश परिवारों को बाढ़ राहत सामग्री दी। यह परिवार नदी किनारे झोपड़ी में रहकर प्लास्टिक ऑफ पेरिस की मूर्तियां आदि बनाने का काम करते हैं। एडीएम वित्त एवं राजस्व और एसडीएम ने दाल, चावल, आटा, प्याज, आलू आदि का पैकेट दिया। इसी के साथ एसडीएम में करीब 400 पैकेट राहत सामग्री ढाब क्षेत्र में भेजवाया। प्रशासन का दावा है कि नगर आयुक्त, डीएम एसडीएम और वरिष्ठ अधिकारी बाढ़ पीड़ितों, बाढ़ ग्रसित क्षेत्रों और शेल्टर हाउस की मॉनिटरिंग कर रहे हैं, जबकि हकीकत में लोगों की परेशानियां और दुश्वारियां कम होने का नाम नहीं ले रही हैं।

आंकड़ों पर एक नजर. ..  

बाढ़ प्रभावित आबादी – तीन लाख से अधिक। 

शेल्टर हॉउस में शरण – तीन हजार से अधिक लोग। 

रिश्तेदारों\नजदीकी के यहां शरण लिए लोग- 50 हजार से अधिक। 

बाढ़ में डूबी फसलें\नष्ट – हजारों हेक्टेयर। 

बाढ़ पीड़ित शहरी वार्ड – 15 वार्ड। 

बाढ़ पीड़ित शहरी कॉलोनी – 200 से अधिक। 

बाढ़ पीड़ित गांव – 100 से अधिक। 

बाढ़ पीड़ित मवेशी – 20 हजार से अधिक। 

कारोबार को नुकसान – 200 करोड़ रुपए का कारोबार प्रभावित। 

रोजी-रोटी ठप्प – 25 हजार से अधिक लोगों की आजीविका ठप्प।  

(वाराणसी से पीके मौर्य की रिपोर्ट।)

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