पनडुब्बी सौदा कैंसिल करने से नाराज़ होकर फ्रांस ने कल संयुक्त राज्य अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया से अपने राजदूतों को वापस बुला लिया है। फ्रांस के विदेश मंत्री जीन-यवेस ले ड्रियन ने बताया है कि राजदूतों को “परामर्श” के लिए वापस बुलाया गया है।
गौरतलब है कि फ्रांस ने यह कार्रवाई संयुक्त राज्य अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन के नए त्रिपक्षीय समूह AUKUS की घोषणा के बाद की है। बता दें कि अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन ने मिलकर AUKUS ग्रुप बनाया है ताकि चीन के साथ बढ़ती प्रतिद्वंद्विता के सामने सैन्य क्षमताओं को मजबूत किया जा सके।
क्या है असल बात
दरअसल 15 सितंबर, 2021 को संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन और ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने एक संयुक्त वर्चुअल प्रेस कॉन्फ्रेंस में ‘ऑकस’ समझौते की जानकारी दुनिया को दी।
तीनो देशों के प्रतिनिधियों द्वारा ऑकस सुरक्षा समझौते पर एक संयुक्त बयान जारी कर कहा गया कि, “ऑकस के तहत पहली पहल के रूप में हम रॉयल ऑस्ट्रेलियाई नौसेना के लिए परमाणु ऊर्जा से चलने वाली पनडुब्बियों का निर्माण करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।”
ऑकस समझौता ऑस्ट्रेलिया को पहली बार परमाणु क्षमता वाली पनडुब्बी बनाने की अनुमति देगा जिसकी तकनीक उसे अमेरिका और ब्रिटेन मुहैया कराएंगे। गौरतलब है कि 50 सालों में पहली बार यूएसए अपनी पनडुब्बी तकनीक किसी देश से साझा कर रहा है। इससे पहले अमेरिका ने केवल ब्रिटेन के साथ यह तकनीक साझा की थी।
उम्मीद की जा रही है कि आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस और दूसरी तकनीक भी आएंगी और यह कई दशकों में ऑस्ट्रेलिया का सबसे बड़ा रक्षा समझौता है।
ऑकस समझौते के बाद अब ऑस्ट्रेलिया भी परमाणु-संचालित पनडुब्बियों का निर्माण करने में सक्षम होगा। बता दें कि पारंपरिक पनडुब्बियों के बेड़े की तुलना में परमाणु पनडुब्बी कहीं अधिक तेज़ और मारक होंगी। ये ख़ास पनडुब्बियां महीनों तक पानी के भीतर रह सकती हैं और लंबी दूरी तक मिसाइल दाग सकती हैं।
AUKUS समझौते को एशिया-प्रशांत क्षेत्र में चीन के प्रभाव के ख़िलाफ़ एक गुट के तौर पर देखा जा रहा है। गौरतलब है कि बिना चीन का नाम लिये तीनों नेताओं ने बार-बार क्षेत्रीय सुरक्षा को लेकर चिंताओं का ज़िक्र ज़रूर किया था।
ऑकस समझौते के बाद कैनबरा ने कैंसिल किया फ्रांस से 66 अरब डॉलर्स की पारंपरिक पनडुब्बियों की ख़रीद
15 सितंबर बुधवार को अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया ने त्रिपक्षीय सुरक्षा समझौते “AUKUS” के शुभारंभ पर आस्ट्रेलिया द्वारा घोषणा की गयी कि आस्ट्रेलिया अमेरिकी प्रौद्योगिकी के साथ निर्मित परमाणु पनडुब्बी के पक्ष में फ्रांस से होने वाले 66 अरब डॉलर्स की पारंपरिक पनडुब्बियों की ख़रीद की डील को खत्म कर रहा है।
फ्रांस के विदेश मंत्री जीन-यवेस ले ड्रियन ने गुरुवार सुबह फ्रांसइन्फो को दिये इंटरव्यू में कहा है कि “15 सितंबर को ऑस्ट्रेलिया और संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा किए गए इस असाधारण निर्णय को असाधारण तरीकों से उचित ठहराया गया है।” ले ड्रियन के आक्रोश ने इस तथ्य को प्रतिबिंबित किया कि पारंपरिक और कम तकनीकी रूप से विकसित पनडुब्बियों की खरीद का 66 अरब डॉलर का सौदा जो 2016 में ऑस्ट्रेलिया और फ्रांस के बीच हुआ था, वह अब भले समाप्त हो चुका है, लेकिन उस डील पर कठोर कानूनी जंग छिड़ सकती है।
फ्रांसीसी विदेश मंत्री ने कहा है कि यह खत्म नहीं हुआ है। हमें स्पष्टीकरण की आवश्यकता होगी। हमारे पास अनुबंध हैं। आस्ट्रेलियाई लोगों को हमें यह बताना होगा कि वे इससे कैसे बाहर निकल रहे हैं। हमारे पास एक अंतर सरकारी समझौता है जिस पर हमने 2019 में बड़ी धूमधाम से हस्ताक्षर किए, सटीक प्रतिबद्धताओं के साथ, क्लॉज के साथ, वे इससे कैसे बाहर निकल रहे हैं? उन्हें हमें बताना होगा। तो यह कहानी का अंत नहीं है। फ्रांस इस फैसले के ख़िलाफ़ लड़ेगा।
फ्रांस ने बताया पीठ में छुरा भोंकने वाला कदम
अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया के बीच हुए परमाणु पनडुब्बियों की अधिग्रहण के बीच फ्रांस की 66 अरब डॉलर की डील रद्द करने को लेकर फ्रांस ने गहरी नाराज़गी जताई है। फ्रांस ने कहा कि यह पीठ में छुरा घोंपने जैसा काम है। हमने ऑस्ट्रेलिया के साथ एक भरोसेमंद संबंध स्थापित किया था और उन्होंने हमारे साथ विश्वासघात किया। इतना ही नहीं, फ्रांस ने यह भी कहा कि जो बाइडन अपने पूर्ववर्ती डोनाल्ड ट्रंप की तरह ही हमारे रक्षा सौदों को खराब करने के लिए काम कर रहे हैं। ऑस्ट्रेलिया ने पहले इन पनडुब्बियों के लिए फ्रांस के साथ 50 बिलियन यूरो की डील की थी।
फ्रांस के विदेश मंत्री ले ड्रियन ने यह भी कहा कि पेरिस के साथ पनडुब्बी विकास कार्यक्रम को रद्द करने का ऑस्ट्रेलिया का निर्णय और अमेरिका के साथ एक नई साझेदारी की घोषणा “सहयोगियों और भागीदारों के बीच अस्वीकार्य व्यवहार है। “
ले ड्रियन ने संयुक्त राज्य अमेरिका के रवैये पर कड़ा आक्रोश जाहिर करते हुये कहा कि ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका के इस कदम की घोषणा हमें बाइडन के पूर्ववर्ती डोनाल्ड ट्रंप की याद दिलाती है। उन्होंने कहा कि जो बात मुझे चिंतित करती है, वह अमेरिकी व्यवहार है।” “यह क्रूर, एकतरफा, अप्रत्याशित निर्णय बहुत कुछ वैसा ही दिखता है जैसा मिस्टर ट्रंप करते थे … सहयोगी एक-दूसरे के साथ ऐसा नहीं करते हैं … यह बल्कि असहनीय है।”
फ्रांसीसी विदेश मंत्री जीन-यवेस ले ड्रियान ने आगे कहा है कि – “गणतंत्र के राष्ट्रपति के अनुरोध पर, मैंने तुरंत संयुक्त राज्य अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया में हमारे दो राजदूतों को परामर्श के लिए पेरिस वापस बुलाने का फैसला किया है।”
फ्रांसीसी रक्षा मंत्री फ्लोरेंस पार्ली ने कहा है कि यह निर्णय फ्रांस और ऑस्ट्रेलिया के बीच सहयोग के पत्र और भावना के विपरीत है। ऐसे समय में जब हम इंडो पैसिफिक क्षेत्र में अभूतपूर्व चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। उस समय ऑस्ट्रेलिया के साथ एक संरचनात्मक साझेदारी से फ्रांस जैसे सहयोगी और यूरोपीय साझेदार को अलग कर अमेरिकी विकल्प को अपनाना … निरंतरता की कमी को दर्शाता है।
ऑकस’ समझौता शीत युद्ध की मानसिकता दर्शाता है- चीन
चीन ने अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया के बीच हुए ऐतिहासिक सुरक्षा समझौते ‘ऑकस’ की आलोचना करते हुए इसे बेहद ग़ैर ज़िम्मेदाराना और छोटी सोच का उदाहरण कहा है। चीन ने अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया के बीच हुए रक्षा समझौते की निंदा करते हुए कहा कि ये ‘शीत युद्ध की मानसिकता’ को दर्शाता है। इससे पहले ब्रिटेन, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया ने एक विशेष सुरक्षा समझौते की घोषणा की थी।
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान ने कहा है कि, “इन्हीं वजहों से हथियारों के अंतरराष्ट्रीय प्रसार को रोकने के प्रयासों को धक्का लगता है। “
सामरिक जानकारों का मानना है कि इस नए सुरक्षा समझौते को एशिया पैसेफ़िक क्षेत्र में चीन के प्रभाव से मुक़ाबला करने के लिए बनाया गया है। गौरतलब यह क्षेत्र वर्षों से विवाद का कारण है और वहां तनाव बना हुआ है।
(जनचौक के विशेष संवाददाता सुशील मानव की रिपोर्ट।)