नई दिल्ली। दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर जीएन साईबाबा के अनशन की धमकी के आगे नागपुर जेल प्रशासन को झुकना पड़ा है और उसने साईबाबा की सभी मांगों को मान लिया है। साईबाबा के बचाव और रिहाई के लिए बनी कमेटी ने आज इसकी जानकारी दी।
कमेटी के चेयरमैन प्रोफेसर हरगोपाल की ओर से जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया है कि आज शाम को 3.00 बजे डॉ. जीएन साईबाबा के परिवार के सदस्यों के पास नागपुर सेंट्रल जेल से फोन आया। जिसमें खुद साईबाबा ने बात की। साईबाबा ने बताया कि एडिशनल डीआईजी, जेल ने 20 अक्तूबर, 2020 को उनसे मुलाकात की थी। डीआईजी ने साईबाबा से वार्ता की और फिर उन्होंने उनकी सारी मांगों को मान लिया। इसके साथ ही एडिशनल डीआईजी ने नागपुर सेंट्रल जेल के अफसरों को उनसे जुड़े सभी मसलों को तत्काल हल करने का निर्देश दिया।
इसके तहत उनके पत्नी से लेकर परिवार के सभी सदस्यों तथा उनके वकील द्वारा लिखे गए सभी जब्त पत्रों को उनके हवाले करने के लिए कहा गया है। इसके साथ ही उन्होंने कहा है कि जेल के अधिकारी उनको दी जाने वाली दवाओं को नहीं रोकेंगे। इसके अलावा जेल में अनियमितताओं और अपने अधिकारों से संबंधित शिकायतों को लेकर लिखे गए उनके पत्रों को भी संबंधित संस्थाओं को भेजे जाने की बात कही गयी है। पहले इन पत्रों को जेल प्रशासन अपने पास रख लेता था। उनके परिवार द्वारा भेजे गए सभी पेपर क्लिपिंग को उन्हें सौंप दिया जाएगा। जिसे अभी तक जेल प्रशासन अपने पास रखे हुए था। इसके साथ परिवार द्वारा पढ़ने के लिए दी गयी किताबों को भी उन्हें सौंपने के लिए कहा गया है।
इस तरह से एडिशनल डीआईजी ने साईबाबा की सभी मांगों को मान लिया। लिहाजा साईबाबा ने 21 अक्तूबर से अनशन पर जाने के अपने फैसले को वापस ले लिया। लेकिन इन फैसलों को लागू करने में प्रगति की जहां तक बात है तो आज जेल से आए फोन और साईबाबा से हुई बात के मुताबिक इनमें से अभी तक कोई भी मांग पूरी नहीं हुई है। लिहाजा कमेटी ने कहा है कि उसे उम्मीद है कि नागपुर जेल प्रशासन तत्काल इस दिशा में कदम उठाते हुए साईबाबा के साथ एडिशनल डीआईजी के हुए समझौते को लागू करने का प्रयास करेगा।
इसके अलावा जेल प्रशासन ने कल साईबाबा को बताया कि उनके भाई रामादेवुडु द्वारा डाला गया पैरोल का दूसरा आवेदन भी खारिज कर दिया गया है। हालांकि उसके पीछे के कारणों के बारे में अभी तक कुछ पता नहीं चल सका है। और भाई को खारिज होने वाले आदेश की कॉपी भी अभी तक नहीं मिल सकी है। उन्होंने उसकी मांग की है। हालांकि उसके एक हिस्से को पढ़कर जरूर सुनाया गया लेकिन साईबाबा को पूरी सूचना नहीं दी गयी है।
इसके साथ ही कमेटी और परिवार के सदस्यों ने साईबाबा के इस संघर्ष में साथ देने वाले सभी नागरिक अधिकार संगठनों, बुद्धिजीवियों, व्यक्तियों और मीडिया को धन्यवाद दिया है।