Tuesday, March 28, 2023

ग्राउंड स्टोरी: सालों बाद गांधी मैदान में शोषित मजदूरों के आवाज से गूंजा ‘लाल सलाम’, बिहार के कोने-कोने से आए लोग

Janchowk
Follow us:

ज़रूर पढ़े

पटना। बिहार के पटना में भाकपा-माले का महाधिवेशन चल रहा है। महाधिवेशन शुरू होने के ठीक एक दिन पहले ऐतिहासिक गांधी मैदान में पार्टी ने रैली का आयोजन किया। रैली में बिहार के साथ ही देश के कई राज्यों से भारी संख्या में लोग शामिल हुए। कुछ लोगों को तो रैली का आकर्षण कई दिन पहले ही पटना खीच लाया। ऐसे ही एक शख्स रामविलास यादव 13 तारीख से ही पटना में डटे हैं। वह अररिया जिला के रानीगंज प्रखंड के रहने वाले हैं। उम्मीद भरी आवाज में रामविलास बताते हैं कि, “पूरी सरकार पूंजीवादियों की है। आज भी जाति के नाम पर अन्याय हो रहा है और जाति के नाम पर सम्मान मिल रहा है, लेकिन बुद्धिजीवियों का वर्ग कहता हैं कि जाति खत्म हो गया है। देश बदलने की जो नीति हैं, इसे पूरी ताकत से हम किसानों नौजवानों और महिलाओं के साथ आगे बढ़ाना चाहिए। पूंजीपतियों के हाथों से देश को हटाने के लिए मात्र एक ही विकल्प है संघर्ष और आंदोलन। शिक्षा रोज़गार सब चौपट हो रहा है। खाद्य पदार्थ पर टैक्स लगाना और सरकारी संस्थाओं को बेच देना, इस तरह का कृत्य कोई सरकार आजतक नहीं किया था।”

रामविलास यादव
अररिया जिला के रामविलास यादव पटना रैली में

भाकपा-माले की अरसे बाद हो रही रैली से पूरा पटना शहर लाल झंडे से पट गया है। राज्य के अलग-अलग जिलों से हजारों लोग लाल सलाम के नारों के साथ गांधी मैदान में अपने नेताओं को सुन रहे थे। बिहार के अलावा कई राज्यों के लोग भी इस ऐतिहासिक रैली के गवाह बने। इस रैली की महक लाल झंडे, लाल बैनर और लाल पोस्टर के जरिए पूरे बिहार में गांवों से लेकर कस्बों तक हर जगह पहुंचाई गई। नेता और कार्यकर्ता के माध्यम से पैदल मार्च, मोटरसाइकिल-साइकिल जुलूस और नुक्कड़ सभाओं के माध्यम से लोगों को जोड़ा गया। तमाम स्थानीय भाषा में भोजपुरी, मैथिली और मगही बोलियों में अभियान गीत के माध्यम से प्रसारित किया गया।

patna rally 1

कम्युनिस्ट कार्यकर्ता अमित चौधरी के मुताबिक हर पांच साल बाद पार्टी का महाअधिवेशन होता है। पिछला महा-अधिवेशन मार्च 2018 में पंजाब में हुआ था। इस बार हम ये अधिवेशन पटना में कर रहे हैं। आइसा के छात्र नेता कुमार दिव्यम जनचौक को बताते हैं कि,” पार्टी का महा-अधिवेशन 20 साल बाद पटना में हो रहा है। रैली की बात करें तो, रैली बहुत ज्यादा दिनों बाद नहीं हो रही है। कोरोना की वजह से रैली बाधित थी। नरेंद्र मोदी की जो फासीवादी सरकार है, वो लोकतंत्र पर चौतरफा हमला कर रहे हैं। ऐसे में देश को बचाने के लिए आज भाकपा-माले की यह लोकतंत्र बचाओ-देश बचाओ रैली है।”

महिलाओं और युवाओं को सुनिए

राज्य के हर इलाकों और क्षेत्रों के लोग इस रैली का गवाह बनें। रोहतास जिला के बिक्रमगंज से आए असगर अंसारी ने कहा कि “देश में बदलाव एकमात्र विकल्प है। नहीं तो धर्म और जाति के नाम पर देश कई भागों में विभक्त हो जाएगा। मोदी सरकार से हम लोग निजात पाना चाहते हैं। वर्तमान सरकार से नौजवानों को बेरोजगारी, महंगाई, भ्रष्टाचार और बहुत सारी परेशानियां मिल रही है।”

वहीं सहरसा जिला के बारा पंचायत से आयीं कृष्णा मेहता ने कहा कि, “हम 14 फरवरी की रात को ही गांधी मैदान में पहुंच चुके थे। देश के संविधान पर खतरा है। आप देख रहे हैं कि भाजपा की जो सरकार है वो किस तरह से संस्थाओं को बेचते जा रही है। इसके खिलाफ संविधान बचाने के लिए और बेरोज़गारी, शिक्षा, महंगाई, भ्रष्टाचार तमाम सवालों पर हम लोगों की ये रैली है।”

पश्चिमी चंपारण जिले से आई मराछी देवी
पश्चिमी चंपारण जिले से आई मराछी देवी

रैली में महिलाएं भी काफी संख्या में पहुची थीं। पश्चिमी चंपारण जिले से आई मराछी देवी आंसू पूछते हुए कहती हैं कि,” हम लोग भूखे बेरोजगार मजदूर हैं। हमारी जमीनें लोगों ने हड़प लिया है। अधिकांश गांव के सामंती लोग हैं। हमारी बात न अधिकारी सुनता है ना स्थानीय नेता। हम अपनी बातों को अपने नेता के सामने रखने के लिए आए हैं।” वहीं मधेपुरा जिला की सुनीता बताती हैं कि, “हम लोग बाढ़ की वजह से तीन महीने घर में अकेले रहते हैं। पति दिल्ली में रहता है और सरकार सोई रहती है। देश में कोई तो सरकार हो जो मजदूरों और गरीबों की बात भी सुनें। बस इसी उम्मीद से पटना तक आएं है।”

गांधी मैदान में ऐतिहासिक रैली

15 फरवरी, 2023 के दिन पटना के गांधी मैदान में “लोकतंत्र बचाओ-देश बचाओ रैली” के अभियान के रूप में देश के अलग-अलग राज्यों से आए कलाकारों ने क्रांतिकारी धुन पर गीतों और नृत्यों की प्रस्तुति दी। भाकपा-माले के महाअधिवेशन में राष्ट्रीय महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य सबसे पहले शहीद वेदी पर पुष्पांजलि अर्पित किए। फिर रैली को संबोधित करते हुए कहा कि,”बिहार गरीबों का प्रदेश है और लोकतंत्र की जरूरत गरीब-गुरबों को ही पड़ती है। ऐसे में गांधी मैदान में जुटी यह भीड़ पूरे देश को संदेश दे रही है कि संविधान पर हमला करने वाली और नफरत की राजनीति करने वाली ताकतों के खिलाफ आवाज उठ चुकी है।”

patna rally 1 1

“रैली के बाद 16 से 20 जनवरी तक पटना में पार्टी का महाधिवेशन होगा, जिसमें विपक्षी और वामपंथी एकता के लिए बात कर कार्ययोजना तैयार की जाएगी। 17 फरवरी को एक अंतरराष्ट्रीय एकजुटता का सत्र होगा जिसमें दुनिया भर में चल रहे आंदोलनों के कुछ प्रतिनिधि पटना में रहेंगे। 18 फरवरी को देश में संविधान और लोकतंत्र की हिफाजत करने के लिए मजबूत विपक्षी एकता के उद्देश्य से देश के कई नेतागण शामिल होंगे। साथ ही देश और दुनिया में इस समय जलवायु का जो संकट गहराता जा रहा है उस पर भी हम लोग विशेष तौर पर चर्चा करेंगे। आर्थिक सवाल यानी रोजगार के सवाल, किसानों और मजदूरों के सवाल! यह सवाल तो रहेंगे ही इन सवालों के साथ-साथ पर्यावरण और जलवायु के सवाल भी प्रमुखता से महाअधिवेशन में चर्चित होगा।” आगे दीपंकर भट्टाचार्य कहते हैं। श्रीलंका, मलेशिया, आस्ट्रेलिया और बांग्लादेश के कम्युनिस्ट दलों के नेताओं और प्रतिनिधियों के अलावा नीतीश कुमार, सलमान खुर्शीद, तेजस्वी यादव और जीतन राम मांझी को भी आमंत्रित किया गया है।

patna rally 2

रैली में लिए राजनीतिक प्रस्ताव

आखिर इस आंदोलन की जरूरत क्यों पड़ी? इस सवाल के जवाब पर कम्युनिस्ट पार्टियों ने तीन मुख्य कारण दिया गया है। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में एनडीए कॉर्पोरेट की सरकार बन चुकी है। पहले देश की कीमती प्राकृतिक संसाधनों सहित सार्वजनिक क्षेत्रों को निजी लोगों के हाथों में दिया। इसी का परिणाम है कि 2014 में पूंजीपतियों की ग्लोबल लिस्ट में 609वें स्थान वाला अडानी ग्रुप गलत तरीकों से तीसरे स्थान पर पहुंच गया था। आने वाले वक्त में मोदी-अडानी गठजोड़ को कमजोर करने के उद्देश्य से इस अभियान की शुरुआत हुई है। दूसरा मुख्य वजह फासीवाद है।

patna rally 3

देश के अधिकांश क्षेत्रों में फासीवादी प्रवृत्ति लगातार बढ़ती ही जा रही है। संस्थाओं तक में इसकी मजबूत पकड़ बना चुका है। तीसरा और अंतिम वजह बेरोजगारी और महंगाई है। ग्लोबल हंगर सूचकांक में भारत सबसे दयनीय देशों की सूची में शामिल हो गया है। कई राज्यों में कर्ज से सामूहिक आत्महत्याओं का सिलसिला चल रहा है। कोरोना में स्वास्थ्य की स्थिति से सब वाकिफ हैं। संघ और भाजपा के नेता सांप्रदायिक विभाजन की मुहिम चला रहे हैं। इस सबके खिलाफ रैली में आह्वान किया गया।

(पटना से विष्णुकांत पांडेय की रिपोर्ट।)

जनचौक से जुड़े

5 1 vote
Article Rating
Subscribe
Notify of

guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments

Latest News

नवजागरण की परम्परा को आगे बढ़ा रहा दलित साहित्य: शरण कुमार लिम्बाले

मध्यकाल में संतों ने हमें अपने अपने समय की कटु सच्चाईयों से रूबरू कराया और उसका प्रतिरोध किया। ब्रिटिश...

सम्बंधित ख़बरें