गुटबाजी से चिंतित सोनिया गांधी की खींची लक्ष्मण रेखा की हकीकत और नए चुनावों की कांग्रेसी तैयारी

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कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने उदयपुर (राजस्थान) में 13 मई को पार्टी के चिंतन शिविर के उद्घाटन भाषण में एक तरह की लक्ष्मण रेखा खींच दी। उन्होंने कहा कि इसमें भाग लेने देश भर से आए प्रतिनिधि यहाँ खुल कर बोलें, जो चाहे बोलें। पर इस शिविर के बाहर संदेश जाना चाहिए कि कांग्रेस एकजुट है। जाहिर है वह कांग्रेस में गुटबाजी से चिंतित हैं और इससे निपटने के लिए अनुशासन की ये लक्ष्मण रेखा खींच दी। लेकिन उन्हें कांग्रेस का इतिहास भली भांति नहीं मालूम है। इतिहास ये है कि कांग्रेस एक छतरीनुमा संगठन रहा है जिसमें कम्युनिस्ट दलों से लेकर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) से जुड़े लोग भी आते जाते रहे हैं।

कम्युनिस्टों की भारत में पहली और दुनिया में इटली के पास सान मरिनो के बाद दूसरी सरकार बनाने वाले केरल के दिवंगत पूर्व मुख्यमंत्री ईएमएस नंबूदारिपाद पहले कांग्रेस में ही थे। आरएसएस के सर्वोत्तम प्रचारक रहे और अभी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भारतीय जनता पार्टी ( भाजपा ) के करीब एक सौ सांसद पहले कांग्रेस में रहे है। इतिहास में ये बात दर्ज है कि कांग्रेस में गरम दल और नरम दल कहे जाने वाले गुट रहे। भारत के सर्वप्रथम  प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू गरम दल में थे और उनके पिता मोतीलाल नेहरू नरम दल में थे। हकीकत ये है कि अभी भी कांग्रेस में नेहरू गांधी परिवार के नेतृत्व के खिलाफ उस नरम दल की गुटबाजी जोरों पर है जिसे मीडिया में जी 23 ग्रुप कहा जाता है। राहुल गांधी ने भी हाल में तेलंगाना की एक सभा में कांग्रेस जनों को पार्टी के आंतरिक मामले बाहर नहीं ले जाने के लिए कहा था।

 भावनात्मक अपील

सोनिया गांधी ने पार्टी नेताओं से कर्ज उतारने की भावनात्मक अपील कर कहा कि कांग्रेस ने हम सभी को बहुत कुछ दिया है और अब उसका कर्ज लौटाने का समय है। उन्होंने कहा कि देश की जनता को एक बार फिर से कांग्रेस से बड़ी उम्मीदें हैं और हमें उनको पूरा करके दिखाना होगा। सियासी नेताओं के भाषणों में कुछ हवाई बातें कही ही जाती हैं इसलिए उन्होंने लगे हाथों ये भी  कह दिया “ हमें यह करना होगा कि यहां से जब निकलें तो नई ऊर्जा, नई प्रतिबद्धता और प्रेरणा के साथ निकलेंगे।“

मोदी सरकार पर प्रहार

कांग्रेस अध्यक्ष ने आठ बरस पुरानी मोदी सरकार पर तीखे प्रहार करते हुए कहा कि देश भर में आज मुस्लिमों पर अत्याचार हो रहे हैं।वे भी बराबर के शहरी हैं और उन्हें भी समान अधिकार हैं। लेकिन मोदी सरकार के शासन में कमजोर तबकों के लोग उत्पीड़न का शिकार हो रहे हैं। मुस्लिम ही नहीं दलितों को सजा दी जा रही है। उन्होंने इंगित किया कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के हत्यारों का महिमामंडन किया जा रहा है और संवैधानिक संस्थाओं के अस्तित्व का बड़ा खतरा पैदा हो गया है।

उन्होंने कहा कि मोदी राज में भारत की अर्थव्यवस्था चौपट हो गई है। आर्थिक गिरावट का दौर नोटबंदी के बाद से लगातार जारी है। लोग मान चुके हैं कि उन्हें नौकरियां नहीं मिलने वाली हैं। रोजगार के नए अवसर उपलब्ध नहीं कराये जा रहे हैं। जन कल्याण और विकास के लिए बनी सरकारी कंपनियों को औने पौने दाम पर बेचा जा रहा है। लोग बड़े पैमाने पर बेरोजगार हुए हैं।

यूपीए सरकार के काम

उन्होंने 2004 के लोकसभा चुनाव के उपरांत कांग्रेस की अगुवाई में बने मोर्चा, यूनाइटेड प्रोग्रेसिव अलायंस यूपीए की मनमोहन सिंह सरकार के कार्यकाल में बनी दो स्कीमों मनरेगा और खाद्य सुरक्षा कानून का खास तौर पर जिक्र किया। उन्होंने कांग्रेस के 9 प्लान का उल्लेख कर कहा कि इनमें काम को ईनाम, नाकारों को सजा और परिवारवाद से दूरी शामिल है।

 राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शिविर के स्वागत भाषण में भाजपा की आलोचना कर कहा कि जब चुनाव का समय आता है तो उसके लोग बवाल कराने लगते हैं। जिन राज्यों में चुनाव आने वाले होते हैं वहीं दंगे होते हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि हम काम बहुत करते हैं लेकिन कभी मार्केटिंग नहीं करते। भाजपा के ये लोग गुजरात मॉडल की बातें करते हैं लेकिन काम नहीं करते।

गौरतलब है कि इसी बरस राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति ही नहीं मोदी जी के गृह राज्य गुजरात और हिमाचल प्रदेश के चुनाव के उपरांत राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, तेलंगाना और पूर्वोत्तर भारत के कई राज्यों में चुनाव हैं। इन चुनावों की तैयारी के बारे में उदयपुर शिविर में अभी तक तो कोई खास चर्चा नहीं हुई है। राज्यसभा चुनावों के गुल ऐसे खिले हैं कि सवा सौ बरस से भी अधिक पुरानी पार्टी कांग्रेस की ताकत सदन में और  कम हो गई है। सदन में विपक्षी कांग्रेस के अभी 34 सदस्य हैं जो इसके इतिहास में सबसे कम है। इस साल राज्यसभा में कांग्रेस सदस्यों की संख्या और कम होगी।

2024 में कई और सीटें खाली होंगी। कांग्रेस के कई दिग्गजों का राज्यसभा से कार्यकाल पूरा हो चुका है या हो रहा है। इसमें कांग्रेस के ‘ बागी ‘ गुट में शामिल आनंद शर्मा, कपिल सिब्बल के अलावा केरल से एके एंटनी और पंजाब से अंबिका सोनी शामिल हैं। राज्य सभा में विपक्ष के नेता का पद पाने के लिए उनकी पार्टी के पास सदन की कुल सदस्यता का कम से कम 10 फीसद होना चाहिए। वह राज्यसभा में विपक्ष के नेता का पद खो सकती है। अभी सदन में कांग्रेस के 34 सदस्य हैं।

उदयपुर शिविर में कांग्रेस पर कब्जा करने की पोल इवेंट मैनेजर प्रशांत किशोर की तीसरी कोशिश की नाकामी के बाद की रणनीति की भी कोई चर्चा नहीं उठी है। सर्वविदित है कि सोनिया गांधी और राहुल गांधी, पीके के जादू में फंस गए थे। लेकिन जादूगर रहे अशोक गहलोत, मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल आदि ने पीके की कोशिशें नाकाम कर दी। प्रशांत , कांग्रेस में कोई ऐसा ओहदा चाहते थे कि उनकी जवाबदेही सिर्फ और सिर्फ सोनिया गांधी के प्रति रहे। उनकी सलाह थी कि नेहरू गांधी परिवार से बाहर का कोई नेता कांग्रेस का अगला अध्यक्ष बने। 

उनके दिए डिमास्ट्रेशन के बाद सोनिया गांधी ने पार्टी के सीनियर नेताओं की  ‘इम्पावर्ड एक्शन ग्रुप-2024’ बना दिया और पीके को उसी ग्रुप में शामिल होने को कहा गया। पीके को ये पेशकश मंजूर नहीं हुई। राहुल गांधी 2016 में उनके जादू में फंसे थे और उन्हें 2017 का उत्तर प्रदेश चुनाव जितवाने का काम दिया गया था। अंदरूनी खबर है कि इसके लिए प्रशांत किशोर की कम्पनी को पांच सौ करोड़ रुपये दिए गए थे। कहा जाता है कि उन्होंने कांग्रेस में घुसने की दूसरी कोशिश 2021 में तब की थी जब कन्हैया कुमार और जिग्नेश मेवानी ने कांग्रेस में शामिल होने का फैसला किया था।

बहरहाल, देखना ये है कि कांग्रेस के उदयपुर चिंतन शिविर में कांग्रेस अध्यक्ष के अर्से से लंबित चुनाव के बारे में क्या निर्णय लिया जाता है और उसमें राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वढेरा की क्या भूमिका होगी। सोनिया गांधी अभी अंतरिम अध्यक्ष हैं। कहते हैं कि राहुल फिर पार्टी अध्यक्ष बनने के लिए राजी नहीं हैं। ऐसे में कयास लग रहे हैं कि उत्तर प्रदेश के प्रभार से आगे बढ़ कर राष्ट्रीय राजनीति में बड़ी भूमिका निभाने के लिए आतुर प्रियंका गांधी वढेरा को 2024 तक कांग्रेस अध्यक्ष बनाया जा सकता है।

(चंद्र प्रकाश झा यूनाईटेड न्यूज ऑफ इंडिया के मुम्बई ब्यूरो के विशेष संवाददाता पद से रिटायर्ड पत्रकार हैं।)

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