(मानवाधिकार कार्यकर्ता फादर स्टेन स्वामी को 8 अक्तूबर की रात्रि में लगभग 8 बजे मुम्बई से आयी एनआईए की टीम ने भीमा कोरेगांव मामले में गिरफ्तार कर लिया। आज सुबह 9:30 की फ्लाइट से उन्हें मुंबई ले जाया गया और वहाँ कोर्ट में पेश करने के बाद उन्हें तलोजा जेल भेज दिया गया है। मालूम हो कि भीमा कोरेगांव मामले में यह 16वीं गिरफ्तारी है। अपनी गिरफ्तारी से दो दिन पहले उन्होंने दो वीडियो और अपना स्टेटमेंट अपने साथियों को दिया था। जिसे नीचे दिया जा रहा है-रूपेश कुमार सिंह)
स्टेन स्वामी का अपडेट:
मुझसे NIA ने पांच दिनों (27-30 जुलाई व 6 अगस्त) में कुल 15 घंटे पूछताछ की। मेरे समक्ष उन्होंने मेरे बायोडेटा और कुछ तथ्यात्मक जानकारी के अलावा अनेक दस्तावेज़ व जानकारी रखी जो कथित तौर पर मेरे कंप्यूटर से मिली एवं कथित तौर पर माओवादियों के साथ मेरे जुड़ाव का खुलासा करते हैं। मैंने उन्हें स्पष्ट कहा कि ये छलरचना है एवं ऐसे दस्तावेज़ और जानकारी चोरी से मेरे कंप्यूटर में डाले गए हैं और इन्हें मैं खारिज करता हूँ।
NIA के वर्तमान अनुसन्धान का भीमा-कोरेगांव मामले से कुछ लेना देना नहीं है। जबकि इसी मामले का ‘संदिग्ध आरोपी’ बताकर मेरे निवास पर दो बार छापा (28 अगस्त 2018 व 12 जून 2019) मारा गया था, लेकिन अनुसन्धान का मूल उद्देश्य है निम्न बातों को स्थापित करना- 1) मैं व्यक्तिगत रूप से माओवादी संगठनों से जुड़ा हुआ हूँ एवं 2) मेरे माध्यम से बगईचा भी माओवादियों के साथ जुड़ा हुआ है। मैंने स्पष्ट रूप से इन दोनों आरोपों का खंडन किया।
छः सप्ताह की चुप्पी के बाद NIA ने मुझे उनके मुंबई कार्यालय में हाजिर होने के लिए बोला है। मैंने उन्हें सूचित किया है कि 1) मेरे समझ के परे है कि 15 घंटे पूछ ताछ करने के बाद भी मुझसे और पूछताछ करने की क्या आवश्यकता है, 2) मेरी उम्र (83 वर्ष) व देश में कोरोना महामारी को देखते हुए मेरे लिए इतनी लम्बी यात्रा संभव नहीं है। झारखंड सरकार के कोरोना सम्बंधित अधिसूचना के अनुसार 60 वर्ष से अधिक उम्र के बुज़ुर्ग व्यक्तियों को लॉकडाउन के दौरान नहीं निकलना चाहिए, एवं 3) अगर NIA मुझसे और पूछताछ करना चाहती है, तो वो वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से हो सकता है।
अगर NIA मेरे निवेदन को मानने से इंकार करे और मुझे मुंबई जाने के लिए ज़ोर दे, तो मैं उन्हें कहूँगा कि उक्त कारणों से मेरे लिए जाना संभव नहीं है। आशा है कि उनमें मानवीय बोध हो। अगर नहीं, तो मुझे व हम सबको इसका नतीज़ा भुगतने के लिए तैयार रहना है।
मैं सिर्फ इतना और कहूँगा कि जो आज मेरे साथ हो रहा है, ऐसा अभी अनेकों के साथ हो रहा है। सामाजिक कार्यकर्ता, वकील, लेखक, पत्रकार, छात्र नेता, कवि, बुद्धिजीवी और अन्य अनेक जो आदिवासियों, दलितों और वंचितों के अधिकारों के लिए आवाज़ उठाते हैं और देश के वर्तमान सत्तारूढ़ ताकतों की विचारधाराओं से असहमति व्यक्त करते हैं, उन्हें विभिन्न तरीकों से परेशान किया जा रहा है।
इतने सालों से जो संघर्ष में मेरे साथ खड़े रहे हैं, मैं उनका आभारी हूँ।
लम्बे अरसे से मैं जिन सवालों को उठाता आया हूँ, उन पर एक नोट संलग्न है – क्या अपराध किया है मैंने ?
स्टेन स्वामी
जीवन और मृत्यु एक है,
जैसे नदी और समुन्दर एक है [कवि खलील जिब्रान]
क्या अपराध किया है मैंने?
स्टेन स्वामी, झारखंड
पिछले तीन दशकों में मैं आदिवासियों और उनके आत्म-सम्मान और सम्मानपूर्वक जीवन के अधिकार के संघर्ष के साथ अपने आप को जोड़ने और उनका साथ देने का कोशिश किया हूँ। एक लेखक के रूप में मैं उनके विभिन्न मुद्दों का आकलन करने की कोशिश किया हूँ। इस दौरान मैं केंद्र व राज्य सरकारों की कई आदिवासी-विरोधी और जन-विरोधी नीतियों के विरुद्ध अपनी असहमति लोकतान्त्रिक रूप से जाहिर किया हूँ। मैंने सरकार और सत्तारूढ़ व्यवस्था की ऐसी अनेक नीतियों की नैतिकता, औचित्य व क़ानूनी वैधता पर सवाल किया है।
This post was last modified on October 9, 2020 6:18 pm