नई दिल्ली। भारत सरकार को स्विस बैंकों में खाता खोलने वाले भारतीय नागरिकों के नामों और उनके डिटेल की जानकारी मिल गयी है। ऐसा आटोमैटिक सूचना आदान-प्रदान के ढांचे के जरिये संभव हुआ है। यह जानकारी स्विट्जरलैंड की सरकार ने दी है। अगर साफ शब्दों में कहा जाए तो स्विस बैंकों में जमा काले धन की पूरी मात्रा और उनके मालिकों का पूरा ब्योरा भारत सरकार को मिल गया है।
इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित खबर के जरिये यह बात सामने आयी है। इंडियन एक्सप्रेस की मानें तो उसने जुलाई में ही यह बता दिया था कि भारत सरकार को बहुत जल्द ही इन खातों का विवरण मिल जाएगा। ऐसा आटोमैटिक एक्सचेंज ऑफ इन्फारमेशन के तहत हुआ है। इसके जरिये मौजूदा समय में सक्रिय और जिन खातों को 2018 के दौरान बंद कर दिया गया था उन सभी का वित्तीय विवरण हासिल किया जा सकता है। अगली लेन-देन सितंबर 2020 में होगी।
फेडरल टैक्स आफिस ने उस समय कहा था कि भारत के मामले में ढेर सारे डिस्पैच बहुत जरूरी हैं। इसके साथ ही टैक्स अथारिटी ने विवरणों का पूरा ब्योरा जो स्विटजरलैंड के विभिन्न खातों में दर्ज थे, मिलने के संकेत दे दिए थे।
2016 में भारत और स्विट्जरलैंड ने बैंक खातों के संदर्भ में सूचनाओं को साझा करने को लेकर एक करार पर हस्ताक्षर किया था। इसको जनवरी 2018 से लागू हो जाना था।
सूचनाओं का यह आदान-प्रदान कॉमन रिपोर्टिंग स्टैंडर्ड (सीआरएस) के तहत संपन्न किया गया है। सीआरएस को आर्गेनाइजेशन फार इकोनामिक कोआपरेशन एंड डेवलपमेंट (ओईसीडी) द्वारा विकसित किया गया है।
दो स्विस एजेंसिंयों के मुताबिक भारत उन 75 देशों में शामिल है जिनके साथ इस साल बैंक खातों से जुड़ी जानकारियां साझी की जाएंगी। पिछले साल यह साझेदारी 36 देशों के साथ की गयी थी।
इसके जरिये इस बात का पता चलेगा कि कितने और किन-किन भारतीयों ने स्विस बैंक में अपने खाते खोलकर देश के पैसे को वहां जमा किए हैं। पहले ये जानकारी इसलिए नहीं मिल पायी थी क्योंकि स्विस सरकार ने अपने स्थानीय कानूनों के जरिये उनको गोपनीय बनाए रखा था। 2018 में ज्यूरिच स्थित स्विस नेशनल बैंक (एसएनबी) के डाटा ने दिखाया था कि तीन सालों तक गिरावट के बाद स्विस बैंकों में खोले गए भारतीय खातों में जमा राशि में अचानक 50 प्रतिशत की बृद्धि हो गयी थी।