Friday, April 19, 2024

उन्नाव गैंगरेप हादसा: डरावना है भारतीय न्याय व्यवस्था का यह चेहरा

सत्ता के बड़े रसूखदार द्वारा सरकार के संरक्षण में समूची न्याय व्यवस्था को निर्ममता से कुचल डालना अगर हादसे की श्रेणी में आता है तो यकीनन ज़िन्दगी और मौत के बीच संघर्ष कर रही उन्नाव रेप कांड पीड़िता हादसे का शिकार हुई है। 

दरअसल उन्नाव रेप पीड़िता की पूरी कहानी किसी थ्रिलर फिल्म से ज्यादा डरावनी है, क्योंकि पीड़िता की हर टूटती सांस के साथ विशाल लोकतांत्रिक देश की मरणासन्न न्यायिक व्यवस्था की सांसें भी उखड़ती जा रही हैं। विशेष कुछ कहने-लिखने की जरूरत नहीं है बस इस पूरे घटनाक्रम को संक्षेप में जान लेने भर से इस बात का अंदाज़ा लग जायेगा कि हमारे देश की कानून व्यवस्था कितना कमजोर है सत्ता के सामन्ती रसूखदारों के सामने।

एक छोटी सी मासूम बच्ची जो दबंग भाजपा विधायक कुलदीप सेंगर के घर अक्सर आती रहती थी। वह विधायक जी को दादू कहकर संबोधित करती थी। पीड़ित लड़की के अनुसार विधायक अक्सर उसे गलत ढंग से छूने, घूरने की कोशश करते रहते थे, कभी कमरे में बंद कर देते हैं। वर्षों तक ये सिलसिला चलता रहता है, लेकिन उस असुरक्षित दमघोंटू माहौल में भी किसी तरह वो लड़की खुद को संयत रखने की कोशिश में जुटी रहती है। खुद के वजूद को दांव पर लगाने को सिर्फ इसलिए विवश होती रही क्योंकि उसके पिता, भाई, परिवार विधायक जी पर आश्रित थे। अंततः विधायक जी की पाशविकता उस नाबालिग लड़की का गैंगरेप करके ही दम लेती है।

किसी तरह अपने चाची और चाचा के आत्मिक समर्थन के बाद ये बच्ची सत्ता के इस सफेदपोश दरिन्दे से संघर्ष की हिम्मत जुटाती है। जून 2017 में उस लड़की द्वारा भाजपा के दबंग विधायक कुलदीप सिंह सेंगर पर रेप का आरोप लगाया जाता है। बार-बार शिकायत के बावजूद पीड़ित लड़की की एफ़आईआर पुलिस नहीं लिखती है जिसके बाद लड़की के परिवार वालों ने कोर्ट का सहारा लिया।

इस दौरान विधायक के परिजन उन पर केस वापस लेने का दबाव बनाते रहे, धमकियां देते रहे। काफी दबाव बनाने के बाद भी जब साहसी लड़की पीछे नहीं हटती है तो अप्रैल 2018 में गुर्गों के साथ विधायक कुलदीप सिंह सेंगर के भाई अतुल सिंह और उसके साथियों ने पीड़ित परिवार पर हमला कर दिया, पीड़ित लड़की के पिता सुरेंद्र उर्फ पप्पू की बुरी तरह पिटाई पुलिस के सामने की गई। और बाद में पुलिस ने उसके पिता के ही ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज करके उन्हें जेल भेज दिया। आरोप है कि विधायक के दबाव में पुलिस कस्टडी में निर्मम तरीके से सुरेंद्र पर थर्ड डिग्री के टॉर्चर का प्रयोग किया जाता है, इससे अंततः पीड़िता के पिता की पुलिस कस्टडी में मौत हो जाती है। उनकी कई हड्डियां टूटी पाई गईं थीं, शरीर पर गहरे जख्म के निशान थे।

पीड़िता बार-बार इंसाफ की गुहार लगाती है। अंततः यूपी विधानसभा के सामने पीड़िता अपने परिवार के साथ आत्मदाह का प्रयास करती है, लेकिन उसे पुलिस बचा लेती है,  इस घटना के अगले ही दिन पुलिस कस्टडी में पीड़िता के पिता की मृत्यु हो जाती है, तब जाकर मामला मीडिया की सुर्खियों में आता है।

इन सब के बावजूद यूपी पुलिस काफी दिनों तक सेंगर को गिरप्तार नहीं करती है, और उसे बचाने की भरसक कोशिश करती है। लेकिन जब ख़ुद कोर्ट ने संज्ञान लेते हुए सरकार को घेरा, उसके बाद सीबीआई जांच शुरू हुई तब जाकर पिछले साल 13 अप्रैल 2018 को दबंग बीजेपी विधायक कुलदीप सेंगर की गिरफ़्तारी हुई। इस मामले में गठित एसआईटी की रिपोर्ट आने के बाद पुलिस ने र्आईपीसी की धारा 363, 366, 376 और 506 के तहत मुक़दमा दर्ज किया और पॉक्सो एक्ट (प्रोटेक्शन ऑफ़ चिल्ड्रेन फ़्रॉम सेक्सुअल ऑफ़ेंसेस एक्ट, 2012) के तहत भी ये मामला दर्ज किया गया।

सीबीआई के द्वारा सेंगर की गिरफ्तारी के बाद भी विधायक जी के रुतबे में कमी नहीं आती है। सुनवाई के दौरान भी कोर्ट परिसर में पीड़िता और उसके परिजनों को लगातार धमकाया जाता है, जान से मारने की धमकी दी जाती है, जिसकी शिकायत पीड़िता और उसके परिवार जनों द्वारा पुलिस प्रशासन से किया जाता है। पीड़िता को इंसाफ दिलाने के लिए सबसे मुस्तैदी के साथ जुटे उसके चाचा को ही कई फर्जी मुकदमे में फंसा कर उसे सलाख़ों के पीछे डाल दिया जाता है।

इस बीच, अगस्त 2018 में इस रेप कांड और पुलिस कस्टडी में लड़की के मौत के एक सबसे महत्वपूर्ण गवाह की भी संदिग्ध हालात में मौत हो जाती है।

28 जुलाई को रेप पीड़िता अपने चाचा से मिलने अपनी मां, चाची और वकील के साथ कार द्वारा उन्नाव से रायबरेली जा रही थी उसी समय उनकी कार को एक ट्रक ने टक्कर मारी जिसमें इस पूरे मसले के महत्वपूर्ण गवाह पीड़िता की चाची और मौसी की मौत हो गई। पीड़ित लड़की की हालत भी काफ़ी नाज़ुक बताई जा रही है। उसके सिर में गम्भीर चोट लगी है मल्टीपल फ़्रैक्चर हैं, पैर में फ्रैक्चर है, छाती की पसलियां फेफड़े में घुस गई है जिससे सांस लेने में दिक्कत आ रही है अब तक उसे होश नहीं आया है और डॉक्टर ने महिला आयोग की स्वाती मालीवाल को जो बताया उसके अनुसार इसकी बहुत कम संभावना है कि वह बच पाए। उस हादसे के पहलुओं को देखकर आसानी से समझा जा सकता है कि ये सुनियोजित गहरी साजिश है। साजिश की तरफ इशारा करने के कई महत्वपूर्ण बिंदु हैं, जैसे –

★ जिस रोड पर यह एक्सीडेंट हुआ है वह इतना चौड़ा है कि आसानी से चार वाहन गुजर सकें लेकिन फिर भी विपरीत दिशा से रॉन्ग साइड से आती एक भारी-भरकम ट्रक कार को रौंद डालती है।

★ट्रक की नम्बर प्लेट काले रंग से पोती हुई थी। यानि पहचान छुपाने की भरसक कोशिश की गई है।

★ट्रक का पिछला टायर बुरी तरह से क्षतिग्रस्त है जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि ठोकर के समय ट्रक की गति कितनी तेज रही होगी।

★ कुछ लोगों का कहना है कि रेनकोट में एक आदमी इस पूरे घटनाक्रम का वीडियो बना रहा था जो लोगों के आने के बाद अचानक से गुम हो गया।

★ हादसे के समय पीड़िता के कार में कोई भी सुरक्षाकर्मी नहीं था। सभी नौ सुरक्षाकर्मी नदारद थे।

★ पीड़िता के साथ उसका गनर भी नहीं था, जिसे हर हालत में उपस्थित रहना चाहिए था। क्या ये संदेह उत्पन्न नहीं करता कि सुरक्षाकर्मियों को हादसे की जानकारी पहले से थी?

★ मीडिया रिपोर्ट में विधायक सेंगर के द्वारा जेल में मोबाइल प्रयोग करने की भी चर्चा है।

घटना में बुरी तरह से घायल वकील महेंद्र सिंह के जूनियर वकील ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि एक्सीडेंट का हर पहलू संदिग्ध लग रहा है। इतनी सारी संदिग्ध स्थितियों के बाद भी यूपी पुलिस इस मसले की लीपापोती में लगी है, आला पुलिस अधिकारी इसे सामान्य एक्सीडेंट बतलाने में जुटे हैं। अगर रेप पीड़ित होने पर देश की न्यायिक व्यवस्था से गुहार लगाने की कीमत अपने पिता, चाची, मौसी की जान गंवानी है तो इस न्यायिक व्यवस्था पर प्रश्नचिन्ह उठना स्वाभाविक है।

पहले एफआईआर दर्ज नहीं होती, फिर कोर्ट के संज्ञान के बाद दबंग विधायक की गिरप्तारी होती है, एक साल से सीबीआई जांच चल रही है लेकिन क्या जांच हो रही है, कैसे हो रही है ये समझ से बाहर है। चन्द दिनों में रेप पीड़िताओं को न्याय दिलाने का दम्भ भरने वाले हमारे माननीय प्रधानमंत्री जी का दावा न जाने क्यों हवा में गुम है। मुजरिम का सत्ताधारी पार्टी से होना देश की न्यायिक व्यवस्था के लिए इतना बड़ा मसला क्यों? आखिर सरकार की एजेंसियां और रामराज्य की पुलिस कब तक इस तरह से एक अपराधी को संरक्षण देते रहेंगे? 

इस पूरे कांड में सत्ता के सिंहासन की तरफ़ अंगुली भला क्यों न उठे जब ऐसे खूंखार दरिन्दे आज भी सत्ताधारी राष्ट्रीय पार्टी के सदस्य हैं? लोकसभा चुनाव जीतने के लिए पार्टी जेल में बंद अपने इस विधायक की मदद से भी गुरेज नहीं करती है,  चुनाव जीतने के बाद जेल में एक रेपिस्ट विधायक को सलाम ठोकने और धन्यवाद ज्ञापन करने जब विजयी उम्मीदवार साक्षी महाराज पहुंचेंगे तो ऐसी संवेदनहीन सरकार से न्याय की अपेक्षा कैसे की जा सकती है ? 

(लेखक दया नन्द स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)

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